मेरी दूसरी चुदाई भाई के साथ
(Brother Sister Gand Fuck Kahani)
ब्रदर सिस्टर गांड फक कहानी में पढ़ें कि मेरा भाई हॉस्टल से घर आया तो रात को हम दोनों छत पर एक साथ सोये. भाई ने मेरे बॉयफ्रेंड के साथ मेरी चैट देख ली. वह मुझे वासना की नजर से देखने लगा.
आपने मेरी पिछली कहानी
बुर्के वाली लड़की कॉलेज में चुद गयी
पढी और खूब पसंद की.
मेरी उस पहली चुदाई के कुछ दिनों बाद क्या हुआ मेरे साथ?
इस ब्रदर सिस्टर गांड फक कहानी में पढ़ें.
मेरा छोटा भाई हॉस्टल से घर आया।
आप लोगों को बता दूँ कि मेरे छोटे भाई का नाम अजान है।
वह दिखने में काफी हैंडसम है।
हम दोनों भाई बहन में काफी अच्छी दोस्ती है.
इसी वजह से जब अजान घर आता है तो ज्यादातर मेरे ही साथ रहता है।
अजान के घर आने की वजह से घर में सभी लोग बहुत खुश थे।
रात को खाना खाने के बाद अजान बोला- आपा! आज हम लोग छत पर सोएंगे।
वैसे तो मैं अपने रूम में सोती हूं लेकिन अजान ने बोला तो मैं मान गई और बिस्तर लेकर छत पर गई।
छत के एक कोने में हम दोनों ने बिस्तर लगाया.
एक ही मच्छरदानी होने की वजह से भाई मेरे बगल में लेट गया।
उस वक्त मैं मोबाइल में भाई से छिपा कर आकाश से सेक्सी चैट कर रही थी।
अचानक से भाई मेरा मोबाइल छीनने लगा।
मैं उसे बार बार रिक्वेस्ट कर रही थी कि मैं कुछ जरूरी काम कर रही हूं, प्लीज मेरा मोबाइल छोड़ दो।
लेकिन वह पूरी मस्ती में था इसलिए वह मोबाइल छोड़ नहीं रहा था।
मोबाइल छीनने के चक्कर में कभी वह मेरे ऊपर तो कभी मैं उसके ऊपर!
लेकिन अभी भी मेरे मन में मेरे भाई को लेकर कुछ गलत नहीं था।
फिर वह हुआ जिसके बारे में मुझे कुछ अंदाज नहीं था।
मेरे भाई का लन्ड खड़ा हो गया, उस वक्त वह मेरे ऊपर था।
जब उसके लन्ड का अहसास हुआ तो मैं सिहर गई और मोबाइल छोड़ दिया।
भाई ने मेरी और आकाश की पूरी चैट पढ़ ली।
वह अभी भी मेरे ऊपर था।
कुछ समय बाद मैंने गुस्से में उसे धक्के देखकर अपने ऊपर से नीचे उतार दिया और मोबाइल छीन कर मच्छरदानी से बाहर निकलने लगी।
भाई मेरे गुस्से को समझ गया और मुझसे माफ़ी मांगने लगा।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद मैं मान गई और फिर उसके बगल में लेट गई।
कुछ देर बाद भाई ने डरते हुए बोला- आपने बॉयफ्रेंड बना लिया और मुझे बताया भी नहीं?
मैं अपने भाई से आकाश के बारे में कुछ बताना नहीं चाहती थी इसलिए उसकी बात काटते हुए बोली- तुमने भी तो मुझे अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में कुछ नहीं बताया?
