मेरी सहेली ने मेरी चूत और गांड फ़ड़वा दी-4

(Meri Saheli Ne Meri Chut aur Gand Fadwa Di- Part 4)

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आराम करते करते कब मेरी आँख लग गयी मुझे पता ही नहीं चला। जब 1 घंटे बाद मेरी आँख खुली तो देखा मैं बेड पे अकेली नंगी पड़ी हुई हूँ।
मैं समझ गयी कि बाकी सब बाहर के कमरे में होंगे।

मैं बाथरूम में गयी, पेशाब किया और अपने हर अंग को साफ कर लिया।
फिर मैंने बाहर कमरे में झांक के देखा तो तन्वी और डेविड और एंडर्सन नंगे ही सोफ़े पे बैठे हैं।

अब मेरे शर्माने का कोई मतलब नहीं था इसलिए मैं भी नंगी ही उन सबके साथ बैठ गयी।

तन्वी ने पूछा- तो सुहानी … क्यूँ मजा आया ना इतने बड़े लंडो से चुदवा के?
मैंने नीचे देखते हुए हाँ में सिर हिला दिया और बोली- हाँ बहुत।

तन्वी ने बोला- तो चल कपड़े पहना ले, हॉस्टल चलते हैं।
मैंने एकदम विरोध सा करते हुए कहा- इतनी जल्दी, अभी तो एक ही बार …’
और इतना कहते हुए चुप हो गयी।

तन्वी मुस्कुराने लगी और बोली- ओह हो … मतलब मैडम को अभी और चुदवाने का मन है।
मैंने कुछ नहीं कहा और बस शर्माते हुए मुस्कुरा के नीचे देखने लगी जैसे मेरी चोरी पकड़ी गयी हो।

तन्वी ने उन दोनों से बोला- एक एक राउंड और हो जाए गाय्ज़।
वो दोनों तुरंत मान गए और खड़े हो गए।
तन्वी बोली- चलो अंदर ही चलते हैं, सब एक साथ सेक्स करते हैं।

मैंने इस बार तन्वी का विरोध नहीं किया और चलने के लिए खड़ी हो गयी और हम चारों बेडरूम में आ गए।
मैंने एंडर्सन का हाथ पकड़ा और उसके बेड के पास ले आई. और उधर तन्वी और डेविड आपस में किस करने लगे।

मैंने एंडर्सन के लंड को देखा तो वो मुरझा चुका था। मैंने प्यार से उसपे हथेली फेरी और हल्के हल्के सहलाने लगी। उसके लंड में हलचल तो हुई पर उससे चुदाई नहीं हो सकती थी, इसलिए मैंने बिना कुछ सोचे समझे उस काले लंड को अपने नर्म गुलाबी होंठों के बीच ले लिया और किसी ब्लू फिल्म की हिरोइन की तरह मजे लेले के चूसने लगी।

एक मिनट के अंदर वो लंड अपने पूरे उफान पे आ गया और चोदने को बिल्कुल तैयार हो गया।
मैंने लंड देख के कहा- अब ठीक है तो शुरू करें मिस्टर एंडर्सन?

उसने मुझे एक स्माइल दी और मेरे कंधों को पकड़ कर मुझे खड़ा कर दिया। अब हम दोनों आमने सामने नंगे खड़े थे और एक दूसरे को स्माइल दे रहे थे।

एंडर्सन ने झुक के मेरी दायीं जांघ के नीचे हाथ देकर पैर उठाया और मेरे करीब आकर मेरे से सट गया। मैंने उसकी गर्दन के चारों ओर अपने हाथ डाले और बस फिर एंडर्सन ने मुझे दीवार से सटाया और अपना लंड मेरी चूत पे सटाया और घपाक कर के पूरा घुसा दिया।
मेरी ज़ोर की- आअअ अना नाहह …’ की सिसकारी निकल गयी और मेरी आँखें एकदम से चौड़ी हो गयी।

