महिला मित्र की कुंवारी गांड मारी- 2
(Married Girlfriend Ki Gand Mari)
मैरिड गर्लफ्रेंड की गांड मारी मैंने … कैसे? मैं उसकी चूत मार मार कर उब गया था. मैंने उसे गांड मराने के लिए पटाया. उसने दर्द का डॉ दिखाया लेकिन …
दोस्तो, मैं राकेश एक बार फिर से अपनी फ्रेंड नीरू की गांड मारी की सेक्स कहानी के अगले भाग को लिख रहा हूँ, मजा लीजिएगा.
पिछले भाग
शादीशुदा गर्लफ्रेंड के पिछले छेद की इच्छा
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं नीरू की गांड मारने के लिए मेडिकल स्टोर से एक जैल ले आया था और नीरू की कुंवारी गांड का आज उद्घाटन करने वाला था.
नीरू ने डरते हुए मुझसे कहा- जरा धीरे से करना.
अब आगे पढ़ें कि कैसे मैंने मैरिड गर्लफ्रेंड की गांड मारी:
मैं बोला- देखो जानम, थोड़ा तो दर्द होगा ही … और जब ये जैल तुम्हारी गांड में लगाऊंगा, तो तुम्हें उतना ही दर्द होगा … जितना पहली चुदाई में तुम्हारी चूत की सील टूटने में हुआ था.
नीरू बोली- जानू, उतना दर्द तो मैं सहन कर लूंगी. फिर भी आप थोड़ा ध्यान रखना क्योंकि आपका लंड मेरे पति के लंड से कहीं ज्यादा मोटा है.
“तुम चिंता मत करो मैं पूरा ध्यान रखूंगा.” ये बोल कर मैंने नीरू को घोड़ी बनने को कहा और जैल उठा कर अपनी उंगली में ले ली.
पहले मैंने उसकी गांड के छेद के बाहर अच्छे से जैल लगाई, फिर मैंने काफी सारी जैल उंगली पर ली और नीरू से बोला- जानम अब मैं तुम्हारी गांड के अन्दर जैल लगाने लगा हूँ … तो तुम्हें थोड़ी तकलीफ होगी, सह लेना.
नीरू कुछ नहीं बोली, उसने सिर्फ हां में सर हिला दिया.
अब मैंने नीरू की गांड का छेद चौड़ा किया और अपनी जैल लगी उंगली जैसे ही उसकी गांड में डाली.
तो नीरू दर्द के कारण आगे को हो गई और उसकी गांड में से मेरी उंगली निकल गयी.
लकिन थोड़ी जैल उसकी गांड के अन्दर लग चुकी थी. मैंने फिर से जैल ली और अपनी एक बाजू को उसकी जांघों में लपेट दिया.
मुझे पता था कि ये फिर से हटने की कोशिश करेगी. मैंने एकदम से अपनी पूरी उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी.
नीरू दर्द से चिल्लाने लगी, पर मैंने तब तक अपनी उंगली उसकी गांड के अन्दर पेल कर चारों तरफ घुमा दी. जिससे जैल उसकी गांड के अन्दर लग गयी.
मैंने उंगली निकाली और उसे घोड़ी बने रहने को कहा.
फिर बेड से उतर कर मैं उसके सामने जाकर खड़ा हो गया.
मैंने देखा मेरा लंड थोड़ा सा सिकुड़ गया था.
मैंने नीरू को लंड चूसने को बोला, तो नीरू घोड़ी बने बने मेरा लंड चूसने लगी.
मैं फिर से उसकी गांड के छेद को सहलाने लगा.
कुछ देर बाद जैल का असर शुरू होने लगा.
नीरू मेरा लंड मुँह से निकाल कर बोली- जानू, मेरी गांड के अन्दर सरसरी सी हो रही है.
अब तक मेरा लंड भी अपनी असली औकात में आ चुका था.
मैं घूम कर नीरू के पीछे गया. पहले मैंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और नीरू की गांड के छेद पर सैट कर दिया.
नीरू बोली- जानू प्लीज़ आराम से डालना.
मैंने सोचा कि अगर इसको दर्द होने के कारण मैंने लंड निकाल लिया, तो ये दोबारा नहीं डालने देगी.
मेरी बहुत समय पहले की इच्छा पूरी होने जा रही थी, तो मैं किसी भी हाल में इसे मिस नहीं होने देना चाहता था.
मैंने नीरू की कमर को जकड़ लिया और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया.
नीरू दर्द से बिलबिला गयी. वो ‘आह ऊऊऊ ओह हाये मम्मी मर गयी … संजू लंड बाहर निकालो … उई बहुत दर्द हो रहा है … मैं मर जाऊंगी … प्लीज़ निकाल लो आह आह.’ बोलने लगी.
