मेरी गांड मारने की मामा की ख़्वाहिश पूरी की-2
(Meri Gand Marne Ki Mama Ki Khwahish Poori Ki- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left मेरी गांड मारने की मामा की ख़्वाहिश पूरी की-1
-
keyboard_arrow_right मेरी गांड मारने की मामा की ख़्वाहिश पूरी की-3
-
View all stories in series
अचानक डोरबेल बजी, मैं समझ गयी कि मामा जी आ गये, दरवाजा खोला तो सामने मामा जी खड़े थे, मामा जी एकदम फ्रेश दिख रहे थे, चेहरे पर एक चमक सी थी, बाल एकदम गीले से थे, शायद अभी अभी नहा कर आए थे.
मैंने झट से दरवाजा बंद कर दिया और मामा जी के गले से लिपट गयी, मामा जी के गले को किस करने लगी, मेरी आँखें नम हो गयी, मैं मामा जी के गले से लिपट कर रोने लगी.
मामा जी पूछने लगे- क्यों रो रही हो रिशू, कोई प्राब्लम हो गयी क्या?
मैं बोली- कल से मैं आप से केवल 1 घंटा ही मिल सकूँगी, कल से मेरी लाइफ फिर से पहले जैसी ही हो जाएगी.
मामा बोले- मैं कोई शहर छोड़ कर नहीं ना जा रहा हूँ, हर रोज तो मुझे 1 घंटा पढ़ाने के लिए आना ही है.
मैं बोली- इन दो दिन में मुझे आपकी आदत सी हो गयी है.
मामा बोले- मैं किसी ना किसी तरह से तुम्हारी आदत और ख्वाहिश को पूरी करता रहूँगा.
और मुझे किश करने लगे, मैं भी मामा जी का साथ देने लगी, मेरा निचला होंठ पूरी तरह से मामा जी के मुँह के अंदर जा चुका था. बीच बीच में मामा जी अपनी जीभ मेरी मेरी मुँह के अंदर घुसा देते थे. मैं भी मामा जी की जीभ को अपने अंदर खींचने लगी, मामा जी की खुरदरी जीभ मेरी मुँह में जैसे स्ट्रा-बेरी का अहसास करा रही थी.
किस करते हुए मामा जी का हाथ अब मेरी गांड की तरफ बढ़ रहा था, पीछे से मामा मेरी शॉर्ट्स में हाथ घुसने लगे, मामा जी का हाथ मेरी पेंटी की अंदर घुस कर मेरी दोनों कूल्हों को सहलाने लगा, मैं गर्म होने लगी, मेरी चूत में गर्म पानी आने लगा, मैं नहीं चाहती थी कि मामा जी को मेरी गांड की ढिलाई के बारे अभी पता चले, मैं चाहती थी कि मामा जी को मेरी चुदाई के वक़्त पता चले.
पर ऐसा नहीं हुआ, मामा जी धीरे धीरे अपनी उंगलियाँ मेरी गांड के छेद की ओर बढ़ाने लगे, मैंने अपनी शॉर्ट्स के ऊपर से ही मामा का हाथ पकड़ लिया और मना करने लगी कुछ भी करने के लिए, मैं बोली- अभी नहीं, ये सब रात में खाना खाने के बाद कीजिएगा.
पर मामा मानने वाले कहाँ थे, हाथ पकड़ने के बावजूद मामा ने अंदर ही अंदर किसी तरह से अपनी उंगली मेरी गांड के छेद तक पहुँचा ही दी, बिना किसी रुकावट के मामा की पूरी उंगली मेरी गांड में समा गयी, मामा हैरान होकर बोले- कल तो तुम्हारी गांड इतनी कसी हुई थी कि मेरे लंड का थोड़ा सा भी हिस्सा नहीं घुस पाया पर मेरी उंगली अभी इतनी आसानी से कैसे घुस गयी?
मैं बोली- आज मैंने किसी तरह से छेद को ढीला कर लिया. वो मैं बाद में बता दूँगी.
मामा ने अचानक से मेरी गांड पकड़ कर अपने ओर खींच ली, मुझे साफ साफ पता चल रहा था कि मामा का लंड पैन्ट में तन चुका है.
