मोनिका और उसकी मॉम की चुदने को बेकरार चूत -5
(Monika Aur Uski Mom Ki Chudane Ko Bekarar Chut- Part 5)
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साथियो, आंटी की चूत को मैंने अपने मुँह से झड़ने पर मजबूर कर दिया था और वो मेरे मुँह पर ही अपनी झड़ती हुई चूत धर कर बैठ गई थीं।
मैं अब उनकी गाण्ड से चूत तक जीभ फिरा रहा था। कुछ देर मेरा लण्ड चूसने के बाद आंटी बोलीं- अपने लंबे और मोटे लण्ड से मेरी चूत की प्यास बुझाओ न..
कह कर वे सीधी लेट गईं, मैं आंटी की टाँगों के बीच में आ गया।
आंटी ने ड्रेसिंग टेबल से कोई क्रीम का डिब्बा उठाया और मेरे पूरे लण्ड पर लगाया.. फिर अपनी चूत पर भी क्रीम को लगाया।
मैंने अपने लण्ड को एक हाथ से पकड़ा और अपना लण्ड उनकी शेव की हुई चूत के लाल सुराख पर रख दिया।
थोड़ी देर मैंने लण्ड को ऊपर-नीचे रगड़ा.. उनके दाने को लण्ड के सुपारे से सहलाया।
आंटी बोलीं- सुशांत.. मत तड़पाओ अब..
आंटी ने मेरी कमर अपनी टाँगों से जकड़ ली, फिर आंटी अपनी गाण्ड ऊपर करके मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने की क़ोशिश करने लगीं।
मेरा लण्ड आंटी के थूक से और क्रीम से तर था और आंटी की चूत भी पानी छोड़ रही थी। मैंने सांस खींच कर एक ज़ोरदार शॉट मारा.. तो मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में चूत के गीले मुँह को ज़बरदस्ती फैलाते हुए अन्दर फिट हो गया।
आंटी दर्द से मरी जा रही थीं.. पर वो अपने होंठ भींच कर अपना दर्द बर्दाश्त कर रही थीं।
दर्द ज्यादा नहीं हो रहा था क्योंकि पहले भी मैं चोद चुका था लेकिन दो साल में इतनी चुदाई करने के बाद मेरे लण्ड में भी बहुत चेंज आया था।
फिर मैंने अपना लण्ड आधा करीब बाहर निकाल कर एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया। इस बार तो आंटी दर्द से चीख पड़ीं- ऊहह.. सुशांत.. तुम्हारा तो बहुत ज़्यादा बड़ा है.. प्लीज़ धीरे-धीरे अपना लण्ड अपनी मुन्नी की चूत में पेलो.. आअहह.. मेरी चूत बहुत फैल गई है.. दर्द हो रहा है.. तेरा बहुत मोटा है.. धीरेए..करो.. आह्ह..
फिर मैं कुछ देर रुक कर उनको किस करता रहा और नीचे से धक्के भी लगाता रहा।
मेरे दोनों हाथ जो खाली थे.. अब मुन्नी आंटी की बड़ी-बड़ी चूचियाँ मसल रहे थे।
कुछ देर बाद आंटी का दर्द कम हुआ.. तो आंटी बोलीं- अब देखूं तुम्हारे लण्ड में कितना दम है..
मैंने जोश में आकर पूरा लण्ड बाहर करके पूरी ताक़त से अपना पूरा मूसल लण्ड उनकी चूत में पेल दिया और बोला- तो फिर देखो मेरे लण्ड में कितना दम है..
मैं धक्के पर धक्के लगा रहा था।
दर्द से चिल्लाते हुए आंटी सीत्कार कर रही थीं- आह्ह.. मारो मारो और जोश से चोदो.. अपनी मुन्नी आंटी की चूत को.. तुम्हारा लण्ड मेरी चूत की ज़ड़ तक ठोक रहा है.. वाह.. मेरे सैंया.. आज मेरी चूत को मिला है असली लण्ड.. चोदो मेरे राजा.. फाड़ दो मेरी चूत को।
मैं उनकी कसी हुई चूत देख कर सोचने लगा कि क्या साली चूत थी आंटी की।
आंटी ज़ोर-ज़ोर से उचकने लगीं.. मैं भी उसी रफ़्तार से कमर हिलाने लगा।
‘ओह सुशांत.. तुम तो बहुत अच्छा चोद रहे हो.. किसी एक्सपर्ट के समान चोद रहे हो..’
