निरंकुश वासना की दौड़- 8

(Bhabhi Ki Xxx Gand)

भाभी की Xxx गांड मोटा लंड माग रही थी. शायद उसे गांड मरवाने में मजा आता था. उसने पहले मेरे पति के लंड को गांड में डलवाया, उसके बाद नीग्रो का लम्बा मोटा लंड पीछे से लिया.

कहानी के सातवें भाग
चुदाई के आनन्द के शिखर
में अब तक आपने पढ़ा कि नीलम और सुनील मुबई स्थित अपने मित्र निखिल और उसकी कामुक मगर अतृप्त पत्नी संध्या के साथ स्वैपिंग करते हैं। उसके बाद और अधिक आनन्द की तलाश में संध्या, सुनील और नीलम के साथ मुंबई से गोवा रवाना होती है। इस यात्रा में परिवर्तित हो चुकी संध्या अपनी वासना और जवानी का उन्मुक्त प्रदर्शन करती है। गोवा में सुनील, संध्या और नीलम दोनों को एक आश्चर्य जनक उपहार देता है। वह उन दोनों को बिना बताए, दो नौजवान नीग्रो के लंबे और मोटे लंड से चुदवाता है।

अब आगे भाभी की Xxx गांड:

संध्या और मैं दोनों मोटे मोटे लंड से चुदने और झड़ने के बाद सुनील की ओर बड़े प्यार से देख रही थीं।
किंतु सुनील के दिमाग में तो अभी और खुराफात चल रही थी, वह अभी संध्या को तो और भी हैरतअंगेज अनुभव देना चाहता था।

वह उठा और 69 की पोजीशन में आकर अपना लंड संध्या के मुंह में दे कर उसकी वीर्य भरी चूत चाटने लगा।

संध्या आश्चर्य मिश्रित प्रसन्नता से एक पराए मर्द सुनील को, दूसरे पराए मर्द काले नीग्रो के वीर्य को अपनी चूत से चाटते हुए देख रही थी।

संध्या ने तो पहली बार अपनी वीर्य से भरी चूत किसी मर्द को चटवाई थी।
पहली बार किसी मर्द को अपनी चूत से, वीर्य चटाने में होने वाले गर्व की अनुभूति की थी।

संध्या की चूत चाटने के बाद सुनील दीवानों की तरह मेरी चूत पर टूट पड़ा और मेरी चूत से भी नीग्रो का वीर्य चाटने लगा।

वैसे तो पति आमतौर पर अपनी पत्नी की चूत से स्वयं का वीर्य चाट नहीं पाते हैं क्योंकि वीर्य निकलने के साथ ही दिमाग में उफनी वासना शांत हो जाती है।
उसके बाद स्वयं का वीर्य चाटना लगभग असंभव होता है।

इसलिए जिस किसी भी मर्द को अपनी पत्नी की चूत से वीर्य चाटने की फैंटसी पूरी करनी है, वह अपनी पत्नी को यदि किसी गैर मर्द से चुदवा के उसे पूरी करने कोशिश करे तो संभवतः आसानी रहेगी।

सुनील भी शायद हम दोनों की चूत से नीग्रो लौड़ों का वीर्य चाट कर अपनी कोई फैंटसी पूरी कर रहा था।
ऐसा करके उसे असामान्य वाला आनन्द मिल रहा था।

उसने चाट चाट के बिना नैपकिन के ही हमारी चूतें साफ कर दी थीं।

संध्या अचरज से देख रही थी कि कहां निखिल और कहां सुनील … दोनों में ज़मीन आसमान का अंतर था।

उसने मेरी ओर देखा, मेरा ध्यान सामने खड़े दो राक्षसों पर था.

वे नंगे खड़े हुए पलंग पर पड़े हम तीनों को निहार रहे थे।

संध्या और मैं दोनों मुग्ध भाव से उनके नौ-दस इंच के दो मोटे बैंगन जैसे लंड को देखने लगी जो लटके हुए भी इतने मस्त लग रहे थे कि कोई भी औरत उन्हें अपनी चूत में लेने के लिए मचल जाए।

हम दोनों ने तो अभी इन्हें अपनी चूत में निचोड़ा था।

सुनील को बाहों में भरते हुए संध्या ने उसके होंठ चूम कर कहा- सुनील, तुम्हारे कारण मैंने आज आनन्द के शिखर को छू लिया है।

संध्या द्वारा आनन्द के शिखर को छू लेने की बात पर सुनील संध्या को समझाते हुए बोला- तुम तो चूत की नाव को, समय के चप्पू के साथ, वासना की नदी में, बहने के लिए छोड़ दो, फिर देखो कि जिंदगी में कितने आनन्द के किनारे मिलते हैं।

