मेरी सहेली की मम्मी की चुत चुदाइयों की दास्तान-2
(Meri Saheli Ki Mammi Ki Chut Chudaiyon Ki Dastan- Part 2)
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keyboard_arrow_right मेरी सहेली की मम्मी की चुत चुदाइयों की दास्तान-3
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अचानक बाहर किसी की आहट हुई, मैंने तुरंत अपनी सलवार का नाड़ा बांधा, ड्रेस ठीक कर मैंने धीरे से खिड़की से झांका। कॉलेज की प्रिंसीपल डेलना मैडम थीं।
रोशन भी झांकने लगा- मादरचोद बुड्ढी मूतने आई है।
अगले ही पल शर्र की पानी गिरने की आवाज़ हुई। हम दोनों समझ गए कि डेलना मैडम साड़ी उठाकर मूत रहीं हैं। कुछ ही देर में डेलना मैडम मूत कर चलीं गई।
मुझे फिर से लगने लगा कि रोशन मेरे साथ फिर से वही करे… लेकिन ऊपरी दिल से न न कर रही थी- रोशन… बस कर… ऐसे नहीं… हाय रे…!
पर उसने चुत पर हाथ जमा लिये थे… मेरी चुत को तरह तरह से सहलाने व दबाने लगा- बस मैडम, ऐसे ही कुछ देर अपनी चुदवा लो।
मैं आनन्द के मारे दोहरी हो गई, तड़प उठी ‘हाय रे, ये मेरी चुत में अपना लंड क्यों नहीं पेल दे रहा है!’ मैंने भी अब सारी शरम छोड़ कर उसका लंड पकड़ लिया- रोशन… तेरा लौड़ा पकड़ लूं?
‘पकड़ ले… पर फिर तू चुद जायेगी…’
उसके मुँह से मेरे लिए तू और चुदना शब्द सुन कर मैंने भी होश खो दिये- रोशन… क्या कहा? चोदेगा? …हाय रे… और बोल न… तेरा लंड मस्त है रे… सोलिड है… अपनी टीचर को चोदेगा?
मैंने पूरा जोर लगा कर उसके लंड को मरोड़ दिया… वो सिसक उठा।
मैंने उसे लगभग खींचते हुए कहा- रोशन… बस अब… आह … देर किस बात की है… मां री… रोशन… आजाऽऽ ‘आआह्ह्ह्ह… मत करो यह सब… रोशन… टीचर हूँ तुम्हारी मैं… आआहह्ह…
मैंने उसका हाथ रोक दिया लेकिन न जाने क्यों अपने आप ही मेरे हाथ की पकड़ ढीली पड़ गई, उसने ख़ुद की सलवार का नाड़ा खींचते हुए सफ़ेद पटियाला सलवार को खोल दिया, सलवार नीचे सरक कर मेरी जांघों पर अटक गई।
‘वाह मैडम, क्या चुत है आपकी इस उम्र में भी! एकदम पिंक और हल्के हल्के ब्राउन के बालों साथ! मैं तो आपकी चुत को देखकर पागल हो गया हूँ।’
मेरी हालत ख़राब थी, मैं भी अब मस्त हो रही थी, मेरे हाथ उसकी पैंट पर सरकते हुए उसके लंड को टटोलने लगे थे। मैंने उसकी ज़िप खोलकर अपना हाथ अन्दर बढ़ा दिया।
रोशन ने सहयोग करते हुए पैंट खोल दी, उसका सात इंच का नाग मेरे हाथों में था- तेरा तो बहुत बड़ा है रे… इतनी सी उम्र में… ज़रूर रोज सपनों में मुझे चोदता होगा और इसे हिलाता होगा। क्यों रोशन?
‘हाँ मैडम, आपसे बहुत प्यार करता हूँ, मैडम प्लीज़ इसे चूसो न…’
‘ज़रूर चूसूँगी मेरे बेबी… मैं तुम्हारी मम्मी की जितनी बड़ी हूँ, तू तो मेरा राजा बेटा है, डाल दे मम्मी के मुँह में… आआहह्ह’ मेरी दबी हुई वासना अब पूरी तरह से उफान पर थी।
सब कुछ भूल कर मैं तुरंत नीचे बैठ गई मैंने अपने लम्बे-लम्बे लाल नेल पोलिश लगे हुए गोरे हाथों से उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया।
‘आआहह्ह… मैडम… मेरी प्यारी शहनाज़ मैडम… आप सबसे अच्छी हो… मैं आपका बेबी हूँ।’
मैं भूल चुकी थी कि रोशन मुझसे बहुत छोटा है, मेरा स्टूडेंट है- बस बस रोशन, मुझे अब जल्दी चोद! और नहीं रह सकती प्यासी!
मैं अपने सफ़ेद कुरते का दामन ऊपर करते हुए घूमकर कमोड के सहारे झुक गई, मेरी चोटी लहर कर हिल रही थी।
‘अब मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, बोलने लगी- रोशन, प्लीज़ जल्दी चोदो, अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है। चोद दे अपनी मैडम को! रंडी बना ले मुझे अपनी आआहह्ह!
