गदराई लंगड़ी घोड़ी-5

वीर सिंह 2014-03-25 Comments

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“अभी तो एक और सरप्राइज है तेरे लिए..”

“वो क्या?”

“चल पहले कुर्सी से हट !”

“मेरी गाण्ड मारेगा?” बबिता ने सीधा सवाल पूछा।

“कूद-कूद के मारूँगा.. उफ्फ कैसे बोलती हो तुम? कहाँ से सीखा इतना गन्दा बोलना !” मैं सपने देखने लगा कि काश मेरी लंगड़ी दीदी भी मुझसे ऐसी बातें करें।

“पर पहले चूत तो अच्छे से चोद लेने दो… उफ्फ्फ… आँटी आज तुम्हारी चूत… बड़ा मज़ा दे रही थी। चोद कर झड़ जाने दो एक बार चूत में फिर गाण्ड मारूँगा। आज तो तुम्हारी गाण्ड ऐसे मारूँगा जैसे कोई मस्त कुत्ता किसी कुतिया को चोदता है। तुम्हारी गाण्ड के सारे टांकें खोल दूँगा आज.. हायय… इधर आओ… और चोद लेने दो अब ये चूत।”

“पहले अपना सरप्राइज तो ले लो। एक सरप्राइज मेरी गाण्ड में तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है। पहले उस सरप्राइज को भी मेरी गाण्ड से बाहर निकाल दो जल्दी से चोद-चोद के फिर पूरी रात के लिए मैं एक रंडी बन जाऊँगी। जैसे मन करे वैसे चोदना। उस दिन तुम्हारा मन नहीं भरा था ना जब 3 दिन पहले मुझे मेरे कमरे में घोड़ी बना के ज़ोर से मेरी चुटिया पकड़ के मेरी गाण्ड मारी थी। मुझे पता है कि उस दिन तुम चाह रहे थे कि मैं ज़ोर से चीखें मारते हुए चुदूँ, पर मैं उस दिन चीख़ नहीं सकती थी बस सिसक सकती थी। मन तो मेरा भी बहुत कर रहा था कि ज़ोर से दहाड़ें मारते हुए तुमसे अपनी गाण्ड कुटवाऊँ पर मजबूर थी। पर आज तो कोई सुनने वाला भी नहीं है। आज खूब जी भर कर अपनी वो चुटिया पकड़ कर चोदने वाली ख्वाइश पूरी कर लेना। तुम्हें ज्यादा से ज्यादा मज़ा देने के लिए मैं खूब चीखूंगी भी। तुम ज़ोरों से मेरी गाण्ड चोदना और चुटिया पकड़कर खींचना। जितना ज़ोर से मेरी चुटिया पकड़कर खींचोगे उतनी ही जबरदस्त तरीके से गाण्ड मारने दूँगी और उतनी ही तेज़ दहाड़ें मारूँगी। सच में आज तुम इतनी छोटी सी उम्र में मेरी गाण्ड चोद के पूरे मस्त हो जाओगे।”

बबिता की ऐसी बातों से तो लंड में तूफ़ान सा आ गया। वो सच कह रही थी। 3 दिन पहले जब मैंने उसकी गाण्ड उसी के आँगन में पड़ी एक पुरानी सी खटिया पे घोड़ी बना के मारी थी तो मुझे बेहद मज़ा आया था। उस दिन कुतिया ने अपनी गाण्ड में अमूल बटर की टिक्की डाल रखी थी। लंड ‘पुन्च्छ्ह’ ‘पुन्च्छ्ह’ करता हुए गाण्ड में अंदर बाहर हो रहा था। पूरा लंड मक्खन में सना था और उसकी गरम गाण्ड के चारों तरफ भी मक्खन लगा था।

बबिता के बाल खुले थे और उसने अपने दोनों हाथों से खटिया का बांस पकड़ रखा था। वो अक्सर बाल खुले ही रखते थी चुदते टाइम। पर उस दिन मैंने पीछे से उसकी गाण्ड मारते हुए उसके बालों को एक मोटी सी चुटिया में गूँथ दिया।

