मेरी अन्तर्वासना हिन्दी सेक्स स्टोरी की फ़ैन की चूत-5

(Meri Antarvasna Hindi Sex Story Ki Fan Ki Choot- Part 5)

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अब तक आपने मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी में पढ़ा..
कविता की दोनों छेदों की एक साथ चुदाई अब चरम पर आ चुकी थी।
अब आगे..

मैंने अपना लंड थोड़ा सा हिलाया तो कविता की चूत से पिघलता लावा मेरे लंड पर गिरने लगा.. वाह साली का पिघलता लावा.. क्या मलाई माल था। मेरा दिल तो कर रहा था कि साली का गिरता लावा जीभ में लेकर चाट लूँ, परन्तु इस वक्त मैं कविता को मज़ा देना चाहता था। वैसे तो हम दोनों भी झड़ने के करीब थे, परन्तु जैसे ही कविता का झड़ना ख़त्म हुआ तो मैंने कविता को ढीला किया और रोहित को इशारा किया।

अब हमने कविता को घूमने के लिए कहा.. तो कविता झट से घूम गई। कविता हमारी बात समझने लगी थी और हमसे चुद कर आज खूब मज़े लेना चाहती थी। शायद उसे मालूम था कि फिर पता नहीं ऐसे मज़े कब मिलें।

कविता ने फिर से अपनी गांड को बाहर को निकाला और अबकी बार उसकी गांड मेरे लौड़े के सामने थी और मैंने उसकी गांड में लंड डाल दिया, मेरा लंड बहुत जल्दी उसके अन्दर तक पहुँच गया, क्योंकि उसका छेद तो खुला ही था।

फिर आगे से रोहित ने कविता की चूत में अपना लंड डाला और उसमें झटके लगाने शुरू कर दिए। अब फिर हम एक साथ झटके लगाने लगे। अबकी बार हम बिना रुके झटके लगा रहे थे क्योंकि अबकी बार हमने डिसाइड किया था कि अपना अपना लंड रस इसकी चू्त के अन्दर छोड़ कर ही झटके बंद करने हैं।

हम दोनों का करीब एक साथ ही लावा फूटा और हम दोनों की सिसकारियों के बीच शायद पता भी न लगा हो किसका पहले है या किसका बाद में छूटा.. परन्तु जो भी था मजेदार था।

कविता ने हम दोनों का पूरा साथ दिया और बहुत जोर-जोर से सिसकारते हुए कविता हमारे झड़ रहे लौड़ों के बीच चीख कर बोली- उई आह आह सालों.. चोद लो मेरी जवानी.. अपने लंडों के बीच.. रगड़..दी आज मेरी बीच की.. उई आह आह सी सी.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… चुद गई उई उइउइ.. सीसी..

ऐसे ही हम दोनों की धारें उसकी चूत और गांड के अन्दर ही बह गईं। हमने तब तक कविता को नहीं छोड़ा.. जब तक हमारे लंडों का एक-एक कतरा उसमें से नहीं निकल गया। जो माल बाकी बचा था.. वो बाद में कविता ने हमारे लंड चूस-चूस कर साफ कर दिया।

मैंने कविता को किस किया और बोला- वाओ बेबी.. मुझे तुम्हारी चूत और गांड मार कर बहुत मज़ा आया।
उसने भी मुझसे कहा- मुझे भी आपसे चूत और गांड मरवा कर बहुत अच्छा लगा।

हम सभी सामान्य हुए और घड़ी पर टाइम देखा तो रात का एक बजने वाला था। हमने सोने की तैयारी की.. क्योंकि दूसरे दिन मुझे अपने काम के लिए जाना था।

दूसरे दिन मैंने मार्किट में अपना काम किया और शाम को फिर उनके घर वापिस आ गया क्योंकि मेरी ट्रेन दूसरे दिन सुबह की थी। मेरे आने तक रोहित और कविता मेरा पहले से ही इंतज़ार कर रहे थे। आते वक्त मैं उनके बेटे के लिए गेम्स लेकर आया ताकि जाते उसे भी गिफ्ट देता जाऊँ।

