एक दिल चार राहें- 27
(Nangi Ladki Sex Story)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left एक दिल चार राहें- 26
-
keyboard_arrow_right एक दिल चार राहें- 28
-
View all stories in series
नंगी लड़की सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपने ऑफिस की लड़की को खूब चोद चुका था. वो मेरे साथ नंगी थी. उसके चूतड़ देख कर मेरी इच्छा उसकी गांड मारने की थी.
नताशा लड़खड़ाते हुए शॉवर के नीचे आ गई और फिर मैंने भी शॉवर लिया और फिर हम दोनों तौलिये से शरीर को साफ़ करके बाहर आ गए। नताशा ने कपड़े पहनने से मना कर दिया था।
“प्रेम तुम सोफे पर बैठो, मैं अभी आई.” कहकर नताशा रसोई में चली गई।
चलते समय जिस प्रकार उसके नितम्ब हिचकोले खा रहे थे आप सोच सकते हैं कि उसकी गांड मारने की मेरी कितनी प्रबल इच्छा होने लगी थी।
अब आगे की नंगी लड़की सेक्स स्टोरी:
थोड़ी देर बाद नताशा दो गिलासों में गर्म दूध लेकर आ गई।
“लो यह केशर और बादाम इलायची डाला हुआ गर्म दूध पी लो तुम्हारी सारी थकान दूर हो जायेगी.”
“अरे थकान तो तुम्हें हो रही होगी?” मैंने हंसते हुए कहा तो नताशा किसी नवविवाहिता की तरह शर्मा गई।
“मेरे से तो ठीक से चला भी नहीं जा रहा!” उसने कामुक मुस्कान के साथ मेरी ओर देखते हुए कहा।
“सच कहूं तो मेरा तो मन ही नहीं भरा है अभी तक.”
“हट!”
“ऐ जान! मेरी गोद में बैठ जाओ ना?”
और फिर वह मनमोहक मुस्कान के साथ बड़ी अदा से मेरी गोद में आकर बैठ गई।
मेरा लंड तो उसके गोल नितम्बों के नीचे दब कर जैसे निहाल ही हुआ जा रहा था। दूध पीने के दौरान मैं उसके गालों को भी चूमता रहा और उसके उरोजों को भी मसलता रहा। नताशा को भला कोई ऐतराज कैसे हो सकता था वह तो सम्मोहित हुई बस आह … ऊंह करती रही।
“प्रेम, खाने के बारे में क्या विचार है?”
“भई जो बनाओगी खा लेंगे.”
“खाना तो मैंने पहले ही तैयार कर लिया था. दीदी और बच्चों को भी पैक करके दे दिया था और अपने लिए भी बनाकर रख दिया था। बस मैं उसे फ़टाफ़ट गर्म करके ले आती हूँ आप बैठो.” कहकर नताशा मेरी गोद से उठकर रसोई की ओर जाने का उपक्रम करने लगी।
“चलो मैं भी साथ चलता हूँ तुम खाना गर्म करना और मैं तुम्हें गर्म करता रहूंगा.”
“हट!” मेरी बात पर नताशा खिलखिलाकर हंस पड़ी।
और फिर हम दोनों किचन में आ गए। रसोई में आने के बाड़े नताशा ने फ्रिज से खाना निकाला और गर्म करने लगी। उसकी पीठ मेरी ओर थी।
मैंने पीछे से उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके कानों की लोब को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा था। मैंने उसके उरोजों को भी दबाना और मसलना चालू कर दिया था और एक हाथ से उसकी बुर के दाने और उस पर पहनी बाली को भी मसलने लगा।
मेरा लंड उसके नितम्बों से चिपक गया था और उसकी नाज़ुकी और कसावट महसूस करके फिर से खड़ा हो गया था।
मैं सोच रहा था कि नताशा की गांड मारने की बात किस प्रकार शुरू की जाए। क्या पता वह इस बात के लिए तैयार भी होगी या नहीं?
आज तो प्रेमगुरु का इम्तिहान ही होने वाला है।
इस भरपूर जवान जिस्म की मल्लिका की गांड कितनी हसीन होगी यह तो मैं पिछले एक महीने से सोच-सोच कर पागल ही हुआ जा रहा था। काश एक बार उसकी मुजसम्मे की तरह तरासी हुई गांड मारने को मिल जाए तो यह मानव जीवन ही सफल हो जाए।
“आईईई ईईईई … क्या कर आहे हो?”
