भाभी और उनकी सहेली के साथ सेक्स का मजा- 1
(Desi Bhabhi Gand Kahani)
देसी भाभी गांड कहानी में पढ़ें कि मैं पड़ोसन भाभी को चोद चुका था. दूसरा मौक़ा मिलते ही भाभी ने मुझे बुलाया और हम होटल में चले गए सेक्स का मजा लेने.
नमस्कार दोस्तो, मैं विन चौधरी आज फिर से आपके लिए एकदम नयी और गरमागर्म स्टोरी लेकर हाजिर हूँ. जो कि मेरे जीवन की बिल्कुल सच्ची घटना है.
मेरा दावा है कि इस सेक्स कहानी को पढ़कर सभी पाठिकाओं की चुतों का रस निकल जाएगा और पाठक अपना लंड पकड़ कर मुठ्ठी मारने पर विवश हो जाएंगे.
मैं आप सभी का शुक्रगुजार हूँ कि आप सभी ने मेरी पिछली कहानी
खूबसूरत किरायेदार भाभी को पटा कर चोदा
को बहुत प्यार दिया.
आप सभी के प्यार भरे मेल मुझे मिले, उसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
कुछ मस्त चूत वाली पाठिकाओं ने भी मुझे जो प्यार दिया, उसके लिए मेरे सात इंच लंबे और 2 इंच मोटे लंड का उनकी मचलती चूतों को रगड़ भरा प्यार.
उस सेक्स कहानी में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने प्रिया भाभी को पटाकर चोदा था.
आज की ये देसी भाभी गांड कहानी उसी के आगे की कहानी है.
उस सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि प्रिया भाभी और मैं अब चुदाई का खूब मजा लेने लगे थे. ऐसा कोई भी आसन बाकी नहीं रहा था, जिसमें मैंने भाभी को संभोग का सुख ना दिया हो.
परंतु आप सब तो जानते हो कि सेक्स की आग एक ऐसी आग है, जो बुझाए नहीं बुझती, उल्टा और बढ़ती ही चली जाती है.
मेरे मन का हाल भी कुछ ऐसा ही था. मेरे मन में एक साथ दो चूत के साथ चुदाई करने का मन था.
एक दिन प्रिया भाभी का फोन आया कि तुम्हारे भैया आज चार दिन के लिए बाहर जा रहे हैं; ये चार दिन मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूं, इसलिए सूरज के जाने के बाद, मैं घर से अपने मायके का बहाना करके निकल जाऊंगी. तुम आ जाना.
मैंने भी सारा प्लान बना लिया और इंतजार करने लगा.
प्रिया भाभी का फोन आया- बस कुछ ही मिनट पहले तुम्हारे भैया घर से निकले हैं. मैं भी निकल ही रही हूँ. तुम उस जगह मिल जाना.
भाभी की बात सुनकर मैंने भी अपने घर पर दूर के दोस्त की शादी का बहाना कर दिया और घर से निकल गया.
प्रिया भाभी से जिधर मिलने की बात तय हुई थी, उधर जाकर मैंने भाभी को गाड़ी में बिठा लिया और आगे बढ़ गया.
कुछ दूर जाकर मैंने गाड़ी रोकी और अपना मोबाइल निकाल कर ओयो ऐप से हम दोनों के लिए एक अच्छा सा होटल बुक कर लिया और उसी होटल की तरफ गाड़ी मोड़ दी.
होटल के रूम में पहुंचते ही मैंने भाभी को पकड़कर चूम लिया.
तभी भाभी ने मुस्कुरा कर कहा- देवर जी इतनी भी क्या जल्दी है, अब तो मैं तुम्हारी ही हूं. हम जो भी करेंगे, आराम से मजे लेकर करेंगे. लेकिन पहले मुझे तैयार हो जाने दो.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान. जैसा तुम कहो.
फिर भाभी ने अपने बैग में से लाल साड़ी और एक मेकअप का बैग निकाला और बाथरूम में तैयार होने चली गईं.
थोड़ी देर बाद भाभी तैयार होकर बाहर आईं, तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गईं.
भाभी लाल साड़ी में पूरे मेकअप के साथ एकदम स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी.
बाहर आते ही भाभी ने मेरे झुककर मेरे पैर छुए तो मैंने भाभी को उठाकर अपने गले से लगा लिया और उनके गालों को चूम लिया.
भाभी से मैंने इसका कारण पूछा, तो भाभी ने कहा- अब मैं दिल से आपको अपना पति मान चुकी हूं, इसीलिए आज आपके साथ सुहागरात मनाना चाहती हूं.