मैं उनकी चूचियाँ चूसे जा रहा था।
ओह क्या मस्त सुगंध आ रही थी.. हम दोनों के जूस की।
करीब 25-30 धक्कों के बाद आंटी बोलीं- सुशांत मैं झड़ने वाली हूँ और तेज मारो मेरी चूत.. आह.. हाँ इसी तरह.. हाँ हाँ और ज़ोर से.. बहुत अच्छे.. ऐसे ही।
यह बोलते हुई वो झड़ने लगीं और मैं बिना रुके उनकी चूत फाड़ता रहा।
कुछ धक्कों के बाद आंटी बोलीं- सुशांत रूको।
मैंने पूछा- क्यूँ क्या हुआ?
तो वो बोलीं- तुम्हारा लण्ड बहुत शानदार है.. पता नहीं फिर कब इससे अपनी चूत चुदवा पाऊं.. आज मैं तुम्हारा लण्ड अपनी गाण्ड में भी महसूस करना चाहती हूँ.. क्या तुम मेरी गाण्ड मारना पसंद करोगे?
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मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ..
देर किस बात की.. वैसे भी मैं पिछली बार गाण्ड नहीं मार पाया था.. तो इस बात का मुझे बहुत अफ़सोस हुआ था।
मैंने जैसे ही उनकी चूत से अपना लण्ड निकाला.. तो उनकी चूत में से पानी निकलने लगा।
मैंने आंटी को घोड़ी बनने को कहा.. तो वो बोलीं- मैं खड़ी हो कर नीचे झुक जाती हूँ.. इस तरह से ज्यादा मज़ा आएगा।
फिर वो इसी पोज़िशन में खड़ी हो गईं.. मैंने जब पीछे से उनकी गाण्ड देखी.. तो क्या बताऊँ.. क्या शेप निकल कर गाण्ड बाहर आ रही थी.. मैं तो पागल सा हो गया।
मैं जल्दी से उनकी गाण्ड के छेद में अपना लण्ड डालने लगा.. पर छेद छोटा होने के कारण लण्ड गाण्ड में नहीं जा पा रहा था।
लण्ड कभी फिसल कर ऊपर तो कभी चूत में घुस जाता।
फिर मैंने आंटी की ड्रेसिंग टेबल से तेल ला कर उनकी गाण्ड पर और अपने लण्ड पर ठीक से लगा लिया।
आंटी बोलीं- सुशांत अब देर मत करो.. अगर कोई आ गया.. तो मेरी तमन्ना पूरी नहीं हो पाएगी।
मैंने बिना देर किए अपना लण्ड आंटी की गाण्ड पर लगा दिया, पूछा- लगता है आपने कभी गाण्ड नहीं मरवाई है?
वो बोली- हाँ आज पहली बार है.. तुम्हारा लण्ड ही इतना लंबा और मोटा है कि मैं इसको अपनी गाण्ड गिफ्ट में देना चाहती हूँ.. प्लीज़ सुशांत अब देर ना करो।
फिर मैंने अपने दोनों हाथ आंटी के पेट के आगे लाकर कमर को दोनों हाथों से जकड़ लिया और एक ज़ोर का धक्का मारा, मेरा 2 इंच लण्ड उनकी गाण्ड में घुस गया।
वो ज़ोर से चीख पड़ीं- आई नहीं.. सुशांत मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा.. तुम्हारा लण्ड.. मैं तुम्हें अपनी गाण्ड गिफ्ट नहीं कर सकती.. प्लीज़ बाहर निकालो अपना लण्ड..
मैं बोला- ठीक है हिलना नहीं.. नहीं तो और दर्द होगा। मैं अपना लण्ड बाहर निकालता हूँ।
मैं धीरे से लण्ड निकलते हुए बोला- आंटी आप मुझे अपनी गाण्ड गिफ्ट में दो या ना दो.. पर मैं यह गिफ्ट लेकर ही रहूँगा।
मैंने एक और जोरदार धक्का उनकी गाण्ड में मार कर अपना आधे से ज़्यादा लण्ड अन्दर कर दिया।
अब वो दर्द से रोने लगीं।
मैं बोला- प्लीज़ आंटी रोईए नहीं..