उसका लंड मोटा, खुरदरा, बलिष्ठ और मेरी शहर की नर्म कोमल चूत… उसने लंड की चमड़ी ऊपर करके उसका चमकदार लाल सुपारा निकाल लिया। चड्डी से बाहर आ रहे मेरी चुत के बाल उसे खींचने में मजा आ रहा था… मुझे लगा कि लंड कुछ ज्यादा ही मोटा है… पर मैं तो चुदने के लिये बेताब हो रही थी।
‘फिकर मत करो मैडम, आपने आज तक जिससे भी जितनी भी चुत चुदाई कराई हो, सब भूल जाओगी। आपका स्टूडेंट आपको खुश कर देगा आज!’
रोशन ने मेरी दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़कर मुझे थोड़ा और झुकाकर सेट किया और मेरी गुलाबी पेंटी नीचे जांघों पर खीचकर सरका दी।
शुक्र है कि टॉयलेट काफी बड़ा था। मैं घोड़ी बनी हुई थी, मेरे स्टूडेंट ने अपना लंड मेरी गर्म पानी छोड़ती पिंक चुत पर रख कर सेट किया। मैं एक हाथ से कमोड का फ्लश पकड़े झुकी हुई थी, दूसरे हाथ से मैंने अपनी चुत की दरार खोलकर उसके लंड के टोपे को सेट किया।
उसने एक जोरदार धक्का लगाया और उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया।
‘आआह्ह्ह्ह… अल्ला… उफ्फ… रोशन बहुत मोटा ही तेरा… बहुत दुःख रही है।’
‘कुछ नहीं होगा मैडम बस ऐसे ही झुकी रहो, बस थोड़ा सा और बाकी है।’
‘कोई देख लेगा… कोई आ जायेगा जल्दी चोद मुझे! क्या सोचेगा कोई… अपने स्टूडेंट से चुद रही है रंडी कहीं की… आंम्म्म…’ मैं पूरी पागल होकर वाइल्ड होती जा रही थी।
वह लगातार धक्के मारने लगा, अब मेरा कुछ दर्द भी कम हो गया था इसलिए मैं अपनी कमर हिला के रोशन का साथ देने लगी- आआ आआ हहहः आआ आआह म्म्म्म उफ्फ्फ रोशन चोद मुझे! चोद रोशन आआ आआ हाहाहा ऊह्ह्ह्ह ह्म्म्म म्म ऊओ ह्ह्ह आआआ… मर गई आआह्ह्ह्ह… अल्ला… चोद दे अपनी टीचर को बहुत प्यासी है मेरी चूत!
उसने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, लंड चुत की गहराइयों में डूबता चला गया… मैं सिसकारी भरती हुई झुकी लंड को अपने भीतर समाने लगी, मेरे बोबे तन गये… लंड जड़ तक उतर चुका था।
उसके हाथ मेरे बोबे पर कसते चले गये… उसका खुरदरा और मोटा लंड देसी चुदाई का मजा दे रहा था। मेरी चुत ने उसके लंड को लपेट लिया था और जैसे उसका पूरा स्वाद ले रही थी। बाहर निकलता हुआ लंड मुझे अपने अन्दर एक खालीपन का अहसास कराने लगा था पर दूसरे ही क्षण उसका अन्दर घुसना मुझे तड़पा गया, मेरी चुत एक मिठास से भर गई।
इतनी ज़बरदस्त मेरी चुदाई मेरे पति के दोस्तों ने भी नहीं की थी।
उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी… चुत में मिठास का अहसास ज्यादा आने लगा, मेरा बांध टूटने लगा था, अब मैं भी अपनी चुत को जोर जोर से उछालने लगी थी, वासना का नशा… चुदाई की मिठास… लंड का जड़ तक चुदाई करना… मुझे स्वर्ग की सैर करा रहा था।
पति की चुदाई से यह बिल्कुल अलग थी।
चोरी से चुदाई… जवान स्टूडेंट का देसी लंड… और कॉलेज का टॉयलेट… ये सब नशा डबल कर रहे थे। चुदाई की रफ़्तार तेज हो चुकी थी… मैं उन्मुक्त भाव से चुदा रही थी… चरमसीमा के नज़दीक आती जा रही थी।
एक जवान टीचर देसी लंड कब तक झेल पाती… मेरा पूरा शरीर चुदाई की मिठास से परिपूर्ण हो रहा था… बदन तड़क रहा था… कसक रहा था… मेरा जिस्म जैसे सब कुछ बाहर निकालने को तड़प उठा- अंऽअऽअऽऽ ह्ह्ह… रोशन… हऽऽऽय… चुद गई… ऐईईईइऽऽऽ… मेरा निकला रीऽऽऽ… माई रीऽऽऽऽ… जोर से मार रे… फ़ाड़ दे मेरी… गोऽऽऽपी…’
और मैं अब सिमटने लगी… मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और लगा कि मेरा सब कुछ चुत के रास्ते बाहर आ जायेगा… मैं जोर से झड़ने लगी।
रोशन समझ गया था, वो धीरे धीरे चोदने लगा था, मुझे झड़ने में मेरी सहायता कर रहा था- शहनाज़… मेरी मदद करो प्लीज… ऐसे ही रहो…!
