मेरी कुंवारी गांड की शामत आ गई-2

(Meri Kunvari Gaand Ki Shaamat Aa Gai- Part 2)

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अचानक ही मेरी चूत में कोई हलचल हुई और मेरी नींद टूटी, देखा तो पतिदेव मेरी चूत चाट रहे थे और सारा रस भी पी चुके थे फिर भी चूत चूस रहे थे।
मुझे गुदगुदी हो रही थी और कामुक हँसी आ रही थी, मैंने दर्द और गुस्सा भूलकर उनसे दूर हटने के लिए कहा पर वे मानने वाले नहीं थे, तो मैं भी उनके बाल पकड़कर सहलाने लगी।

दोबारा झड़ने तक उन्होंने ऐसे ही चूत चाटना जारी रखा, झड़ने पर फिर से मेरी चूत का रस चाट गए और फिर चूत में गुदगुदी करने लगे।

जैसे तैसे मैंने उन्हें हटाया, उन्होंने मुझे सॉरी बोला, मैंने भी उन्हें माफ़ कर दिया और पूछने मेरे दर्द के बारे में पूछने लगे।
सच में मेरे पूरे बदन का दर्द जा चुका था सिर्फ मेरी गांड का ही दर्द कम नहीं हुआ था।
फिर उन्होंने मुझे चाय का पूछा तो मैंने हाँ कह दिया।

वे तुरन्त ही 2 कप चाय बनाकर ले आये, उसे पीने के बाद मैं बहुत ही तरोताजा महसूस कर रही थी।
मैं सारा दर्द भूलकर उनसे लिपट गई वो भी मेरी पीठ को सहला रहे थे।

15 मिनट ऐसे ही सब चलता रहा, फिर उन्होंने मुझे अलग किया और मुझे खाना बनाने के लिए कहा लेकिन मेरी अभी भी खड़े रहने की हालत नहीं थी तो वो खुद ही खाना बनाने किचन में गए।

मैं तब तक पूरी नंगी ही थी, तो मैंने खुद ही पतिदेव की टीशर्ट निकाल कर उसे पहन ली।
जब समय देखा तो साढ़े 6 बज चुके थे लेकिन मुझे फिर से नींद आने लगी, पर सोई नहीं थी।

कुछ देर बाद पतिदेव खाना बनाकर ले आये, मुझे खाने की टेबल पर बैठाया और एक ही थाली में खाना खाने लगे।

मेरे पति खाना बहुत अच्छा बनाते हैं और हम जब भी घर में अकेले होते हैं चाहे हम दोनों में कितना ही झगड़ा क्यों ना हो फिर भी एक ही थाली में खाना खाते हैं।

खाना खाते ही हम दोनों टी.वी. देखने लगे।

लगभग रात 8 बजे मेरे पतिदेव पर फिर एक बार वासना हावी हो गई, मेरे गले पर, कान के नीचे किस करने लगे।

मैं इतनी देर में ही गर्म हो गई, मैं उन्हें मना करती लेकिन बहुत देर हो गई, मैं और भी ज्यादा गर्म हो गई, मैंने 6-7 बार टीशर्ट निकालने की कोशिश की लेकिन नहीं निकाल पाई और ना ही मेरी टीशर्ट निकालने दी।

बहुत देर बाद जब सब्र का बाँध टूटा तब पतिदेव ने हालत को समझ कपड़े निकालने लगे और कुछ ही देर में मेरी भी टीशर्ट निकाल दी।
उनका भी लण्ड फनफना रहा था, बिल्कुल खड़ा हो चुका था, पर उनकी एक आदत यह है कि चाहे मैं या वे कितने भी गर्म हो जाएँ, लण्ड मुँह में लेने के बाद ही चूत में डालते हैं।

लेकिन मेरी चूत ऐसी मचल रही थी कि बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था।
उन्होंने खुद ही उनका लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और सिर्फ 4-5 धक्के ही लगाकर दोनों टांगों को कन्धे पर रखकर मेरी मचलती हुई चूत में डाल दिया और 2 झटके में ही पूरा लंड मेरी चूत के अंदर समा गया और मेरी बच्चेदानी से टकराया।

ऐसा लगा जैसे कोई गर्म पिघलता लोहा अंदर डाल दिया हो और मेरी चीख के साथ आंसू भी निकल गए।
एक तरफ अभी तक गांड का दर्द और दूसरी तरफ चूत के दर्द का मजा बता नहीं सकती!

