चूत एक पहेली – 61

(Chut Ek Paheli- Part 61)

पिंकी सेन 2015-12-24 Comments

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अब तक आपने पढ़ा..

अर्जुन समझ गया कि यह क्या चाहती है.. वो सीधा लेट गया, उसके पेट पर उल्टी साइड निधि भी लेट गई, अब उसकी फूली हुई चूत अर्जुन के मुँह के पास थी और उसने घप से अर्जुन का लौड़ा मुँह में ले लिया था।
दोनों की चुसाई का प्रोग्राम शुरू हो गया और कोई 15 मिनट तक ये चलता रहा।
अर्जुन जीभ की नोक से चूत को चोद रहा था.. जिसे निधि ज़्यादा देर बर्दाश्त ना कर सकी और उसके मुँह में झड़ गई। अर्जुन उसका सारा चूतरस गटक गया और चूत को चाट-चाट कर एकदम साफ कर दिया।

अब आगे..

अर्जुन- बस मेरी बुलबुल.. अब हट भी जा.. तेरी चूत का लावा तो मैं पी गया। अब मेरे लौड़े को भी तेरी गुफा में जाने का रास्ता दे दे..
निधि ऊपर से उठते हुए बोली- तुम फुद्दी को चूत क्यों कहते हो.. मैंने कितनी बार तुम्हारे मुँह से यह सुना है?
अर्जुन- मेरी जान इसका असल नाम यही है.. शहर के लोग इसको चूत ही कहते हैं यह बोलने में भी अच्छा लगता है। अब ये सवाल बाद में पूछना.. जल्दी से घोड़ी बन जा.. मुझे तेरी गाण्ड मारनी है। मेरा लौड़ा तो तूने चूस कर लोहे जैसा बना दिया है.. अब तरसा मत..

निधि को पता था कि अर्जुन अब पूरा गर्म हो गया है, अब उसको ज़्यादा तड़पाना ठीक नहीं है.. नहीं तो वो उसको झटके दे दे कर तड़पा देगा, वो चुपचाप घोड़ी बन गई।
अर्जुन ने गाण्ड के छेद पर लौड़े को रखा और धीरे से धक्का दिया, उसका सुपारा अन्दर चला गया।
निधि- आह.. धीरे से डालो ना.. दुख़ता है आई..

अर्जुन- अबे चुप साली.. कितनी बार तो गाण्ड मरवा चुकी है.. अब काहे का दुख़ता है..
निधि- अरे तेरा लौड़ा कोई छोटा सा है क्या.. जो नहीं दु:खेगा.. जब भी अन्दर जाता है.. दर्द होता है। वैसे भी कितने दिन हो गए तुझे गाण्ड में घुसाए.. अब दु:खेगा ही ना..
अर्जुन- अच्छा.. अच्छा.. अब ठीक से सीधी हो जा… एक बार दु:खेगा बाद में नहीं.. अब मैं पूरा घुसा देता हूँ।

अर्जुन ने एक जोरदार धक्का मारा.. तो पूरा लौड़ा गाण्ड की गहराई में समाता चला गया।
निधि- आह आह.. अर्जुन.. तू तो पूरा घोड़ा है रे.. आह्ह.. कितना लंबा लौड़ा है तेरा.. जान ही निकाल देता है।
अर्जुन- अब पूरा घुस गया ना.. चल मजबूती से टिकी रह.. अब तेरी सवारी करता हूँ.. ठका ठक.. ठका ठक..

इतना कहकर अर्जुन स्पीड से निधि की गाण्ड मारने लगा, उसकी पॉवर तो आपको पता ही है, निधि को सांस भी नहीं लेने दे रहा था.. घपाघप लौड़ा अन्दर-बाहर कर रहा था।
निधि- आहह आह्ह.. आईईइ.. मर गई रे माँ.. आह्ह.. जल्दी से चोद ले.. आह्ह.. निकाल दे पानी.. आह्ह.. आह्ह.. ऐइ..