मैं थोड़ा और झुक कर उनकी चूचियाँ सहलाते हुए बोला- जैसे पहली बार चूत मरवाने में दर्द होता है.. उसी तरह गाण्ड मरवाने में भी दर्द होता है।
आंटी बोलीं- मैं जानती हूँ.. पर इतना दर्द होगा.. यह सोचा नहीं था.. ठीक है तुम आऐईयईई.. अपना गिफ्ट ले लो.. जो होगा देखा जाएगा।
मैं धीरे-धीरे आंटी की गाण्ड में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद आंटी अपने चूतड़ पीछे को ढकलने लगीं.. मैं समझ गया।
मैं आंटी की गाण्ड से पूरा लण्ड निकाल-निकाल कर उनकी गाण्ड मारने लगा।
वो हर धक्के में ‘उईई..’ कर रही थीं।
वो बोलीं- सुशांत तुम्हारे लण्ड का जबाव नहीं.. कोई भी लड़की या औरत तुम्हारे लण्ड से चुदवाने के लिए कुछ भी कर जाएगी.. अगर उसको पता चल जाए कि तुम्हारे पास इतना लाज़बाव लण्ड है।
मेरा लण्ड अपनी तारीफ सुनकर पूरे जोश में गाण्ड की पेलाई कर रहा था और आंटी हर धक्के में सीत्कार कर रही थीं।
काफी देर तक गाण्ड मारने के बाद मेरा लण्ड और टाइट हो गया.. ज़्यादा फूल गया तब मैंने अपनी स्पीड फुल कर दी। आंटी अब मेरे धक्के नहीं झेल पा रहा थीं और ‘मर गई..’ चिल्ला रही थीं।
मैं बोला- आंटी मैं झड़ने वाला हूँ.. क्या तुम्हारी गाण्ड में ही झड़ जाऊँ?
वो बोलीं- हाँ.. एक बूँद भी बाहर वेस्ट नहीं करना।
तब तक मैं अपनी चरम सीमा पर आ गया था, मैंने आंटी की कमर में हाथ डाल कर एक जोरदार धक्के से अपना पूरा लण्ड उनकी गाण्ड की गहराइयों में ठेल कर अपना मक्खन निकालने लगा, जिसको निकलते हुई आंटी अपनी गाण्ड में महसूस कर रही थीं।
जब मैंने पूरी तरह से झड़ कर अपना लण्ड उनकी गाण्ड से निकाला.. तो उनकी गाण्ड.. गाण्ड ना हो कर लाल रंग के बड़े से छेद में बदल चुकी थी।
मैंने आंटी को उनकी गाण्ड शीशे में देखने को कही.. वो झुके हुए अपनी गाण्ड शीशे में देख कर दंग हो गईं.. और बोलीं- क्या यह मेरी गाण्ड है?
मैं बोला- हाँ मेरी जान।
कुछ देर आराम करने के बाद मैं बोला- मुझे भूख लगी हुई है.. कुछ नाश्ता बनाओ ना..
तो वो उठ कर कपड़े पहनने लगीं.. तो मैं बोला- अब जब तक वो लोग नहीं आते.. क्यों ना हम बिना कपड़ों के ही रहें?
थोड़ी नानुकर के बाद वो मान गईं.. और उठ कर नंगी ही जाने लगीं।
कुछ देर बाद उन्होंने नाश्ता बनाया और मुझे आवाज़ दी.. तो मैं टेबल पर जाकर बैठ गया।
वो हम दोनों के लिए अलग-अलग प्लेट में लेकर आई थीं.. तो मैं बोला- आज हम दोनों एक ही प्लेट में खाते हैं।
वो मुस्कुरा उठीं और उनको अपनी गोद में बिठा लिया.. हम दोनों नाश्ता करने लगे और एक-दूसरे को शेयर भी रहे थे।
जैसे कभी मैं उसकी चूचियों को पकड़ता.. तो कभी गाण्ड दबा देता था.. तो कभी किस कर लेता था।
इसी तरह हम लोगों की एक दूसरे के साथ मस्ती चल रही थी.. तो मैं बोला- चलो ना यार कोई मूवी देखने चलते हैं या कहीं घूमने चलते हैं।
तो वो बोलीं- नहीं.. चलो आज बाहर डिनर करते हैं।
हम दोनों एक रेस्टोरेंट में जा कर डिनर करने लगे।
जब लौटे तो उस वक्त बारिश हो रही थी.. तो हम लोगों ने बारिश में भीगते हुए सेक्स किया.. कैसे किया.. जानने के लिए मेरी अगली कहानी का इंतज़ार करें और आगे क्या-क्या किया.. मोनिका वापस आई.. तो क्या हुआ?
सब बताऊँगा.. लेकिन अगली कहानी में.. तब तक पढ़ते रहें अन्तर्वासना पर मेरी कहानियों को।
आपको कैसी लगी मेरी कहानी, बताने के लिए मुझे ईमेल कर सकते हैं-
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