मेरी बात सुन कर वह बहुत मायूस होकर बोला- अभी तक मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं बनी है।
अपने भाई की यह बात सुन कर अचानक से मेरे मन में ख्याल आया, मतलब मेरा भाई अभी तक वर्जिन है।
पता नहीं क्यूं मेरे भाई के लिए मेरे मन में गंदे गंदे ख्याल आने लगे।
लेकिन भाई बहन के इस रिश्ते को मैं खराब नहीं करना चाहती थी इसलिए अपने मन को दबाए हुए थी।
मैं बिल्कुल चुप थी।
भाई मुझसे चिपकते हुए धीरे से बोला- आपकी तरह अभी तक मैंने कभी सेक्स का मजा नहीं लिया है।
उसके मुंह से सेक्स की बाते सुन कर मैं चौंक गई लेकिन अब मैं उससे झूठ भी नहीं बोल सकती थी क्योंकि पहले भी उसने पूरी चैटिंग पढ़ ली थी।
उसका लन्ड अभी भी खड़ा था, शायद उसके मन में मुझे चोदने का ख्याल चल रहा था।
मैं उसके खुद से अलग करते हुई बोली- कोई बात नहीं! तुम्हें भी कोई अच्छी लड़की मिल जायेगी, उसके बाद तुम भी उससे मजे ले लेना।
मेरी बात को उस पर ज्यादा असर नहीं हुआ, उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए अपने निक्कर के अंदर डाल दिया और बोला- तब तक इसका क्या करूं?
उसका लन्ड करीब 7 इंच का था और बहुत मोटा भी।
उसके खड़े लन्ड की गर्मी का अहसास मेरे हाथ पर हो रहा था।
दूसरी बार मैंने किसी का लन्ड अपने हाथ में पकड़ा हुआ था।
वह एक बार फिर मेरे करीब आ गया और अपने हाथ से मेरे हाथ को कस के पकड़े हुए था, ताकि मैं उसके लन्ड से अपना हाथ हटा न लूं।
मैं उससे बोली- यह गलत है, हम दोनों के बीच ऐसा कुछ नहीं हो सकता, प्लीज मेरा हाथ छोड़ दो।
लेकिन वह मान नहीं रहा था और मुझसे लगा रिक्वेस्ट करने!
थोड़ी देर ऐसे ही झिक झिक करने के बाद मैं कुछ सोचते हुए बोली- ठीक है! लेकिन तुम जो चाहते हो, वह हम दोनों में कभी नहीं हो सकता, लेकिन मैं उसको शांत कर देती हूं।
मेरा भाई अपने खड़े लन्ड के आगे मजबूर था, वह कामुक आवाज में बोला- कुछ भी करो लेकिन इसे शांत कर दो।
मैं अपना हाथ छुड़ाते हुए उसे सीधा लिटाकर, एक बार फिर उसके निक्कर के अंदर हाथ डालकर, उसके मोटे लन्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया।
उस वक्त मेरे भाई की आंखें बंद थी।
उसका लन्ड इतना मोटा था कि मेरी मुट्ठी में ठीक से आ नहीं रहा था.
मैं निक्कर के अंदर ही अपने भाई के लन्ड की मुठ मारने लगी।
अजान अपनी आंखें बंद करके मजा ले रहा था।
लगातार 5 मिनट मुठ मारने के बाद भाई ने मेरा हाथ पकड़ते हुए बोला- आपा! कुछ और करो, इससे यह शांत नहीं होगा और मुझे वह वाला मजा भी नहीं आ रहा है।
उस वक्त तक मैं भी जोश में आ गई थी, मेरी दोनों चूचियां टाइट हो गई थी और मेरी चूत में लन्ड लेने की खुजली मचाने लगी थी।
मैं किसी तरह खुद पर काबू रखे हुई थी।
लेकिन मैं कब तक अपने चूत को अपने काबू में रख सकती थी।
मैं धीरे से अपने भाई के कान में बोली- ठीक है, मैं कुछ और करती हूँ लेकिन तुम अपनी आंखें मत खोलना।
वह मेरी बात मान गया।
मैं उठ कर बैठ गई और चारों तरफ देखने लगी।
चारों तरफ अंधेरा था, बगल के छत कर सब लोग गहरी नींद में थे।
मैंने धीरे से अपने भाई का निक्कर उतार दिया और झुक कर अपनी जीभ को उसके लन्ड के टोपे फिराने लगी।
इससे अजान की चीख निकल गई।
मैं उसके बोली- क्या कर रहे हो, कोई सुन लेगा।
उसने कहा- सॉरी आपा, यह मेरी पहली बार है इसलिए ऐसा हो रहा है. लेकिन मुझे बहुत मजा आ रहा है। प्लीज आप ऐसे ही करो।
मैं मुस्कुराती हुई बोली- आगे आगे देख कितना मजा आने वाला है।
फिर मैं उसके लौड़े को अपने होंठों पर रख कर मुंह के अंदर लेने लगी और कुल्फी की तरफ चूसने लगी.
