मौसेरी बहन के साथ लण्ड-चूत की रेलम-पेल -5
(Mauseri Bahan Ke Sath Lund-Chut Ki Relam-pel- Part 5)
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keyboard_arrow_left मौसेरी बहन के साथ लण्ड-चूत की रेलम-पेल -4
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अब तक आपने पढ़ा..
उसके जिस्म को पागलों की तरह इधर-उधर ज़बान से खूब चाटा। गोल गहरी नाभि अपनी अदाओं से मेरी जीभ को चाटने का आमंत्रण दे रही थी और मेरा लंड भी उसे चाटना चाहता था।
अनु बोली- जल्दी से चूत को चाट कर चूत की खुजली मिटाओ भैया..
मैंने भी बिना टाइम गंवाए उसकी चूत में अपनी ज़बान से सेवा शुरू कर दी।
‘हायययई… यार कितना मज़ा देते हो.. यईई..आअहह… ऊह..’
अनु को अपनी चूत की खुजली और जलन शांत करवाने में बड़ा मज़ा मिल रहा था। मेरी ज़बान अनु की बुर में अन्दर-बाहर साँप की तरह आ-जा रही थी।
‘लॅप.. लॅप..’ करते हुए मैं उसकी चूत को गीला कर पूरी रफ़्तार से चूत चाटने लगा।
अब आगे..
थोड़ी देर बाद मैंने अनु के चूतड़ों को ऊपर किया और गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे मैंने उसकी गाण्ड के ऊपर फिर से अपने प्यार का लेप लगाने लगा। मैं चूत को अपने होंठों में दबाता.. फिर ज़बान बाहर कर गाण्ड के काले छेद पर थूक लगा कर.. हल्के से ज़बान से गाण्ड सहला देता.. जिससे उसकी जवानी को एक करेंट लगता।
अब मैं लंड को तैयार कर चुका था, अनु बोली- भैया आप हर बार नए तरीके से चुदाई करते हो.. हर बार और ज्यादा मज़ा आता है।
फिर मैंने अनु को कहा- टाँगें फैला लो.. ताकि गाण्ड में लंड डालने में आसानी हो।
अनु बोली- भैया प्लीज़ गाण्ड केवल चाट लो.. और लंड को मेरी चूत में डाल दो।
लेकिन मैंने कहा- तू पहली बार चूत में भी डालने नहीं दे रही थी.. अब तुझे मज़ा आ रहा है.. उसी तरह 2-4 बार तेरी गाण्ड मार लूँगा.. तो तुझे गाण्ड मराने में भी मज़ा आने लगेगा.. समझी मेरी रानी?
और मैंने लंड को उसकी गाण्ड पर सैट करके ज़ोर लगा कर धक्का दिया जिससे लंड गाण्ड के अन्दर दाखिल हो गया।
‘अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते.. हरामी.. रुक ज़ाआाअ.. भाई.. तुझे मेरी गाण्ड से क्या दुश्मनी है.. तू मुझे जिंदा नहीं रहने देगा.. तूने जो गरम रॉड डाली है.. उसे निकाल लो भैया.. उह्ह.. मेरी गाण्ड फट गई होगी.. मुझे जाने दो प्लीज़.. छोड़ दो मुझे..’
तभी मैंने एक ज़ोर का झटका दिया.. आधा लण्ड उसकी गाण्ड में चला गया।
‘अहह मैं मरीईई ईईई.. फट गई.. बहनचोद.. साले कुत्ते..हरामी.. रुक ज़ाआाअ.. बाहर निकाल लो..’
मैं कुछ सुन ही नहीं रहा था और एक और ज़ोर का झटका मारा.. पूरा लंड अनु की गाण्ड में पेल दिया।
‘अहह मम्मी.. बचाओ.. बहनचोद्ड.. फाड़ दीईईईई.. मेरीईईईईईई गान्ड.. बाहर निकाल इसेययई..’
मैंने कहा- चुप कर साली.. थोड़ी देर दर्द झेल ले.. अगली बार से कम दर्द होगा मेरे लंड का तेरी बुर में ये दूसरा विज़िट है.. जब ये अगली बार सैर करेगा तो तू खुद ही गाण्ड मरवाएगी.. चुपचाप अपनी गाण्ड मराने का मज़ा ले।
मैंने उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
‘अहह भाई पहले बहुत दर्द हुआ था.. अहह.. मैं मर.. जाऊँगी..’