मैं लंड घुसेड़े हुए ही वहीं रुक गया और उसके मोम्मे सहलाने लगा.
वो कराहती हुई बोली- आप तो बोल रहे थे कि ये जैल लगाने से दर्द कम होगा. मुझे तो बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बोला- आज तुमने पहली दफा अपनी गांड में लंड लिया है और तुम्हारी गांड की सील भी आज ही टूटी है. बस जानम थोड़ी देर बर्दाश्त कर लो. फिर हम दोनों को मजे आएंगे.
ये बोल कर मैंने नीरू के कंधे को चूमा और धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए. दस मिनट बाद नीरू को भी मजा आना शुरू हो गया.
उसकी गांड अब पूरी तरह सुन्न हो चुकी थी.
अब वो ‘आह … ओह ओह … हम्म हम्म … जानू और जोर से चोदो … ऊई बहुत मजा आ रहा है.’ बोलने लगी.
ये सुन कर मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, जिसके कारण मेरे लंड पर चढ़ा कंडोम फट गया.
इसके बारे मैंने नीरू को नहीं बताया … बस तेज तेज उसकी गांड चोदने लगा.
नीरू भी मजे से मेरा लंड अपनी गांड को दबा दबा कर ले रही थी.
काफी देर बाद मैं भी झड़ने को हो गया. पांच सात धक्कों के बाद मैंने अपना सारा पानी उसकी गांड में भर दिया.
जब मैंने अपना लंड बाहर निकाला, तो देखा कि नीरू की गांड में से मेरे माल के साथ थोड़ा खून भी निकल रहा था, जो उसकी गांड से होकर उसकी जांघों की अन्दर की तरफ बह रहा था.
मैंने उसे ऐसे ही रहने को बोला और कंडोम उतार कर डस्टबिन में फेंक कर एक कपड़े से उसकी गांड, चूत और जांघों को साफ किया.
इसके बाद नीरू पेट के बल लेट गयी. उसको सांस चढ़ी हुई थी. मैंने देखा उसकी गांड की दरार खुल चुकी थी और उसकी गांड का गुलाबी छेद साफ दिख रहा था.
फिर मैं भी उसके पास जाकर लेट गया.
कुछ देर बाद नीरू वाशरूम जाने को उठी, तो उस से चला नहीं जा रहा था.
मैंने उसे गोद में उठाया और वाशरूम में ले गया.
अब उससे मूतने के लिए बैठा भी नहीं जा रहा था तो मैंने उसे खड़े खड़े ही मूतने को बोला.
नीरू खड़े होकर ही अपनी टांगें चौड़ी करके मूतने लगी. उसके मूत की धार छर्र की आवाज के साथ किसी झरने की तरह बहने लगी.
मूतने के बाद नीरू ने खुद ही टॉयलेट पेपर से अपनी चूत और जांघों को साफ किया.
खुद धीरे धीरे चल कर बेड पर पेट के बल लेट गयी.
मैंने नीरू से पूछा- क्या अभी भी दर्द हो रहा है?
वो बोली- अब थोड़ा आराम है.
मैंने रूम में रखी बिजली वाली केतली में पानी गर्म किया और अपने रूमाल से उसकी गांड की सिकाई की.
कुछ देर बाद नीरू को आराम आया, अब वो उठ कर बैठ गयी. नीरू टांगें चौड़ी करके बैठी थी.
वो बोली- जानू मुझे एक ड्रिंक बना दो.
मैंने उसे जूस में एक पैग बना कर दिया और खुद उसकी चौड़ी हुई टांगों के बीच में आकर उसकी चूत चाटने लगा.
उधर नीरू एक हाथ से मेरे बाल सहला रही थी और दूसरे हाथ से शराब की चुस्कियां ले रही थी. इधर मैं उसकी चूत की चुस्कियां ले रहा था.
नीरू अब बिल्कुल ठीक हो गयी थी, उसकी गांड का दर्द अब ना के बराबर था.
उसने पैग खत्म किया और मुझे उठा कर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए. वो मुझे बेहताशा चूमने लगी, मेरे होंठों पर लगे अपनी चूत के रस को वो चाट गयी.
फिर मैंने उसे 69 की पोजीशन में किया और हम एक दूसरे के लंड और चूत को चूसने चाटने लगे.
दस मिनट बाद नीरू ने मुझे अपने से अलग किया, तो मैंने देखा वो जोर जोर से सांस ले रही थी. उसके मोम्मे सांस लेने की वजह से ऊपर नीचे हो रहे थे.