लगभग 20 मिनट तक अर्जुन गाण्ड को चोदता रहा, निधि बेचारी थक कर चूर हो गई थी, उसके झटके थे भी पॉवरफुल.. वो छोटी सी जान कहाँ सह पाती, आख़िर निधि पेट के बल लेट गई और लौड़ा गाण्ड से निकल गया।
अर्जुन- अबे साली पसर क्यों गई.. थोड़ी देर और करने देती.. पानी आने ही वाला था मेरा..
निधि- ना अर्जुन.. मेरी कमर दु:खने लगी है.. रात की नींद भी है.. तू मेरे मुँह को चोद ले.. वैसे भी तेरा रस पिए बहुत दिन हो गए हैं..
अर्जुन- अच्छा ये बात है.. तो ले मेरी रानी.. सीधी लेट जा.. आज तेरे मुँह को ही चोद कर पूरा मज़ा लूँगा।

निधि सीधी लेट गई और अर्जुन उस पर सवार हो गया, उसके मुँह को चोदने लगा, बीच-बीच में वो रुक जाता.. तो निधि उसके सुपारे को होंठ दबा कर चूसती.. उसकी गोटियों पर जीभ घुमाती।
ऐसे ही 15 मिनट और निकल गए। अब अर्जुन की नसें फूलने लगी थीं.. वो स्पीड से निधि के मुँह को चोदने लगा और आख़िरकार उसने अपना सारा रस उसके मुँह में भर दिया।

निधि ने सारा माल पी लिया.. अपनी जीभ से लंड को साफ किया।
अर्जुन- आह.. अब मज़ा आया.. रात की सारी थकान उतर गई.. अब आएगी सुकून की नींद.. चल कपड़े पहन ले.. नहीं तो तेरी जवानी को देख कर मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो जाएगा।
निधि- बस बस.. पहली बार में ही तू जान निकाल देता है.. दूसरी बार तो तेरा पानी निकलने का नाम ही नहीं लेता। तू भी कपड़े पहन ले और मुझसे दूर होकर सोना.. नहीं तो तेरा क्या भरोसा.. फिर से तेरे जी में आ गया.. तो.. मेरी चूत का कबाड़ा हो जाएगा।
अर्जुन- हा हा हा.. साली मज़ा भी लेती है और डरती भी है.. चल अब नहीं करूँगा.. सो जा.. नहीं तो तेरी भाभी आ जाएगी और उसकी भी चुदाई मुझे करनी पड़ेगी।

दोनों अब सुकून की नींद सो गए थे।
अब यहाँ से वापस पायल के पास चलते हैं, अब तक वो रेडी हो गई होगी।

पुनीत और रॉनी रेडी होकर पायल के कमरे के बाहर खड़े नॉक कर रहे थे.. मगर अन्दर से कोई जबाव नहीं आ रहा था।
रॉनी- अरे यार ये पायल को अब क्या हो गया.. लगता है सो गई है..
पुनीत- अरे नहीं रे.. ये लड़कियों के हमेशा नखरे होते हैं रेडी होने में कुछ ज्यादा ही वक्त लगाती हैं।
रॉनी- ओ मेरी प्यारी बहना.. अब आ भी जा.. कितना वक्त लगावगी यार..

पायल ने दरवाजा खोला.. तो दोनों उसको देखते ही रह गए।
पायल ने ब्लैक शॉर्ट्स पहना हुआ था जिसमें से उसकी मोटी जांघें खुली हुई थीं.. उस पर स्लीवलैस लाल टी-शर्ट.. ऊपर से ब्लैक जैकेट.. वो भी स्लीबलैस ही था, उसमें पायल कयामत लग रही थी।

पुनीत- वाउ यार.. पायल तुम बहुत अच्छी लग रही हो..
रॉनी- सच में पायल.. तुम बहुत अच्छी लग रही हो। अब बोलो तुम्हें कहाँ जाना है।
पायल- कहीं भी भाई.. बस घूमने का मज़ा आना चाहिए।
रॉनी- ठीक है.. आज हम ऐसी जगह जाएँगे.. जहाँ खूब मस्ती करेंगे.. एयरलिफ्ट में आसमान की सैर करेंगे।
पायल- ओह.. वाउ.. आप फनपार्क की बात कर रहे हो.. वहाँ तो बहुत मज़ा आएगा।

तीनों घर से निकल गए और फनपार्क में चले गए। वहाँ बहुत से लड़कों की नज़र पायल पर टिकी हुई थीं.. हर कोई उसकी गाण्ड को देख कर अपना लौड़ा सहला रहा था। मगर ये कोई मामूली लड़की तो थी नहीं.. जो कोई इसको छू कर मज़ा ले लेता। इसके साथ इसके दोनों भाई जो मौजूद थे। हाँ ये अलग बात है कि पुनीत खुद मस्ती मजाक में उसको छू कर मज़ा ले रहा था।

अब यहा इनको मज़ा करने दो। यहाँ कुछ खास है भी नहीं.. आपको सीधे शाम का सीन दिखा देती हूँ।