अब मैं दीवार और एंडर्सन के बीच में थी और उसका 10 इंच लंबा लंड मेरे जिस्म के अंदर था। एंडर्सन मुझपे अपने जिस्म को पटक पटक कर उठा उठा के चोदे जा रहा था और मैं बस उसके गले लगे- आहह … आहह … आन्न्हह … आहह …’ चिल्लाती हुई ऊपर नीचे हिलती हुई पूरे मजे लेते हुए चुदवा रही थी।

उधर तन्वी की भी बेड पे जबर्दस्त चुदाई शुरू हो गई थी।

लगभग ऐसे ही 5-7 मिनट तक मुझे चोदने के बाद एंडर्सन ने मुझे साइड में उतार दिया।

मैं चल के तन्वी के पास आ गयी और बेड पे हाथ टिका के उसे देखने लगी।
वो डोग्गी स्टाइल में चुदवा रही थी ज़ोर ज़ोर से ‘आहह … आहह …’ करते हुए।
मैंने उसे हिन्दी में कहा- तन्वी तू बिल्कुल रंडी बन गयी है, कॉलेज में आजतक कोई लड़की ऐसे काले लंड से नहीं चुदी होगी।
तन्वी ने मुस्कुराते हुए कहा- आहह … अहह … कोई नहीं बेटा … कह ले तू क्या फर्क पड़ता है, कौनसा किसी को पता चल रहा है, और मुझे क्या कह रही है। मैंने तो तुझे भी रंडी बना दिया है पूरी, अब चुदवा ले जी भर के, ये दिन शायद दुबारा नहीं आयेगा.

और तन्वी ने एंडर्सन को मेरी तरफ सिर हिला के इशारा कर दिया।

इतने में एंडर्सन मेरे पीछे आया और बोला- तन्वी की तरफ ही मुंह कर के घोड़ी बन जाओ.
तो मैंने अपने चेहरे पे आगे गिरे बाल पीछे किए हाथ से और घोड़ी बन गयी। अब उसने भी अपना लंड डाला और मुझे चोदना चालू कर दिया।

हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरे की तरफ देखते हुए मुस्कुरा रही थी और एंडर्सन और डेविड हम दोनों को पीछे से ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहे थे। उनके धक्के इतने जबरदस्त थे कि हमारी ज़ोर ज़ोर से आन्न्हह … आन्न्हह …’ की चीखें निकल रही थी. हम दोनों के खुले बाल भी हिल रहे थे और हम खुशी से मुस्कुराते हुए चुदवा रहे थे और बीच बीच में मैं और तन्वी एक दूसरे के होंठों को किस भी कर रहे थे।

जब 8-10 मिनट हो गए चोदते हुए तो डेविड ने एंडर्सन से कहा- हे एंडर्सन, मुझे भी तो चोदने दे थोड़ी देर वो चूत तू इधर आ जा।
फिर उन दोनों ने हम दोनों की अदला बदली कर ली और हम दोनों को दबादब चोदने लगे।

आज तो कोई रोकने वाला नहीं था।

जिन ब्लू फिल्मों को आश्चर्य से देखते हुए ज़्यादातर लोग मजे लेते हैं, हम दोनों बस उसी तरह चुदवाए जा रहे थे।
जब ऐसे ही चुदवाते हुए कुछ देर हो गयी तो डेविड ने कहा- चलो गर्ल्स अब गांड की बारी, तैयार हो जाओ.
और दोनों ने हमारी चुदाई रोक दी और खड़े हो गए लंड को सहलाते हुए।

हम सब की ही सांस फूल रही थी और फिर हाँफते हुए मैंने एक असफल कोशिश करते हुए कहा- क्या गांड में चुदाई करना जरूरी है, आगे से चोद लो यार।
पर वो लोग नहीं माने।

मैंने तन्वी से कहा- चल तन्वी, तैयार हो जा गांड मरवाने के लिए।
तन्वी ने कहा- हे एंडर्सन, मुझे तेल की शीशी दो, गांड चिकनी करनी पड़ेगी वरना इतना मोटा लंड घुसेगा नहीं।
एंडर्सन ने उसे दराज में से तेल की शीशी दे दी।

तन्वी ने बोला- चल सुहानी झुक जा, पहले तेरी गांड चिकनी कर दूँ, फिर तू मेरी कर दियो।
अब मैं आगे बेड पे झुक के लेट गयी और गांड उठा के तन्वी की तरफ कर दी और चूतड़ों को हाथ से खींच के छेद खोल दिया।