मेरी जीभ उसके लन्ड के टोपे पर टच होते ही भाई ने कहा- यस बेबी … आह्ह … पूरा चूस … चूस जाओ आपा!
लंड चुसवाते समय अजान के मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आह … हहहह … इस्स … दी इसी तरह चूसो बड़ा मजा आ रहा है.
मैं उसके लन्ड को अच्छे से चूसने लगी.
वह भी उत्तेजना से मेरे मुंह में अपना लन्ड घपाघप पेले जा रहा था।
मेरे मुंह में इस तरह से लन्ड पेलने से गू … गू … फच … फच … सर्र … सर्र … की आवाज आ रही थी।
जिससे भाई और उत्तेजित होकर और जोर से पेल रहा था।
मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
करीब पांच मिनट बाद मैंने अपने भाई का लन्ड अपने मुंह से निकाला।
फिर मैंने अजान का गीला लण्ड हाथ में पकड़ा और पिंक टोपे को जीभ लगाने लगी.
आह्ह … वह तो सिसकार उठा.
मैं अपनी जीभ उसके टोपे पर गोल गोल घुमा रही थी।
अजान का लन्ड मेरे लार से भीग चुका था।
मैंने उसका लन्ड को सहलाते हुए उस पर थूक कर अपने मुंह में ले लिया और अपने हाथ से मुठ मारने लगी।
अब मैं भूल गई थी कि यह लन्ड मेरे भाई का है और उसके अपने मुझे में डाल कर जोर जोर से चूसने लगी।
उसका लन्ड मेरे मुंह में ठीक से आ नहीं रहा था लेकिन मैं किसी तरह तेजी से उसका लन्ड सर्रर … सर्रर … करके के चूस रही थी।
मेरे मुंह से चूसने की आवाज मेरे भाई को और कामुक कर रही थी।
वह जोश में मेरा सर पकड़ कर जोर से झटके देने लगा।
2 या 3 मिनट बाद मैंने अपने मुंह से उसका लन्ड बाहर निकाला।
भाई भी तुंरत उठ कर बैठ गया।
उस वक्त मैं घुटनों के बल बैठी हुई थी।
मैं अपने भाई को कुछ कह पाती, उससे पहले भाई ने मुझे पकड़ कर किस करने लगा और एक हाथ से मेरी चूचियों का दबाने लगा।
उस रात मैं सलवार कमीज पहनी हुई थी।
मेरा भाई कमीज के ऊपर से ही जोर जोर से मेरी चूचियों को दबाने लगा।
मैं उसे मना नहीं कर पाई और मैं भी उसका साथ देने लगी, एक हाथ से उसका लन्ड पकड़ के मुठ मारने लगी।
हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे।
धीरे धीरे मेरा भाई अपना हाथ मेरे गांड पर फिराने और दबाने लगा।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन मैं कुछ सोच कर उसका हाथ अपनी गांड से हटाते हुए कामुक आवाज में धीरे से बोली- सिर्फ ऊपर से ही जो करना है कर लो, नीचे की कोई उम्मीद मत रखो।
शायद यह बात मेरे भाई को बहुत बुरी लगी, उसने गुस्से में मेरा सर पकड़ कर नीचे कर दिया और एक ही झटके में अपना पूरा लन्ड मेरे मुंह में डाल दिया।
मैं अपने भाई के सामने घोड़ी बनी हुई थी और उसका मोटा लन्ड मेरे मुंह में था।
मेरी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
वह पूरे जोश के साथ मेरे मुंह को चोदने लगा मानो मैं कोई रण्डी हूं और यह मेरा मुंह नहीं चूत है।
मेरे मुंह से गु … गु की आवाज निकलने लगी।
वह बड़ी तेजी से मेरे मुंह को फच … फच … करके चोदे जा रहा था।
बीच बीच में उसके मुंह से कामुक आवाजें आ … ह … ऊ … ह.. निकल रही थी.
