मेरी सुहागरात की चुदाई की यादें -4

(Meri Suhagraat Ki Chudai Ki Yaaden-4)

पोर्न कहानी का पहला भाग : मेरी सुहागरात की चुदाई की यादें-1

पोर्न कहानी का तीसरा भाग : मेरी सुहागरात की चुदाई की यादें-3

मैंने उसके दोनों गालों को अपने हाथों में लेकर उसके माथे को पुचकारते हुए कहा- आज से हम दोनों वास्तव में पति-पत्नी है क्योंकि हम दोनों केवल एक दूसरे के जिस्म में ही नहीं समाये हैं बल्कि एक दूसरे के जिस्म को चखे भी हैं। और तुम्हारी जैसे पत्नी पाना ही मेरे लिये बहुत भाग्य की बात है। हर घर में कुछ तनाव होते हैं, वादा करो कि उस तनाव में भी हम एक दूसरे को गलत नहीं समझेंगे।

हम दोनों ने वादा किया और मैं सीधा हो कर लेट गया, सुहाना मेरे ऊपर ही लेट गई और मेरे सीने में लगे बालो से खेलने लगी।
मेरा हाथ उसके चूतड़ों के उभार को मसल रहा था और एक उँगली उसकी गांड को कुरेद रही थी।

उसकी गांड कुरेदते-कुरेदते बोला- डार्लिंग क्या अपनी गांड के छेद का भी मजा लोगी?
मुस्कुराते हुए बोली-, जानू मेरी गांड, बुर, चूत ही क्या मेरा सब छेद तुम्हारे लौड़े के लिये है और तुम्हारा लौड़ा मेरे हर छेद के लिये है। कहकर वो थोड़ा सा नीचे की ओर हुई और मेरे दोनों निप्पल को कभी अपनी जीभ से चाटती, कभी चूसती और कभी उनको दाँतों से काटती भी।

धीरे-धीरे सुहाना और नीचे नाभि के पास आकर नाभि चाटने लगी और फिर लौड़े को मुँह में लेकर चूसती, इस तरह से वो बारी-बारी कभी मेरे लंड को, कभी मेरे नाभि को तो कभी मेरे निप्पल को चूसती।
काफ़ी देर तक वो ऐसा ही करती रही, मैं उठ बैठा और उसको पकड़ कर अपने से चिपका लिया और उसकी चूचियो को मसलता रहा।
मैं सेक्स करने से समय सुहाना की चूचियों को खूब मसलता था जिसके कारण आज सुहाना की चूचियाँ भी काफी आकर्षित हो गई हैं।

फिर वो उठी और मुझे भी पलंग से उतारा और मुझे खड़ा करके खुद घुटने के बल जमीन में बैठकर उस फिल्म की तरह चूसने लगी, फिर खुद ही अपनी एक टांग को पलंग पर रखकर अपनी बुर की ओर इशारा करते हुए चाटने को बोली, जिसे मैंने भी बड़े मन से चाटा।
फिर सुहाना पलटी और थोड़ा झुक कर अपनी गांड को फैला कर खड़ी हो गई।
दोस्तो, आप तो जानते ही है, मेरा मन अतृप्त तब तक रहता है, जब तक सेक्स करते समय मैं वो सब न कर लूँ जिसे आप सब गन्दा कहते हैं।
यानि कि गन्दे तरीके से चुदम चुदाई का खेल।

इसलिये मैंने भी उसकी गांड के छेद को फैलाया और चाटने लगा, गांड चाटते-चाटते मैं सुहाना से बोला- जानू यार तुम्हारी गांड तो बड़ी मस्त है, और स्वाद भी बड़ा ही मजेदार है। यार मेरा लंड नहीं मान रहा है।
‘तो मैंने कब मना किया है मेरे राजा, यह तो तुम्हारी ही है। अपना लंड इसमें डालो, मैं भी इसका मजा लेना चाहती हूँ।’
‘लेकिन जानू, जब गांड में लंड जाता है तो गांड फाड़ कर रख देता है, और बड़ा दर्द करता है।’
‘क्या जानू, बुर तो मैंने चुदवाई है, और दर्द को बर्दाश्त किया है न?’
‘तो ठीक है!’

