पतिव्रता बीवी की चुदाई दोस्त के बड़े लंड से करायी- 6

(Sexy Biwi Chudai Story)

सेक्सी बीवी चुदाई स्टोरी मेरी बीवी की डबल चुदाई की है. मेरे दोस्त और मैंने मिल कर मेरी पत्नी को नंगी करके उसकी गांड मारी और चूत भी सैंडविच बना कर!

दोस्तो, सेक्स कहानी में जय दत्ता का नमस्कार.
सेक्सी बीवी चुदाई स्टोरी के पिछले भाग
मेरी पत्नी ने मेरे दोस्त से खुलकर चूत चुदाई का मजा लिया
में अब तक आपने पढ़ा था कि बाथरूम में सेक्स सीन चल रहा था.

अब आगे सेक्सी बीवी चुदाई स्टोरी:

मेरे खड़े लंड को देखकर मेरी पतिवत्रा बीवी ने विक्रम का लंड छोड़ दिया और मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया.
वो अब मेरे लंड को बेतहाशा चूसने लगी थी. मेरे मुँह से ‘आहअअअ … ईस्स ..’ की सिसकारियां निकलने लगीं.

ये देख विक्रम को थोड़ा बुरा लगा, पर वो कुछ बोल नहीं सका, आखिर संजू मेरी बीवी थी.

विक्रम संजू के पीछे आ गया और संजू जो कि घुटने के बल बैठकर मेरा लंड चूसे जा रही थी, उसके पीछे से उसने चूत में अपना विशालकाय लंड घुसेड़ दिया.
संजू के मुँह से चीख निकल गई.
पर विक्रम को कोई फर्क नहीं पड़ा और वो संजू को डॉगी पोज में चोदने लगा.

कुछ देर में संजू को बहुत मजा आने लगा. जितना जोर से विक्रम संजू पेलता, उतना ही जोर से संजू मेरे लंड को चूसती.
हम तीनों को बड़ा ही मजा आ रहा था.

अब मैंने विक्रम को इशारे से अपना लंड चुसवाने का बोला.
तो संजू को पेलना छोड़कर वो उसके मुँह के सामने आ गया.

मैंने संजू की चूत में जाकर अपना लंड घुसा दिया और लगा जोर जोर से चोदने.
उधर संजू विक्रम के लंड को चूसने लगी.

कुछ देर बाद विक्रम बोला- रुको भाभी, तुम्हारा घुटना दर्द कर रहा होगा, तुम मेरे ऊपर आ जाओ.

विक्रम पीठ के बल नीचे लेट गया, तो मेरे इशारे पर संजू विक्रम के लंड पर बैठ गई और अपनी चूत में लंड लेकर अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी.

मैंने आव देखा ना ताव, पीछे आ गया. मैं संजू की गांड में अपना लंड थूक लगाकर घुसाने लगा और जल्द ही मैंने उसकी गांड में पूरा लंड घुसेड़ दिया.
संजू चिहुंक उठी … पर वो कुछ बोली नहीं.

अब मैं गांड में लगा था और विक्रम संजू की चूत में लंड घुसेड़े हुए था.
मेरी बीवी की गांड और चुत में एक साथ लंड घुसे थे और हम तीनों इस सैंडविच चुदाई का मजा लेने लगे.

संजू की सिसकारियां बढ़ गई थीं.
वो ‘आह … उह … ईस्सस … मम्मी मर गई रे ..’ की मादक आवाजें निकालने लगी.

कुछ देर बाद संजू एक जोरदार आवाज के साथ झड़ गई.
पर हम दोनों अब भी चुदाई कर रहे थे.

विक्रम ने कहा- यार जय, मुझे भी भाभी की गांड मारना है.
संजू बोल उठी- नहीं नहीं … तुम्हारा बहुत बड़ा लंड है … प्लीज तुम नहीं.

इस बात पर विक्रम मान गया.