मैं जैसे ही उनके घर पहुँचा, रोहित बोला- आओ यार आओ.. हम तो आपका कब से इंतज़ार कर रहे हैं।
मैंने कहा- क्यों कोई ख़ास बात है क्या?
वो बोला- ख़ास बात तो है ही कि इतनी देर बाद आप मिले हो और कविता तुम पर पूरी तरह से फ़िदा हो गई है। अब आप कल जाने वाले हो। वैसे रवि यार हमें आपसे मिल कर अच्छा लगा।

यह कहते हुए वो मुझे सीधा बेडरूम में ही ले गया। हम सभी बेडरूम में बैठे थे, कविता हमारे लिए चाय बनाने किचन में चली गई।

रोहित ने मुझसे कहा- आपके लंड से कविता को चुदना बहुत अच्छा लगा और अब वो एक बार आप से अपनी गांड भी चुदवाना चाहती है। मैं बस सामने बैठ कर देखूंगा और कुछ नहीं करूँगा।
मैंने मज़ाक करते हुए रोहित से कहा- अरे सोच लो, कहीं कल को कविता आपको छोड़ कर मेरे पास ही न आ जाए।
रोहित कहने लगा- मैं तो कहता हूँ उसे अपने साथ ले ही जाओ यार।

ऐसी ही हँसी-मजाक हम दोनों के बीच कुछ देर चलता रहा और फिर कविता चाय लेकर अन्दर आई और हमारे साथ बैठ गई। मैंने कविता और रोहित से बातें करते हुए पूछा- इससे पहले आप लोगों ने कभी किसी और के साथ अकेले-अकेले या एक साथ सेक्स किया है?

रोहित ने बताया- मैंने एक और महिला से सम्भोग किया है.. परन्तु उतना मज़ा नहीं आया, जितना कल रात आया था।
कविता ने भी बताया- मैंने कभी किसी मर्द से आज तक सेक्स नहीं किया, परन्तु हाँ, उसने अपनी छोटी बहन के साथ लेसबियन सेक्स किया था, जिसमें मैंने अपनी सिस्टर की गांड में मोमबती देकर उसका छेद बड़ा किया था।

मैंने पूछा- तुमने अपनी सिस्टर की गांड में ही क्यों मोमबत्ती की.. चूत में क्यों नहीं की?
तो उसने खुल कर बताना शुरू कर दिया:
‘अरे यार उसको मासिक आई हुई थी.. और उसे थोड़ा दर्द होने लगा.. तो मैं उसका चेकअप करने लग गई। जांच करने के लिए मैंने उसकी पैंटी तक खुलवा दी और फिर मैंने देखा कि उसका हल्का भूरे रंग का गांड का छेद जैसे मुझे चिढ़ा रहा था.. तो मैंने हल्के-हल्के उसकी चूत को सहलाना शुरू किया। जब वो मस्त होने लगी तो उसकी गांड को मैंने मोमबत्ती से चोद दिया। उसके छेद को मोमबत्ती से ऐसे चोदने में मुझे बहुत मज़ा आया। फिर मैंने उसकी चूत को इस लिए नहीं छेड़ा.. क्योंकि अभी उसकी शादी नहीं हुई है न और मैंने उससे कहा भी है कि ये छेद तू अपने पति के लिए बचा कर रख, अगर मज़ा लेना हो तो इसी गांड के छेद से ले लेना।

मैंने उनकी बातें सुनकर कहा- अरे फिर तो आप दोनों ही काफी हद तक खुले हुए हो।
कविता मेरे गले से लगते हुए कहने लगी- खुले हुए हैं तभी तो आपके साथ इतनी ज़ल्दी घुल-मिल गए।

मैंने कविता को किस किया और उसको बिस्तर पर लिटा दिया। इस बार मैं कविता के के होंठों के अलावा उसके कन्धों को भी चूस रहा था और मैं साथ साथ उसके कपड़े भी उतार रहा था।

कविता बोली- अरे रुको यार.. मैं खुद ही अपने कपड़े उतार देती हूँ।
यह कह कर वो खड़ी हो गई और उसने अपने सभी कपड़े एक-एक करके उतार दिए।