2 मिनट धक्के लगाने के बाद ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, पर पतिदेव लगातार धक्के लगा रहे थे।
चूत गीली होने से लण्ड अब आराम से अंदर जा रहा था लेकिन पतिदेव ने गति बढ़ा दी, 5 मिनट में ही मैं दूसरी बार झड़ गई।

16 वर्षों के शादीशुदा जीवन में एक बार भी मेरी चूत उनके लण्ड के सामने 5 मिनट भी नहीं टिक पाई।

थोड़ी देर बाद पतिदेव उनका लण्ड निकालकर मेरी चूत चाटने लगे। वो मेरी चूत को चाटने और उसका रस पीने के बहुत शौकीन हैं और उनकी चूत चाटने के साथ साथ बीच बीच में गुदगुदी करने की हरकतें मुझे और भी मदहोश कर देती हैं कि इसे शब्दों में क्या बताऊँ?
अगर किसी के पतिदेव ने ऐसी हरकत की हो तो सिर्फ ये वो ही समझ सकती है।

चूत चाटने के बाद उन्होंने मुझे उल्टा किया और मेरी गांड मारने के लिए कहा।
मैंने फिर मना कर दिया।

तो उन्होंने दोनों हाथो से दोनों चूतड़ों पर बहुत तेज मारा, मेरी गांड, जिसके पहले से ही 12 बजे हुए थे, और तेज दर्द करने लगी और मैं रोने भी लग गई थी।

पर पतिदेव ने मेरी पीठ को चूमने लगे और कहा- अगर नहीं गांड मरवाई तो दिन से भी खराब हालत कर दूंगा, दिन में भी कहा था कि तुम्हारे सास-ससुर भी नहीं हैं अभी बचाने के लिए।

मैंने भी उनकी बात मान ली और गांड में लण्ड डलवाकर चुदने लगी। लेकिन इस बार गांड थोड़ी आराम से मारी और फिर तेज झटके करने लगे इतना दर्द हो रहा था क्या बताऊँ।

उन्होंने मुझे घोड़ी और कुतिया बनने के लिए भी कहा पर मैंने मना कर दिया कहा- दर्द इतना हो रहा है कि मैं तो पैर भी नहीं हिला सकती।

उन्होंने भी ‘ठीक है…’ बोलकर मुझे सीधा किया और फिर दिन की तरह खुद ही बिस्तर पर घुटने के बल बैठकर मुझे गोदी में बैठाया और लण्ड गांड में फंसाकर झटके लगाने लगे।

तब तक मेरी गांड पूरी सुन्न पड़ चुकी थी लण्ड के धक्के का भी अहसास नहीं हो रहा था और मैं भी ढीली पड़ती जा रही थी।

आखिर में पतिदेव झड़ने के करीब पहुंचे तो उसी आसन में लण्ड गांड में से निकालकर चूत में डाल दिया और चूत में भी गांड की तरह बेरहमी से धक्के लगाने लगे, 2-3 मिनट में मेरी चूत भी सुन्न पड़ गई।

जब उनका निकलने वाला था तो उन्होंने दिन की तरह फिर मुँह में झड़ने के लिए पूछा तो मैंने फिर से हाँ दिया।
और उन्होंने लण्ड निकाल कर मुँह की तरफ बढ़ा दिया।

मैं जैसे तैसे घुटनों के बल बैठी और उनका सारा वीर्य मुँह में लेकर निगल गई और उसे बहुत देर चूसने लगी जब तक कि वो थोड़ा ढीला नहीं पड़ गया।