मगर मैंने संजू से कहा- मान जाओ ना यार … बेचारा आज शाम को चला जाएगा.
संजू बोली- अरे बाबा, तुम समझते नहीं हो … इसका बहुत मोटा है, मेरी फट जाएगी.
मैंने कहा- क्या मोटा है … और क्या फट जाएगी?

इस पर संजू शर्मा गई, आखिर थी तो वो एक सभ्य भारतीय नारी ही न.

इस समय संजू पूरी तरह से नंगी थी और फव्वारा उसकी गदरायी जवानी पर फुहार छोड़ रहा था.

मैंने नीचे बैठकर अपना मुँह संजू की चूत में लगा दिया और चूसने चाटने लगा.

संजू फिर से मदहोशी में आ गई. ये सब देख कर विक्रम भी संजू की पीठ की तरफ नीचे बैठ गया और अपना मुँह संजू की गांड पर लगा कर गांड को चूमने लगा.

संजू इससे थोड़ा चिंहुक गई और बोली- क्या कर रहे हो विक्रम … छोड़ो वो जगह.
विक्रम बोला- भाभी गांड चोदने नहीं दी … तो कम से कम इसका रस तो चखने दो.

वो संजू की गांड को दोनों हाथों से थोड़ा फैलाकर अपनी जीभ को अन्दर तक पेल कर जोर जोर से चूसने चाटने लगा.
आगे से मैं संजू की चूत को चूम चाट रहा था और पीछे से विक्रम गांड को चूम और चाट रहा था.

इससे संजू को एक अलग मजा आ रहा था. वो जोर जोर से सिसकारी भर रही थी और हम दोनों के सर पर हाथ फेर कर उत्साहित कर रही थी.
इससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संजू को बहुत मजा आ रहा है.

तभी विक्रम ने संजू की गांड को चूसते चूसते उसमें अपनी एक उंगली घुसा दी.
संजू थोड़ा चिहुंकी, पर कुछ बोली नहीं और मजा करने लगी.

अब मैं संजू से बोला- तुम थक गई होगी … नीचे लेट जाओ.

संजू नीचे लेट गई. मैं अब 69 के पोज में आ गया. मैंने अपना लंड संजू के मुँह में डाल दिया और उसकी चूत को चूसने लगा.
उसी बीच मैंने विक्रम को इशारा कर दिया.

संजू अपनी आंखें बंद करके ‘इस्स आह ..’ की कामुक आवाजें निकाल रही थी.

उसी समय विक्रम संजू की गांड के पास अपना विशाल लंड ले आया और संजू की गांड में घुसाने का प्रयास करने लगा.
उसने गांड पर खूब सारा साबुन मल दिया था और छेद को चिकना कर दिया था.

जैसे ही उसने गांड के छेद पर अपना लंड पर जोर दिया, तो लंड का सुपारा संजू की गांड में घुसता चला गया.

संजू के मुँह से चीख निकल गई. उसकी आंखें खुल गई थीं.
वो बोली- आह मर गई रे … निकालो लंड को … आह बहुत दर्द कर रहा है.

मैंने तब तक पोज बदल कर संजू के होंठों को चूमने लगा और बोला- मान जाओ ना बेबी … बेचारा बहुत प्यासा है.
ये कहकर मैं अपनी बीवी के मुँह को अपने मुँह में दबा कर चूसने लगा.

तब तक विक्रम अपना पूरा लंड संजू के गांड में घुसा दिया था.
संजू की आंखों से आंसु निकल आए थे.
मैं संजू के सब आंसु पी गया और उसके बालों को सहला कर उसे सांत्वना देने लगा.

अब विक्रम आंखें बंद करके पूरी ताकत से संजू की गांड में अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.
उसके मुँह से कामुक आवाजें निकल रही थीं.