संध्या पूरी तरह समझ तो नहीं पाई कि सुनील क्या कहना चाह रहा है लेकिन उसे इतना अवश्य समझ आ गया कि वह उसे अब चुदाई के खेल में अगली पिछली सब कसर निकालने और खुलकर जिंदगी के मजे लेने के लिए प्रेरित कर रहा है।

69 की पोजीशन में सुनील के लंड को भी कुछ देर संध्या और कुछ देर मैंने चूसा था।

इसके अलावा सुनील तो इतनी देर से हम दोनों की नीग्रो लौंड़ों द्वारा चुदाई की लाइव पोर्न देख ही रहा था.
इसलिए उसका लंड भी बेताब था कि किसी न किसी छेद में घुसकर नमी, नर्मी और गर्मी का आनन्द ले।

वह पलंग से उठा और संध्या तथा मेरे को बोला- चलो देवियो, बहुत आराम कर लिया तुम दोनों ने! अब दोनों फिर से गर्म कुतिया की तरह गांड मराने के लिए तैयार हो जाओ।

हम दोनों उसके द्वारा बुलाए गए नीग्रो की चुदाई से अति प्रसन्न थीं इसलिए हम दोनो ने उसकी बात मानी और कुतिया बन के कुत्ते के हमारे ऊपर चढ़ने का इंतजार करने लगीं।

सबसे पहले उसने संध्या की गांड को जुबान की नोक द्वारा कुरेद कुरेद के मुख लार से चिकना किया.
उसका लंड तो पहले ही संध्या और मेरे थूक में सना हुआ था, उसने संध्या के कूल्हों के बीच में रखी हुई, भूरी अंजीर जैसे छेद पर, अपने लंड का सुपारा टिकाया और दम लगाने लगा।

संध्या की गांड का संकरा छेद चौड़ा होते हुए सुनील के लंड को अपनी गुफा में समाने लगा।
चूंकि संध्या पहले भी सुनील के लंड से गांड मरवा चुकी थी अतः उसे अपनी गांड में सुनील के लंड के घुसने से कोई परेशानी नहीं हुई बल्कि उसे अपनी गांड की रिंग पर सुनील के लंड का घर्षण बहुत सुखद लग रहा था।

इतने में एक नीग्रो पोजीशन बनाते हुए उसके नीचे आ गया और उसके भारी-भारी स्तनों को दुहते हुए, दोनों निप्पलों को बारी बारी चूसने लगा।

जब दोनों नीग्रो उसकी और मेरी चुदाई कर रहे थे तो सुनील अकेला चारों बोबों को चूस रहा था लेकिन यहां तो एक नीग्रो पूरी तरह उसी के साथ लगा हुआ था इसलिए उत्तेजना का एक नया बवंडर उसकी देह में उठने लगा।

संध्या की गांड की संकरी रिंग पर सुनील के लंड के रगड़े उसे बहुत सुख पहुंचा रहे थे।
उसे पहली बार गांड मरवाने के साथ स्तन चुसवाने का यह सनसनी भरा अनुभव हो रहा था।

संध्या अपने जीवन में आए इन अनोखे परिवर्तनों का पूरा पूरा मजा ले रही थी।

थोड़ी देर संध्या की गांड मारने के बाद सुनील ने अपना लंड संध्या की गांड से निकाला और उसके लंड की राह देख रही मेरी गांड में डाल दिया।

दूसरे नीग्रो ने भी मोर्चा संभाला और मेरे पुष्ट उरोज़ों से खेलते हुए उन्हें मसलने, दबाने और चूसने लगा।
मेरे बदन में भी सनसनी होने लगी।

मैं अभी तक हजारों पोर्न फिल्में देख चुकी थी, किसी पोर्न फिल्म में कभी ऐसा दृश्य देखने को नहीं मिला, जहां सामान्य मर्द अपनी पत्नी की गांड मार रहा हो और विशालकाय नीग्रो उस औरत के बोबों को चूस रहा हो।

संध्या और मैं, हम दोनों आज वासना के इस अनोखे नशीले संसार से परिचित हुई थीं, जहां मस्ती थी, मदहोशी थी, आनन्द था।

संध्या को महसूस हुआ कि इंसान इस आनन्द को उठाने में, समाज के दोहरे रवैए और पाखंड के कारण वंचित रह जाता है।
उसको आंतरिक खुशी थी कि वह नैतिकता के ओढ़े हुए जंजाल से बाहर आई थी।