मैंने अपने पांव ऊपर ही रखे… जवान स्टूडेंट का देसी लंड था, इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं था। वह मुझे वापस झुका कर मेरी गांड को खोलने लगा। उसने उंगली से थूक लगाकर मेरी संकरी गांड के छेद को सहलाया, फिर धीरे धीरे उस पर अपना लंड का टोपा रगड़ा। मैं झुकी हुई अपनी चुत में दोबारा उसका लंड खाने का इंतज़ार कर रही थी।
तभी अचानक मैं दर्द से छटपटा उठी, उसका ताकतवर लंड मेरे चूतड़ों को चीरता हुआ मेरी गांड में घुस चुका था।
‘उफ्फ…!! नहीं… नहीं यह नहीं रोशन… मैं मर जाऊंगी…! गांड में नहीं…’
उसने मेरी एक नहीं सुनी… और जोर लगा कर और अन्दर घुसेड़ता चला गया- बस शहनाज़… हो गया… करने दे…प्लीज!
‘मेरी गांड फ़ट जायेगी रोशन… मान जा… छोड़ दे नाऽऽऽ बहुत दुःख रही है यार…गांड नहीं मरवाऊँगी!’
‘मैडम आपकी गोरी गुलाबी गांड मारने में जो मजा है वह दुनिया के किसी काम में नहीं है। जबसे हमको मालूम हुआ है कि आप अपने पति के दोस्तों से चुदवा रही हो, तबसे कॉलेज का हर एक लड़का आपकी गांड मारना चाहता है।’
‘प्लीज यार रोशन, बहुत दर्द हो रहा है गांड मत मार… मैडम हूँ तेरी!’
वह मेरी कमर को कसकर पकड़े हुए था, मैं कसमसा कर अपनी गांड सिकोड़ रही थी।
‘चुप मादरचोद साली तू सिर्फ एक शादीशुदा रांड है जिसका नामर्द पति चोद नहीं पाता है तो तू यहाँ वहाँ नए नए लंड से चुदाई करवाती है।’
मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरा ब्राइट स्टूडेंट रोशन मुझे गन्दी गन्दी गालियाँ देते हुए मेरी गांड मार रहा था।
अब उसके लंड ने मेरी गांड पर पूरा कब्जा कर लिया था, उसने धक्के बढ़ा दिये… मैं झड़ भी चुकी थी… इसलिये ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी।
उसने मेरे बोबे फिर से खींचने चालू कर दिये, मेरी चूचियाँ जलने लगी थी- आअह्ह्ह्ह… बहुत दर्द हो रहा है… मेरी गांड मत मार यार… अल्ला!
लग रहा था जैसे मेरी गांड में किसी ने गर्म लोहे की सलाख डाल दी हो… मैं दर्द से बिलबिला उठी।
पर जल्दी ही दर्द कम होने लगा… मेरी सहनशक्ति काम कर गई थी। अब मैं उसके लंड को झेल सकती थी।
मैं फिर से गर्म होने लगी थी, उसकी गांड चोदने की रफ़्तार बढ़ चली थी। मुझे अपने स्टूडेंट से टॉयलेट में इस तरह गांड मरवाना अच्छा लग रहा था।
मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ गए जब पहली बार मेरे बॉयफ्रेंड ने क्लास के पीछे मेरा स्कर्ट उठाकर मेरी गांड मारी थी।
‘मैं मर गया… शहनाज़… मैं… मैं… गया… हाय…’ उसने अपना लंड गांड से बाहर खींच लिया।
अचानक फ़च्छ के साथ ही गांड में खालीपन लगने लगा।
मैं तुरंत घूम गई उसका लंड पकड़ कर जोर से दबा कर मुठ मारने लगी।
‘मुंह में ले… मुंह में ले साली कुतिया रांड…’ उसने तुरंत मेरी चोटी पकड़कर मुझे नीचे झुका दिया, उसके लंड में एक लहर उठी और मैंने तुरन्त ही लंड को अपने मुख में प्यार से ले लिया।
एक तीखी धार मेरे मुख में निकल पड़ी… फिर एक के बाद एक लगातार पिचकारी… फ़ुहारें… मेरे मुख में भरने लगी।
मैंने रोशन का सारा वीर्य स्वाद ले ले कर पी लिया… और अब उसके लंड को मुँह से खींच खींच कर सारा दूध निकाल रही थी।
कुछ ही देर में वो मेरे साथ खड़ा गहरी सांसें ले रहा था। मैंने भी अपने आप को संयत किया और उठ कर बैठ गई, वह भी उठ कर बैठ गया था।
उसने पूछा- मैम मजा आया?
तो मैंने कहा- बहुत… लेकिन थोड़ा कम्फ़र्टेबल नहीं था बाथरूम में॥!
उसने मेरे गाल पर ज़ोरदार किस किया, मैंने अपनी भीगी हुई पेंटी ऊपर खींची, सलवार को ठीक करते हुए बाँधा।
रोशन भी अपनी पैंट और बेल्ट बांधने लगा।
कहानी जारी रहेगी।
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