थोड़ी देर बाद वो मुझे बिना कहे बाथरूम में लेकर गए। दोनों फ्रेश हुए, इसके बाद मुझे बिस्तर पर लेटाया और तौलिया डालकर बाहर चले गए।

थोड़ी देर बाद मुझे दूध पिलाया और खुद ने भी पिया और सोने को बोलने लगे।
वो तो मेरी तरफ पीठ करके सोने लगे, मुझे बैचेनी सी होने लगी और उन्हें जगाने लगी पर वो मुझे चिड़ाने लगे।

मैं आपको एक बात जरूर बताना चाहूंगी कि रात को सेक्स के बाद हम दोनों को नंगे ही सोने की आदत है वो भी चिपक कर!

पर पतिदेव को मुझे ऐसे चिड़ाने में कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था और उससे भी ज्यादा खास बात यह है कि सेक्स के बाद उन्हें मेरे दूध को पिए बिना नींद नहीं आती हैं और ना ही मुझे उनको दूध पिलाये बिना।

मैं उनसे विनती करने लगी- प्लीज पी लो!
मेरी बैचेनी बढ़ती जा रही थी तो मैं फिर रोने लगी, पर मेरा ये रोना झूठा था।

तब मेरे ऊपर आये और कहा- एक बार और बोलो ना?
मैंने फिर कहा- प्लीज पी लो न… बहुत बैचेनी हो रही है।

फिर वो मेरा दूध पीने लगे और मैं उनके बालों को सहलाने लगी।

तब मुझे अचानक ध्यान आया कि इतने सारे दूध के पैकेट पतिदेव क्यों लेकर आये थे।
उनको अपने दूध पिलाते हुए मैं मेरा एक पैर उनकी कमर पर रखने की कोशिश भी कर रही थी पर दर्द की वजह से यह सम्भव नहीं हो पा रहा था।

तो पतिदेव ने दूध पीते हुए उनकी कमर पर रखा और एक चपत मेरे चूतड़ पर मारी और उसे सहलाने लगे।
अब मुझे सुकून मिल रहा था, दिन भर के बाद अब मेरा दूध जो पी रहे थे, पर पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।

सुबह उठी, देखा तो मेरा सर पतिदेव के कन्धे पर है और उनकी टांग मेरी कमर पर और मुझे दोनों हाथों से जकड़कर सोये हुए थे।

पर नहीं वो तो मुझसे पहले ही जाग गए थे, बस मुझे बाहों में भरे हुए थे।

मेरी गांड का दर्द भी कम हो चुका था, मैंने वहाँ पर हाथ लगाया तो मुझे कुछ चिपचिपा सा लगा।
उन्होंने कोई दवाई लगाई थी जब मैं सो गई थी उसके बाद!
मैं मन ही मन बहुत खुश हो रही थी।

जब वो उठने लगे तो मैंने कहा- नहीं, अभी थोड़ी देर और ऐसे ही पड़े रहो।
पतिदेव बोले- समय देखो, 8 बज चुके हैं।

जब मैंने घड़ी की ओर देखा तो सच में 8 बज चुके थे, मैं लड़खड़ाती हुई बाथरूम गई और ब्रश करके फ्रेश हुई।
तभी पतिदेव भी आ गए और साथ नहाने के लिए बोला तो मैंने भी शर्माकर हाँ कह दिया।

हम दोनों साथ में नहाये, मैंने उनकी टीशर्ट पहनने के लिये कहा, उन्होंने भी वही किया।

थोड़ी देर बाद वो चाय लेकर आये, और उसके बाद खाना बनाने चले गए, मैं भी थोड़ी देर बाद किचन में लड़खड़ाते हुए पहुंच गई और पूछा कि कल मुझे मुँह में झड़ने की पूछकर चेहरे पर ही क्यों झड़ गए?

तो उन्होंने कहा- गोली खाई थी इसलिए… मैं नहीं चाहता कि वो गोली खाया हुआ माल तुम्हारे मुंह में जाए! तुम्हें एक बात और बताना चाहूंगा कि कल दोपहर में मैंने तुम्हें भी दूध में गोली डालकर पिलाया था ताकि तुम्हें दर्द सहन करने की शक्ति मिले मेरी जान!

