मस्त गाण्ड मारी गाँव की छोरी की
(Mast Gaand Mari Gaanv Ki Chhori Ki)
मेरा नाम विकास है मैं राजस्थान में नागौर जिले के एक गाँव का रहने वाला था, अब तीन साल सेअपने ताऊ के पास ही शहर में रहने के कारण शहरी लड़कों जैसे सिंसियर हूँ, मैं लखनऊ में भी रह चुका हूँ, मेरा शरीर एकदम फिट है मैं अभी कॉलेज में फ़र्स्ट ईयर कर रहा हूँ।
मेरी सेक्स की घटना कुछ दिनों पहले की है जब मैं अपने गाँव गया हुआ था। मैं गाँव में जब भी जाता हूँ तो गाँव की लड़कियों को पानी लाते हुए देखता हूँ।
वैसे गाँव की लड़कियाँ शहर की लड़कियों से कम नहीं होती हैं, पानी लाती लड़कियाँ वैसे ही गजब की माल लगती हैं। मैं सभी लड़कियों पर अपनी नजर रखता हूँ।
मैं गाँव के लड़कों के साथ नहीं रहता व व्यवहार व पहनावे में शहरी होने के कारण गाँव की लड़कियों का मेरे लिए अलग नजरिया है, वो मुझे सेक्सी नजरों से देखती हैं, मैं भी सभी लड़कियों को इसी नजर से देखता हूँ पर कई लड़कियाँ मुझे देख कर रिस्पोंस देती हैं पर अकेली नहीं मिलने के कारण बात नहीं हो पाती।
लेकिन एक दिन पूजा नाम की लड़की जो बड़ी सेक्सी, उसके आगे व पीछे भारी उभार आये हुए हैं, उस पर मेरी कई महीनों से नजर थी जिसकी मोटे चूतड़ बड़ी मस्त लगते थे।
वो मेरे घर पर आई, उस दिन मैं घर पर अकेला था, घर वाले सभी शादी में गए हुए थे, उसने मुझ से घर वालों के बारे में पूछा और वो सामने टेबल पर बैठ गई। मैं गाँव में नहीं रहता तो कोई मेरे बारे में ज्यादा नहीं जानता था, वो मेरे बारे में पूछने लगी और कुछ अपनी भी बताने लगी और यह भी बताने लगी कि गाँव की लड़कियाँ मेरे बारे में क्या सोचती हैं, मुझे कैसा लड़का समझती हैं।
बातों बातों में मैंने उससे पूछ लिया कि वो मेरे बारे में क्या सोचती है।
तो वो शर्माने लगी और उसने बताया कि वो और लड़कियों की तरह मुझे ख़राब लड़का नहीं समझती।
इतने में ही उसका छोटा भाई उसे बुलाने के लिए आ गया और वो शाम को मेरे घर पर मिलने का बोल कर चली गई।
उसका घर मेरे घर के पास ही था, हमारे घर की दीवारें एक दूसरे से मिली हुई हैं, वो रात को साढ़े नौ बजे आई, उस वक्त मैं खाना खा कर बर्तन साफ करने ही वाला था कि वो आ गई और कहने लगी- मैं साफ कर देती हूँ।
मेरे मना करने पर भी वो मेरे पास बैठ गई और बर्तन साफ करने लगी।
वो पूरी तरह से मुझ से खुल चुकी थी और बात बात पे मेरे साथ ताली मिला रही थी, आज उसके घर पर भी कोई नहीं था, उसकी मम्मी व बड़ा भाई जानवरों द्वारा रात में खेतों को नुकसान पहुँचाने के कारण खेत गए हुए थे और घर पर केवल उसकी दादी माँ व उसका छोटा भाई था, वो सो गए थे, और पापा बाहर काम करते हैं।
बातो में उसने मुझे सब बता दिया।
अब सब काम कर लिया तो अब मुझे सोना था तो उसने मुझसे पूछा- किसके साथ सोओगे?