मैंने मज़ा लेकर अनु की गाण्ड मारनी शुरू कर दी, वो चीखती रही.. लेकिन मैं सुन ही नहीं रहा था।
बीच में एक बार मैंने अपना लंड बाहर निकाला और अनु को चूसने को कहा.. तो अनु बोली- छी:.. ये मेरी गाण्ड से निकला है.. मैं इसे नहीं चुसूंगी..
तो मैंने अनु के बाल पकड़ लिए और उसे एक झापड़ मारा.. और बोला- तू हर बात में नाटक करती है.. चुपचाप चूस मेरे लंड को..
फिर अनु मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसती रही और मैंने अपना लंड 10 मिनट तक चुसवाया। अब मैं बोला- चल कुतिया बन जा.. कुत्ते का लंड तैयार है।
वो ना चाहते हुए भी कुतिया स्टाइल में हो गई। मैंने अपना लंड उसकी गाण्ड पर रखकर ऐसा धक्का मारा कि एक ही शॉट में पूरा लंड उसकी गाण्ड में घुस गया और वो ऐसे चीखी जैसे किसी ने उसके ऊपर गरम पानी डाल दिया हो।
मैं थोड़ी देर रुक गया और जब मुझे लगा कि वो थोड़ी नॉर्मल हो गई है.. तब मैंने शॉट मारना शुरू किए। वो चीखती चिल्लाती रही और मैं उसकी गाण्ड को बेरहमी से मारता रहा।
अनु बोली- भैया चुदाई के वक़्त पता नहीं आपको क्या हो जाता है.. आप बिल्कुल जालिम बन जाते हो.. ऐसा लगता है कि आप पर कोई सांड का साया चढ़ जाता है।
मैंने कहा- अनु डार्लिंग.. मुझ पर नहीं.. बोलो कि मेरे लंड पर..
मैं 5 मिनट तक उसकी गाण्ड मारता रहा। फिर मैं उसकी गाण्ड में ही झड़ गया और उल्टा ही उसके ऊपर ही लेटा रहा।
फिर कुछ देर बाद हम उठे और दोनों नंगे ही घर में घूम रहे थे। अनु ने नाश्ता बनाया और हमने साथ नाश्ता किया, इसमें करीब एक घंटा बीत गया। उसके बाद हमने कपड़े पहन लिए।
अनु की चूचियाँ ऐसी थीं.. मानो कमीज को फाड़कर बाहर निकल आएंगी। उसे देखने के बाद अच्छे-अच्छे का दिमाग़ खराब हो जाने वाला फिगर था उसका।
मैं तो उसके चूतड़ों का दीवाना बन गया था, जब वो चलती थी.. तो मानो कि देखने वालों का लंड पर तूफान छा जाए।
मैंने फिर से कस कर उसके मम्मों को मुठ्ठी में भींच लिया और उसके ऊपर चढ़ कर दूसरे मम्मे को मुँह से चूसने लगा।
अनु बोली- भैया आपको क्या हो गया है.. क्या आप मुझे सच में चोदते-चोदते मार डालेंगे..
मैंने कहा- नहीं मेरी रानी.. तुम्हें मार दूँगा तो गाण्ड और चूत किसकी चोदूंगा.. ऐसे भी दो दिन घर में कोई नहीं है.. उसके बाद पता नहीं मौका मिलेगा या नहीं..
मुझ पर पागलपन सवार हो गया था, मैं कभी मुँह से चूचियों को चूसता तो कभी ज़ोर-ज़ोर से दबाता.. निप्पलों को रगड़ने लगा। वो भी बिल्कुल गरम हो चुकी थी.. मुँह से बहुत धीरे-धीरे ‘आ.. आहह..’ कर रही थी।
मैं अपना लंड निकाल कर उसके मुँह में डालने लगा लेकिन वो मुँह नहीं खोलना चाहती थी.. मैं उसके होठों पर ही अपने मोटे लंबे तन्नाए हुए लंड को रगड़ने लगा, उसके दोनों मम्मों के बीच अपना लंड फँसाकर चोदने लगा।
उसने पूरा शरीर मेरे हवाले कर दिया था।
मैं उसके होठों को गालों को.. गर्दन को चूसने-चाटने लगा, मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा लेकिन वो मना कर रही थी।
बोली- भैया आज से पीरियड शुरू हो गए हैं.. हल्का-हल्का खून रिस रहा है, आज मत चोदो.. कुछ दिन रुक जाओ.. फिर चोद लेना।
मैंने उसको बहुत समझाया कि पीरियड में भी चोदा जाता है.. लेकिन वो तैयार नहीं हो रही थी।
वो रोते हुए बोली- मुझे डर लगता है।
मैंने कहा- अनु तुम रो मत.. मैं नहीं चोदूँगा.. फिर से गाण्ड मार लेता हूँ।
वो बोलने लगी- भैया आपने गाण्ड मार मारकर मेरी गाण्ड फाड़ दी है.. प्लीज़ कुछ दिन रुक जाओ.. गाण्ड को थोड़ा आराम कर लेने दो..