हालाँकि मैं चुटिया इतनी अच्छी नहीं बना पाया था। रबर बैंड हाथ नहीं लगा एक तो, चुटिया के निचले सिरे पर बबिता के पेटीकोट का नाड़ा ही बांध दिया था। पर चुटिया बना कर साली घोड़ी इतनी कामुक लग रही थी कि मैं ज़ोरों से उनकी गाण्ड मारने लगा। मैं बबिता कुतिया की एक हाथ से चुटिया पकड़ कर खींच रहा था और दूसरे हाथ से रंडी की चुदती गाण्ड पर तड़ा-तड़ थप्पड़ भी जड़ रहा था।

कुतिया इतनी कामुक चुदाई से रह-रह कर सिसक रही थी। पर सच कह रही थी कि मेरा भी मन नहीं भरा था और आज फिर उसने मुझे खुला निमंत्रण दे डाला।

“ठीक है बबिता आँटी पर आज आपकी एक मोटी चुटिया नहीं बल्कि रिबन लगा कर दो छोटी चुटियाँ बनाऊँगा, जैसे छोटी बच्चियों की होतीं हैं। बड़ा मज़ा आएगा आँटी तब आपकी चूत चोदने में।”

“नहीं बाबू दो चुटियाँ कभी और.. आज तो सिर्फ एक चुटिया बनाना जैसे किसी घोड़ी की दुम होती है। खूब हिलाते हुए और चुटिया से खेलते हुए अपनी इस बबिता घोड़ी की गाण्ड मारना। अगर इतना ही तेरा मन है कि मैं किसी छोटी बच्ची की तरह दो चुटियाँ बनाकर तेरे से चुदूँ तो वो भी कर लेना लेकिन किसी और दिन तब तेरे सामने कोई छोटी सी फ्रॉक पहन कर आऊँगी और दो-दो चोटियाँ बना के बिल्कुल स्कूल की बच्ची लगूंगी। तब तबियत से चोद लेना अपनी इस बच्ची घोड़ी को।”

हे भगवान… यह औरत तो मर्द को पागल कर देने वाली थी। “बच्ची घोड़ी”..उफ़्फ़… कौन नहीं चोदना चाहेगा ऐसी मस्त गरम बच्ची घोड़ी। उम्र 30 साल और पहनेगी क्या… फ्रॉक… उफ्फ्फ… और बालों को दो चोटियों में गूथेगी। मुझ जैसा तो पागलों की तरह चोदेगा ऐसी ‘बच्ची घोड़ी’।

मैं ‘बच्ची घोड़ी’ को चोदने का सपना देखने लगा था तभी बबिता बोली, “चल अब यह कुर्सी कमरे के बीचों-बीच रख दे। मैं इस पर घोड़ी बन जाती हूँ और तू लंड बाबू को मेरी इस दहकती ‘हंडिया’ में डाल के अपना सरप्राइज बाहर निकाल ले पहले। ध्यान रखना कि हाथों का और उंगली का कोई इस्तेमाल नहीं करना। जो करना सिर्फ लंड से करना ! ठीक है?”

मैं अभी झड़ा नहीं था। उसे मेरे कमरे में आए हुए 40 मिनट से ऊपर हो गए थे। उस चुदैल औरत ने मुझे और मेरे लंड को मस्त कर दिया था और अभी पूरी रात की मस्ती बाकी थी। मैंने जल्दी से अपने कमरे में रखी उस लकड़ी वाली कुर्सी को कमरे के बीचों-बीच रख दिया।

“आँटी, तुम स्टूल पे घोड़ी बन जाओ। इस कुर्सी पर कैसे बनोगी?”