मेरी आंखें लाल हो गई थी।
मेरे चेहरे से पसीने, और मुंह से लार टपक रही थी।
कुछ ही समय में उसका शरीर ऐंठने लगा, शायद उसका पानी निकालने वाला था।
उसने मुझ अपनी तरफ ऊपर खींचा,
मैंने पूछा- क्या हुआ?
भाई ने बोला- शायद मैं झड़ने वाला हूं!
फिर मैं बोली- कोई नहीं, मेरे मुंह में ही झड़ जाओ. मैं भी तो देखूं मेरे भाई का रस कैसा है?
और मैं फिर भाई का लंड चूसने लगी जल्दी जल्दी!
2 मिनट में भाई मेरे मुंह में ही झड़ गया।
मैं उसका पूरा रस पी गई और अपनी जीभ से चाट कर भाई के लन्ड को भी साफ किया।
अब उसका लन्ड शांत हो गया था।
अजान पसीने से भीग चुका था।
वह बिस्तर पर लेट गया।
मैं भी उसके बगल में लेट गई।
लेकिन मेरी चूत में चूदाई की आग लग चुकी थी।
मैं किसी तरह अपनी चूत की पानी निकलना चाहती थी लेकिन मैं खुल कर अजान से बोल भी नहीं सकती थी।
थोड़ी देर बाद अजान ने मुझे थैंक्स बोला।
मैं मुस्कुराते हुए धीरे से बोली- तुम्हारा तो हो गया, लेकिन मेरा क्या?
इतना सुनते ही वह मुझ से लिपट गया’ मानो साले को मेरी चूत चोदनी ही थी।
लेकिन मैं थोड़ी इतराते हुए बोली- ज्यादा उतावला मत हो, जिस तरह मैंने तुम्हारा पानी निकला है, उसी तरह तुम भी मेरा पानी निकल दो।
अजान को मेरी चूत की इतनी पड़ी थी कि वह कुछ भी मना नहीं कर पा रहा था।
वह मेरे होठों पर किस करते हुए बोला- ठीक है।
पहले उसने बड़े रोमांटिक स्टाइल में मेरे होंठों को चूसा, फिर धीरे धीरे उसका हाथ मेरे मम्मों से होकर कमर तक आ गया.
वह मेरी कमर को मसल रहा था.
थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि वह मेरी सलवार के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगा था.
ऐसा करने से मैं सिहरने लगी. मेरे होंठों पर एक नशीली खुमारी सी चढ़ने लगी.
लगभग दो मिनट ऐसा करने के बाद वो मेरी टांगों की बीच में बैठ का मेरी सलवार निकालने लगा.
मैं इतनी कामुक हो चुकी थी कि मुझे अपने भाई के सामने नंगी होने में थोड़ी भी शर्म नहीं आ रही थी।
उस रात काफी अंधेरा सा हम दोनों एक दूसरे को ठीक से देख नहीं पा रहे थे, शायद इसलिए हम दोनों की शर्म भी नहीं आ रही थी।
कुछ ही समय में अजान ने मेरी चूत को सहलाते हुए मेरी पेंटी निकाल दी।
मुझसे अब बरदाश्त नहीं हो रहा था, मैंने उसका सर पकड़ कर अपनी चूत पर लगा दिया।
वह भी मेरी तरह उतावला था, बिना विरोध किए मेरी चूत को बड़ी बेरहमी से चाटने लगा।
पहले तो भाई अपनी जीभ को चूत के पास ले गया और चूत को चूमते हुए चूत के होंठों को दांतों से दबाया.
