प्रशंसिका ने दिल खोल कर चूत चुदवाई-14

(Prashansika Ne Dil Khol Kar Chut Chudwayi- Part 14)

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मैंने भाभी की कलाई को पकड़ा और थोड़ा झुकते हुए और उनको अपने गोदी में उठाते हुए मैंने उनके होंठों से अपने होंठ सटा दिए और चूसने लगा।
काफ़ी देर हम तीनों एक दूसरे के बदन से खेलते रहे, चूमाचाटी करते रहे।

फ़िर रचना भी घुटने के बल बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी।
मेरे जिस्म से सटी हुई भाभी के जिस्म की गर्मी मुझे पिघलाने का काम कर रही थी मेरी कामवासना बढ़ रही थी, और रचना के लंड चूसने से मेरे लंड में भी तनाव बढ़ने लगा था।

मैंने भाभी को गोद से उतारा, रचना और भाभी को लेटने के लिये कहा और मैं बारी-बारी दोनों के सीने मैं बैठ कर लंड को उनकी चूचियों के बीच फंसा कर उन दोनों की चूची चोदने के साथ-साथ उनकी चूत को भी चोदने लगा।

काफी देर तक हम तीनों के बीच यही चलता रहा।
पहले भाभी झड़ी, वो उठी और मेरे मुँह में अपनी चूत लगा दी, उसकी चूत से निकलता हुए पानी को मैं पी गया।

उसके बाद रचना झड़ी और उसके चूत के निकलते हुए पानी को चाट कर साफ किया और फिर दोनों घुटने के बल बैठ गई और मैंने दोनों के मुँह में बारी-बारी से अपनी पिचकारी छोड़ दी, दोनों ने मेरे वीर्य को चाट कर साफ किया।

पहला राउण्ड खत्म होते होते दो घंटे बीत चुके थे।
तभी भाभी उठी और रसोई की तरफ गई, मैं और रचना उसके पीछे-पीछे रसोई गये।
वहाँ भाभी खाना बनाने की तैयारी करने लगी, हम लोगों को वहाँ देखकर बोली, अरे तुम लोग जाओ और मजे करो, मैं खाने की तैयारी करती हूँ।

रचना मेरे तरफ देखते हुए बोली- भाभी, शरद गांड भी बहुत अच्छी तरह चाटता है और उसको चोदता भी बड़े मजे से है।
भाभी उसकी चूची को चिकोटी काटते हुए बोली- इसका मतलब तुमने अपनी गांड भी चुदवाई है। जाओ, फिर उसी का मजा लो।
रचना फिर बोली- यहीं खाना बनाते बनाते क्यों न मजे लिये जायें।

मैंने भी भाभी की गांड को सहलाया जिससे भाभी थोड़ा सा चिहुँकी- लेकिन मुझे गांड मरवाने में मजा नहीं आता!
रचना बोली- भाभी, एक बार तो गांड मरवा कर देखो शरद से… ये बड़े प्यार से धीरे-धीरे लंड को गांड के छेद में अन्दर डालता है।

भाभी अपना काम करती जा रही थी और रचना उनसे बाते करती जा रही थी।
मैंने भाभी के कमर में हाथ डाला और उनके गालों को चूमते हुए कहा- भाभी, एक बार गांड में लंड लेकर तो देखो, चूत से ज्यादा मजा आयेगा। अगर मजा ना आये तो मना कर देना। नहीं करूँगा फिर!

बहुत जोर देने पर भाभी मान गई और कहने पर हल्का से रसोई के शेल्फ का सहारा लेकर झुक गई।
उधर रचना ने भाभी का काम सम्भाल लिया।

मैं जमीन पर घुटने के बल बैठ गया और उनकी गांड को चाटने लगा।
मेरे जीभ लगाने भर से भाभी की साँस तेजी से चलने लगी।
रचना भी भाभी जैसी पोजिशन पर आ गई, अब दोनों ही बारी-बारी से अपनी गांड चटवा रही थी।
बीच-बीच में रचना भी अपनी भाभी की गांड चाट रही थी।

काफी देर तक गांड चाटने के बाद मैं खड़ा हुआ और भाभी को मुँह में लंड डाल दिया और रचना से क्रीम लाने के लिये कहा।
रचना के क्रीम लाने तक भाभी मस्ती से मेरे लंड को चूसे जा रही थी, लंड मेरा एकदम कड़क हो चुका था।
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रचना क्रीम ला चुकी थी, मेरे कहने पर रचना ने भाभी की गांड के अन्दर क्रीम लगा दी और मेरे लंड में भी क्रीम लगा दी।
भाभी की मस्ती बढ़ती ही जा रही थी, वो अपनी उँगली को अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थी और उसकी सांसें भी बहुत तेज चल रही थी जिसकी वजह से उसकी गांड भी खुल-बन्द हो रही थी।

लंड में क्रीम लगाने के बाद रचना ने भाभी की गांड को थोड़ा चौड़ा किया और मैं भाभी की गांड से लंड को रगड़ने लगा।
रगड़ते-रगड़ते लण्ड को भाभी की गांड में डालने लगा लेकिन लंड नहीं जा रहा था।
दो-तीन प्रयास के बाद लंड का आगे का भाग थोड़ा सा अन्दर गया।