उसने तेल की शीशी का मुंह मेरी गांड के छेद पे लगाया और अंदर भरने लगी। फिर अपनी पतली उंगली से अंदर तक मालिश सी करने लगी, इसके साथ ही उसने मेरी चूत भी तेल से चिकनी कर दी। मेरी गांड चुदने को तैयार थी।

तन्वी ने कहा- चल सुहानी, तुझे दो लंड से चुदवाती हूँ।
मैंने कहा- मतलब?
तन्वी बोली- सवाल मत पूछ, बस जैसा बोल रही हूँ, वैसा कर, बहुत मजा आयेगा।
मैंने कन्फ्यूज होते हुए कहा- ठीक है।
तन्वी ने एंडर्सन से कहा- इधर आओ।

जब एंडर्सन आया तो उसने तन्वी ने उसका लंड सहलाया और उसपे अच्छे से तेल लगा के तर कर दिया। एंडर्सन आगे का काम खुद जानता था तो वो बिना कुछ कहे बेड के किनारे पैर नीचे लटका के कमर के बल लेट गया।

तन्वी बोली- अब आ सुहानी!
मैं एंडर्सन के ऊपर आई उसकी तरफ मुंह कर लिया तन्वी के कहे अनुसार।
तन्वी ने कहा- इसका लंड चूत में ले के बैठ जा जल्दी, इतने मैं डेविड का लंड चिकना कर दूँ।
एंडर्सन का लंड पकड़ के तन्वी ने मेरी चूत से सटाया और मेरे कंधे पे हाथ रखते हुए इशारा किया, मैंने उसका लंड चूत में लिया और ‘आई …’ करते हुए उसपे बैठती चली गयी।

दोनों चीजें चिकनी होने की वजह से मुझे कोई खास दर्द नहीं हुआ, बस खिंचाव सा लगा और पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। एंडर्सन ने मेरी कमर को पकड़ा और मैं उसके लंड पे कूदते हुए चुदवाने लगी।
मेरे मुंह से हल्की हल्की- आहह … आहह … अहह …’ की सिसकारियाँ निकल रही थी, और मैं खुशी खुशी चुदवा रही थी।

तन्वी ने डेविड का लंड भी चिकना कर दिया था और फिर घूम के मेरे चेहरे के सामने आ के खड़ी हो गयी। तन्वी बोली- तैयार है सुहानी?
मैंने कहा- चुदवा तो रही हूँ, अब इसमें क्या तैयार होना है?

उसने शैतानी भरी मुस्कुराहट से एंडर्सन के कंधे पे हाथ मारा, तो एंडर्सन ने मुझे अपनी बांहों के घेरे में ले लिया और अपनी छाती पे दबाते हुए उचक उचक के चोदने लगा।
मैं खुशी से आहह … आ … अहह …’ करते हुए चुदवा रही थी।

तन्वी बोली- अब सुहानी तेरी गांड चुदेगी, थोड़ा बर्दाश्त करियो।
मैंने कहा- ठीक है, पर तू नहीं चुदवा रही क्या डेविड से?
उसने कहा- डेविड ही तो चोदेगा अब, डेविड शुरू हो जाओ।

मैंने डेविड की तरफ सिर घूमा के देखा तो वो मेरे ऊपर आ के कमर पे झुक गया। एंडर्सन ने अपनी पकड़ मजबूत कर दी और मुझे कस के पकड़ लिया। फिलहाल के लिए उसका लंड मेरी चूत में था पर चुदाई नहीं हो रही थी और रुक गयी थी।
तन्वी ने बोला- डाल डेविड।

मैं समझ गयी तन्वी मुझे एक साथ दो लंड से चुदवा रही है। मैंने फौरन विरोध करते हुए कहा- नहीं रुको!
और खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

पर डेविड ने मेरी गांड को हाथ से पकड़ के चौड़ा किया और अपना लंड रख दिया। मेरे पास कोई चारा नहीं था तो मैंने अपने होंठ भींच लिए और आँखें बंद कर ली। लंड और गांड दोनों चिकनी थी इसलिए लंड जाने में कोई दिक्कत नहीं हो रही थी, बस मुझे दर्द हो रहा था।