इस बार जब कविता अल्फ नंगी होकर मेरे पास आई तो मैंने उसे अपने मुँह पर बिठा लिया और मैं अपने मुँह से उसकी योनि का मुख चोदन करने लगा। मैं अपनी जीभ उसकी चूत में पेल कर उसको चाट रहा था। कुछ ही पलों में मैं कविता की गांड तक चाटने लगा था।
वो मजे ले रही थी, मैं उसकी मस्ती को बढ़ाने के लिए कभी-कभी उसकी गांड और चूत की दीवार को जोर से चाट देता.. तो वो चिहुंक उठती।
हम दोनों के सामने बैठा रोहित ये सब कुछ देख रहा था।

इस बार मैं कविता की गांड चोदना चाहता था, क्योंकि अभी मेरा टारगेट यही था, खुद रोहित ने मुझे यही कहा भी था।

अबकी बार मैंने अल्फ नंगी कविता की चूत के छेद में जैसे ही जीभ डाली.. तो उसने मेरी कमीज़ को भी उतारना शुरू कर दिया। कविता थोड़ा ऊपर को हुई तो मैंने पूरी कमीज़ उतार दी और नीचे से पैंट और फिर सभी कपड़े एक-एक करके उतार दिए।

मेरे अंडरवियर को कविता ने खुद अपने हाथों से उतारा और उसके अन्दर से लंड को अपने हाथ में लेकर पकड़ लिया। वो चुदास से भर कर मेरे लंड को गाली देती हुई बोली- साले तू मुझे चोदना चाहता है न कुत्ते.. अब देखती हूँ.. तू मुझे चोदता है या मैं तुझे चोदती हूँ.. कमीने लौड़े भोसड़ी के..

अब मैं भी पूरी तरह से नंगा था, मैंने कहा- साली कमीनी, अपनी गांड रख इस पर.. तेरी माँ की चूत चुदेगी जब तब तुझे पता चलेगा.. साली एक ठोकर में जब तेरी फट जाती है न तो फिर तू सिसकते हुए ‘बस.. बस..’ करने लगती हो.. कुतिया साली..

अब हम खुल कर गालियाँ देकर चोदम-चुदाई की बातें कर रहे थे। मैंने कविता को थोड़ा आगे किया और उसको घुमा कर उसकी गांड को अपने सामने कर लिया। इसके बाद मैंने अपना लंड उसके छेद पर रखा। उसका भूरे रंग का छेद मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे कह रहा हो कि आओ मुझे अभी खोल कर चोद लो।

मैंने अब लौड़ा उसकी गांड पर सैट किया और और हल्के से धक्का लगाया। उसके बाद मैंने एक के बाद एक धक्के लगा कर अपना पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया।
साथ ही आगे उसकी चूत पर एक उंगली रखकर उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए उसकी गांड में जोर-जोर से लंड चलाने लगा।

अब वो ‘उन्ह.. आह.. सी.. सी..’ करके मजेदार सिसकारियाँ लेने लगी। सामने बैठा उसका पति रोहित अपनी बीवी की गांड चुदते देख रहा था।
इस बार मैंने बड़ी जबरदस्त तरीके से उसकी गांड चोदी।

उसके बाद हमने सभी ने रेस्ट किया और फिर रात को मैंने एक बार फिर उसकी चूत चोदी।

दूसरे दिन सुबह एक बार कविता की गैंग-बैंग तरीके से चुदाई हुई। दूसरे दिन वो दोनों फिर मुझे स्टेशन तक छोड़ने आए, दोनों मुझे गले लग कर मिले और फिर मिलने का वादा करके मैं अपने घर की तरफ आ गया।

कभी वक्त मिला तो आपको फिर मिलूँगा, तब तक आप मेरी इस कहानी का मज़ा लीजिए। फीमेल अपनी चूत और मेल अपने लौड़े हिला कर अन्तर्वासना पर हिन्दी सेक्स स्टोरीज का आनन्द लेते रहिए।

फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ। मुझे ईमेल करनी मत भूलिएगा।
आपका दोस्त रवि
[email protected]

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