बिन माँगे मोती मिले
(Bin Mande Moti Mile)
सभी लंड धारियों को मेरा लंडवत नमस्कार और चूत की मल्लिकाओं के चूत में उंगली करते हुए नमस्कार!
मित्रो, आप सभी ने मेरी कहानी
सुहागरात : एक आस एक प्यास
पढ़ी और अब मैं इस कहानी का दूसरा भाग लेकर प्रस्तुत हूँ।
अभी तक आपने पढ़ा कि कैसे मैं और लतिका मिले, कैसे लतिका को अपने सुहागरात को पूरा करने का मौका मिला और कैसे मैंने उसकी चूत को बुरी तरह से चोदा और अब समय था उसकी गांड चोदने का।
उस रात मैंने उसको तीन बार चोदा लेकिन उसकी गांड नहीं चोद पाया।
उसने कहा- साहिल उसमें बहुत दर्द होगा, तुम इसे फिर कभी कर लेना! अब तो मैं बस तुम्हारी हूँ।
अब तक भोर के 4:30 बज चुके थे, हम दोनों ही बुरी तरह थक चुके थे और नंगे ही एक दूसरे की बाँहों में बाँहें डाले सो गए।
जब हमारी आँख खुली तो दोपहर का एक बज रहा था। हम दोनों ने एक दूसरे को देखा और एक प्यारी सी स्माइल दी फिर एक मस्त वाला स्मूच किया और वो उठी और बाथरूम चली गई।
रात की चुदाई का असर इतना था कि वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
वहाँ से आकर उसने अपने कपड़े पहने और चाय बनाने चली गई।
हमने चाय पी और फिर वो मेरे गले लगी और अपने कमरे में चली गई।
फिर मैं उठा, अपने कपड़े पहने और बालकनी में आकार सिगरेट पीने लगा।
सच में रात का नशा ही अलग था जिसका सुरूर अब तक मुझ पर भी था। एक तो कितने दिन बाद चूत मिली और वो भी इतनी कसी हुई, मज़ा आ गया।
कुछ देर बाद वो नहा कर आई और बोली- फ्रेश हो जाओ, खाना तैयार है।
हमने साथ में खाना खाया, थोड़ा आराम करने के बाद हमने कहीं घूमने का प्लान किया और तैयार होकर निकल लिए।
वहीं थोड़ी दूरी पर एक मॉल था जिसमें हमने जाने का प्लान बनाया और पहुँच गए वहाँ।
उसे एक लेडीज़ शॉप के सामने ले जाकर मैंने कहा- कुछ शॉपिंग करनी है?
उसने कहा- नहीं।
मैंने कहा- अगर मैं कुछ गिफ्ट करना चाहूँ तो?
उसने कहा- ठीक है लेकिन पसंद भी तुम्हारी ही होगी।
हम शॉप में चले गए और मैंने सेल्स मैन को कुछ अच्छी ब्रा और पैंटी दिखने को कहा।
उसने कई तरह के सेट दिखाए जिनमें से मुझे एक रेड कलर की डिजाइनर ब्रा और पैंटी पसंद आई और फिर एक नाइट गाउन जो केवल चूतड़ों तक आता था, दिखाने को कहा।
उसने मुझे एक ही पीस दिखाया और मुझे पसंद आ गया, एकदम काला हल्की नेट वाला गाउन था वो!
हम वहाँ से निकल कर हम मूवी के लिए चले गए। रास्ते में लतिका एकदम मुझसे चिपक कर चल रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
उसने कहा- कुछ नहीं, बस यही सोच रही हूँ कि इतनी सेक्सी शॉपिंग कर रहे हो तो आज की रात मेरा क्या हाल करोगे?
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और हम दोनों हंसने लगे।
हमने मूवी देखी, बाहर ही खाना खाया और घर के लिए निकल लिए।
मैंने अपनी बाइक एक मेडिकल स्टोर पर रोकी और वहाँ से एक पैकेट कोंडोम और एक बेबी ऑइल लिया और थोड़े ही देर में हम घर आ गए, दोनों अपने अपने कमरे में चले गए।
रात के 11 बज रहे थे, लतिका कपड़े बदल कर मेरे कमरे में आ गई और हम बैठ के बातें करने लगे…
लतिका- साहिल पता नहीं तुमने मुझ पर क्या जादू कर दिया है, बस एक ही दिन में कि बस तुमसे हर समय चुदने का ही मन कर रहा है। दोपहर में भी मन कर रहा था कि तुम मुझे मसल दो, चोदो मुझे लेकिन तुम्हारा बाहर जाने का मन था इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा! और अभी भी समय बर्बाद करने का मन नहीं कर रहा है। बस मन कर रहा है कि कब तुम्हारा लंड मेरे बुर में चला जाए।
मैं- तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, लो अभी कराता हूँ तुम्हें जन्नत की सैर… लेकिन पहले मैंने जो कपड़े खरीदे हैं उन्हें पहन कर तो दिखाओ।
उसने मुझे कहा कि तुम बालकनी में जाओ और जब मैं बुलाऊँ तब आना।
मैं बाहर आ कर सिगरेट पीने लगा और करीब बीस मिनट घंटे बाद उसकी आवाज़ आई- अंदर आ जाओ।
जब मैं अंदर गया तो मेरी तो आँखें ही फटी रह गईं… क्या लग रही थी वो… एकदम सुंदर!
