सेक्स है कुदरत का वरदान- 3

(Sister Ass Sex Kahani)

सिस्टर ऐस सेक्स कहानी में इधर एक जवान लड़की अपनी गांड बुआ के बेटे से मरवा रही है, उधर उसकी बुआ लड़की के मामा के लंड के नीचे लेटी हुई है.

कहानी के पिछले अंक
भाभी के भाई से चूत चुदवाने गयी
में आपने पढ़ा कि बंटू और उसकी मम्मी अंजू, दोनों पम्मी के विवाह में सम्मिलित होने गए जहां अंजू, बंटू और पम्मी को कमरे में मस्ती करने के लिए छोड़ कर खुद पम्मी के मामा यानी मनीष के पास पहुंच गयी।

उनकी रासलीला समाप्त नहीं हुई थी।

अब आगे सिस्टर ऐस सेक्स कहानी:

मनीष ने अंजू की चूत में मुंह दे दिया.
उसके बाद उसने मनीष के ऊपर सवार होकर अपनी चूत तो मनीष के मुंह पर टिका दी और उसका लंड मुंह में लेकर चूसने लगी।

यह ऐसी पोजीशन है जिसमें मर्द का लंड औरत के हलक तक आसानी से पहुंचता है।

मनीष फिर से अंजू की चूत के भगोष्ठों को अपने होठों में जकड़कर चूसने लगा।

झड़ने को बेताब अंजू ने लंड मुंह से निकाला और मनीष को कहा- मेरे भगनासा पर जुबान के स्ट्रोक लगा!
और वह फिर से लंड को चूसते हुए फेंटने लगी।

अंजू की बात मानकर मनीष ने उसकी चूत को चौड़ा कर उस के भगनासा पर अपनी जुबान को सक्रिय कर दिया।
एक पराई औरत के चूसे जाने से उत्तेजित मनीष के लंड से वीर्य भी मुक्त होने के लिए उतावला था।

दोनों की सांसें भारी होने लगीं, दोनों का शरीर अकड़ा और अंजू ने मनीष के लंड को अधिकतम मुंह में ले लिया।

उस के हलक में एक और युवा मर्द का गाढ़ा, चिकना वीर्य छलकने लगा।
मनीष के होठों पर अंजू की चूत के फड़कने का सुखद अहसास, मनीष के स्खलन के आनंद को बढ़ा रहा था।

अंजू की सांसों में मनीष के वीर्य की मादक गंध समा गई थी।
उसने अपनी फड़कती चूत से सप्रयास मूत्र की कुछ बूंदें मनीष के मुंह में टपका दी, जो मनीष को चरम सुख के इन क्षणों में मदिरा के कतरे जैसी लगी।

अंजू मनीष पर से उतर कर सीधी हुई, दोनों के नग्न बदन पर पसीने की बूंदें उभर आई थीं।
दोनों एक दूसरे की बाजुओं पर सिर को टिका कर एक दूजे को निहार रहे थे।

आधा घंटे में वासना की आंच में तप रहे दो बेताब शरीरों ने ऑर्गेज्म प्राप्त कर एक हद तक अपनी वासना को विश्राम दे दिया था।

दोनों छत पर बने बाथरुम में पेशाब करके और अपने आनंद रस में सने चूत, लंड को धोकर आए.
और फिर लेट कर एक दूसरे से बातचीत करने लगे।

इन दोनों को यहीं छोड़ते हैं और पम्मी के कमरे में चलते हैं।
देखें कि वे दोनों भाई बहन कैसे विवाह पूर्व के इस मिलन का मजा ले रहे हैं।

पम्मी और बंटू दोनों को कमरे में छोड़कर जब अंजू कमरे से बाहर निकली तो वे दोनों समझ गए कि वह किसी नए लंड का जुगाड़ करने गई है।
और अब वह रात में आने वाली नहीं है.