जैसे ही डेविड ने हल्का सा धक्का लगाया उसका लिंगमुंड मेरी गांड के द्वार में घुसा और एकदम अटक गया। मेरी आँखें एकदम से दर्द में खुली और मेरे मुंह से ‘आउच …’ निकली।
तन्वी ने बोलो- चला गया क्या?
डेविड बोला- अभी नहीं, अब डालता हूँ।

जैसे ही डेविड ने और अंदर धकेलना शुरू किया मेरी तो मानो जान निकालने लगी। उसका मोटा लंड मेरी गांड में जबर्दस्ती जगह बनाते हुए अंदर जाने लगा।
मैंने तुरंत बोला- आऊच … आहह … डेविड रुको रुको प्लीज … मैं नहीं ले पाऊँगी इतना बड़ा … आहह … प्लीज वापस निकाल लो … बहुत दर्द हो रहा है।

तन्वी ने बोला- पागल हो गयी है क्या, हर्षिल का तो पूरा ले गयी थी, करन का भी, अब क्यूं नाटक कर रही है।
मैंने दर्द से तड़पते हुए गुस्से में कहा- साली आहह … उनके 6-7 इंच से बड़े नहीं थे, आई … इसका तो 10 इंच के आसपास है, उम्महह … इतना शौक है तू खुद गांड में ले ले ना।
तन्वी बोली- लूँगी बाद में … पहले तुझे तो चुदवा दूँ, कुछ नहीं होगा, गांड और लंड दोनों चिकने है, एक मिनट।

फिर तन्वी ने एंडर्सन को बोला कि मुझे कस के पकड़ ले और तन्वी ने मेरे कंधे पकड़े और डेविड को सिर हिला के इशारा किया। डेविड ने मेरी कमर को नीचे दबाया और अपना पूरा लंड ज़बरदस्ती मेरी गांड में उतारने लगा ‘हम्म … हम्म …’ करते हुए।

अब मुझे असहनीय दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू आ गए मुंह से ज़ोर की- आई … मर … गयी … आहह … भोसड़ी के निकाल … मेरी जान निकल जाएगी … रुक जा।
इधर तन्वी कह रही थी- श्ह … श्ह … स्श … क्या हुया, बस हो गया चला गया पूरा।

मेरी सांस बुरी तरह फूल गयी थी और मैं रोते हुए हाँफ रही थी। कुछ देर तक मैं उन दोनों का लंड गांड में और चूत में लिए ऐसे ही पड़ी रही।

मैंने कहा- चलो खत्म करो अब जल्दी, मुझे हॉस्टल जाना है, चोदना शुरू करो।
अब उन दोनों ने लंड अंदर बाहर करना शुरू किया। एक बार कोई चूत में डालता तो दूसरा गांड से निकलता और दूसरी बार इसका उल्टा। दोनों ही मुझे घपाघप चोदे जा रहे थे। मुझे चूत से मजा मिल रहा था चुदाई और गांड से अब भी हल्का हल्का दर्द हो रहा था।

तन्वी मेरे सामने बैठी हुई मेरे बाल सँवरती हुयी मुझे चुदवा रही थी।
मैं ‘आहह … आहह … आई … आऊहह … आऊच्छ …’ करते हुए चुदवा रही थी. अब मुझे भी मजा आने लगा था तो मैंने कहा- आहह … गायज … ज़ोर से … आहह।

पट पट पट पट की ज़ोर ज़ोर की आवाजें आ रही थी और मेरी जमकर चुदाई हो रही थी दोनों छेदों में।

आखिरकार मुझे बहुत मजा आने लगा और मेरी सांस फूलने लगी.
मैंने कहा- और ज़ोर से आहह आहह … और ज़ोर से!