मेरे बाहर जाने के बाद शायद वो अपने कमरे में से मेकअप का सामान लेकर आई थी और फिर वही भीनी भीनी ख़ुशबू।
मैं तो पागल हो रहा तो उसे देख कर!
मैंने देर न करते हुए उसे अपने पास खींचा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और चूसने लगा उसके होंठों का रस।
काफी देर तक किस करने के बाद हम अलग हुए, मैंने उससे कहा- कुछ भी हो जाए लेकिन आज मुझे तुम्हारी गांड चोदनी है।
उसने कहा- तो रोका किसने है।
अंधे को क्या चाहिए दो आँखें!
मैंने तुरंत उसे बेड पे पटका और सवार हो गया उस पर… हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे और चुम्बन करते करते उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिये अब बस एक अंडरवियर मेरे शरीर पर बच गया था।
मैं भी उससे अलग हुआ और उसका गाउन उसके शरीर से निकाल फेंका।
क्या लग रही थी वो रेड ब्रा और पैंटी में। एक तो सांवला बदन, उस पर लाल ब्रा पैंटी!
अब मैं फिर से उससे लिपट गया और उसको चूमने लगा।
अब उस पर सुरूर चढ़ रहा था उसकी सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गई थी।
मैंने एक एक करके उसकी ब्रा पैंटी भी उतार दिये और जो बेबी ऑइल मैंने खरीदा था उससे उसके बदन की मालिश करने लगा।
उसका जिस्म तो आग की भट्टी जैसे जल रहा था।
खैर मैंने उसके जिस्म के हर हिस्से की मालिश की चूत को छोड़ कर… फिर मैं नीचे आया और अपने होंठ उसके चूत पर रख दिए और उसके बुर के दाने को रगड़ने लगा।
अब तक तो एकदम पागल सी हो गई थी- साहिल आहह ह ह हहह हह, अब नहीं रहा जा रहा चोद दो मेरी बुर को। बहुत परेशान कर रही है मुझे, डाल दो अपना मूसल जैसा लंड मेरी चूत में।
जैसे जैसे वो बोल रही थी, मैं उसके चूत को और तेजी से चूसता जा रहा था साथ ही साथ अपनी जीभ से उसे चोदता भी जा रहा था।
अब उसके लिए रुकना मुश्किल हो गया था- हम्म म्म म्म म्म आहह ह ह ह चोदो, मुझे ज़ोर से फाड़ दो मेरी बुर को, निकाल दो इसकी सारी गर्मी। चोदो मुझे साहिल ललल आहह हह हहह ह म्म म्मी मैं गई ई ई ई ई ई।
और कहते कहते वो झड़ गई, उसने मेरा मुंह अपने पानी से भर दिया।
स्वाद कल से अलग था और अच्छा था इसलिए मैं सारा पी गया।
उसके बाद वो उठी और बिना कुछ कहे मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी।
कुछ ही देर में मैं सातवीं आसमान पर था। मैं चाहता भी था कि मेरा माल जल्दी गिर जाये जिससे मैं उसकी गांड पूरे ज़ोर से चोद सकूँ।
मैंने उसके दो छेद तो पहले ही चोद दिये थे, अब बारी थी तीसरे की।
फिर हुआ भी बिल्कुल वैसा ही… थोड़ी ही देर में मैंने मेरा पूरा रस उसके मुंह में भर दिया, फिर एक साइड होकर लेट गया।
लेकिन उसके ऊपर तो शायद वासना का भूत चढ़ा था, वो फिर से मेरे लंड को अपने हाथों से मसलने लगी और तुरंत ही अपने मुंह में ले लिया और बड़े प्यार से चूसने लगी।
उसके उतावलेपन को देखकर मैं भी अपने आप को रोक नहीं पाया, उसकी हरकतों से मेरा लंड फिर से फुफकारने लगा।
आज वो कल से ज़्यादा कामुक लग रही थी।
मैंने भी देर न करते हुए उसे सीधा लिटाया और अपने लंड को उसके बुर के दाने पर रख कर रगड़ने लगा। अब उसका बुरा हाल था और वो सहने की हालत में एकदम नहीं थी- डाल दो अंदर साहिल… अब नहीं सहा जा रहा, फाड़ दो मेरी गांड को लेकिन चोदो मुझे… दया करो मुझ पर!