इसलिए दोनों नि:संकोच हो कर इस अवसर का लाभ उठाते हुए चुदाई कर सकते हैं।

बंटू ने पम्मी से पूछा- एक बात तो बता कि वहां से आने के बाद क्या तुझे मेरी याद आई?
पम्मी ने बंटू को छेड़ते हुए कहा- नहीं, तेरी तो याद बिल्कुल नहीं आई।

बंटू का मूड ऑफ होने लगा.
फिर पम्मी ने उसके लंड को हाथ में लेकर कहा- मेरे इस जादू के खिलौने यानि तेरे इस सांवले, सलोने लंड की बहुत याद आई।

बंटू के सेमी इरेक्ट लंड में एक करंट सा दौड़ गया.
उसने पम्मी की चोटी पकड़ के कहा- साली तंग करती है?
और उसे अपनी बाँहों में भींच कर उसके नर्म होठों पर अपने गर्म होंठ रख दिए।

दोनों ने एक दूसरे के होठों को चूसने से शुरुआत करी.
जल्दी ही उनकी जुबानें आपस में लड़ने लगी और वे एक दूसरे की चिकनी जुबान चूस के एक दूसरे को मस्ती प्रदान करने लगे।

दोनों की कामवासना दोनों के जिस्म को तरंगित कर रही थी।

धीरे-धीरे करके दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारे।
पम्मी के हाथ बंटू के लंड को टटोल रहे थे तो बंटू के हाथ पम्मी के उरोज़ों और चूतड़ों से खेलने लगे।

चूंकि दोनों बहुत समय बाद मिले थे इसलिए उनको उत्तेजित होने में तो बिल्कुल समय नहीं लगा।
बंटू का लंड स्टील रॉड की तरह अकड़ गया।

पम्मी ने भी अपनी चूत में उसे लेने की ठान ली थी लेकिन उस वक्त बंटू को सिमरन के सिखाए सारे सबक याद थे।
उसने पम्मी के पूरे शरीर पर जगह जगह चुंबन से उसकी वासना को मथ डाला।

उसके बाद बंटू ने पम्मी की चूत पर धावा बोला।
जिसका रस बहते हुए उसकी गांड तक पहुंच गया था।
बंटू ने वहीं से उसे चाटना शुरू किया।

बंटू की जुबान से पम्मी की गांड में गुदगुदी सी हुई।
वह बदहवास होते हुए बोली- मादरचोद, क्यूं परेशान कर रहा है? लंड डाल न चूत में!

बंटू ने पम्मी की बात अनसुनी करी और उस के चूतरस को अपनी जुबान से उलीचने लगा।
फिर बारी-बारी से उसके भागोष्ठों को और कभी दोनों को एक साथ चूसने लगा।

पम्मी झड़ने के लिए जैसे तड़प रही थी, उसने कहा- अब मेरे क्लि..टो.रिस को चूस, क्लिट को चूस!

बंटू ने अपने होठों में उसके फूले हुए क्लिटोरिस को ले लिया और जुबान से तरह-तरह के स्ट्रोक लगाने लगा।

एक मिनिट से भी कम समय में पम्मी का शरीर अकड़ा, उसकी सांसें तेज-तेज चलने लगीं और उसकी चूत की थिरकन बंटू को अपने होठों पर महसूस होने लगी।

कुछ ही देर में पम्मी का स्वर सुनाई दिया- बंटू, अब लंड डाल दे जल्दी से!
बंटू ने जब उसकी बात अनसुनी की तो वह उत्तेजित हो कर बोली- क्या आज तेरी डालने की इच्छा नहीं हो रही?

बंटू ने कहा- हो तो रही है … लेकिन तेरी चूत में नहीं, गांड में!
और उसने ऊपर उठ के अपनी बांए हाथ की दो उंगलियां पम्मी की चूत में घुसा दी और उसके बांए स्तन को चूसते हुए धीरे-धीरे उसे हस्तमैथुन का आनंद देने लगा।

थोड़ी देर बाद उस ने पोजिशन बदली और पम्मी के दाहिने ओर आ कर अपने दाहिने हाथ की दो उंगलियां पम्मी की चूत में डाल दीं।
पम्मी की सांसें फिर से भारी हो चली थीं।

उसने फिर से चुदने की इच्छा जताते हुए बंटू को कहा- साले, इतना समय हो गया है चुदे हुए, मेरी चूत लंड लंड चिल्ला रही है कुत्ते!