कहकर मैं क्रीम ले आया और उँगली से उसकी गांड में ज्यादा से ज्यादा क्रीम लगा दी और सुहाना को मेरे लंड में लगाने के लिये दिया, फिर हम दोनों ने अपनी पोजिशन ली और मैंने लंड को उसकी गांड में सेट किया- जानू चिल्लाना नहीं, क्योंकि चिल्लाओगी तो आवाज बाहर जायेगी।
‘ना जानू, मैं नहीं चिल्लाऊँगी, आज मैं केवल मजा लूँगी!’ उधर वो बोल रही थी, इधर मैंने दो तीन बार धीरे से लंड को गांड में डालने की कोशिश की और चौथी बार एक तेज झटके से सुहाना की गांड में लंड पेल दिया।

‘उं ऊँ ईईईई…’ आवाज को उसने दबा लिया।
मुझे लगा कि वो दर्द नहीं बर्दाश्त कर पा रही है, मैं उसकी पीठ पर झुक कर उसके वक्ष को मसलने लगा- जानू दर्द कर रहा है तो निकाल लूँ?
‘नहीं जानू, इस दर्द के बाद मजा है, मत निकालो!’

धीरे-धीरे उसने दर्द पर काबू पा लिया और मेरे हाथ को जो उसके चूचे मसल रहे थे, सहलाते हुए बोली- जानू करो!
मैं बड़े ही प्यार से जितना लंड गया था, उसे अन्दर बाहर कर रहा था ताकि उसको मजा मिलने लगे।
जैसे ही वो मस्ती में आई, ‘जानू यह आखरी दर्द है, बर्दाश्त कर लो!’ कहकर मैंने एक और जोर का धक्का दिया, वो बिलबिला तो गई लेकिन मुँह से आवाज नहीं आई।
लेकिन उसको सांत्वना देने के लिये मैंने धक्के मारना छोड़ दिया और थोड़ी देर तक उसके चूचों को जोर-जोर से मसलता रहा और जब लगा कि अब उसकी गांड ढीली करने का वक्त आ गया है, तो मैंने धीरे-धीरे उसको पेलना शुरू कर दिया।

जैसे-जैसे सुहाना की गांड ढीली होती गई, वैसे-वैसे कमरे में फच-फच की आवाज आती गई, अब हम दोनों असली चुदाई का मजा लेने लगे, कभी सुहाना अपनी बुर चुदवाती तो कभी गांड पिलवाती, पूरे कमरे में हम दोनों की चुदाई का संगीत बज रहा था।
फिर एक वक्त ऐसा भी आया कि मैं झरने के करीब पहुँच गया तो मैंने अपना पूरा माल उसकी गांड में उड़ेल दिया।

वो रात आज भी याद है दोस्तो, सुबह छः बजे तक हम लोगों का प्रोग्राम चलता रहा। हम दोनों पूरी रात ब्लू फिल्म देख-देख कर चुदाई का खेल खेलते रहे।
और सुहाना ने उस फिल्म में जिस-जिस तरह से चुदाई देखी उसी तरह से वो मुझसे चुदवाती रही और मुझे पूरा आन्नद दिया, जिसका कि उसने मुझसे वादा किया था।

तो दोस्तो, यह मेरी सुहागरात की चुदाई का किस्सा है, जो मैंने आप लोगों को इस साइट अन्तर्वासना डॉट कॉम के माध्यम से बताया, उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को पसन्द आई होहा।
आप लोग मुझे मेरे ई-मेल पर अपने विचार भेजें।
आपका अपना शरद
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