मैं नताशा की हल्की सी चीख सुनकर चौंका। अब मुझे ध्यान आया मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और उसकी गांड के छेद पर दबाव बना रहा था।
“नताशा तुम्हारे नितम्ब इतने खूबसूरत हैं कि मैं तो इनका दीवाना ही हो गया हूँ।”
“जान … सब कुछ तुम्हारे हवाले कर दिया है मैंने तो!” कहते हुए नताशा घूमकर मेरी ओर हो गई और उसने अपनी बांहों मेरे गले में डाल दी।
और फिर मैंने उसे अपने बांहों में भर कर चूम लिया।
डाइनिंग टेबल पर खाना खाने की तो मात्र औपचारिकता थी। मैंने नताशा को अपनी गोद में बैठा लिया और फिर अपने हाथों से उसे खाना खिलाया।
उसकी कजिन की बेटी के जन्मदिन पर जो केक कटा था वह भी थोड़ा उसने डिनर के साथ परोसा था।
मैंने पहले तो थोड़ा केक उसे खिलाया और फिर थोड़ा सा उसके गालों और होंठों पर लगा दिया और फिर अपनी जीभ से चाटने लगा।
नताशा को तो अब नशा सा चढ़ने लगा था। फिर मैंने थोड़ा केक उसके उरोजों पर भी लगा दिया और फिर उसे पहले तो चाटा और फिर पूरे उरोज को मुंह में भर कर चूसने लगा। नताशा तो मेरी इस कारीगरी और हरकतों को देख कर मंद-मंद मुस्कुराती हुई कामुक सीत्कारें ही भरती रही।
और फिर नताशा मेरी गोद से उठकर खड़ी हो गई और उसने भी थोड़ा सा केक मेरे लंड पर लगाया और उसे अपने मुंह में भर कर चूसने लगी। जिस प्रकार वह मेरा लंड चूस रही थी मुझे लगता है उसे अभी थोड़ी ट्रेनिंग की जरूरत है बाद में तो वह इस क्रिया में भी सिद्धहस्त और पारंगत हो ही जायेगी।
मेरा मन तो करने लगा था एक बार उसके मुख श्री का भी अभिषेक और उद्धार अपने वीर्य से कर दूं पर मेरा मन तो उसकी गांड के पीछे जैसे पागल हुआ जा रहा था।
डिनर निपटाने के बाद हम फिर से रूम में आ गए और हम दोनों एक दूसरे की ओर करवट लेकर लेट गए।
मैंने उसके होंठों को मुंह में भर लिया और चूमने लगा और अपने हाथों से उसकी पीठ और कमर को सहलाना शुरू कर दिया और धीरे-धीरे उसके नितम्बों पर भी हाथ फिराना चालू कर दिया।
उसने मेरे सीने से अपना सर लगा रखा था और मेरे सीने पर उगे बालों में अंगुलियाँ फिराने लगी थी और मेरे निपल्स को भी हाथों से दबा रही थी। वह इस समय कुछ बोल नहीं रही थी, पता नहीं वह क्या सोचे जा रही थी।
मेरे दिलो दिमाग में तो बस उसके खूबसूरत नितम्ब ही घूम रहे थे। मुझे लगता है अब उसके नितम्बों का उदघाटन करने का उपयुक्त समय आ गया है।
“नताशा?”
“हम्म?”
“क्या सोच रही हो?”
“कुछ नहीं!” उसने चौंक कर जवाब दिया।
“जान कोई बात तो है?”
“वो … वो मैं यह सोच रही थी काश! मेरी शादी तुम्हारे साथ हो जाती.”
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता नताशा के मोबाइल की घंटी बजने लगी।
लग गए लौड़े!!
पता नहीं किसका फोन है? क्या पता उसकी कजिन वापस ना आ रही हो? हे लिंग देव! अब तो बस तुम्हारा ही सहारा है।
नताशा ने करवट बदलकर अपना मोबाइल उठाया और बात करने लगी। अब उसके नितम्ब मेरी ओर हो गए थे। मैं चुपके से उसके पीछे होकर उसके नितम्बों को अपने पेट से लगा लिया और उसके पेट और उरोज को सहलाने लगा।
“हेल्लो दीदी!”