मैं कसमसा उठी.
उसने मेरी पूरी चूत पर जीभ फेरी।
मेरी पूरी चूत थूक और चूत के पानी से सन गयी.
अजान ने अपनी जीभ चूत के अंदर डाल दी और ऊपर नीचे करके चाटने लगा।
मैं मस्त होकर सिसकारने लगी- इस्स … उम्म … आह्ह … भाई … खा लो पूरी!
वह मेरी चूत को बड़े बेरहमी से चाटने लगा और अपनी जीभ मेरी चूत की दरार के अंदर घुसा दी।
मैं उसकी जीभ की गर्मी को ज्यादा देर तक झेल नहीं पाई।
कुछ की पल में मेरी चूत से पानी निकल गया।
अजान ने भी मेरी चूत का पूरा पानी पी गया।
अब मैं ठंडी हो गई थी।
मैंने अजान को अपने ऊपर खींचा.
वह मेरे ऊपर आकर मुझसे लिपट कर लेट गया।
मेरी नंगी चूत पर पर उसका नंगा लन्ड भी लेट गया।
हम दोनों चुपचाप आंखें बंद करके लेटे हुए थे।
मेरी चूत के अहसास से एक बार फिर उसका लन्ड खड़ा हो गया और मेरी चूत पर इधर उधर रेंगने लगा।
मैं भी अपने भाई का लन्ड लेने के लिए मचलने लगी।
अजान मुझे ललचाई हुई नजरों से देख रहा था, और मैं उसे!
अब मैं भी अपनी चूत के आगे बेबस थी, मैंने सोचा अब जो होगा, देखा जायेगा।
मैंने भाई को आंखो से इशारा करके बोला कि अपनी कमर को ऊपर उठाओ।
उसके बिना कुछ बोले अपनी कमर को ऊपर किया।
फिर मैं धीरे से अपना हाथ अपनी चूत के पास ले गई और उसके लन्ड को हाथो से पकड़ कर अपनी चूत के दरारों में रगड़ती हुई बोली- यह बात हम दोनों के अलावा किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए. और प्लीज आज के बाद हम दोनों के बीच यह कभी नहीं हो सकता है।
मेरी बात सुन कर अजान मेरी कसम खाते हुए बोला- कभी किसी को पता नहीं चलेगा! हम दोनों के बीच में पहले जैसा था, आगे भी वैसा ही रहेगा।
बस इतना सुनते ही मैंने उसका लन्ड अपनी चूत की छेद कर रख दिया और उसे धक्के देने का इशारा किया।
शायद उसे इस चीज का जन्मों से इंतजार हो, इशारा पाते ही वह पूरी ताकत के साथ मेरी चूत में एक ही झटके में अपना पूरा लन्ड घुसा दिया।
मैं अभी ठीक से तैयार नहीं थी इसलिए दर्द से मेरे मुंह से गाली निकल गई- आह … उह … बहन चोद … साले … मैं मर गई! आह … प्लीज निकाल इसे!
मेरी आंखों से आसूं निकल रहे थे।
लेकिन उसे अपने लन्ड के आगे मेरी चूत के दर्द का थोड़ा भी अहसास नहीं था।
बड़ी बेरहमी से भाई मुझे चोदने लगा।
उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा और मैं ‘ऊई ईईई ऊईई ई आहह हह’ करके चिल्लाने लगी और मैं छूटने के लिए छटपटा रही थी.
पर भाई मुझे ऐसे ही कहां छोड़ने वाला था.
एक बार फिर उसने जोर से धक्का लगाया और पूरा लंड अंदर चला गया.
मेरी चीख निकली- ऊईई ईईई ईईईई ऊईई ईईई ईईई … मर गई … बचाओ बचाओ!
ऐसा लग रहा था कि जैसे वह आज मेरी चूत फाड़कर ही दम लेगा।
अब मुझे दर्द कम हो रहा था. कुछ धक्के लगते ही मानो जैसे मेरा दर्द गायब सा हो गया था.