मैंने भाभी से कहा- मेरी जान, मैं भी दिल से तुम्हें अपनी बीवी का दर्जा दे चुका हूं. परंतु क्या करें जैसा कि तुम जानती हो कि पहले ही मेरी शादी हो चुकी है. पर आज मैं एक वादा तुमसे करता हूं कि जिंदगी भर तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा, तुमसे ऐसे ही प्यार करता रहूंगा.
भाभी बोलीं- बस मेरी जान मेरे लिए इतना ही बहुत है, मुझे और इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए.
मैंने प्रिया भाभी को अपने गले से लगा लिया और उनके शहद जैसे होंठों का रसपान करने लगा.
भाभी भी इसमें मेरा पूरा सहयोग कर रही थीं. कभी वो मेरी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसतीं और कभी अपनी जीभ को मेरे मुँह घुसा देतीं.
मैंने जल्दी से उनके मखमली बदन को साड़ी के साथ उसके ब्लाउज और पेटीकोट से आजाद कर दिया. अब भाभी मेरे सामने ब्लैक कलर की ब्रा और पैंटी में थीं, जो बिल्कुल नई थी.
भाभी ने भी देर ना करते हुए मेरे पैंट और शर्ट को खोल दिया.
मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर कर बेड पर पटक दिया और उनको बेतहाशा चूमने लगा. मैं भाभी के लाल सुर्ख होंठों पर चुम्मी की बौछार करने लगा. मैं कभी उनके कानों को चूमता, कभी उनकी आंखों को.
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि किसी औरत को गर्म करना हो, तो उसके कानों के आसपास चूमने और चाटने से वो बहुत जल्दी गर्म हो जाती है. और आंखों पर चूमने से औरत को बहुत अच्छा महसूस होता है.
भाभी भी गर्मा गई थीं और उन्होंने भी मुझे अपनी बांहों में कस कर भींच लिया था.
मुझे नीचे पटक कर भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और मेरे सीने को चूमने लगी थीं.
मैंने इस पोजीशन में अपने हाथ पीछे ले जाकर भाभी की ब्रा का हुक खोल दिया, जिससे उसके 36 इंच के चुचे उछल कर बाहर आ गए.
मैं उनकी चूचियों के निप्पल बारी बारी से अपने मुँह में भर कर चूसने लगा.
बीच-बीच में मैं भाभी के निप्पलों को अपने दांतों से हल्का-हल्का काट भी लेता था. जिससे प्रिया भाभी के मुँह से मीठी सी आह निकल जाती.
मेरा एक हाथ भाभी के मुलायम चूचियों को दबा रहा था और दूसरा उनकी कमर पर और उनके चूतड़ों को दबाने में लगा था.
कुछ ही देर में भाभी पूरे जोश में आ गई थीं.
इस जोश के चलते जल्दी ही हम दोनों के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं बचा था.
हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे.
तभी मैंने भाभी से 69 की पोजीशन में आने के लिए कहा, तो भाभी ने ऐसा ही किया.
अब भाभी मेरे लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगीं और मैं उनकी चिकनी चूत का रसपान करने लगा.
इधर मैं अपने लंड से भाभी के मुँह को चोदने लगा और उधर भाभी अपनी चूत का दबाव मेरे मुँह पर बना रही थीं.
हम दोनों मानो जन्नत में थे.
करीब 15 मिनट ऐसी अवस्था में रहने के बाद भाभी ने बोला- मुझसे नहीं रहा जाता, अब मुझे अपनी रखैल बना लो और अपने मस्त लंड से मेरी घमासान चुदाई कर दो.
मैंने कहा- अभी लो मेरी जान.
भाभी को मैंने डॉगी स्टाइल में आने को कहा, तो भाभी एक पल की भी देर न करते हुए झट से कुतिया बन गईं.
पहले मैंने भाभी के चूतड़ों पर बारी बारी से किस किया. फिर उनकी चुत में अपनी जीभ घुसा दी.
भाभी मस्त हो गईं और बेड पर अपना सिर पटकने लगीं. वो मुझसे जल्दी से चोदने के लिए मिन्नतें करने लगीं.
मैंने भी भाभी की हालत पर तरस खाकर अपना लंड चुत के मुँह पर रख दिया और एक ही झटके में अपना लंड भाभी की चुत की गहराई में उतार दिया.
भाभी के मुख से एक सुखमयी ‘आह मर गई ..’ निकल गई.
एक दो धक्कों में ही लंड ने स्थान ग्रहण कर लिया और मैंने अपनी रफ्तार बढ़ानी शुरू कर दी.
जल्दी ही भाभी की चुत में से कामरस बहने लगा, जिससे कमरे में फच-फच की ध्वनि विस्तारित होने लगी.
दस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद मैंने भाभी से कहा कि मेरा निकलने वाला है.