सुनील दोनों औरतों की गांड बारी-बारी से मार रहा था।
वैसे भी सुनील तो इतनी देर से दोनों नीग्रो द्वारा मेरी और चुदाई मित्र संध्या की मस्त चुदाई देख देख के उत्तेजना से भरा हुआ था।

वह धक्के लगाते लगाते अनियंत्रित हो गया और मेरी गांड की गहराइयों में अपने वीर्य का इंजेक्शन लगाने लगा।

जब सुनील का लंड नर्म पड़ कर मेरी गांड से बाहर आया तो उसका वीर्य मेरी गांड से रिसने लगा।
अचानक संध्या को अपनी जुबान में खुजली सी महसूस हुई और वह अपने आप को रोक नहीं पाई और उसके होंठ, मेरी गांड से चिपक गए और उसकी जुबान मेरी गांड से रिसते हुए वीर्य के चटखारे लेने लगी।

मैं, सुनील और दोनों नीग्रो भौंचक्के से संध्या की ऐसी साहसी काम चेष्टाओं को देख के अचंभित हो रहे थे।

इस आनन्ददायक खेल के बाद हम सब आड़े तिरछे होकर गुत्थम गुत्था हुए और सो गए।

एक घंटे की नींद के बाद पांचों एक साथ बाथरूम में घुसे.

बाथरूम काफी बड़ा था।
दिमाग तो भीषण चुदाई ने ठंडा कर दिया था लेकिन शॉवर के नीचे पानी की बूंदें हमारे पस्त शरीर पर बहुत मस्त लग रही थीं।

कुछ ही समय में शरीर की ताजगी ने दिमाग को और आनन्द लेने के लिए सक्रिय कर दिया।

तरोताजा होने के बाद हम एक दूसरे के काम केंद्रों से छेड़छाड़ करने लगे, एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे।

दो चूतें थीं और तीन लंड थे।
उनमें भी सुनील का लंड तो अभी अभी तनाव मुक्त हुआ था किंतु नीग्रो लौड़ों को चुदाई किए काफी समय हो गया था।

संध्या और मैं दोनों बारी-बारी से नीग्रो के काले, लंबे और मांसल लौड़ों को, उन के आंड सहलाते हुए, चूतड़ दबाते हुए, चूसने लगीं।

हम दोनों को चूसने के लिए पहली बार ऐसे आकर्षक लंड मिले थे।
दोनों नीग्रो के लंड की मोटाई धीरे धीरे बढ़ने लगी, उन के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।

स्पष्ट था कि संध्या और मैं न केवल कामसुख हासिल करना चाह रही थीं बल्कि उसको पाने के लिए हम उन दोनों नीग्रो की वासना को पुनः भड़का भी रही थीं।

हम पांचों शॉवर लेकर बाथरूम से बाहर आए.
सुनील ने सोचा चुदाई के नए खेल शुरू करने के पहले थोड़ा ड्रिंक का आनन्द भी ले लिया जाए।

तो उसने अपने और दोनों नीग्रो के लिए पैग बनाए और तीनों बैठकर व्हिस्की के घूंट भरने लगे।

मैंने संध्या और खुद के लिए बीयर के गिलास भरे और दोनों घूंट घूंट पीने लगीं।

थोड़ी देर में दोनों वासना और शराब के दोगुने सुरूर में बहकने लगी थीं।
संध्या तो आज पहली बार बीयर पी रही थी लेकिन आज वातावरण के जिस नशे में वह थी, उसमें वह सारे मिथ्या बंधनों से मुक्त हो चुकी थी।

संध्या और मैं दोनों इंतजार कर रही थी कि कब दोनों सांडों के लंड में फिर से हम दोनों की चुदाई करने का दम आता है।
करीब एक घंटे के बाद में दोनों नीग्रो के लंड में हरकत शुरू हुई, वे दोनों और उन के लंड, एक साथ चुदाई के अगले दौर के लिए खड़े हो गए।

इस बार संध्या ने एक नीग्रो को बेड पर लिटाया और उसके कड़क लंड पर अपनी चूत सेट करके उस पर बैठती चली गई और नीग्रो के सीने पर अपनी चुचियों से गुदगुदी करने लगी।

उसकी सुडौल गांड देखकर दूसरे नीग्रो से रहा नहीं गया, वह आगे बड़ा और संध्या की गांड में जुबान से सरसराहट पैदा करने लगा।

संध्या की गांड में ऐसी खुजली मची कि वह जोर से चिल्लाई- मेरी गांड में अपना लंड डाल दे कुत्ते!