मैंने ऐसा इसलिए कहा क्यूंकि वो कुर्सी हत्थों वाली थी और उसमें बैक रेस्ट भी लगा था। और कुर्सी छोटी भी थी इसलिए घोड़ी की पोजीशन में उस कुर्सी पर खड़ा होना मुश्किल था।

पर मैंने देखा कैसे उस रंडी ने इस मुश्किल का हल निकाला। कुर्सी पर चढ़ गई और अपने दोनों पैर एक हत्थे के नीचे से निकालकर घुटने कुर्सी पर रख लिए और दूसरे हत्थे को हाथ से पकड़ का झुक कर मस्त घोड़ी बन गई। घोड़ी बनना तो कोई इन चुदैल औरतों से सीखें। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

“मैंने कहा था ना कि कोई दिक्क़त नहीं होगी इस कुर्सी पर भी। ले चोद ले इस बबिता आँटी को। खूब नाम ले ले के चोदना इस तरह… ओह बबिता… हाय बबिता… और चिल्लाना मेरा नाम ले ले कर मज़े से… ठीक है !”

इतनी कामुक औरत का साथ पाकर मैं मस्त हो गया। मंजी हुई औरत की बात ही कुछ और होती है। बहुत कुछ सीखने को मिलता है। पर तब मेरी और नसें फटने को हो गईं जब मैंने उस रंडी की मस्त नंगी गाण्ड की तरफ देखा। उस कुतिया ने अपनी गाण्ड के छेद के चारों तरफ शायद लिपस्टिक लगा रखी थी।

“उफ्फ यह औरत ! मैंने कभी नहीं सोचा था कि लिपिस्टिक कभी होंठों के अलावा भी कहीं और लग सकती है। उत्तेजित होकर मैंने तुरंत उस नंगी कुतिया के चूतड़ फैला दिए।

उफ्फ्फ… कसम से क्या नज़ारा था। इतना मस्त फुदकता हुआ छेद और उसके चारों तरफ गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगभग 3 इंच के घेरे में बहुत ही अच्छे से लगी थी। यह औरत सच में आग लगा देने वाली थी। मैं तुरंत उस खुली गाण्ड को किसी कुत्ते की तरह से जीभ निकालकर चाटने लगा। उफ्फ्फ… ये क्या.. यहाँ भी बहुत मीठा लग रहा था। तो क्या उस रंडी ने अपनी गाण्ड में भी केला डाल रखा है?”

मैं सोच कर हैरान था उस मस्त औरत की करतूत और जोश में आकर ज़ोर से उसकी नितम्ब पर चांटा लगा दिया, “उन्ह्ह कुतिया आँटी… तू तो मस्त है री.. गाण्ड में भी केला डाल रखा है क्या?”

“आईइऊऊ.. उफफ्फ… इतनी ज़ोर से क्यूँ थप्पड़ मार रहा है। चोदो और खुद देखो निकाल कर कि क्या है ! अगर साबुत निकाल पाए तो जानूँ !”

उसने मेरी उत्सुकता और बढ़ा दी। मैंने भी सोचा चाटेंगे बाद में। कहीं भागी थोड़े ही जा रही है रंडी? आज तो रात भर मेरी है ये कुतिया। पहले चोद के इसकी गाण्ड में भरा यह इनाम ही ले लूँ। मैं तुरंत खड़ा होके उस नंगी कुतिया के पीछे खड़ा हो गया। लंड पर थूक मला और फिर उसकी गाण्ड से सुपारा लगा दिया।

बबिता की हल्की सी ‘इस्स्स’ निकली और मैंने उसकी गाण्ड पकड़ के पुश किया। गाण्ड में शायद चाशनी भरी थी बेहद चिकनी। लंड दनदनाता हुआ उसकी मस्त चुदी चुदाई गाण्ड में दाख़िल हो गया।

वो कुतिया.. ‘उन्ह उन्ह्ह’ करने लगी, पर 3 इंच अंदर जाने के बाद लंड कहीं जाकर टकरा गया। मैं समझ गया कि यही सरप्राइज है मेरा। मैंने पहले की तरह ज़ोर लगा के लंड को अंदर धकेला तो ऐसा लगा जैसे मेरा लंड किसी और चीज़ को चीरता हुआ अंदर गया हो।