दोपहर को अर्जुन और निधि सुकून की नींद में थे। उनको भाभी ने उठाया और तीनों फ्रेश होकर बाहर लंच करने गए, उसके बाद हॉस्पिटल में चले गए और शाम तक वहीं रहे।

नर्स- चलो अब यहाँ मत रहो.. आप लोगों को समझ क्यों नहीं आता.. आपका मरीज आईसीसीयू में है.. उससे आप मिल तो सकते नहीं.. तो यहाँ बैठने से क्या फायदा.. हम हैं ना देखभाल के लिए.. अब आप सब जाओ सुबह कोई एक आ जाना.. डॉक्टर से मिल लेना। अब जाओ समझे..
अर्जुन- ठीक है.. हम वो सामने की बिल्डिंग में ही हैं.. अगर कोई बात हो तो बता देना.. हम आ जाएँगे।
नर्स- अच्छा अच्छा.. अब जाओ यहाँ से..

वो तीनों वापस फ्लैट में आ गए।
निधि बाथरूम चली गई..
तब भाभी ने अर्जुन से कहा- वो आदमी आएगा तो निधि यहीं रहेगी उसके सामने.. कैसे कुछ हो पाएगा..
अर्जुन- तुम उसकी फिकर मत करो.. मैं उसको समझा दूँगा, वो दूसरे कमरे में सो जाएगी।
भाभी- अच्छा ठीक है.. मगर तुमको पक्का पता है कि वो आदमी मेरे साथ चुदाई के लिए ही आएगा।
अर्जुन- अरे कितनी बार बताऊँ उसका इशारा यही था। अब आप बार-बार एक ही बात मत पूछो।

भाभी कुछ कहतीं.. तभी वहाँ बिहारी आ गया, उसको देख कर दोनों एकदम से चुप हो गए।
बिहारी- का हाल है… कोना जरूरी बतिया हो रही थी का?
अर्जुन- अरे नहीं नहीं बिहारी जी.. आइए ना.. हम तो बस ऐसे ही बात कर रहे थे कि आप बहुत अच्छे इंसान हो..
बिहारी- अच्छा बोल कर हमको गाली ना दो.. हम कोई अच्छा नहीं हूँ.. तुमको काम याद है ना.. कुछ देर बाद जाना है हमार आदमी के साथ..
अर्जुन- अरे हाँ.. बिहारी जी.. याद है और मैंने भाभी को भी समझा दिया है। आप यहीं रहना इनके साथ.. इनको संभाल लेना..

बिहारी होंठों पर जीभ घुमाने लगा, वो कुछ कहना चाहता था.. तभी निधि वहाँ आ गई।
बिहारी- ई कौन वा.. सुबह तो नहीं देखा हम इसको?
भाभी- यह मेरी ननद है.. सुबह अपने भाई के पास थी अस्पताल में..
बिहारी सवालिया नजरों से अर्जुन की तरफ़ देखता है कि अब क्या होगा?
अर्जुन- बिहारी जी आपसे एक बात करनी है.. आप मेरे साथ बाहर आएँगे..

बिहारी बाहर चला जाता है। उसके पीछे अर्जुन भी चला जाता है।
अर्जुन- देखिए बिहारी जी.. मैं जानता हूँ अपने हमें ये जगह क्यों दी है। मैं निधि को समझा दूँगा.. वो दूसरे कमरे में सो जाएगी। आप आराम से अपना काम कर लेना।
बिहारी- तोहार को देख कर ही हम समझ गया था.. तू बड़ा समझदार है। ये छोकरी बीच में तो नहीं आएगी ना.. अच्छी तरह समझा देना..

अर्जुन ने बिहारी को भरोसा दिलाया कि निधि नहीं आएगी और उसको कुछ पता भी नहीं लगेगा- आप आराम से अपना काम कर लेना।
बिहारी- ये हुई ना बात.. अभी हम चलता हूँ.. एक घंटा बाद हमार आदमी तोहार को लेने आएगा.. उसके साथ चले जाना पीछे से मैं तोहार भाभी का अच्छे से ख्याल रख लूँगा।

दोस्तो, उम्मीद है कि आपको कहानी पसंद आ रही होगी.. तो आप तो बस जल्दी से मुझे अपनी प्यारी-प्यारी ईमेल लिखो और मुझे बताओ कि आपको मेरी कहानी कैसी लग रही है।
कहानी जारी है।
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