यह सुनकर मैं उनकी पीठ से लिपट गई और और तब तक लिपटी रही जब तक खाना बनाया और बात करती रही।

फिर खाना खाकर थोड़ी देर बाद जब मैं पानी के लिए किचन में आई पतिदेव भी मेरे पीछे आये।

जब फ्रिज खोला तो उसमें आज फिर दूध के 7-8 पैकेट।
मैंने उनकी तरफ देखा तो वो हंसकर मेरी तरफ देख रहे थे।

अब आप आगे समझ ही गए होंगे।

इसके बाद लगातार चार और दिन उन्होंने मेरी गांड का मुरब्बा बनाकर रख दिया।

एक हफ्ते बाद जब मेरे सास-ससुर जब कुम्भ से वापस आने वाले थे, तब उन्होंने मुझे कहा कि आज वे मुझे साड़ी पहनाएंगे!
मैंने ख़ुशी ख़ुशी हाँ कर दी।

उन्होंने मुझे पहले नंगी किया और मेरे कपड़े सही करके अलमारी में रखे, फिर आँखों पर पट्टी बाँधी और ब्रा-पेंटी पहनाई और ब्लाउज पेटीकोट, फिर साड़ी, साड़ी उन्होंने नाभि के बहुत नीचे बांधी थी, पीठ पूरी नंगी, कमर भी आधी से ज्यादा नंगी जैसी कि उन्हें पसन्द है।

जब पट्टी खोली तो देखा कि एक नई साड़ी है, पर ब्रा पेंटी कौन सी है यह नहीं देखा, और देखना भी नहीं चाहती, वो तो पता चलेगा ही।
जब सास ससुर घर आये तो मेरी हालत देखकर उन्हें समझते देर नहीं लगी, उन्होंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ इतना कहा कि जब तक मैं ठीक नहीं हो जाऊँ, खाना उन्हें ही बनाना होगा।

यह सुनते ही मुझे हंसी आ गई।

थोड़ी देर बाद देखा तो मेरी माँ भी आई हुई थी, मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
कुछ देर बाद पतिदेव ने मुझे कमरे में चलने के लिए कहा पर सासू माँ ने मना कर दिया तो वो गिड़गिड़ाने लगे्।

मुझे उनका इस तरह गिड़गिड़ाना देखा नहीं गया, मैंने हाँ कह दी और वो मुझे उनके सामने ही गोदी में उठाकर कमरे में ले गए।

सभी हंसने भी लगे थे।

कमरे में देखा तो 2 साड़ियाँ और 2 पंजाबी सलवार कुर्ती थे जो पतिदेव को बहुत पसन्द हैं।
उन्हें उठाया तो देखा कि 6-7 जोड़े ब्रा पेंटी भी हैं, जो सभी अलग डिज़ाइन के हैं।

मैंने ख़ुशी से उनसे ‘आई लव यू बेबी…’ बोल कर लिपट गई, पर उन्होंने इसका रिटर्न माँगा तो मैं समझ गई लेकिन मैंने सर हिलाकर सिर्फ चूत का ही बोला।

रात को फिर चूत चुदवाई और पर गांड को पतिदेव ने जबरदस्ती चोद दिया।

पर उसके बाद मैं 7-8 दिन तक ठीक तरह से बैठ भी नहीं पा रही थी, तब तक मैंने भी सास के साथ ही सोने में भलाई समझी।
तब तक पतिदेव से ही घर का दोनों समय का खाना बनवाया।

7-8 दिन बाद जब मैं पूरी तरह से चलने बैठने लगी तो मैं फिर पतिदेव के साथ सोने लगी।

आपको कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय अवश्य देवें।
उम्मीद करूँगी कि अच्छे कमेंट ही करेंगे।
दीपिका जी यह भी जानना चाहती हैं कि आपको इस कहानी में सबसे अच्छा क्या लगा?
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