बंटू ने कहा- मैं भी मना कहां कर रहा हूं। चोदूंगा जरूर … लेकिन तेरी चूत की सील भी मैंने तोड़ी तो तेरी गांड का उद्घाटन भी मैं ही करना चाहता हूं।

पम्मी उस की इस बात पर मुस्कुराकर रह गई और अपनी चूत पर ध्यान केंद्रित कर लिया जो फिर से फ़ड़कना चाह रही थी।

पम्मी ने उत्तेजित स्वर में कहा- बंटू तेज़ और तेज़!

बंटू ज़ोर ज़ोर से स्तन चूसते हुए तेज़ी से पम्मी की चूत में उंगलियों से चरम सुख लाने में जुट गया।
पम्मी जैसे पागल हो गई, उसने बिस्तर की चादर को कस के पकड़ लिया।

कुछ ही पल में उस का शरीर अकड़ा, उस की चूत ज़ोर ज़ोर से फड़कने लगी।
इस बार चूत का संकुचन विमोचन बंटू को अपनी उंगलियों पर बहुत अच्छे से महसूस हो रहा था।

झड़ने के बाद पम्मी ने कहा- बंटू, तूने मज़े ला दिए, सच में अद्भुत आनंद मिला यार! वास्तव में मर्द के हाथ से झड़ने का भी अलग ही मज़ा है।

जब पम्मी का तूफान ठंडा हो गया तो फिर उसने बंटू से कहा- यार, गांड मराने में तो सुना है कि बहुत दुखता है?

बंटू ने कहा- हां पहली बार दुखता तो है लेकिन बाद में तेरा हस्बैंड भी तो तेरी गांड मारेगा, उसे तो तू मना नहीं कर पाएगी। क्या मेरे लिए थोड़ा दर्द सहन नहीं कर सकती?
पम्मी ने कहा- थोड़ा दर्द होता है या ज्यादा, तुझे कैसे पता?
इस पर बंटू ने कहा- मुझे इसलिए पता है क्योंकि मैं मोंटी से गांड मरवा चुका हूं।

पम्मी की आंखें आश्चर्य से चौड़ी हो गईं.
उस ने हंसते हुए पूछा- अरे … ऐसा कैसे हो गया? क्या उसने जबरन तेरी गांड मारी या तू है ही गांडू?

बंटू ने कहा- नहीं यार, मेरे पास तो सिमरन आंटी थी चोदने को! लेकिन उसे रोज मेरी मां को चोदने का मौका नहीं मिलता था। ऐसा इसलिए क्योंकि जब उसके पिताजी कहीं बाहर जाते तभी वह चोद पाता था इसलिए एक दिन वह कहने लगा यार बंटू, बहुत जोरों से लंड तन्ना रहा है। ऐसी इच्छा हो रही है कि किसी भी छेद में डाल दूं. तो मेरे मुंह से निकल गया कि सरताज अंकल का जब पहली बार मैंने लंड देखा तो मेरी गांड में जैसे खुजली सी होने लगी थी। पहली बार मेरी गांड मरवाने की इच्छा हो गई थी। उसने कहा ऐसा है तो फिर मेरा लंड ले ले अपनी गांड में। उसकी बात सुनकर मेरी दमित इच्छा फिर जागृत हो गई। मैंने शर्त रखी कि पहले मैं तेरी गांड मारूंगा उसके बाद तू मेरी मारना, दोनों का काम बन जाएगा। पहले तो उसने मरवाने के लिए मना किया, मैंने भी कह दिया ‘तो फिर जा अपनी मां चुदा।’ वह कहने लगा यह काम तो मैं कर ही रहा हूं साले, तू चोद तो रहा है मेरी मां। फिर कुछ सोच कर के वो आंटा सांटा करने के लिए तैयार हो गया। एक दिन की बात है, वह मुझसे गांड मरा के जिम गया और वहां से आकर उसने मेरी गांड मारी इसलिए मुझे पता है कि गांड में पहली बार लंड लेने में कितना दर्द होता है।

