माँ-बेटी को चोदने की इच्छा-15
(Maa Beti Ko Chodne ki Ichcha-15)
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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा:
मैं रसोई में गया और उसके और अपने लिए एक अच्छी सी अदरक वाली चाय बना ली और हम दोनों ने साथ-साथ चाय की चुस्कियों का आनन्द लिया।
कुछ देर में हम दोनों की थकान मिट गई और उस रात हमने कई बार चुदाई की.. जो सुबह के 7 बजे तक चली…
ऐसा लग रहा था जैसे हमारी सुहागरात हो..हम दोनों की जांघें दर्द से भर गई थीं तो मैंने और उसने एक-एक दर्द निवारक गोली खाई और एक-दूसरे को बाँहों में लेकर प्यार करते हुए कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला।
अब आगे…
फिर करीब 2 से 3 बजे के आसपास मेरी आँख खुली तो मैंने अपने बगल में माया को भी सोते हुए पाया.. शायद वो भी थक गई थी।
वो मेरे करीब कुछ इस तरह से सो रही थी कि उसकी नग्न पीठ मेरी ओर थी और उसके चिकने नितम्ब मेरे पेट से चिपके हुए थे..
मैंने उसे हल्के से आवाज़ लगाई- उठो माया.. उठो बहुत देर हो गई है.. पर इस सबका जब असर नहीं हुआ तो मैं उसके हॉर्न (चूचों) को मसल कर उसके गालों पर चुम्बन करने लगा..
जिससे वो थोड़ा होश में आई और बोली- सोने दो प्लीज़.. मुझे अभी नहीं उठना.. परेशान मत करो प्लीज़..
मैंने बोला- अरे 3 बज रहे हैं.. उठो।
तो बोली- हाय रे.. सच्ची 3 बज गया।
मैंने उसको घड़ी दिखाई और बोला- खुद देख लो…
तो बोली- यार आज इतनी अच्छी नींद आई कि मेरा अभी भी उठने का मन नहीं हो रहा है.. पर अब उठना भी पड़ेगा.. चलो तुम फ्रेश हो जाओ.. मैं बस पांच मिनट में उठती हूँ।
मैंने उसके गाल पर एक चुम्बन किया और बाथरूम चला गया।
करीब तीस मिनट बाद जब बाहर निकला तो देखा माया फिर से सो रही थी।
उसके चूचे कसे होने के कारण ऐसे लग रहे थे जैसे केक के ऊपर किसी ने चैरी रख दी हो।
मैं उसके नशीले बदन को देखकर इतना कामुक हो गया कि मेरे दिमाग में ही उसकी चुदाई होने लगी और मेरा हाथ अपने आप ही मेरे लौड़े पर चला गया था।
देखते ही देखते मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।
मैंने भी देर न करते हुए उसके ऊपर जाकर उसके होंठों की चुसाई चालू कर दी, जिससे उसकी नींद टूट गई और वो मेरा साथ देने लगी।
फिर करीब पांच मिनट बाद वो बोली- चलो अब मैं उठती हूँ.. तुम्हारे लिए नाश्ता वगैरह भी बनाना है।
पर मेरा ध्यान तो उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था।
मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए लगातार उसके चूचों को दबा रहा था और बीच-बीच में उसके टिप्पों को मसल भी देता..
जिससे माया एक आनन्दमयी सिसकारी “स्स्स्स्स्शह” के साथ कसमसा उठती।
मैं उसकी गर्दन और गालों पर चुम्बन भी कर रहा था, जिसे माया भी एन्जॉय करने लगी थी।
फिर मैं थोड़ा नीचे की ओर बढ़ा और उसके चूचों को मुँह में भर कर बारी-बारी से चूसने लगा.. जिससे माया ने अपने हाथों को मेरे सर पर रख कर अपने चूचों पर दबाने लगी।
‘आआह्ह्ह उउम्म्म श्ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ के साथ बोलने लगी- मेरी जान.. खा जाओ इन्हें.. बहुत अच्छा लग रहा है.. हाँ.. ऐसे ही बस चूस लो इनका सारा रस…
मेरा लण्ड उसकी जाँघों पर ऐसे रगड़ खा रहा था.. जैसे कोई अपना सर दीवार पर पटक रहा हो।
फिर मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसेड़ कर उसे अपनी उँगलियों से चोदने लगा.. जिससे माया बुरी तरह सिसिया उठी।
‘श्ह्ह्ह… अह्ह्ह.. ऊऊओह्ह्ह.. उउम्म्म…’
वो तड़पने लगी.. पर मैं भी अब सब कुछ समझ गया था कि किसी को कैसे मज़ा दिया जा सकता है।
तो मैं उसके निप्पलों को कभी चूसता तो कभी उसके होंठों को चूसता.. जिससे माया की कामाग्नि बढ़ती ही चली गई और मुझसे बार-बार लौड़े को अन्दर डालने के लिए बोलने लगी।
वो मेरी इस क्रिया से इतना आनन्द में हो चुकी थी कि वो खुद ही अपनी कमर उठा-उठा कर मेरी उँगलियों को अपनी चूत में निगलते हुए- अह्हह्ह उउउउम.. बहुत दिनों बाद ऐसा सुख मिल रहा है आह्ह्ह्ह्ह राहुल आई लव यू ऐसे ही बस मुझे अपना प्यार देते रहना आआह उउउम्म्म…
वो कामुक हो कर बुदबुदाते हुए अकड़ने लगी और अगले ही पल उसकी चूत का गर्म लावा मेरी उँगलियों पर बरसने लगा।
तब भी मैंने अपनी उँगलियाँ नहीं निकालीं.. जब वह शांत हुई तो मैंने अपनी उँगलियों को निकाल कर देखा जो कि उसके कामरस से सराबोर थी।
तभी मेरे दिमाग में न जाने कहाँ से एक फिल्म का सीन आ गया.. जिसमें लड़का लड़की की चूत रस से सनी उँगलियों को उसके नितम्ब में डाल कर आगे-पीछे करते हुए उसके मम्मों को चूसता है..