नीग्रो ने संध्या की गांड पर ढेर सारा थूक लगाया और अपने लंड को संध्या की गांड को चौड़ा करते हुए उसके छेद पर टिकाते हुए एक दमदार धक्का लगाया।

नीग्रो का लंबा, मोटा लंड, संध्या की गांड को चीरता हुआ एक तिहाई अंदर घुस चुका था।
संध्या ने जोश ही जोश में चूत के साथ-साथ गांड में लंड, डलवा तो लिया लेकिन उसकी आंखें फटी की फटी रह गई, मुंह से कराहें निकलने लगीं।

लंड के गांड में घुसने के बाद उसे समझ में आया कि जब एक मजबूत लंड पहले से चूत में था तो दूसरा गांड में घुसवाना कितना महंगा पड़ता है।

लेकिन कुछ देर में कुदरती तौर पर संध्या की चूत और गांड सेट हो गई।
उसने अपने नीचे लेटे हुए नीग्रो को कहा- अब तू बस पड़ा रह … मेरे को गांड मरवाने का मजा लेना है।

फिर वह खड़े हुए नीग्रो को चिल्ला कर बोली- अब जम के मार तू मेरी गांड, अच्छे से रगड़ दे, बहुत खुजली मच रही है यार!

नीग्रो ने अपने मोटे लंड के रगड़े भाभी की Xxx गांड में लगाने शुरू किए.
इससे संध्या की आंखों के आगे सितारे नाचने लगे।

संध्या के शरीर में इस समय दोनों नीग्रो के लंड, चूत और गांड के बीच की एक मुलायम झिल्ली के दोनों तरफ, आपस में एक दूसरे की मौजूदगी को महसूस कर रहे थे।

गांड मारने वाले नीग्रो को, संध्या की चूत में घुसे दूसरे नीग्रो के लंड के कारण, दोहरा मजा मिल रहा था।

संध्या के मुंह से सिसकारियां और चींखें दोनों निकल रही थीं।
आज के बाद उसको कभी भी गांड मराने में दर्द तो बिलकुल नहीं होगा।

नीग्रो रुक रुक के धक्के लगा रहा था.
अब संध्या फिर चिल्लाई- अब बस कर भोसड़ी के … मेरी गांड की मां चुद गई।

कमरे में ठहाका गूंजा।

मैंने कहा- साली कुतिया, तू ही चिल्ला रही थी, बहुत खुजली मच रही है. अब जम के रगड़ दे, उस समय तू भूल गई थी क्या कि तेरी गांड निखिल नहीं एक सांड मार रहा है. अब तो वह तेरी सारी खुजली मिटा के ही हटेगा।
संध्या बोली- हां यार, मेरी चूत और गांड में घुसे ऐसे महा लौड़ों के कारण अब तो ऐसा लग रहा है जैसे मैं छः सात महीने के गर्भ से हूं।

आखिर संध्या के गिड़गिड़ाने पर नीग्रो ने लगातार जोरदार धक्के लगाने के बाद जब उसने पूरा लंड गांड में घुसेड़ के वीर्य छिड़कना शुरू किया तो संध्या को ऐसा लगा जैसे गांड में निकला वीर्य कहीं उसके मुंह में न आ जाए।

गांड मारने वाले नीग्रो की आंखें बंद थीं, उसके कूल्हों की मांसपेशियों में हलचल हो रही थीं, बदन पर पसीने की बूंदें चमकने लगी थीं।

इस थ्रीसम के साथ ही संध्या ने अपनी ‘कामयात्रा’ का एक महत्वपूर्ण पड़ाव सफलतापूर्वक पार कर लिया था।

मेरा विश्वास है कि मेरी, दो चुड़क्कड़ औरतों की इस कामुकता से भरी कहानी के इस भाग का, मेरे सभी पाठक पाठिकाओं ने भरपूर मजा लिया होगा।

अब इस काम कथा की अंतिम कड़ी का इंतजार करें, जिसमें आप देखेंगे कि चिरव्याकुल संध्या को सुनील और नीलम मिलकर आनन्द के कौन से सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाते हैं।

भाभी की Xxx गांड की कहानी के बारे में अपनी बहुमूल्य राय और अमूल्य सुझाव मुझे भेजें, हर सार्थक मेल का स्वागत है। मैं हर एक को जवाब अवश्य दूंगी।
किंतु ध्यान रहे किसी दुराग्रह पूर्ण मेल का मैं जवाब नहीं दूंगी।
मेरी आईडी है
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भाभी की Xxx गांड की कहानी का अगला भाग: निरंकुश वासना की दौड़- 9

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