बंटू ने फिर पम्मी से जिज्ञासावश पूछा- क्यों पम्मी, वहां से आने के बाद तूने किसी और का लंड लेने की कोशिश नहीं की थी क्या?
पम्मी ने कहा- नहीं यार, मैं तो इसी सोच में लगी रही कि मैंने अपनी सील तुड़वा के ही बहुत बड़ा काम कर लिया है। मैंने तो तेरे अलावा अभी तक किसी का भी लंड देखा तक नहीं।

बंटू ने पूछा- क्या तेरी और नया लंड लेने की इच्छा नहीं होती?
पम्मी ने जवाब दिया- बंटू वासना की यह आग जो कराए, वह कम है। नया लंड लेने की इच्छा होती क्यों नहीं है, बहुत इच्छा होती है लेकिन बदनामी का डर रोक लेता है।

बंटू ने पम्मी की बात से सहमति जताते हुए कहा- हां यार, यह बात तो सही है।

वह लगातार पम्मी के बदन से छेड़छाड़ कर रहा था।
पम्मी जब पूरी तरह सामान्य स्थिति में आ गई तो फिर उसने बंटू की बेताबी को समझते हुए कहा- ले बंटू, अब तू अपनी इच्छा पूरी कर ले। बार-बार मेरे जगह जगह अपना लंड अड़ा के तंग कर रहा है स्सा..ला!

सिस्टर ऐस सेक्स करने के लिए बंटू ने उठकर पम्मी को घोड़ी बनाया और बहुत सारी वैसलीन अपने लंड पर और पम्मी की गांड में लगाई।
इस के बाद लंड का गद्देदार सुपारा जो कि गांड में घुसने के समय और अधिक फूल जाता है, बंटू दम लगा के लेकिन बहुत हौले हौले पम्मी की गांड में घुसेड़ने लगा।

जब पूरा सुपारा गांड में घुसा तो पम्मी के मुंह से हल्की सी चीख निकली लेकिन उसने दांत भींचकर अपनी आवाज को दबा दिया।
पम्मी की गांड में थोड़ी चिरमिराहट सी हुई, उसे लगा जैसे गांड फट गई हो लेकिन बंटू ने लंड को धकेलना जारी रखा।

जब बंटू का लंड धीरे-धीरे पूरा उस की गांड में घुस गया तो बंटू ने लंबी सांसें ले कर अपने वीर्य के उफान को नियंत्रित किया और पम्मी से पूछा- अब कैसा लग रहा है?

पम्मी ने कहा- अब ठीक है, दर्द भी कम हो गया है और मीठी मीठी खुजली भी चल रही है।
बंटू ने पूछा- रगड़े लगाऊं?
तो पम्मी ने कहा- हां, लेकिन आहिस्ता आहिस्ता मारना।

बंटू ने कहा- तू घबरा मत, मुझे गांड मारना भी अच्छे से आता है, उसकी टेक्नीक चुदाई वाली से जरा अलग होती है।

फिर बंटू ने तेजी से लंड को बाहर ला कर धीरे-धीरे धकेलना शुरू किया, कसी हुई गांड की रिंग पर लगने वाले घर्षण का सुखद अहसास पम्मी को भी हुआ।

उसने सोचा कि चूत की इलास्टिसिटी ज्यादा होने के कारण उसमें धक्के लगाने पर इतना घर्षण नहीं होता, यही कारण है कि सारे मर्द लोग किसी औरत की चूत चोदने के बाद में उसकी गांड के दीवाने हो जाते हैं।

जब पम्मी की गांड लंड के रगड़ों की अभ्यस्त हो गई तो फिर बंटू ने शुरू किया, कस के रगड़े लगाने का सिलसिला।
बंटू तो पम्मी की गांड का उद्घाटन करके गर्व से भरा हुआ था।

उस पर पम्मी की शादी के पूर्व मिला यह स्वर्णिम अवसर, बंटू पम्मी के मम्मे मसलते हुए पूरी मस्ती में पम्मी की गांड मार रहा था।
पम्मी को भी अब मजा आने लगा था और वह भी आगे पीछे होकर बंटू को पूरा सहयोग दे रही थी।