दोनों ने अपनी पूरी स्पीड से चोदना जारी रखा और फिर मैं झड़ने के करीब पहुँच गयी। अगले एक मिनट में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया ज़ोर से और मैं ‘आहह … आहह … आहह एंडर्सन … आहह … आ … आ … आ … हह …’ करते हुए अंदर ही अंदर पिचक … पिचक … करके झड़ने लगी और झड़ के शांत हो गयी।

इधर डेविड भी ‘उफ़्फ़ … सुहानी आहह … सुहानी आ … आ … आ … आ …’ करते हुए मेरी गांड में अपना गर्म गर्म वीर्य भरते हुए झड़ गया और मेरे ऊपर ही गिर गया।

मैंने चूत में से एंडर्सन का लंड निकाला और गांड में डेविड का लंड लिए ही सीधी हो के उसके ऊपर लेट गयी और हम दोनों ‘उमह्ह … उमह्ह … उमम्ह …’ करते हुए सुस्ताने लगे।
इधर एंडर्सन उठा और फटाफट तन्वी की चूत में लंड डाल के बहुत तेज़ तेज़ चोदना शुरू कर दिया।

तन्वी ज़ोर ज़ोर से चुदवाते हुए चीख रही थी- आह … आहह … आहह … और तेज़ और तेज़ भेनचोद … और तेज़!
एंडर्सन ने भी पटापट चोदना जारी रखा और 5 मिनट चोद के तन्वी को झड़वा दिया और खुद भी उसकी चूत में झड़ गया।

वो दोनों भी हाँफ रहे थे और सुस्ताने लगे।

मैं और डेविड अब भी ऐसे ही पड़े रहे।
मैंने तन्वी से कहा- साली, तूने मेरी तो गांड तो चुदवा दी, खुद क्यों नहीं मरवाई?
तन्वी ने मुस्कुराते हुए कहा- कोई नहीं फिर कभी मरवा लूँगी।

मैं डेविड के जिस्म से अलग हुई और बेड पे बैठ गयी। अब तक हम सब की सांसें सामान्य हो चुकी थी पर मुझे गांड में चीस हो रही थी।

जब मैं बेड से उठ के खड़ी हुई देखा कि जहां मैं बैठी थी वहाँ खून के धब्बे थे.
मैंने उसके देखते ही कहा- ओह शिट।

तन्वी बोली- ये क्या सुहानी … तेरी तो गांड फट गयी सच में?
मैंने कहा- मर जा साली … तेरी ही करतूत है।

और मैं लड़खड़ाते हुए बाथरूम में चली गयी खुद को साफ करने।

कुछ देर बाद हम सब सफाई करके हाल में आ के बैठ गए।

तन्वी बोली- आज तो मजा आ गया, थैंक्स गायज।
मैंने कहा- साली गांड तो मेरी फटी है, मुझसे तो चला भी नहीं जा रहा।
तन्वी बोली- बस इतने में ही रो गयी, वो तो शुक्र है इनके बाकी दो दोस्तों को अर्जेंट में वापस जाना पड़ा, वरना यहा चार लोग होते हम दोनों की चुदाई को।
मैंने तन्वी के आगे हाथ जोड़ लिए और कहा- बस कर देवी, इतना बस की नहीं है मेरे।

मेरे अंदर अब भी तन्वी से बदला लेने की भावना थी, मैंने सोचा इस दिन का तो बदला ले के रहूँगी। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े वापस पहने और चलने के लिए तैयार हो गयी। तन्वी ने उन्हें होंठों पे गुडबाय किस दी।
डेविड ने मुझे किस करने की कोशिश की तो मैंने भी बेमन से किस कर दिया दोनों को।

फिर हम दोनों कैब कर के हॉस्टल आ गए। हॉस्टल में अगले कुछ दिनों में हमने डिल्डो (प्लास्टिक का नकली लंड) भी मंगा लिया और अपनी गांड को आपस में चोद चोद के उसे चौड़ी भी कर ली बाद में ताकि ज्यादा दर्द ना अगली बार, क्योंकि अब तो ये आम सी बात हो गयी थी।

तो दोस्तो, आप सबको मेरी ये कहानी कैसे लगी जरुर बताइएगा। और कोई सुझाव हो तो जरूर दीजिएगा। मिलते हैं अगली कहानी में।
आपकी प्यारी सुहानी
धन्यवाद
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