फिर से पट कर गाण्ड मरवा ली
(Fir Se Pat Kar Gand Marwa Li)
हैलो दोस्तो, में आपकी प्यारी पूर्वा जैन आप लोगों ने कहानी
एक तरफ़ा प्यार में चुद गई
पढ़ी।
आप लोगों ने अपना रिस्पोन्स दिया.. अच्छा लगा.. आज मैं आप को इसके आगे की कहानी बताऊँगी। उस दीपक ने कैसे मेरी गाण्ड मारी।
मेरी पहली कहानी के बाद जब दीपक मेरे यहाँ से चला गया.. तो मैंने सोचा चलो अब मेरा प्यार मुझे मिल गया.. पर मैं शायद ग़लत थी.. वो दीपक तो बहुत ही कमीना निकला.. अगले ही दिन उसको मैंने एक लड़की के साथ देखा.. जो उसकी बाँहों में बाँहें डाले थी..
मैंने यह देख कर उसको कॉल किया.. तो बोला- हाँ वो मेरी नई गर्ल फ्रेण्ड है.. हम दोनों की लव स्टोरी आज ही स्टार्ट हुई है..
यह सुन कर मुझे बहुत बुरा लगा पर मैं कर भी क्या सकती थी। फिर सोचा जो भाग्य में लिखा है.. वो तो होगा ही.. और ये सोच कर मैं दीपक की यादों से दूर जाने लगी।
पर क्या पता था.. जिन यादों से मैं दूर जा रही थी.. एक दिन पीछा करके मेरे पास फिर से आ जाएँगी। मुझे याद है.. जब दीपक का कॉल करीब दो महीने बाद आया.. उसने बोला- कैसी हो पूर्वा.. मुझे माफ़ कर दो.. मैंने तेरे साथ बहुत बुरा किया।
यह सुन कर मुझे लगा कि शायद दीपक सुधर गया है.. तो मैंने उससे पूछा- हुआ क्या?
उसने कुछ भी नहीं बोला.. वो एकदम शान्त रहा.. मैंने फिर पूछा- हुआ क्या दीपक?
तो उसने मुझे ‘आई लव यू’ बोल दिया और फिर मेरे मुँह से भी ‘आई लव यू टू’ निकल गया।
दीपक बोला- पूर्वा कल हम कहीं घूमने चलते हैं.. बहुत दोनों से कही गए नहीं। तो मैंने भी ‘हाँ’ कर दिया।
अगले दिन दीपक मुझे लेने आया.. मैं उसके साथ एक लंबी ड्राइव पर निकल गई। दीपक मुझे कहीं निर्जन खेत पर ले गया और बोला- मेरी जान पूर्वा.. आज देखो न यहाँ का माहौल कितना प्यारा हो रहा है।
मैंने बोला- हाँ जानू.. बहुत प्यारा माहौल है।
फिर दीपक ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और बोला- तू मुझे छोड़ कर कहीं मत जाना.. आई लव यू।
मैंने भी ‘हाँ’ बोल कर उसको ‘लव यू टू..’ बोला।
फिर उसने मुझे किस करना स्टार्ट कर दिया.. और मेरे कुरते के ऊपर से ही मेरे मम्मों को दबाने लगा।
मैं भी धीरे-धीरे गरम हो रही थी..
फिर एकदम से याद आया कि हम लोग तो खुले मैदान में खड़े थे।
मैंने अपने आप को दीपक से अलग किया.. तो उसने पूछा- क्या हुआ जान.. दूर क्यों हो गई?