तो मैंने कहा- तुम सो जाओ मेरे पास…
मेरी तो बात बन गई और वो कुछ नहीं बोली, शायद उसे शर्म आ रही थी। मैंने जैसे ही बिस्तर लगाये, वो मेरे बिस्तर पर लेट गई और बोली- मैं तो सो गई, तुम कहाँ सोओगे?
तो मैं झट से उसके पास लेट गया और हम दोनों मजाक में एक दूसरे को धक्का देने लगे, मेरा हाथ उसके बूब्स पर लगता और तो कभी कहीं और…
फिर मैं धीरेरे से उसके ऊपर आ गया, हमारी धक्का मुक्की बंद और रोमांस शुरू हो गया, मैं उसे किस करने लगा और धीरे से मेरा हाथ उसकी कमर से होता हुआ उसके बूब्स तक पहुँच गया और मैं धीरे धीरे उसके ऊपर हिलने लगा।
फिर मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किये, पहले तो उसने मेरे हाथ पकड़ लिए पर धीरे धीरे गर्म होने लगी और मेरा साथ देने लगी।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपनी पैंट भी उतार दी, उसने मुझे टाइट पकड़ लिया, मैं कभी उसके बूब्स दबाता तो कभी उसे किस कर रहा था। उसने धीरे से मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में दबाने लगी।
लंड मोटा सख्त होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था, लंड लगातार फिसल रहा था, मैंने मुँह में लेकर उसे लंड को गीला करने को कहा ताकि लंड चूत में जा सके पर उसने मना कर दिया, मेरे कई बार कहने पर भी वो मुँह में लेने के लिए नहीं मानी तो मैंने ही थूक लगा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया, शायद उसे दर्द हो रहा था, वो मेरा लंड निकालने की कोशिश करने लगी पर मैं लगा रहा।
थोड़ी देर में वो शान्त हो गई और मेरा साथ देने लगी।
वो झड़ चुकी थी पर मैं अभी उसकी चूत मारे जा रहा था, उसने मुझे टाइट पकड़ रखा था।
अब उसकी गाण्ड की बारी थी तो मैंने उसे उल्टा लिटा दिया और उसके ऊपर आ गया, वो थोड़ा ऊपर उठ कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी गाण्ड में डालने लगी पर लंड हर बार फिसल जाता तो मैंने लंड को थोड़ा थूक लगा कर उसकी गांड पर रख दिया और धीरे से दबाने लगा, उसने अपनी टाइट गाण्ड को ढीला कर दिया और लंड उसकी गाण्ड में धीरे धीरे अन्दर तक चला गया, उसने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी, अब मैं उसकी गाण्ड मार रहा था, वो भी पूरा मज़ा लेकर मस्ती कर रही थी।
उसकी क्या मस्त गाण्ड थी, एकदम सेक्सी उभरी हुई, भरी हुई गाण्ड को चोदने का मजा ही कुछ और है।
अब मैं झड़ने वाला था, दस पंद्रह धक्कों के बाद मैं उसकी गाण्ड में ही झड़ गया फिर भी मैं उसकी गाण्ड में अपना लंड कभी डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था और वो अपनी गाण्ड ढीली करके लंड अन्दर जाने दे रही थी।
थोड़ी देर बाद हमने कपड़े पहन लिए और वो घर जाने लगी, मैंने उसे मेरे घर पर सोने को कहा पर वो नहीं मानी और चली गई।
जाते जाते वो मेरे गले लगी और मेरा लण्ड पकड़ कर मुझे किस किया और ‘तू मस्त है…’ बोलकर चली गई।
उम्मीद है इस मारवाड़ी बॉय की कहानी आपको अच्छी लगी होगी, अपनी राय मेरे इमेल पर भेज सकते हैं। खास तौर से लड़कियाँ मेरा उत्साह बढ़ायें ताकि मैं और भी कहानी आप लोगों को भेज सकूँ।
आपका अपना विकास जाट
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