मैंने देर न करते हुए एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसके बुर में जड़ तक पेल दिया।
अचानक हुए हमले से उसकी चीख निकल गई लेकिन मैं रुका नहीं और उसको ताबड़तोड़ चोदता रहा।
‘और र र र र तेज़… आऊम म मम म म्मी… हाँ ऐसे ही चोदो मुझे फाड़ दो साली को शांत कर दो मुझे साहिल लल ल ल चोद द द द द मुझे हम्म म्म म म्म तेज़ ज़ ज़ ज़ ज़ आहह ह ह ह, मेरा होने वाला है चोद मुझे मसल दो मुझको मार दो मुझे आज और तेज़ साहिल।
कहते कहते उसका पानी निकाल गया और वो शांत हो गई।
मैं पहले ही एक बार गिर चुका था तो अभी मेरा गिरने की कोई उम्मीद नहीं थी
मैंने उसे उल्टा लिटाया और तेल की शीशी से ढेर सारा तेल निकाल कर उसकी गांड के छेद पर लगा दिया और अपने लंड पे भी लगा के जैसे ही मैंने अपना लंड उसके गांड के छेद पर लगाया तो उसने घबराहट के साथ कहा- साहिल धीरे से करना… नहीं तो बहुत दर्द होगा, अभी तक मेरी गांड कुँवारी है।
मैंने कहा- चिंता मत करो मेरी रानी। आज मैं तुम्हारी ऐसी गाँड मारूँगा कि तुम अपनी चूत से ज़्यादा अपनी गांड चुदवाओगी।
मैंने अपना लंड उसकी गांड के सिलवटों वाले भूरे छेद पर सेट किया और हल्का सा धक्का दिया।
तेल की मात्रा ज़्यादा होने के कारण मेरा लंड का सुपारा उसके छेद में घुस गया और उसी के साथ उसकी चीख निकल गई- आहह ह ह ह ह ह साहिल धीरे दर्द हो रहा है।
फिर मैंने अपना सुपारा बाहर निकाला और थोड़ा और तेल लगा कर फिर से धीरे धीरे अपना लंड डालने लगा, इस बार जब सुपारा अंदर गया तो शायद उसके दर्द कम हुआ और उसने भी अपनी गांड उठा कर मेरे लंड का स्वागत किया।
मुझे लगा कि अब माल तैयार है तो फिर मैंने एक और झटका मारा और मेरा तीन इंच लंड उसकी गांड में घुस गया।
वो तड़प उठी।
लेकिन फिर देरी ना करते हुए मैंने एक और धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी गांड के जड़ तक ठोक दिया।
मुझे पता था कि घुसाने में अगर मैंने रहम किया तो वो फिर कभी गांड नहीं मरवा पाएगी और शुरू में तो दर्द होगा ही।
वो रोने लगी- साहिल मैं मर जाऊँगी, प्लीजज्ज़ निकाल लो इसे, लगता है मेरी गांड फट गई है, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- जो होना था, वो हो गया, अब दर्द कभी नहीं होगा, अब तो मेरी जान, मज़ा आएगा!
और फिर मैंने उसकी चूचियों के साथ खेलना शुरू किया।
कुछ देर में उसका दर्द ठीक होने लग गया और उसने अपनी गांड को हिलाना शुरू किया।
मुझे हरी झंडी मिलते ही मैंने अपनी रेल दौड़ानी शुरू कर दी और उसकी गांड की धक्कम पेल चुदाई शुरू हो गई।
अब उसको भी मज़ा आने लगा था- हम्म म्म म्म म्मम आहह ह हह हह मज्जा आ रहा है… तुमने सच कहा था साहिल, गांड चुदवाने में बहुत मज़ा है, ओहह हहह ह और तेज़ ज़ ज़ ज़ आउच च च… आज से मैं पूरी तरह तुम्हारी हूँ, चाहे मुझे अपनी रंडी बनाओ या रखैल, मेरी बुर और गांड में सिर्फ तुम्हारा ही लंड जाएगा। चो ओ ओ दो ओ ओओ ओ ओ मुझे।
करीब 20 मिनट की जबर्दस्त चुदाई के बाद मेरा गिरने वाला था तो मैंने अपना लंड बाहर खींच कर उसकी बुर में पेल दिया और ताबड़तोड़ चोदने लगा। 30-35 धक्कों के बाद मैं और वो दोनों साथ में ही स्खलित हो गए।
कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे में गुँथे रहे और जब तूफान शांत हुआ तो वो उठी और कॉफी बना कर ले आई, हम साथ में बैठ कर कॉफी पीने लगे और बात भी करने लगे।
उसने कहा- साहिल, सच में गांड चुदवा कर बहुत मज़ा आया, तुमने सच ही कहा था।
फिर हम बातें करते करते एक दूसरे में गुँथ गए और फिर चुदाई शुरू।
यह सिलसिला करीब साल भर तक चलता रहा, फिर मैंने अपना रूम चेंज कर लिया लेकिन फिर भी हम मिलते और चुदाई करते रहे।
उसके बाद मैं एक ट्रेनिंग के लिए 6 महीने के लिए शहर से बाहर गया और जब लौट कर आया तो वो भी रूम छोड़ कर जा चुकी थी और उसका नंबर भी बदल चुका था।
फिर हम कभी नहीं मिले।
तो दोस्तो, ये रही मेरी एक और सच्ची घटना जिसमें मुझे बिना कुछ मांगे सब कुछ मिल गया।
आप सभी पाठकों से निवेदन है कि आपको मेरी कहानी पसंद आई या नहीं, मुझे लिखना ना भूलें, मुझे आपके पत्रों का इंतज़ार रहेगा
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