मैंने बहुत बार उस मस्त औरत की गाण्ड मारी थी। गाण्ड के कोने-कोने को मेरा लंड पहचानता था। ऐसा लग ही नहीं रहा था जैसे मैं बबिता आँटी की गाण्ड चोद रहा हूँ। एक नई गाण्ड जैसा मज़ा आ रहा था लंड को। इस नए मज़ा ने मुझे पागल कर दिया और ज़ोरों से उस 30 साल की घोड़ी की गाण्ड चोदने लगा।

गाण्ड से “फुनचुक फुनचुक फुनचुक फुनचुक” की आवाजें आ रही थीं और मैं चोदे जा रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी स्पंज में लंड घुसा रखा हो। बड़ा मज़ा आ रहा था। साली ये गिट्ठी सी बबिता कितनी गर्म घोड़ी थी।

“आआअ… उईई.. उन्हह आआअ… उईई.. उन्न्हह… आआअ… उईई.. उन्न्ह… आआअ… उईई ..उन्नह्ह… मस्त कर दिया रे तूने तो वीर.. .उन्न्नन्ही …री ! और ज़ोर से चोद ! तूने तो लगता है अपने सरप्राइज का भी भुरता बना दिया। इतना ज़ोर से चोद रहा है हायय री..”

मैंने देखा कि उसकी गाण्ड से गुलाबी-गुलाबी कुछ निकल रहा था, छोटे-छोटे टुकड़ों जैसा। मैंने झट से लंड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया देखने के लिए कि क्या है?

“उन्ह्ह..और चोदो न राजा…कितना मस्त चोदता है तेरा लंड। गाण्ड की सारी चीटियाँ मार दे आज…वीर। बड़ी टीस उठ रही थी 2 दिनों से।”

मैंने बबिता की चुदाई की मस्ती से फुदकती गाण्ड थाम ली। हाथों से पकड़ने के बाद भी गाण्ड ऐसे आगे-पीछे हिल रही थी, जैसे वो अभी भी लंड से चुद रही हो, पर मैंने गाण्ड को फैलाकर देखा। लिपस्टिक की वज़ह से पूरी गाण्ड चिपचिपी हो गई थी और गाण्ड के अंदर से कुछ चाशनी जैसा निकल रहा रहा था और गाण्ड के छेद के आस पास कुछ टुकड़े चिपके थे जो की गाण्ड के अंदर से निकले थे। वो मल के टुकड़े नहीं थे।

जब मैंने एक टुकड़ा उठा के देखा तो दंग रह गया। ये तो वही स्पंज वाला सफेद रसगुल्ला था जो मम्मी ने मिठाई के डिब्बे से निकाल कर बबिता को दिया था, जब वो शाम को घर आई थी।

वाह री चुद्दक्कड़ औरत… इस कमीनी ने उस रसगुल्ले को अपनी गाण्ड में डाल लिया था…कुतिया..!!

मेरी समझ में पूरी बात आ गई। यानि मेरा लंड उसकी गाण्ड में दाखिल होने के बाद उस रसगुल्ले में घुस गया था। तभी मुझे बड़ी अलग फीलिंग हुई थी। और मेरे लंड ने उस मस्त गाण्ड के साथ साथ उस रसगुल्ले का भी भुरता बना दिया था। तभी वो कुतिया कह रही थी कि तूने तो अपने सरप्राइज का भी भुरता बना दिया।

खैर मैं उस कामुक घोड़ी की इस हरकत से बहुत गर्म हो गया और उसकी गाण्ड को फैला-फैला कर चाटने लगा। गाण्ड पर लगी लिपस्टिक मेरे होंठों, नाक और गालों पर लग गई और मेरी उँगलियों पर भी। सच में इस तरह से किसी औरत की गाण्ड खाने और चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था।