‘उईईई ईईईई माँ… निकालो… मुझे नहीं मरवानी गांड…’
मैंने भाभी से चिपक कर उसकी चूची दबाते हुए कहा- भाभी, बस इतना सोचो जब पहली बार बुर चुदी थी उसी तरह का दर्द है।
कहकर उसकी चूची को कस कर मसल रहा था ताकि भाभी का ध्यान दर्द की तरफ न जाये।

उधर रचना भी नीचे बैठ कर भाभी की चूत चाट रही थी।
मैं इधर उधर की बाते करके भाभी का ध्यान भटका रहा था और लंड को थोड़ा अन्दर बाहर करके भाभी की गांड को ढीला करने की कोशिश कर रहा था।

इधर मैंने अपना काम चालू रखा था उधर रचना भी भाभी की चूत को पनिया रही थी।
इस तरह भाभी पर एक बार फिर मस्ती चढ़ती जा रही थी जिसका फायदा उठा कर मैं भाभी की गांड में लगभग आधा लंड डाल चुका था।

अब भाभी भी अपने एक हाथ को पीछे करके मुझे अपनी तरफ खींचने का प्रयास कर रही थी। तीन-से चार मिनट लगे होंगे कि लंड पूरा भाभी की गांड को भेद चुका था और लंड अब आसानी से अन्दर बाहर आ जा रहा था।

अब भाभी जोश में थी- क्या प्यार से भाभी की गांड मारी है, मेरे राजा अब जोर-जोर से धक्का मारो… और जोर-जोर से।
भाभी मस्ती में अनाप-शनाप बड़बड़ाती जा रही थी।

रचना भी सेल्फ का सहारा लेकर खड़ी हो गई।
अब मेरा काम था दोनों की गांड की मथाई करना और वो मैं बारी-बारी से कर रहा था, दोनों खूब खुल कर अपनी गांड मरवा रही थी।
अन्त में मैंने भाभी की गांड चोदते-चोदते अपना पूरा माल भाभी की गांड के अन्दर डाल दिया।
उसके बाद दोनों ने मेरे ढीले पड़े लंड को प्यार से चाटा।

तभी भाभी रचना से बोली- यार यह गलत है, इसने हम दोनों की गांड खूब चाटी और इसकी गांड सूखी पड़ी है।
कहकर भाभी ने मुझे दीवार से सटा दिया और दोनों मेरी गांड को चाटने लगी।
थोड़ी देर तक यह क्रिया चलती रही, उसके बाद हम तीनों बाथरूम आ गये, जहाँ पर तीनों ने एक दूसरे के बदन को साफ किया।

दोस्तो, एक बात तो कहूँगा कि रचना हर बार एक नया सरप्राईज मुझे देती रही, इस बार उसने अपने साथ-साथ अपनी भाभी की चूत भी मुझे दिलवाई।
शायद यह उन दिन और रात का ईनाम था जो मैंने रचना के साथ बिताये।

लेकिन इस लड़की का मन नहीं भरता और इस बार भी उसने मुझे ही नहीं अपनी भाभी को भी सरप्राईज दिया।
हुआ यूँ कि जब हम लोग खाना खाने बैठे तो रचना शराब की बोतल के साथ-साथ तीन गिलास ले आई।

भाभी ने पूछा तो बोली- बस भाभी एन्जॉय कीजिये।
इस समय डाइनिंग टेबल पर शराब, कवाब और शवाब तीनों चीजें थी।

सबसे पहले उसने भाभी की टांग फैलाई और गिलास को चूत से सटा कर शराब चूत पर डालने लगी और चूत से छनकते हुए शराब गिलास में आने लगा।
उसके बाद उस गिलास को मुझे दिया, फिर वो मेरे पास आई और लंड को थोड़ा सा गिलास के अन्दर डालकर मेरे लंड पर शराब उड़लने लगी।
फिर खुद कुर्सी पर बैठ कर वैसा ही किया जैसा कि उसने मेरे और अपनी भाभी के साथ किया।

और वो गिलास उसने भाभी को पकड़ा दिया।
उसके बाद हम तीनों ही मीट के साथ-साथ शराब को सिप करने लगे।

खाना खाने के आधे घंटे के बाद एक बार फिर वही राउण्ड शुरू हुआ।
इस बार हम सब भाभी के कमरे में थे और उन दोनों ने मुझे पलंग पर लेटाया और मेरी चुदाई करना शुरू कर दिया।
इस चुदाई में बिल्कुल लेटा रहा, जबकि दोनों पोजिशन बदल-बदल कर अपनी गांड में मेरा लंड लेती या फिर चूत में!

और जो खाली रहता, वो मेरे मुँह में बैठ जाता और अपनी चूत और गांड दोनों चटवाता।

इस कहानी को पढ़ने के बाद लड़के अपने लंड को खूब मसलें, और लड़कियाँ, भाभियाँ, चाचियाँ अपनी चूत में उंगलियाँ डाल-डाल कर उसकी चुदाई करें।

तो दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे नीचे दिये ईमेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजें।
आपका अपना शरद
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