भाभी ने कहा कि मुझे तुम्हारा माल पीना है.
मैं भाभी की चुत में से अपना लंड निकाल कर उनके मुँह के पास लाया.
भाभी मेरा लंड पकड़ कर तेजी से हिला हिला कर चूसने लगीं.
जल्दी ही मेरे लंड से गरम लावा निकलकर भाभी के मुँह में भर गया जिसे भाभी बड़े मजे के साथ पी गईं.
मैंने भाभी से पूछा- कैसा लगा मेरे लंड से निकले वीर्य का स्वाद?
भाभी ने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा- मुझे बहुत अच्छा लगा … आगे से जब भी हम सेक्स करेंगे, तो तुम अपना रस एक बार मेरे मुँह में जरूर निकालना.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान, जैसा आप कहोगी … वैसा ही होगा.
कुछ मिनट बाद भाभी मेरे लंड से फिर से खेलने लगीं. जिससे मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया.
मैंने कहा- भाभी अब मुझे आपकी गांड मारनी है.
भाभी बोलीं- मेरी जान मैं तो पूरी की पूरी तुम्हारी हूं, जैसे चाहो कर सकते हो. पर जरा आराम से करना … क्योंकि मैंने आज तक गांड नहीं मरवायी है. यह बिल्कुल अनछुई है.
मैंने कहा- मेरी जान आप चिंता मत करो, मैं बहुत प्यार से करूंगा और आपको इतना मजा दूंगा कि आप मुझसे चुत मरवाने की बजाए कहोगी कि पहले गांड में घुसाओ.
मेरी बात सुनकर भाभी हंसने लगीं और बोली- धत्त बदमाश कहीं के.
मैंने भाभी से सीधा लेटने के लिए कहा, तो भाभी पैर खोल कर सीधी लेट गईं
भाभी की गांड के नीचे मैंने एक तकिया लगा दिया और उनके दोनों पैरों को मोड़कर छाती पर लगा दिया.
इससे उनकी चुत के साथ गांड का छेद भी ऊपर आ गया.
भाभी की गांड का छेद एकदम लाल था. उसको देखते ही मेरे मुँह में भी पानी आ गया.
मैंने अपनी जीभ भाभी के गांड के छेद पर लगा दी.
मेरे ऐसा करने से भाभी के मुख से आह भरी सीत्कार निकल गई.
इस तरह मैं अपनी जीभ से भाभी की गांड को चोदने लगा.
भाभी भी बड़े मजे से अपनी गांड ढीली करते हुए जीभ से मजा एने लगीं और गांड उठाकर जीभ से गांड चुदवाने में मेरा साथ देने लगीं.
कुछ ही देर में उनकी मस्ती का आलम ये था कि वो बीच-बीच में बोल रही थीं- आहह्ह … ईशशस … हां बहुत मजा आ रहा है मेरी जान … आह ऐसे ही करते रहो.
मेरे दोनों हाथ भाभी के पेट नाभि और चुचियों को सहला रहे थे.
पांच मिनट में ही भाभी अपनी गांड उठाकर चुत में से कामरस छोड़ने लगीं, जिसे मैं अपनी जीभ से चाटने लगा.
अब भाभी बोलीं- देवर जी आप देर मत करो … आज मेरी गांड का भी उद्घाटन कर ही दो, मुझे नहीं पता था कि इसमें भी इतना मजा आता है … नहीं तो मैं कब का आपका लंड अपनी गांड में घुसवा चुकी होती.
इतनी देर भाभी की गांड और चुत को चाटने के बाद मेरा लंड भी कड़क हो चुका था. मुझे ऐसा लग रहा था कि लंड की नसें अभी फट जाएंगी.
मैंने भाभी से कहा कि मेरी जान आपको थोड़ा सा दर्द होगा … झेल लोगी न?
भाभी ने कहा- मेरी जान, तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं.
मैंने उनकी चुत पर एक चुंबन लेते हुए अपना लंड अपनी प्यारी भाभी की गांड के छेद पर रख दिया और धीरे-धीरे दबाव बनाने लगा.
इतनी देर गांड चुसायी के कारण मेरा आधा लंड भाभी की गांड के छेद में घुस गया.
तभी भाभी ने मुझे रुकने के लिए कहा और बोली- मेरी जान थोड़ा सा आराम से … पहली बार है ना … इसलिए धीरे धीरे करना.
मैंने कहा- मेरी जान चिंता मत करो.
मैं एक मिनट के लिए रुक गया. भाभी जैसे ही थोड़ी सामान्य हुईं … मैंने एक और झटका दे मारा. इससे मेरा पूरा लंड भाभी की गांड को चीरता हुआ अन्दर गहराई में घुस गया.