तो मैंने भी सोचा क्यों न अपनी इस इच्छा को भी पूरा कर लूँ और देखूँ क्या सच में कोई इस तरह से भी मज़ा ले सकता है।
तो मैंने भी उसके चूचे चूसते हुए उसकी चूत रस से सनी हुई उँगलियों में से एक ऊँगली उसकी गांड के छेद पर रखी ही थी कि माया ने आँखें खोल कर अपने हाथों से मेरी ऊँगली पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दी।
शायद उसने सोचा होगा मेरा हाथ धोखे से उधर गया है.. अब उसे कैसे मालूम होता कि मेरी इच्छा कुछ और ही है।
मैंने फिर से अपनी ऊँगली उसके चूत से हटा कर.. उसकी गांड के छेद पर रख दी और उसकी गांड के गोल छेद पर ऊँगली कुछ इस तरह से चला रहा था.. जैसे कोई गम लगाया जाता है।
इस बार माया चुप्पी तोड़ती हुई बोली- अरे राहुल.. ये क्या कर रहे हो.. वो गलत छेद है।
तो मैंने उससे बोला- नहीं.. तुम्हें लगता होगा.. मुझे नहीं, मैंने फिल्मों में भी ऐसे करते हुए देखा है।
तो वो डरती हुई मुझसे बोली- नहीं.. मैंने ऐसा पहले कभी नहीं किया.. पर सुना है बहुत दर्द होता है प्लीज़.. ऐसा मत करो।
तो मैंने उसे समझाया और बोला- मैं तुम्हें दर्द नहीं दूंगा.. पर हाँ.. थोड़ा बहुत तो तुम मेरे लिए बर्दास्त तो कर ही सकती हो.. अगर तुम्हें ज्यादा तकलीफ हुई तो मैं अपना हाथ हटा लूँगा.. जब तक तुम नहीं चाहोगी.. तब तक ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा, जिससे तुम्हें तकलीफ हो।
पर माया का ‘नानुकुर’ बंद नहीं हुई, तो मैं उठ गया और उससे रुठते हुए बोला- देख लिया तुम्हारा प्यार.. बस मुँह से ही बोलती हो जो कहोगे वो करुँगी.. वगैरह.. वगैरह.. सब झूठ बोलती थीं।
इतना सुनकर वो मेरे पास आई और मेरे होंठों में अपने होंठों को रख कर मेरा मुँह बंद करके… मुझे अपने आगोश में ले लिया..
पर मेरा विरोध देख कर उसने प्यार भरी नज़रों से देखते हुए बोली- राहुल बस इत्ती सी बात पर नाराज़ हो गए… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाज़िर है.. पर मैं डर रही हूँ ऐसा करने से.. मैंने पहले कभी नहीं किया और तुम्हारा इतना बड़ा है.. अन्दर कैसे जाएगा.. मुझे बहुत तकलीफ होगी, प्लीज़ यार.. मेरी बात समझने की कोशिश करो।
तो मैंने भी मन में सोचा कि चल यार गांड तो मारनी ही है.. अब ज्यादा नहीं.. बस इसे किसी तरह तैयार करना है।
तो मैंने भी बात बनाते हुए बोला- अच्छा ये बोलो.. मैंने कब आपसे बोला कि मैं अपना लौड़ा डालना चाहता हूँ.. पर हाँ.. जब तुम कहोगी तभी ऐसा होगा.. मैं तो बस मज़े के लिए अपनी ऊँगली डाल रहा था.. आपने तो बतंगड़ बना दिया…
मेरे इस तरह ‘आप आप’ कहने पर माया बोली- प्लीज़ तुम मुझे माया या तुम कह कर ही बोला करो.. मुझे ये अच्छा नहीं लगता कि तुम मुझसे ‘आप आप’ करो.. मैं अब तुम्हारी हूँ तुमने मुझे बहुत हसीन पल और सुख दिए हैं.. जिसे मैं कभी भुला नहीं सकती हूँ।
तो मैंने भी नहले पर दहला मारते हुए उससे बोला- तो अब तुम्हारा क्या इरादा है?
तो वो कुछ नहीं बोली और मेरी बाँहों में समा कर मुझे चुम्बन करने लगी मेरे गालों और छाती पर चुम्बनों की बौछार करते हुए बोली- जैसी तुम्हारी इच्छा…
मैं उसे लेकर फिर से बिस्तर पर उसी तरह से लेट कर प्यार करने लगा.. जैसे पहले कर रहा था।
पर अब उँगलियों की चिकनाई सूख चुकी थी तो मैंने अपनी दो उँगलियों को उसके मुँह में डाल दी और उसके मम्मों को मुँह में भर कर फिर से चूसने लगा।
माया ने मेरी उँगलियों को किसी लॉलीपॉप की तरह चूस-चूस कर गीला करके बोली- अब कर लो अपनी इच्छा पूरी…
सभी पाठकों के संदेशों के लिए धन्यवाद.. आपने अपने सुझाव मुझे मेरे मेल पर भेजे.. मेरे मेल पर इसी तरह अपने सुझावों को मुझसे साझा करते रहिएगा।
पुनः धन्यवाद।
मेरी चुदाई की अभीप्सा की यह मदमस्त कहानी जारी रहेगी।
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