मामा बोले- मुझे अभी तुम्हारी गांड मारनी है.
मैं बोली- अभी नहीं, रात में ये सब करने दूँगी.
बहुत कोशिश करने के बाद मैं किसी तरह से मामा की बाहों से निकल पाई और भाग कर किचन चली गयी और ज़ोर से बोली- आप रूम में बैठो, मैं चाय बना कर लाती हूँ.
मैं चाय बना कर रूम में ले आई, चाय पीने के बाद कप लेकर किचन में गयी.
मुझे ज़ोर की सू सू आ रही थी इसलिए मैं बाथरूम चली गयी. और जैसे ही कुण्डी बंद की, याद आया कि मामा जी बोले थे सू सू रोक कर रखने के लिए…
मैं बिना सू सू किए बाथरूम से बाहर आ गयी और किचन में कुछ झूठी थाली धोने लगी ताकि खाना परोस सकूँ.
अचानक मामा किचन में आए और मुझे गोद में उठा लिया.
मैं बोली- क्या कर रहे हैं आप ये?
मामा बोले- कुछ नहीं!
और मुझे उठा कर बेडरूम में ले गये, बेडरूम में जाते ही मैं आश्चर्य में पड़ गयी, मामा ने फर्श पे बेड शीट बिछा रखी थी, एक तकिया भी रखा था, बगल में कॉंडम और वेसलिन भी रखी हुई थी.
मैंने पूछा- ये नीचे क्यों?
मामा बोले- बस देखती जाओ.
मैं बोली- मैं खाना परोसने जा रही हूँ.
मामा जी बोले- पहले अभी तुम्हारी गांड मारूँगा, फिर हम लोग खाना खाएँगे, उसके बाद तुम्हारी चूत की चुदाई करूँगा.
मैं मना करने लगी- नहीं नहीं, अभी नहीं! ये सब खाना खाने के बाद ही!
मामा जी ने मुझे ज़बरदस्ती दबोच लिए और नीचे फर्श पर बिछे बिस्तर पे लेटा कर मेरे ऊपर चढ़ गये, मेरे होंठ पर किस करने लगे, साथ ही साथ मेरी चुची को मसलने लगे. मैं गर्म सी होने लगी थी, मैं कामुकता भरी सिसकारियाँ लेने लगी.
मामा ने मेरी चुची टॉप के ऊपर से ही बाहर निकाला और मेरी जामुन जैसी निप्पल को दाँतों के बीच दबाने लगे जैसे सच में जामुन से रस निचोड़ रहे हों.
मेरी चूत में सू सू भरी होने के वजह से मुझे चूत में जोरों से खुजली होने लगी, मुझे सू सू कंट्रोल से बाहर हो रही थी, लग रहा था कभी भी सू सू निकल जाएगी. मैं ज़ोर से उंह आहह करने लगी, मामा जी धीरे धीरे अपनी हाथ मेरी शॉर्ट्स की ओर बढ़ा रहे थे.
मैं समझ गई कि मामा अब मेरी चूत में उंगली करने वाले थे, मैं बोल उठी- आपको जो करना है जल्दी करो, कभी भी मेरी चूत से सू सू निकल सकती है, मेरी चूत की चुदाई कर दीजिए.
मामा बोले- नहीं, अभी तुम्हारी चूत की चुदाई नहीं करूँगा. मॉर्निंग से अभी तक लंड में बहुत सारा रस भर चुका है इसलिए लंड बहुत ज़्यादा कड़ा और तना हुआ जो आसानी से तुम्हारी गांड का छेद में घुस पाएगा. एक बार लंड से पानी गिर जाने के बाद लंड ढीला पड़ जाएगा तो गांड मारने में मजा नहीं आएगा.
मैं बोली- जो करना है जल्दी कीजिए, अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मामा झट से मेरे ऊपर से नीचे उतार गये और एक ही झटके अपने सारे कपड़े उतार दिए, मामा का विशाल काला लंड तन कर खड़ा था, लंड का अगला हिस्सा गुलाबी दिख रहा था मानो कोई चॉकलेट हो, मन तो कर रहा था कि उसको मुँह में लेकर चूसने लगूं.