मुझे चुत चुदाई में मजा आने लगा था.
उसने मेरी चूचियां को तेज़ तेज़ दबाना शुरू कर दिया और उसके हर झटके से मेरी जान निकल रही थी।
मैं ‘ऊई ऊइई ऊईई ईई आहह हहह आह हहह … छोड़ो मुझे छोड़ो …’ चिल्लाती रही लेकिन वह मुझे पागलों की तरह चोदता रहा।
अजान के मोटे लंड ने आज मेरी चूत का भोसड़ा बना दिया था।
मेरे मुँह से सिसकारियां निकल रही थीं- आह्हह उम्म्म आह्ह आह्ह हाए आह्हह!
इन्हीं आवाजों के साथ मैं चुदाई के नशे में खो गई.
अब मैं चुदाई के मज़े का आनन्द उठा रही थी और अपनी कमर उठा उठा कर उसका साथ दे रही थी.
साथ ही मैं चिल्ला रही थी- आह मुझे जोर से चोद … हां हां हां ऐसे ही चोद … ऊह आह ओह … ओह … आऊ!
अजान बोल रहा था- ले ले और ले … और अन्दर तक ले … तेरी चूत प्यासी है … प्यास बुझा अपनी चूत की!
मैं भी जोर जोर से बोल रही थी- चोद … मुझे चोद … जोर से चोद … और जोर से चोद … हां ऐसे ही मेरी चूत को फाड़ डाल … जोर जोर से झटका मार … घुसा दे अन्दर तक … पेल पेल और तेज पेल मुझे … और जोर से अन्दर कर … ओह्ह आऊ … ओईई आऊओ … मुझे जोर से चोद!
कुछ देर बाद मेरा बदन अकड़ने लगा.
अब शायद मैं झड़ चुकी थी.
कुछ ही समय में वह भी मेरी चूत में झड़ गया और निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गया।
थोड़ी देर बाद अजान मेरे ऊपर से नीचे उतरा।
मैंने एक कपड़े से अपनी चूत साफ की और अपनी पैंटी और सलवार पहन कर भाई के बगल में लेट गई।
रात के 2 बज रहे थे, अजान अभी भी नंगा लेटा हुआ था।
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
वह मेरी चूचियों को सहलाते हुए बोला- मजा तो बहुत आया लेकिन और भी मजा आता जब हम दोनों एक दूसरे की सील तोड़ते! लेकिन आपने पहले ही किसी से तुड़वा ली थी।
उसकी बात सुन कर मैं मुस्कुराते हुए भाई ले लन्ड को अपने हाथ से मसलती हुई बोली- अच्छा जी! मेरे भाई को मेरी सील तोड़नी थी!
अब मैं उससे खुल कर चुदाना चाहती थी।
मैं उसका हाथ पकड़ कर अपनी गांड पर रखते हुए बोली- आकाश ने मेरी चूत की सील तोड़ी है, तुम चाहो तो मेरी गांड की सील तोड़ लो। अभी तक यह कुंवारी है।
मेरी गांड फक की बात सुन कर वह चौंक गया और खुशी से मुझे ऊपर खींच कर मेरी गांड को दबाने लगा।
मैं उसे रोकती हुई बोली- यहाँ नहीं, रूम के अंदर चलो, मैं भी तुम से खुल कर चुदाना चाहती हूं।
एक बार फिर उसका लन्ड खड़ा हो गया था … लेकिन इस बार मेरी गांड मारने के लिए!
हम दोनों एक दूसरे की किस करते हुए रूम में गए।
रूम के अंदर नाइट बल्ब जल रहा था, इस बार हम दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे।
अजान मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़कर मेरे दूध दबाने लगा.
उसने पीछे से ही मेरी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए.
अपने हाथ मेरे कमीज में घुसा कर उसने मेरे दूध पकड़ लिए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगा.