भाभी दर्द दबाते हुए बोलीं- आह मेरी जान … तुमने तो मुझे मार ही दिया.
मैंने कहा- जान, बस एक मिनट का दर्द सहन कर लो … उसके बाद मजा ही मजा है.
फिर मैंने अपना लंड धीरे धीरे वहीं पर आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
कुछ देर में ही भाभी का दर्द कम हो गया … तो उनके मुँह से फिर से सुख भरी सीत्कार निकलने लगीं.
अब वह भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरी ताल से ताल मिलाने लगीं और बोलीं- और जोर से … पूरा अन्दर तक घुसा दो … आह आज मुझे अपनी रंडी बना लो, मैं तुम्हारी गुलाम हूं.
अब भाभी की गांड में भी मेरे लंड की जगह बन चुकी थी, जिससे मैंने अपने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी और भाभी की गांड की ताबड़तोड़ चुदायी होने लगी.
करीब 20 मिनट बाद मेरा माल निकलने को था. मैंने भाभी से पूछा- कहां निकालूं?
भाभी ने कहा- मेरी जान इस गांड का उद्घाटन आपने ही किया है … तो अपने माल से मेरी गांड को भी निहाल कर दो.
मैंने कहा- ठीक है मेरी जान.
बस अगले कुछ पलों में मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा निकल कर भाभी की गांड में भर गया. मेरे लंड पर थोड़ा खून भी लग गया था.
उसके बाद कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे के ऊपर पड़े रहे.
फिर मैंने भाभी को गोद में उठाया और हम दोनों ने बाथरूम में एक साथ शॉवर लिया.
उसके बाद हमने खाना ऑर्डर किया जो 45 मिनट बाद आया.
इस दौरान हम दोनों ने एक बार और सेक्स किया. उस दिन हमने 4 बार सेक्स किया.
रात को सेक्स करते समय मैंने भाभी से कहा- इस बार कुछ नया करते हैं.
भाभी बोलीं- मैं तो तुम्हारे लंड की गुलाम हूं, तुम बस बोलो, क्या करना है.
मैंने प्रिया भाभी को अपने दिल की बात बतायी. मैंने कहा- बहुत दिनों से मेरे अन्दर ही इच्छा थी कि आपके साथ मुझे थ्री-सम करना है.
भाभी ने मजाक किया- तो तीसरा कौन है?
मैंने उनकी बात का मर्म समझ लिया और कहा- बस कोई गर्म चुत वाली ही तीसरी होगी.
भाभी हंस दीं.
मैंने भी उनकी चूची मसल कर कहा- बताओ न भाभी … आपकी नजर में तीसरी कौन है?
भाभी हंसकर बोलीं- देवर जी इतने बेचैन न हो. आप जैसा चाहोगे वैसा ही होगा. मेरी एक सहेली है जो कि कॉलेज में पढ़ती है. अगर आप चाहो तो मैं उसे अपने साथ ले आऊंगी.
ये सुनकर मेरे मन में खुशी के हजारों दिए जल उठे. मैंने भाभी को गले से लगा लिया और उनके गालों को चूमते हुए कहा- आई लव यू मेरी जान!
भाभी मुस्कुरा दीं.
मैंने कहा- भाभी मुझे कुछ अपनी सहेली के बारे में बताओ न … और उसकी कोई फोटो भी दिखाओ. हो सके उसको फोन करके कल आने के लिए बुला लो.
तब भाभी ने मुझे व्हाट्सएप पर उसकी प्रोफाइल फोटो दिखायी, जो कि दिखने में एकदम मस्त माल लग रही थी.
भाभी ने उसका नाम ट्विंकल (उम्र 22) बताया. वो पंजाब से थी और पास के कॉलेज में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी.
ट्विंकल बहुत ओपन माइंडेड थी और उसे सज धज कर रहना बहुत पसंद था.
इस सबके साथ ही ट्विंकल को नए-नए दोस्त बनाना, उनके साथ मस्ती करना भी बहुत पसंद था.
मैंने भाभी से कहा- मेरी जान, आप इससे बात तो शुरू करो.
भाभी ने हंस कर मेरी बेचैनी को समझ लिया और ट्विंकल को फोन लगा दिया.
इसके बाद थ्रीसम चुदाई की कहानी का क्या हुआ … वो सब मैं आपको इस देसी भाभी गांड कहानी के अगले भाग में लिखूंगा. आप मुझे मेरी इस सेक्स कहानी के लिए मेल करना न भूलें.
आपका विन तालन
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देसी भाभी गांड कहानी का अगला भाग: भाभी और उनकी सहेली के साथ सेक्स का मजा- 2
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