और लंड का पिछला हिस्सा एकदम काला रॉड के जैसा तना हुआ था, उसके नीचे दो गोले लटक रहे थे, गोले को देख कर मैंने गौर किया कि मामा जी ने लंड के बाल की सफाई की है वो भी आधे जाँघ तक की बाल की सॉफ किए हैं, इसलिए आधे जाँघ से ऊपर की भाग बिल्कुल साफ सुथरा और चमक रहे थे.
ये देखने के बाद मेरे जिस्म में एक अलग सा रोमांच पैदा होने लगी, मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी कि कब मामा जी के लंड की पिछला हिस्सा चाट लूँ.
मामा जी ने झट से मेरे सारे कपड़े उतार दिए, अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गयी थी, मामा जी खुद बेड पर पैर लटका कर बैठ गये और मुझे नीचे घुटने के बल बैठा दिया, एक हाथ से मामा अपने लंड को ऊपर से नीचे की ओर तान रहे थे और दूसरी हाथ से मेरी सर पकड़ कर अपना लंड मेरी मुँह में घुसा दिया.
लंड से एक कामुक सी खुशबू आ रही थी जिसकी मुझे आदत सी लग चुकी थी. लंड का गुलाबी टोपा मेरे मुँह में जाते ही मुझे नमकीन और खट्टे स्वाद का मजा आने लगा मानो मुझे मामा जी ने लेमनचूस खिला दिया हो जो कभी हम बचपन में ट्रेन से यात्रा के दौरान खाया करते थे.
अब मैं मामा जी के लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी थी, बीच बीच में मैं मामा जी के लंड में दाँत चुभो देती थी तो मामा जी के मुँह से आहह निकल जाती थी. थोड़ी देर लंड चाटने के बाद लंड को मुँह से निकाल कर लंड के टोपे को अपनी मुट्ठी में ज़ोर से दबा लिया जिससे मामा जी के लंड का छेद खुल गया जैसे कोई मछली अपनी मुँह खोल कर खाना माँग रही हो. गुलाबी टोपे पर छेद बिल्कुल लाल दिख रहा था, मैं खुले छेद के अंदर जीभ घुसाने की कोशिश करने लगी, मामा जी सिसकारियाँ भरने लगे और बोलने लगे- छोड़ दे रिशू, नहीं तो तुम्हारे मुँह पर ही लंड का रस गिर जाएगा.
मैं भी बोली- गिरने दीजिए, मुझे भी देखना है कि लंड से कैसे रस निकलता है.
मामा जी बोले- अगली बार जब चूत की चुदाई करूँगा तो रस निकलते वक़्त दिखा दूँगा कि कैसे निकलता है लंड से पानी!
मैं अब लंड की गुलाबी भाग छोड़ कर लंड का निचला हिस्सा चाटने लगी, मैंने वीडियो में देखा था कि विदेशी लड़कियाँ बड़े शौक से लंड का निचला हिस्सा और लंड के नीचे गोले को चाटती हैं इसलिए मैं भी दोनों गोलों का स्वाद चखना चाहती थी.
मैं मामा जी की दोनों गोले को बारी बारी से चाटने लगी तो मुझे नमकीन सा स्वाद लगा, मामा बोलने लगे- रिशू, तुम तो अब बहुत कुछ सीख गयी हो.
मैं बोली- सब आपका ही देन है, आपने ही तो तरह तरह की वीडियो दी है मेरी मोबाइल में!
मैंने मामा जी से चुटकी ली- आपने तो मुझे बिगाड दिया है, आपने मुझे चुदाई की आदत लगा दी है.
फिर मैं सब कुछ छोड़ कर नीचे लेट गयी और अपनी जाँघें फैला कर अपनी चूत खोल दी.
मामा जी बोले- तुम उठ जाओ.
मैं उठ गयी और मामा जी नीचे लेट गये और सर के नीचे तकिया लगा लिया, मुझे लगा कि शायद मामा जी बोलेंगे मेरे लंड पर चूत रख कर बैठ जाओ पिछली रात जैसे…
पर मामा जी की ख्वाहिश कुछ और ही थी, मामा जी बोले- मेरे मुँह पर चूत रख कर बैठ जाओ, मुझे तुम्हारी चूत चाटनी है.