मेरे मुँह से सिसकारी निकलने लगी- हहहह ओह्ह … आह … रुक जाओ ओह्ह!
पर वह अब कहां मानने वाला था … सलवार के ऊपर से ही वह अपना लंड मेरी गांड पर घिसने लगा.
फिर उसने मेरी सलवार और पैंटी घुटनों तक सरका के मुझे घोड़ी बना दिया।
मेरी कमर पकड़कर गांड के छेद में अपना लन्ड सेट करते हुए एक जोरदार झटके के साथ उसने आधा लन्ड मेरी गांड में डाल दिया।
उसका लंड मेरी गांड को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा।
और मैं ‘ऊई ईईई ऊईई ई आहह हह’ करके चिल्लाने लगी।
तभी उसने जोर से धक्का लगाया और पूरा लंड अंदर चला गया.
मेरी चीख निकली- ऊईई ईईई ईईईई ऊईई ईईई ईईई … मर गई … बचाओ बचाओ!
मैं दर्द से छटपटाने लगी और खुद को उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
ऐसा लग रहा था, किसी ने गर्म करके लोहे का रॉड मेरी गांड में डाल दिया हो।
मैं बहुत जोर से दर्द की वजह से चिल्ला रही थी लेकिन मेरा भाई मेरी टाइट चूचियों को कस के बड़े बेरहमी के साथ दबाए जा रहा था।
कुछ समय बाद मैं थोड़ी शांत होते हुए बोली- बेहनचोद … पहले अपने लन्ड से मेरी चूत को फाड़ दिया और अब गांड को। आज मुझे चोद चोद के मारने का इरादा है क्या?
इस पर उसने कुछ नहीं बोला।
शायद मेरी गांड से खून निकल रहा था।
एक बार फिर वह अपना लन्ड मेरी गांड पर सेट करते हुए धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।
इस बार मेरा दर्द कम हुआ इसलिए मैं घोड़ी बनी रही।
वह मुझे ऐसे चोद रहा था जैसे कोई कुत्ता कुतिया चोद रहा हो।
फिर भाई मेरी दोनों चूचियों को मसलने लगा और थप थप थप करके अपनी पूरी रफ्तार से चोदने लगा।
अब मैं भी जोश में आकर अपनी गांड चलाने लगी और आगे पीछे करने लगी।
वह यह देखकर जोश में आ गया और उसने और तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया।
पूरा कमरा दोनों की सिसकारियों से गूंज उठा था लेकिन हमें किसी का डर नहीं था।
वह मुझे एक बाजारू औरत की तरह चोद रहा था उसे मेरी चीख और दर्द की बिल्कुल परवाह नहीं थी।
अब मेरी सिसकारियां भी कम हो गई थी और मैं बस जैसे तैसे खुद को रोककर उसके लंड का सामना कर रही थी।
उसका लंड मेरी गांड में राजधानी एक्सप्रेस ट्रेन की रफ्तार से दौड़ रहा था।
ऐसा लग रहा था, जैसे वह आज मेरी गांड फाड़कर ही दम लेगा।
मैं ‘ऊई ऊइई ऊईई ईई आहह हहह आह हहह … छोड़ो मुझे छोड़ो …’ चिल्लाती रही लेकिन वह मुझे पागलों की तरह मेरी गांड फक करता रहा।
कुछ ही समय में वह तेजी से मुझे चोदते हुए बोला- अब मैं झड़ने वाला हूं। इसे कहां निकालूं?
मैं अपनी गांड हिलाते हुए बोली- जहां मन करे, वहाँ जल्दी से निकाल ले बहनचोद, नहीं तो मेरी जान निकल जायेगी।
उसने एक जोरदार झटके के साथ पिचकारी मेरी गांड में छोड़ दी।
उसका गर्म लावा मेरी गांड में जाते ही मैं आह … करके के सिहर उठी।
उस पूरी रात हम दोनों भाई बहन ने चुदाई की।
प्यारे दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ब्रदर सिस्टर गांड फक कहानी?
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