मेरे बहुत कहने पर वो गाण्ड में लौड़े को लेने को राज़ी हुई।
राज़ी होने के पहले वो मुझसे पूछने लगी- तुम्हें ये सब कहाँ से पता चला.. कि गाण्ड भी चोदने की चीज़ है।
मैंने उसे बताया- लंड सिर्फ़ चूत में ही नहीं डाला जाता है.. बल्कि गाण्ड में डाला जाता है.. और मुँह से भी चूसा जाता है। ये सब मुझे ब्लू फिल्म देखकर पता चला है और मैंने चुदाई सीखी है। ऐसे भी तुम्हारी क्या मस्त चूत और चूचियां हैं, मैं तो इन्हें देखकर ही पागल हो जाता हूँ।
यह कहकर मैं अनु के ऊपर लोटने लगा.. चूचियों को मुँह से ज़ोर-ज़ोर से निचोड़ने लगा.. मानो उससे दूध निकाल लूँगा।
अपने लंड को उसकी दोनों चूचियों के बीच फँसाकर मम्मों की चुदाई करने लगा मैं लौड़े को उसके मुँह में डालने लगा जिसे वो ‘गपगप..’ आईस्क्रीम की तरह चूसने और चाटने लगी थी। वो फिर से गरम होती जा रही थी।
अब मैं उसको पलट कर उसकी पीठ पर चढ़ गया और अपना लंड उसकी गाण्ड के पास रगड़ने लगा।
मैं बैठकर उसकी गाण्ड के होल में अपना लंड फँसाकर अन्दर डालने की कोशिश करने लगा। लेकिन 2 बार की चुदाई के बाद भी लंड आसानी से अन्दर नहीं घुस पा रहा था। मैं थोड़ा थूक गाण्ड में लगाकर लंड डालने लगा.. लेकिन फिर भी नहीं घुस पा रहा था।
मैं जाकर वैसलीन ले आया और गाण्ड और लंड पर लगा कर उसे बिल्कुल चिकना बना दिया और गाण्ड के छेद पर लंड को रखकर धीरे अन्दर पेलने लगा।
मेरा लंड धीरे-धीरे गाण्ड की गहराई में ड्रिल करता हुआ घुसता जा रहा था, अनु तड़पती जा रही थी।
लण्ड करीब आधा घुस चुका था.. तभी अनु बोल पड़ी- भैया आपने तो कहा था 1-2 बार चोद लूँगा.. तो उसके बाद तुम्हें दर्द नहीं होगा.. लेकिन मुझे तो अभी भी पहली चुदाई जैसा दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- अनु किसी किसी की गाण्ड और चूत थोड़ी ज्यादा टाइट होती है.. जैसे कि तुम्हारी है। मुझे लगता है कि 8-10 बार गाण्ड मार लेने के बाद तुम्हारी गाण्ड बर्दाश्त करने लग जाएगी। फिर तुम्हें दर्द नहीं.. केवल मज़ा आएगा और जब मौसा और मौसी के रहने पर तुम्हें रात में चोदूँगा.. तब तुम्हें दर्द नहीं होगा और ना उन्हें पता नहीं चलेगा.. हम केवल मज़ा लेंगे। खैर.. तुम चिंता मत करो.. उनके आने तक मैं तुम्हारी गाण्ड को अपने लंड के काबिल बना लूँगा।
तो अनु बोली- इसका मतलब आप कल तक और 7-8 बार मेरी गाण्ड मारेंगे?
तो मैंने उसे चूमते हुए कहा- तुम तो बहुत समझदार हो अनु!