वो बड़बड़ा रहा था- ओह … इतना मजाआ … थैंक्यू भाभी … थैंक्यू दोस्त. ऐसा मजा मुझे आज तक नहीं आया था. मैं यह एहसान कभी नहीं भूलूंगा.

संजू भी अब धीरे धीरे शांत हो गई थी. उसने अपनी आंखें बंद कर ली थीं.

मैं अब संजू की चूत के पास अपना मुँह ले गया और उसकी चुत के दाने को चूसने लगा.
इससे संजू भी मस्त आहें भरने लगी.

उधर विक्रम जन्नत में गोता लगाते हुए संजू की गांड को चोदे जा रहा था.

अचानक संजू नीचे से अपने कमर उचकाने लगी, मतलब उसका दूसरी बार झड़ने वाली थी.

तभी वो जोरदार तरीके से झड़ने लगी, लेकिन इस बार उसकी पेशाब भी छूट गई थी जिससे मेरा पूरा मुँह और विक्रम का लंड भीग गया.

तभी विक्रम भी बोला- मेरा भी निकलने वाला है.
वो अपना लंड निकाल कर बोला- कहां निकालूं!
तो संजू बोली- रुको.

संजू उठी और मुझसे बोली- आपका भी निकलने वाला है क्या?
मैं बोला- हां.

वो बाथरूम से निकली और किचन से एक कांच का ग्लास ले आई. वो बोली इसमें आप लोग अपना अपना रस निकालिए.
मैंने और विक्रम ने आश्चर्य से एक दूसरे को देखा और पूछा- लेकिन इसका क्या करोगी?

पर संजू ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. वो बस मेरा और विक्रम का लंड बारी बारी से चूसने लगी.

एकाएक विक्रम बोला- आह … मेरा आने वाला है.

संजू ने झट से कांच का ग्लास आगे कर दिया. विक्रम ने उसमें अपना सारा वीर्य निकाल दिया, जो कि काफी सारा था. संजू ने वो ग्लास बगल में रख दिया.

अब संजू मेरा लंड चूसने लगी, परंतु मेरा निकल नहीं रहा था.

मैं बोला- संजू मुझे और चोदना है.
संजू बोली- हे भगवान … अब कितना करोगे, तुम दोनों ने तो मेरी हालत खराब कर दी है.

मैं चुप रहा.

वो बोली- ठीक है.

तो वो वहीं नीचे फर्श पर लेट गई. मैं उसकी चूत में लंड घुसाकर चोदने लगा.
संजू दूसरे बार झड़ने के बाद भी फिर से गर्म होने लगी. गजब की आग थी उसमें … वो सिसकारी भरने लगी.

विक्रम ये सब वहीं खड़ा देख रहा था, उसका लंड सिकुड़ गया था, पर उसमें वीर्य लगा हुआ था.
संजू ने ये देखा तो मजा लेते हुए विक्रम को अपने पास बुलाया और देखा उसके लंड पर अभी भी उसका गाढ़ा वीर्य लगा हुआ था.

संजू ने विक्रम के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी.
विक्रम इससे सीत्कार भर उठा.

इधर मैं संजू को चोदे जा रहा था. पता नहीं आज मेरा वीर्य निकल क्यों नहीं रहा था.

लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद विक्रम का लंड फिर से खड़ा हो गया.
संजू अब पूरी तरह से गरमा गई थी. उसने विक्रम के लंड को फिर खड़ा देखा, तो उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई.

मैंने भी ये देखा, तो मुझे भी आश्चर्य हुआ.
मेरा निकलने वाला था तो मैं संजू की चूत से अपना लंड निकाल कर खड़ा हो गया और उस कांच ले ग्लास में अपने अपना सारा वीर्य निकाल दिया.

उस ग्लास में विक्रम का वीर्य पहले से ही था जो काफी गाढ़ा था. मेरा वीर्य उसके ऊपर फैल गया.
विक्रम का वीर्य हल्का पीलापन लिए था, तो मेरा थोड़ा सफेदी लिए था. मेरा भी वीर्य आज बहुत सारा निकला था.