दस मिनट तक कसी हुई गांड में लंड के रगड़े लगवाने के बाद पम्मी ने बंटू से कहा- बस भी कर बहनचोद, क्या गांड का डिजाइन बिगाड़ेगा? मेरे हसबैंड को भी यह लगना चाहिए कि मेरी गांड में उसी का लंड पहली बार घुस रहा है।
बंटू ने यह सुनकर घर्षण गति को बढ़ा दिया और एक जोरदार झटके के बाद गांड की गुफा की गहराइयों में अपने वीर्य रस का छिड़काव कर दिया।

उस के बाद बंटू पम्मी की पीठ पर निढाल हो कर गिर पड़ा।
जिसके कारण पम्मी भी पलंग पर औंधे मुंह पसर गई।

दोनों जवान नंगे बदन मस्ती और पसीने में चूर हो चुके थे; दोनों की नींद लग गई।

जब पम्मी की नींद खुली, वासना की खुमारी उतर चुकी थी।

पम्मी को बुआ का ध्यान आया, उसकी जिज्ञासा यह थी कि उसने रात किसके साथ रंगीन की?

अब तो वह भी आने वाली होगी।
उसने बंटू को फटाफट कमरे के बाहर रवाना किया।

पम्मी कपड़े पहन के बेताबी से बुआ की प्रतीक्षा करने लगी, आज तो उसका विवाह होना था।
उसको अनुभवी बुआ से बहुत सी बातें करनी थी।

उस रात पम्मी का विवाह संपन्न हुआ, वह अपनी मम्मी से अधिक बंटू और अपनी अंजू बुआ से लिपट के रोई।
क्योंकि बुआ और उस के बीच एक नया प्रेम संबंध स्थापित हुआ था।

अंजू ने अपने यहां पर उसके कामसुख के लिए जैसी व्यवस्था की थी, उस की यादें पम्मी को भावुक कर रही थीं।

जब पम्मी बंटू से गले मिली तो पम्मी ने उसके कान में धीरे से कहा- साले, मेरी गांड दुख रही है।

बंटू की भी आंखों में नमी थी लेकिन विदाई के इन पलों में पम्मी की शरारत भरी यह बात सुनकर उसके होठों पर मुस्कान तैर गई।

पम्मी अपने ससुराल पहुंच गई।

आज पम्मी की सुहागरात थी, कमरे में लाल रंग की मद्धम रोशनी थी, पूरा कमरा गुलाबों की खुशबू से महक रहा था।
बिस्तर पर गुलाब की पंखुरियां बिखरी हुई थीं।
हल्का हल्का रोमांटिक इंस्ट्रुमेंटल संगीत बज रहा था।

अब वो समय तो रहा नहीं जब दुल्हन शादी का लाल जोड़ा पहन के घुंघट निकाल के बैठा करती थी।

पम्मी ने ट्रांसपेरेंट नाइटी डाली हुई थी.

वह जब बिस्तर पर बैठी तो यह सोचने लगी कि इन्हीं गुलाब की पंखुरियों पर आज एक कली रौंदी जाएगी।

उसकी चूत को मिलने वाले नए लंड की कल्पना से उसके मन में गुदगुदी सी हुई।

वह सोचने लगी कि कैसा होगा हर्ष का लंड? बंटू जैसा? मोंटी जैसा? या बिल्कुल अलग?
और वह चुदाई कैसी करेगा? बंटू और मोंटी की पहली चुदाई की तरह, कहीं वह भी चूत के बाहर ढेर तो नहीं हो जाएगा?

उसे बंटू से चुद के इतना तो अनुभव हो गया था कि चूत की आग जितनी अधिक भड़केगी, उसे बुझाने में आनंद उतना ही अधिक मिलेगा।

वह पलंग के सिरहाने बैठ कर फ्रीसेक्स कहानी साईट पर पोर्न वीडियो देख कर अपनी चूत को तपाने लगी।

हर्ष अपने दोस्तों से पीछा छुड़ा कर रात 12:30 बजे कमरे में आया.
पम्मी ने नज़रें उठा कर उस की ओर देखा।

आप सब लोग यह जानने के लिए बेचैन होंगे कि पम्मी की सुहागरात में क्या हुआ?
तो यह जानने के लिए कल पढ़ें इस सिस्टर ऐस सेक्स कहानी का अगला भाग।
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कहानी का अगला भाग: सेक्स है कुदरत का वरदान- 4

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