नीरू बोली- जानू दर्द तो हुआ मगर गांड चुदवाने में मजा भी बहुत आया.
मैं हंस दिया.
तो वो बनावटी रोते हुए बोली- मगर जानू देखो न … आपने मेरी गांड फाड़ दी. वो घोड़ी बन कर मुझे अपनी गांड को खोल कर दिखाने लगी.
मैं जोर से हंस दिया.
उसने उठ कर मुझे फिर से जैल पकड़ाई और फिर से घोड़ी बन कर अपनी गांड का मुँह मेरी ओर कर दिया.
अब नीरू खुद मुझसे अपनी गांड चुदवाने को तैयार थी.
मैंने काफी सारी जैल अपनी उंगलियों पर ले ली, उसकी गांड में घुसा दी और उसकी गांड के अन्दर तक अच्छे से लगा दी.
फिर नीरू खड़ी हुई और कंडोम उठा कर मेरे लंड पर चढ़ाने लगी.
उसने जैसे ही मेरे लंड को हाथों में लिया, तो न जाने उसके मन में क्या आया … वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी.
कोई पांच मिनट मेरे लंड को चूस कर उसने बिल्कुल गीला कर दिया.
फिर उसने मुझे पीठ के बल लेटा दिया और मेरे पैरों की तरफ अपना मुँह करके मेरे लंड को अपने हाथों में लेकर अपनी गांड के छेद पर सैट कर लिया.
उसकी गांड के छेद पर लंड लगते ही मैंने नीचे से एक झटका दे दिया. मेरा लंड घप्प से उसकी गांड में प्रवेश कर गया.
नीरू के मुँह से ‘आह ..’ की आवाज निकली मगर अगले ही वो मेरे लंड पर उछल उछल कर मेरे लंड को अपनी गांड में अन्दर तक लेने लगी.
गांड में लंड के साथ ही वो अपनी चूत को मसलने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उसे पीठ के बल लेटाया और उसके पैर उसके सिर की और करके उसकी गांड में लंड घुसा कर धक्के मारने लगा.
अब नीरू के दोनों छेद मेरी आंखों के सामने थे, मैं कभी उसकी गांड में, तो कभी उसकी चूत में लंड पेलने लगा.
नीरू मस्ती में ‘ओह … हाय … मेरे जानू … खूब चोदो … म्मजा आ रहा है … आह … ओह … और जोर से ..चोदो … आह आह आह हाये.’ बोलने लगी और कुछ ही देर में झड़ने को हो गयी.
कुछ देर बाद ‘आह … आह … आह.’ करके झड़ गयी.
मैं अभी भी उसकी गांड में लंड पेल रहा था.
कोई दस मिनट और उसकी गांड चोदने के बाद मेरा भी पानी छूटने को हुआ, तो नीरू को पता चल गया.
उसने मुझे उसके मुँह में निकालने को बोला.
मैंने जल्दी से अपना लंड उसकी गांड से निकाला और कंडोम उतार कर डस्टबिन में फेंका.
उसी समय नीरू ने भी झट से मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
दो मिनट के बाद मैंने उसके गाल पर हल्की चपत मार कर बताया कि मेरे लंड से रस निकलने वाला है.
तो उसने अपनी जीभ बाहर निकाल ली.
फिर मेरे लंड से माल की लंबी पिचकारी निकली और नीरू की जीभ, होंठ, आंखें और माथे पर बहने लगा.
नीरू सारा माल हाथ से साफ करके चट कर गयी.
इस चुदाई के बाद हम दोनों शांत हो गए.
थोड़ी देर बाद नीरू खड़ी हुई और नंगी ही वाशरूम जाने लगी. मैं उसकी आज पहली बार चुदी गोरी गोल गांड को मटकते हुए निहार रहा था.
कुछ देर बाद वो खुद को साफ करके आयी और मुझसे लिपट कर बैठ गयी.
फिर हमने दो दो पैग लगाए और कुछ देर एक दूसरे की चूमा चाटी करके सो गए.
अगले दिन सुबह सुबह मैंने नीरू को एक बार और चोदा. फिर हम चंडीगढ़ वापिस आ गए.
दोस्तो, आपको ये मैरिड गर्लफ्रेंड की गांड मारी कहानी कैसी लगी, मुझे कमेंट्स करके जरूर बताएं. आप मुझे sanjayforyou75@gmail पर मेल भी कर सकते हैं.
मेरी एक महिला पाठक ने मुझे मेल करके इस कहानी को लिखने का बहुत जोर दिया था.
धन्यवाद
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