उधर मैंने देखा संजू की गांड में विक्रम अपना लंड घुसा कर बहुत जोर जोर से चोद रहा था.
संजू भी पूरी मस्ती से चुदवा रही थी.

तभी संजू जोर से अकड़ी और तीसरी बार झड़ने लगी.
इसी बीच विक्रम भी उसके गांड में झड़ने लगा.

संजू उसे रोकने का प्रयास करती, इससे पहले ही विक्रम अपना सारा वीर्य संजू की गांड में डाल चुका था.

पर संजू फिर अपनी गांड को अपने हाथ में दबाए हुए उठी और अपनी गांड के छेद को वीर्य वाले ग्लास में सटा कर जोर लगाकर सारे वीर्य को गिराने लगी.

इस बार भी विक्रम का वीर्य काफी ज्यादा था. परंतु इस बार वीर्य थोड़ा पतला और गांड से निकलने पर झाग लिए हुए निकला.

कांच का ग्लास में वीर्य को देखकर संजू मुस्कुराई और वीर्य को ग्लास में ही मिलाने लगी, जिससे मेरा और विक्रम का वीर्य मिल गया.

हम और विक्रम संजू के इस रुप को देख रहे थे.

अब संजू ने हम दोनों को देखा और दोनों की तरफ उस ग्लास को देते हुए हंसते हुए बोली- लो पियोगे?
हम दोनों पीछे हट गए.
इसे देखकर संजू खिलखिलाकर हंसने लगी और बोली- अरे डरो नहीं, इस अमृत को मैंने बड़ी मेहनत से निकाला है. मैं इसे तुम्हें कैसे सौंप सकती हूँ.

वो फिर से हंसने लगी.

संजू अब सीरियस हुई और ग्लास में जमा वीर्य को गौर से देखने लगी. उसने आंखें बंद कर उसे पहले सूँघा और एकाएक गिलास अपने मुँह में लगाते हुए पूरा का पूरा वीर्य अपने मुँह के अन्दर करके पूरा गटक गई.
उसने ऐसे पिया था, जैसे वह वीर्य ना कोई अमृत ही हो.

ग्लास में चिपके वीर्य को भी उसने अपनी उंगली से चाट चाट कर साफ कर दिया.

संजू ने अब हम लोगों को देखा और आंख मार कर बोली- अब तुम लोग खुश.

मैं और विक्रम दोनों संजू से चिपक गए.

फिर हम लोग नहाकर बाहर निकले और अपने अपने कपड़े पहन लिए. तीनों पूरी तरह से संतुष्ट थे.

शाम का वक्त हुआ और विक्रम बोला- ठीक है दोस्त और भाभी अब मैं चलता हूँ.

संजू थोड़ी उदास थी, तभी विक्रम बोला- रुको एक मिनट!

विक्रम ने अपने बैग से एक बॉक्स निकाला और संजू की तरफ बढ़ा कर बोला- भाभी ये मैंने अपने होने वाली बीवी के लिए खरीदा था, लेकिन मैं ये आपको दे रहा हूँ.

संजू ने उस गिफ्ट को खोला तो उसमें एक हीरा की अंगूठी थी, जिसे मैंने बाद में देखा, तो 3.5 लाख की कीमत प्रिंट थी.
मेरी बीवी बहुत खुश हो गई और उसने विक्रम को एक किस दे दिया.

इस तरह हम लोगों ने एक बार फिर एक नया टेस्ट किया था.

उम्मीद है कि आपको मेरी बीवी की गैर मर्द से चुदाई की कहानी अच्छी लगी होगी. अब विदा कहने का समय आ गया है. आपके मेल मिल रहे हैं. आगे भी मिलेंगे, ऐसी उम्मीद है.
धन्यवाद.
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