“ …”
“हाँ मैं ठीक हूँ.”
“ …”
“हाँ आया था … आज भी दो बार बात हुई है. उनका तो मेरे बिना मन ही नहीं लग रहा. वो तो बोलते हैं मैं मिलने आ जाऊं क्या?”
“ …”
मुझे लगता है नताशा उस लटूरे को यहाँ बुलाने की भूमिका (बेकग्राउंड) बना रही है। मैंने अपना हाथ उसकी जाँघों के बीच फिराते हुए उसकी चूत के छेद में अपनी अंगुली डाल दी।
नताशा के एक हल्की चीख सी निकल गई।
“ …”
“ओह … कुछ नहीं एक मच्छर ने काट लिया.”
“ …”
“हाँ ठीक है.”
“ …”
“ना … डर वाली क्या बात है? मैं भरतपुर में भी कई बार फ्लैट पर अकेली ही रहती हूँ.”
“ …”
“हाँ .. हाँ मैं ध्यान रखूंगी.”
“ …”
“ठीक है … कितने बजे तक पहुंचेंगे?”
“ …”
“ओके गुड नाईट दीदी.”
नताशा ने लम्बी बात नहीं की और ‘गुड नाईट’ फोन काट दिया।
“वो दीदी का फ़ोन था.”
“हम्म … क्या बोल रही थी?”
“अरे यही कि मुझे अकेली को डर तो नहीं लग रहा … गुलफाम से बात हुई क्या … ये … वो …”
“वो वापस कब तक आयेंगे?”
“यहाँ से 3 घंटे की ड्राइव हैं अगर सुबह 8-9 बजे वहाँ से निकलेंगे तो 1 बजे से पहले तो नहीं आ पायेंगे.”
“गुड … तब तक तो हम कई राउंड खेल लेंगे.” मैंने हंसते हुए कहा और फिर अपना खड़ा लंड उसके नितम्बों की खाई में लगा दिया।
मैंने उसके उरोजों को भी मसलना चालू रखा।
उसने अपना मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर दिया था। और जैसे दूध का जला छाछ भी फूंक फूंक कर पीता है मैंने तो पहले ही अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया था। मैं नहीं चाहता था कोई इन अन्तरंग पलों में नाहक खलल (डिस्टर्ब) डाले।
“प्रेम! तुमने तो बताया ही नहीं?”
“क्या?”
“यही कि अगर तुम्हारी शादी मेरे साथ हुई होती तो क्या होता?”
अब मैं सोच रहा था नताशा जैसी खूबसूरत लड़कियां हमबिस्तरी (सम्भोग) के दौरान बहुत ही रोमांटिक होती हैं पर उन्हें अपनी खूबसूरती पर बहुत नाज़ (गर्व) भी होता है। ये अपने पति या प्रेमी पर अहसान बहुत अधिक जताती हैं. अक्सर उन्हें दब्बू किस्म का पति पसंद होता है जो केवल उसकी हाँ में हाँ मिलाये और हर समय उसकी आगे पीछे घूमता ही रहे, जैसा वह बोले बस करता जाए।
ऐसी औरतों का घर गृहस्थी में कम ही मन लगता है. और सारे दिन बनाव श्रृंगार, गपसप्प और शोपिंग में ही बिताना पसंद करती हैं।
सच कहूं तो ऐसी लड़कियां बहुत ही आलसी और अपने करियर और फॅमिली के प्रति लापरवाह भी होती हैं। ऐसी औरतों का दाम्पत्य जीवन क्लेशपूर्ण ही होता है। इनका मन कभी भी एक आदमी से संतुष्ट नहीं होता और विवाहेत्तर सम्बन्ध बनाने में भी संकोच नहीं करती।
मुझे लगता है नताशा अभी कामदेव के हसीन रथ पर सवार है और रंगीन सपनों में खोई हुयी है। थोड़े दिनों में उसे जब यह खुमार उतर जाएगा तब यह सब उबाऊ लगाने लगेगा और फिर यह अपने आप से और हालात से असंतुष्ट हो जायेगी। मुझे लगता है अगर मधुर की जगह मेरी शादी इसके साथ हो जाती तो ज्यादा लम्बी टिक ही नहीं पाती। कुछ भी कहो मधुर ने मुझे हर प्रकार का सुख दिया है और सच कहूँ हमारे इस लम्बे और सुखद दाम्पत्य जीवन का सारा श्रेय मधुर के समर्पण को ही जाता है।
“क्या सोचने लगे?”