मैंने उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठाकर ज़ोर का झटका मारा। अनु के मुँह से आवाज़ इतनी ज़ोर से निकलने लगी कि मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. ऐसा लग रहा था कि उसकी गाण्ड मेरे लंड को एक्सेप्ट ही नहीं करना चाहती है.. और मेरा लंड हार मानने का नाम ही नहीं ले रहा था। वो दर्द से बिलबिला उठी थी.. लेकिन मेरा लंड तो अपना काम कर चुका था। अनु की गाण्ड में बोरिंग करता हुआ पूरा घुस चुका था। मैंने उसको ऊपर से इस तरह जकड़ रखा था.. जैसे बाघ किसी जानवर का शिकार में जकड़ता है।
अनु मुझे कुत्ता.. कमीना.. दोगला.. रण्डीबाज.. गांडू… बहनचोद.. पता नहीं और कितनी गालियां दे रही थी.. लेकिन मैंने कसकर उसको अपने शिकंजे में जकड़ रखा था और जीभ से उसके पीठ.. गर्दन को चाट रहा था, हाथ घुसाकर चूचियों को दबा रहा था।
कुछ देर के बाद उसका दर्द कुछ कम गया। मैं वैसे उसको चूमा-चाटी करके उसके दर्द को कम करने की कोशिश करता रहा।
शायद उसका दर्द ख़त्म हो चुका था इसलिए वो अपनी गाण्ड से मेरे लंड पर दबाव बनाने लगी।
मैं तो इसी इंतजार में था, मैंने उसकी गाण्ड में लंड की आवा-जाही को शुरू कर दिया।
अनु हर झटके के बाद चुदाई की उस्ताद बनती जा रही थी और अपनी गाण्ड को उठा-उठा कर चुदवाने लगी।
मैं भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता रहा.. लंड को बाहर निकाल कर छेद पर रखता और ज़ोर से धक्का मारता ‘फ़चक.. फ़चक.. फ़चक…’ करता हुआ उसकी गाण्ड की बोरिंग करता रहा और वो भी मज़े ले-ले कर गाण्ड हिलाती रही।
दोनों चूचियों को तो मैं ऐसे रगड़ रहा था जैसे रूई की धुनाई होती है।
कुछ देर के बाद अनु शान्त हो गई। मैं समझ गया कि वो अन्दर से झड़ चुकी है। मैंने भी अपने लंड के धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। लंड को अनु की गाण्ड के अन्दर-बाहर करने से एक अलग ही सुख मिल रहा था। साथ ही मैंने अपनी दोनों उंगलियों को सामने चूत के गुलाबी छेद में अन्दर डाल कर चूत की चुदाई भी की.. जिससे अनु को दुगना मज़ा मिल सके और वो जन्नत की सैर का भरपूर आनन्द ले सके।
थोड़ी देर बाद मैंने लंड को गाण्ड से खींच लिया और अनु की मम्मों पर सारा वीर्य गिरा दिया।
फिर अनु के मुँह में लंड डालकर उसे साफ़ करने के लिए चूसने को कहा। अनु जानती थी चूसना तो हर हाल में होगा.. इसलिए वो मना किए बिना मेरे लंड को ऐसे चूस रही थी.. जैसे किसी को खाने की कोई नई चीज़ मिल गई हो।
कुछ देर बाद दोनों शान्त हो चुके थे।
अगले दो दिन तक हम दोनों चिपक कर नंगे ही चुदाई करते रहे। उसकी गाण्ड सूज कर दर्द कर रही थी। अनु को चुदाई की मशीन समझ कर मेरा लंड जब चाहे खड़ा होकर उसकी ओर घूम जाता था। पीरियड शुरू होने की वजह से चूत में ना जाकर गाण्ड में ही घूम कर आ जाता था।
फिर मैंने अनु से कहा- घर में हनी है?
तो उसने कहा- हाँ है।
मैं रसोई में जाकर हनी ले आया और उसकी पूरे जिस्म पर लगा दिया, फिर पूरा चाट कर हनी साफ़ किया… इससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर उसने भी ऐसा ही किया।
अब हम हमेशा चुदाई करते हैं.. जब भी मौका मिलता है.. मैं गाण्ड और चूत जिसकी सील मैंने ही फाड़ी थी.. जमकर चोदता हूँ।
अनु मुझे बार-बार बोलती हैं आई लव यू भैया.. और जब वो अकेले होती है तो ‘आई लव यू सैयाँ’ भी बोलती है, मैं भी उसे ‘आई लव यू टू.. अनु’ बोलता हूँ।
इस प्रकार दो महीने पहले शुरू हुआ हमारा प्यार आज भी जारी है।
कहानी पर अपनी राय दीजिये!
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