मैंने बोला- यहाँ खुले में कोई देख लेगा। तो उसने बोला- चलो तो पास में मेरा खेत है.. वहाँ एक झोपड़ी है.. वहाँ चलते हैं।
मैं उसके साथ चली गई.. वहाँ जाते ही उसने मुझे ऐसे पकड़ा.. जैसे एक शेर अपने शिकार को पकड़ता है।
मैंने बोला- आराम से कर न दीपक.. मेरे कपड़े फट जाएंगे।
तो बोला- मुझे रहा नहीं जा रहा.. जल्दी से अपना बदन दिखा दे।
मैं नाटक करने लगी.. और मना कर रही थी.. तो दीपक को गुस्सा आ गया.. वो मुझे मुक्के मारने लगा।
मैंने बोला- लो बाबा.. उतार रही हूँ कपड़े.. पर केवल तुम मेरा बदन देखोगे..
उसने ‘हाँ’ बोल दिया, मैंने अपने कपड़े उतार दिए।
मैंने देखा कि मेरे पहले दीपक ने अपने कपड़े उतार कर फेंक दिए।
मैंने दीपक को जैसे ही नंगा देखा.. तो उसका लण्ड तो पहले से ज़्यादा मोटा और बड़ा हो गया था।
दीपक ने मुझे फिर से पकड़ लिया और वहीं घास पर पटक दिया और पागलों की तरह चूमने लगा। मैं भी गरम हो गई थी और उसका पूरा साथ दे रही थी।
अब उसने अपना लण्ड मुँह में लेने को कहा.. मैंने पहले तो मना किया.. फिर बाद में ले लिया। कुछ ही देर में हम लोग 69 की पोज़िशन में एक-दूसरे को प्यार कर रहे थे।
थोड़ी देर बाद मैंने बोला- जान.. अब मत तड़फा.. कर दे दूर मेरी खुजली।
दीपक ने ऐसा ही किया.. वो मुझे चोदने की मुद्रा में आ गया।
इसके बाद दीपक ने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया.. अभी उसका सुपारा ही अन्दर हुआ कि मेरी चीख निकल गई।
‘उईईईई.. माआ.. मर गई..’
उसने यह सुन कर एक ज़ोर का झटका दिया.. तो उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में समा गया।
मैं तड़फ़ रही थी.. मेरे मुँह से मदमस्त आवाजें निकल रही थीं।
थोड़ी देर बाद मुझे भी मज़ा आने लगा। करीब 20-25 झटकों के बाद मैं झड़ गई। पर वो भी लगा रहा।
फिर उसने मुझे औंधा किया और मेरी गाण्ड में उंगली करने लगा।
मैंने बोला- ओह्ह.. तू ये क्या कर रहा है?
बोला- तेरी गाण्ड मारनी है आज..
मैंने मना कर दिया.. तो उसने मेरे दोनों चूतड़ों को तबले की तरह बजाना शुरू कर दिया।
तो मैंने भी हँस कर ‘हाँ’ बोल दिया- कर लो बाबा.. तुमको जो करना है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसने मेरी गाण्ड मारने की कोशिश की.. पर पहली बार में वो नाकामयाब रहा।
फिर उसने जब दूसरी बार लौड़ा पेला.. तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड में थोड़ा सा घुस गया.. पर इससे मुझे इतना तेज दर्द हुआ कि सहा नहीं जा रहा था।
मैं दीपक को अपने आपसे दूर करने की कोशिश कर रही थी.. पर कर नहीं पा रही थी।
फिर एक और ज़ोर के झटके में उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा पेल दिया। अब तो मेरी जान ही निकल गई थी.. बहुत कोशिश के बाद भी मैं उसको अपने आपसे अलग नहीं कर पा रही थी।
वो तो अपनी पूरी ताक़त से मेरी गाण्ड मारे जा रहा था। करीब 15 मिनट के बाद वो झड़ गया और उसने अपना माल मेरी गाण्ड में निकाल दिया।
थोड़ी देर वहीं लेटे रहे.. और थोड़ी देर के बाद वहाँ से चल दिए।
यह थी मेरी गाण्ड मारने की स्टोरी.. आपको कैसी लगी.. ज़रूर बताना!
[email protected]
What did you think of this story??
Comments