“ओह … हाँ.. दरअसल मैं सोच रहा था … अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ होती तो मेरी तो किस्मत ही संवर जाती। मैं तो निहाल ही हो जाता।”
“हम्म … कैसे?”
“वो … मैं सच कहता हूँ मैं तो बस सारी रात तुम्हें अपनी बांहों में लिए रहता और मैं तो और सोते समय भी तुमसे दूर नहीं होता अलबत्ता तुम्हारे अनमोल खजाने में अपने … उसको डाल कर निद्रा के आगोश में चला जाता। और 2-3 साल में ही 4-5 बच्चे पैदा कर देता … हां..हां … हां …” कहते हुए मैं हंसने लगा।
“मज़ाक नहीं प्लीज सच बताओ ना?”
“मैं सच बोल रहा हूँ … तुम्हारे जैसी पत्नी पाकर तो मैं दुनिया का सबसे बड़ा खुशकिस्मत इंसान ही बन जाता.”
“प्रेम!” मैंने महसूस किया उसके दिल की धड़कने बहुत तेज हो गई हैं और पूरा शरीर लरजने सा लगा है। अब उसने मेरी ओर करवट बदलने की कोशिश की।
पर मैंने उसकी एक बांह के नीचे से हाथ डाल कर उसके उरोजों को पकड़ रखा था और अपनी जांघें उसकी जाँघों के बीच फंसाकर अपना लंड उसके नितम्बों की खाई में डाल रखा था। मेरा लंड तो बस उसकी गांड के छेद को टटोलने में लगा हुआ था। नताशा अब करवट तो क्या मेरी मर्ज़ी के बिना ज़रा सी भी नहीं हिल सकती थी।
“प्रेम! शादी से पहले मैंने कितने सपने देखे थे कि मेरा पति कितना रोमांटिक होगा. मैं चाहती थी उसे हर प्रकार से खुश कर दूं. सारी रात हम एक दूसरे की बांहों में लिपटे बिता दें। सुबह मैं उठकर उसके लिए चाय बनाऊँ और वह हर समय वो दीवाना बना मेरे मेरे आगे-पीछे ही लगा रहे।“
“हम्म!”
“प्रेम! मैं चाहती हूँ पूरी दीन-दुनिया को भुलाकर बस अपने पति को अपना सारा जीवन समर्पित कर दूं.”
“हम्म.”
“पर देखो ना मुझे नितेश के साथ शादी करके क्या मिला?”
“क्यों क्या हुआ?”
“उसे मेरी ना तो कोई परवाह ही है और ना ही कोई क़द्र!”
“ओह … कैसे?”
“मैंने अपनी सुहागरात के लिए कितने हसीन सपने सपने देखे थे पर वह तो बस एक बार अपना पति धर्म भी मुश्किल से निभा पाया था। पता है वह सुहागरात के दिन भी उसने मुझे अपनी पैंट और शर्ट पहनाई थी और खुद उसने मेरा घाघरा और ब्लाउज पहना था। और तो और वह नीचे लेट गया और मुझे अपने ऊपर आकर करने को कहा था। तुम सोच सकते हो मुझे कितनी शर्म आई होगी। और उसके बाद तो मैं सारी रात उसके साथ का इंतज़ार करती रहती थी पर वह मोबाइल पर लड़कों की नंगी फोटोज देखता रहता था और अपनी लुल्ली सहलाता रहता था। कई बार उसके कई दोस्त भी आया करते थे और वे अन्दर कमरे में बंद होकर पता नहीं घंटों क्या किया करते थे। कोई हफ्ते दस दिनों में बस चूमाचाटी करके हट जाया करता था और मैं सारी रात करवटें बदलती रहने पर मजबूर थी।“ कहते कहते नताशा का गला सा रुंध गया था।
नंगी लड़की सेक्स स्टोरी आपको मजा दे रही है न?
[email protected]
नंगी लड़की सेक्स स्टोरी जारी रहेगी.
What did you think of this story??
Comments