मैं बोली- मुझे ज़ोर की सू सू आ रही है, कभी भी सू सू निकल सकती है, आपकी मुँह में चली जाएगी.
मामाँ बोले- मैं भी वही चाहता हूँ इसलिए तो सू सू रोक कर रखने बोला था.
मैं मना करने लगी- मैं ऐसा नहीं कर सकती.
मामा जी ने मुझे अपनी कसम दे दी, मजबूरन मुझे मामा जी के मुँह पर चूत रखनी पड़ी, चूत रखते ही मामा जी ने मेरी पूरी चूत को अपने मुँह के अंदर समा लिया और अंदर ही अंदर जीभ से चूत का दाना सहलाने लगे, मैं बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरी चूत से सू सू निकलने लगी, मैं बहुत कोशिश कर रही थी कि सू सू ना निकलने दूँ पर जब भी मामा जी जीभ से चूत के दाना सहला देते मेरी चूत से थोड़ी सी सू सू निकल जाती थी और उसे मामा जी पी लेते थे.
मैं मामा जी को बोली- अब छोड़ दीजिए और जल्दी से लंड मेरी गांड में डाल दीजिए.
मामा भी समझ गये कि मैं चरम सीमा पर हूँ, अगर मेरी चूत से रस निकल गयी तो मैं ढीली पड़ जाऊँगी और उसके बाद साथ नहीं दे पाऊँगी इसलिए मामा जी बोले- जल्दी से घोड़ी बन जाओ. मामा ने जल्दी से कॉंडम का पॅकेट फाड़ा और लंड पर चढ़ा लिया, कॉंडम लगते ही पूरे रूम में मिंट की खुशबू फैल गयी जैसे कोई पान खा रहा हो अगल बगल में.
मैंने मामा जी से पूछा- आपने कॉंडम क्यों लगाया? छेद तो पहले से ही मैंने ढीला कर लिया.
मामा बोले- थोड़ी देर में तुमको पता चल जाएगा कि मैंने लंड पर कॉंडम क्यों लगाया.
फिर मामा जी मेरे गांड के छेद पर लंड रख कर अंदर घुसाने की कोशिश करने लगे पर लंड की ज़्यादा मोटाई की वजह से घुस नहीं पा रहा था, मामा जी ने लंड पर थोड़ा वेसलिन लगा ली और फिर लंड को मेरी गांड के छेद पर रख दिया और अचानक से एक जोरदार धक्का दे डाला, मामा का लंड मेरी गांड को चीरते हुए मेरी गांड की हड्डी से टकराते हुए पूरे अंदर घुस गया.
मैं दर्द से चीख पड़ी- आहह मम्मी मेरी गांड…
लंड के पूरे अंदर जाते ही मुझे ठंड की एहसास होने लगी, शायद कॉंडम में मिंट फ्लेवर होने के वजह से लग रही हो, ऐसा लग रहा था जैसे मामा ने मेरी गांड के अंदर बर्फ का टुकड़ा डाल दिया हो, पहले तो बहुत दर्द हुआ, जब मामा जी लंड को गांड के अंदर हिलाने लगे, अंदर बाहर करने लगे तो मुझे गांड मरवाने में मजा आने लगा.
जब भी मामा ज़ोर से धक्का मारते, मेरी चूत से सू सू निकल जाती थी. मामा अब ज़ोर से धक्का मार रहे थे. अचानक से मुझे लगा 1 सेकेंड के लिए ज़ोर से चींटी काट ली हो. 5 से 7 मिनट तक मेरी गांड मारने के बाद मामा जी रुक गये और लंड मेरी गांड से निकाल लिया.
देखा कि मामा जी लंड में लगी कॉंडम फट चुकी है, मामा जी ने कॉंडम उतार कर लंड मेरी मुँह में डाल दिया, लंड का टोपा मिंट वाली चॉकलॅट जैसा लग रहा था.