चाशनी और लिपस्टिक से सनी मस्त गर्म गदराई गाण्ड… उफफ… आज भी याद आती है.. वो अपनी गाण्ड भींच के और रसगुल्ले के टुकड़े निकलने में लगी थी। टुकड़े बाहर आ रहे थे और मैं उनका मज़ा ले रहा था। फिर उसने ज़ोर से दम लगाया और रसगुल्ले का एक बड़ा लोथड़ा गाण्ड से बाहर आ गया। मैं बहुत गर्म हो गया। क्यूंकि टुकड़ा एक पाद की तरह से आवाज़ करता हुआ बाहर आया था। मैंने झट से वो टुकड़ा फिर से उस गर्म गाण्ड में डाल दिया और फिर से खड़ा होकर अपना लंड फिर उस गाण्ड में घुसेड़ दिया। उस रंडी की मादक और लिपस्टिक में सनी गाण्ड को मैं बहुत ज़ोर से चोदने लगा, जैसे उस रसगुल्ले के बचे-खुचे टुकड़े का दाना-दाना अलग कर देना चाहता हूँ।

15 मिनट तक बबिता का भी चिल्ला-चिल्ला कर बुरा हाल हो गया और मेरा भी और मैं फिर ज़ोर से चिल्लाता हुआ उस कुतिया की गाण्ड में झड़ गया।

मैंने आज एक बार फिर उस गर्म औरत की गाण्ड में अपना झंडा गाड़ दिया था। मैं बुरी तरह हांफ रहा था। मैंने लंड निकाला और बिस्तर पर जाकर लेट गया। मेरी बबिता घोड़ी अपनी गाण्ड में भरी मेरी मलाई और चुदे हुए रसगुल्ले को अपनी गाण्ड में उंगली डाल-डाल कर मज़े से चाटने लगी।

पूरी गाण्ड लिपस्टिक से सन गई थी। बड़ी मस्त लग रही थी इस तरह से चुदी हुई घोड़ी अपनी गाण्ड में उंगली डाल कर रस चाटती हुई। यह सब करती हुई मुझे ही घूर रही थी और मैं उसकी आँखों में अभी भी चुदाई की भूख देख सकता था। मेरा भी मन उस कुतिया को पूरी रात चोदने का था।

पूरी मलाई चाट कर वो उठी। कुर्सी के हत्थों से आराम से पैर निकाले और मटक-मटक कर बाथरूम की तरफ जाने लगी। मैंने तुरंत आवाज़ लगाई।

“ओह्ह्ह.. बबिता आँटी, प्लीज यह लिपस्टिक साफ़ मत करना। ऐसे ही गन्दी रहने दो अपनी इस मस्त चुदक्कड़ गाण्ड को। काफी मज़ा आया लिपस्टिक के साथ। अभी जब चुटिया वाला खेल खेलेंगे तो मैं चाहता हूँ कि ये गाण्ड ऐसे ही लिपिस्टिक में सनी रहे..ओह्ह… आई लव यू आँटी ! आपने मस्त कर दिया।”

दोस्तो, वो रात अभी बाकी है। उस रात की मस्त तगड़ी लिपस्टिक, चुटिया, घोड़ी, बाल्टी और थप्पड़ों वाली मस्त धमाकेदार चुदाई की कहानी सुनने के लिए आपको इंतज़ार करना होगा गदराई लंगड़ी घोड़ी के अगले भाग का।

जानिए इस भाग में कैसे मैंने उस रात बबिता आँटी की किल्लियाँ निकालीं और फिर कैसे आने वाले दिनों में अपनी लंगड़ी घोड़ी की छुपी हुई हसरतें पूरी की। लंगड़ी घोड़ी को उसी की 3 पहियों वाली रिक्शा पर चढ़ा कर उसकी घंटों चूत चोदी। कैसे उस लंगड़ी को मस्त छोटा कच्छा पहना कर रसोई में आटे और तेल लगा के चोदा।

फिर मिलेंगे।

मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।

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