थोड़ी देर चूसने के बाद मामा खुद नीचे लेट गये और लंड को हाथ से पकड़ कर ऊपर की ओर तान दिया, मामा जी का लंड एकदम तलवार की तरह सीधी खड़ी हो गया, वो बोले- मेरे पैर के तरफ चेहरा कर लो और मेरे लंड पर गांड का छेद रख कर बैठ जाओ.
मैंने वैसे ही किया, जब मैं मामा जी के लंड पर बैठ गयी तो मेरी सीधी वजन के वजह से मेरे चूतड़ मामा जी के गोलों में सट गये जिससे मामा जी का लंड और ज्यादा मेरी गांड के अंदर समा गयी, शायद पहले से भी ज्यादा.
फिर मैं गांड को झटके के साथ ऊपर नीचे करने लगी, मामा भी अपने हाथ का सहारा देने लगे, मैं सर को ऊपर की करके आनन्द लेने लगी, कहीं खो सी गयी, गांड के अंदर हलचल होने के वजह से बीच बीच मेरी चूत से गर्म सू सू निकल जाती थी जो मामा जी जाँघ को गीली कर रही थी.
कुछ देर मामा बोले- रुक जाओ!
मैं समझ गयी कि मामा जी का रस गिरने वाला है, मामा ने मेरी गांड से लंड निकाल लिया और फिर से घोड़ी बनने को बोले.
मैं फिर से घोड़ी बन गयी, मामा जी फिर से लंड मेरी गांड में घुसा दिया और अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया जिससे मैं पेट के बल नीचे गिर गयी, मामा भी मेरे ऊपर ही गिर गये पर मामा जी का लंड मेरी गांड में ही घुसा पड़ा था, बस पेट के बल लेट जाने से मेरी गांड पूरी तरह से कस गयी थी और मानो मेरी गांड में मामा जी लंड फंस सा गया हो,
फिर भी मामा जी अपने लंड को आगे पीछे करने की कोशिश कर रहे थे, गांड का ज़्यादा कसी होने के वजह से थोड़ी ही देर मैं मामा जी का लंड सारा गर्म रस मेरी गांड के अंदर ही उड़ेल दिया, गांड के अंदर कॉंडम का मिंट जाने की वजह से मुझे लग रहा था जैसे ठंड के मौसम में किसी झील में नंगी नहा रही हूँ.
जैसे ही मामा जी ने लंड का ढेर सा रस गांड के अंदर गिराया, मुझे लगने लगी जैसे ठंडे झील के बाद मैं किस गर्म पानी वाले कुंड में अपनी गांड डुबो रही हूँ, मुझे ठंड के बाद गर्मी का अहसास हो रहा था, बिल्कुल अलग सा महसूस कर रही थी मैं!
लंड का रस निकालने के बाद मामा जी मेरी ऊपर ही लेटे रहे, धीरे धीरे मामा जी का लंड मेरी कसी हुई गांड से सुकड़ कर अपने आप निकल कर बाहर आ गया, मुझे लग रही थी जैसे मेरी दोनों चूतड़ों के बीच एक छोटा वाला केला रखा हो.
रात के दस बज चुके थे, मैं मामा जी से बोली- उठिए जल्दी, आपको भी भूख लग गयी होगी, मुझे भी लग रही है.
मैं जल्दी से उठ कर बाथरूम चली गयी, बाथरूम में चूत की सफाई की और सारा सू सू निलाल दी, उसके बाद में बहुत आराम पर थकी हुई महसूस कर रही थी, गांड में उंगली डाली तो छेद पूरी तरह से ढीला हो चुका था, मैं बाथरूम से बाहर आई तो मामा जी बाथरूम चले गये फ्रेश होने.
मैं किचन में जाकर खाना परोसने लगी, तब तक मामा जी भी फ्रेश हो कर बाहर आ गये, हम दोनों साथ में खाना खाने बैठ गये, मैं ठीक से बैठ नहीं पा रही थी, कुर्सी पर गांड रखते ही दर्द सी होने लगती थी, फिर भी मैं बर्दाश्त कर रही थी क्योंकि यह हमारी आखिरी रात थी और मामा को मैं निराश नहीं करना चाहती थी.
कहानी जारी रहेगी.
rishankigupta03@gmail.com
What did you think of this story??
Comments