चचेरे भाई की सेक्सी बीवी- 3
(Bhabhi Ki Gand Fuck Kahani)
भाभी की गांड फक कहानी में मैंने अपने चचेरे भाई की सेक्सी गर्म बीवी को पूरी रात में कई बार चोदा. एक बार भाभी की गांड भी मारी. सुबह सोकर उठे तो हम दोनों नंगे पड़े थे.
कहानी के पहले भाग
चचेरी भाभी के साथ ओरल सेक्स का आनंद
में आपने पढ़ा कि चचेरे भाई की नंगी गर्म बीवी किए साथ मैं सेक्स का मजा ले रहा था. भाभी की चूत में लंड पेलने के बाद मेरी नजर अब भाभी की गांड पर थी.
मैंने अपना लन्ड रेनू की गांड के छेद से सटाया कर हल्का सा धक्का लगाया.
रेनू थोड़ा आगे की ओर खिसक गई जिसके लन्ड छेद में घुसते-घुसते रह गया.मैंने रेनू की गांड पर थप्पड़ लगाने शुरू कर दिए.
उसके हिप्स को पीछे खींच कर मैंने दुबारा लन्ड को गांड के छेद पर रख कर एक तेज धक्का मारा.आधा लन्ड उसकी मुलायम और कसी हुई गांड में घुस गया।
अब आगे भाभी की गांड फक कहानी:
“उई मां, मैं मर गई … हाय मार डाला मम्मी … मेरी गांड फाड़ दी जालिम! कितनी बार बोला है गांड में तो धीरे से डाला करो! तुम्हारे ही लन्ड ने मेरी गांड की सील तोड़ी है. वैभव तो बस मेरी गांड को चाट के खुश हो जाता है.”
“तुमको तो पता है, जब तुम्हें पहली बार देखा था, उसी दिन से तुम्हारी गांड का दीवाना हूं. तुम्हारी कसम … मैंने आज तक तुम्हारे जैसे मस्त हिप्स और चौड़ी गांड किसी औरत की नहीं देखी!”
“पता है ना … मेरी गांड की सील तुमने ही तोड़ी है. मैंने तुम्हारे लन्ड से पहले अपनी गांड में किसी को उंगली भी नहीं डालने दी.”
“पता है जानू … लेकिन तुमने आज तक ये नहीं बताया कि तुम्हारी छुटकी की सील किसने तोड़ी थी? वैभव ने या किसी और ने? खैर जिसने भी तोड़ी होगी वह सच में बहुत लकी होगा मेरी तरह! जो मुझे तुम्हारे दूसरे छेद में प्रवेश की प्रथम अनुमति मिली!”
रेनू चूत की सील वाले सवाल पर चुप रह गई, मैं समझ गया कि वह लकी आदमी वैभव तो बिल्कुल नहीं है.
इसी बीच मैंने पूरा लन्ड रेनू की टाईट गांड में उतार दिया.
वह भी अपनी गान्ड की तारीफ सुनकर मेरा भरपूर साथ देने लगी.
रेनू की गांड में लन्ड को अन्दर-बाहर निकलते देखना अकथनीय है.
बीच-बीच में रेनू अपनी गान्ड को सिकोड़ कर लन्ड को गान्ड में कस लेती।
कुछ देर के बाद रेनू की गांड में चूत का रस सूख सा गया जिससे लन्ड को गान्ड के अन्दर बाहर होने में दर्द सा महसूस होने लगा.
अब भाभी की गांड फक में दिक्कत सी हो रही थी.
मैं रेनू के बाथरूम में गया, वहाँ नारियल के तेल की बोतल रखी थी, मैं बोतल को उठा लाया.
रेनू अभी भी घोड़ी बनी हुई थी, वह लन्ड का गांड में दुबारा जाने का इंतजार कर रही थी.
मैंने बोतल का ढक्कन खोल कर उसको रेनू की गांड के छेद में घुसा दिया.
गांड के छेद में ढेर सा नारियल का तेल भर गया.
थोड़ा सा नारियल तेल रेनू के चिकने हिप्स पर मल दिया.
तब मैंने लन्ड को गांड के छेद में धीरे से घुसा दिया.
नारियल का तेल गांड फक में बहुत मदद कर रहा था.
बीच-बीच में लन्ड को रेनू की चूत में घुसा कर रेनू को दोगुना आनंद दे रहा था।
चूत और लन्ड के मिलन से कमरे में फ़च-फ़च की मधुर आवाजें गूंज रही थीं।
“तुम सच में कमाल हो! आह … तुम्हारे लन्ड की ताकत ने मुझे दीवाना बना दिया है. आज से मैं और मेरी चूत दोनों तुम्हारे गुलाम हैं मेरे सरताज! ऐसे ही मुझे चोदते रहो! आह … आह … और अन्दर डालो! और तेज … आज फाड़ दो मेरी चूत को … और अन्दर डालो … आह … आह … और तेज!”
लगभग 20 मिनट तक रेनू की गांड और चूत को लन्ड से तृप्त करने के बाद लन्ड की धक्कों की गति बढ़ गई.
उसकी आहें और फ़च-फ़च की आवाज चुदाई का जोश बढ़ा रही थी.
रेनू के बड़े- बड़े स्तन झूला झूल रहे थे.
कुछ सेकेंड की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद लन्ड ने गर्म-गर्म लावा रेनू की भट्टी-सी गर्म चूत में उगल दिया.
उसकी गांड का छेद भी थोड़ा सा खुल सा गया था.
लन्ड के बाहर निकलते ही रेनू की चूत के मुंह से गर्म लावा बाहर बहने लगा.
गुलाबी चूत से निकलता सफेद वीर्य और चूत रस हमारी मस्त चुदाई का पर्याप्त सबूत था।
इन दो घंटों में रेनू 4 बार झड़ चुकी थी. मेरी गोली ने मेरा भरपूर साथ दिया।
मैंने रेनू की चूत को कपड़े से अच्छी तरह से साफ किया, रेनू को गोद में उठा कर बेडरूम लाकर लिटा दिया।
रेनू को करवट के बल लिटा कर उसके पीछे लेट गया.
मेरे हाथों में रेनू के बड़े-बड़े स्तन थे और उसकी चौड़े चूतड़ों की दरार के बीच में मेरा लन्ड घुसा हुआ था.
इसी अवस्था में हम दोनों सो गए।
सुबह 8 बजे जब आँख खुली तो देखा कि कमरे में रोशनी भर चुकी थी.
रेनू अभी भी उसी तरफ लेटी हुई थी.
मेरा लन्ड पूरा खड़ा हो चुका था.
मैंने धीरे से चूत पूरा लन्ड घुसा दिया.
रेनू जाग गई लेकिन सुबह की चुदाई का मजा ही अलग होता है.
मैंने बहुत धीरे – धीरे से उसको चोदना जारी रखा.
मैं लगातार रेनू को 20 मिनट तक चोदता रहा.
इस बीच में रेनू की चूत ने दो बार पानी छोड़ा.
लेकिन ना वह हार मानने वाली और ना मैं।
मैंने रेनू की दोनों स्तन हाथों में दबोच लिए, उसकी नंगी पीठ को चाटना शुरू कर दिया.
बेड पर एक घमासान छिड़ा हुआ था.
फिर मेरे लन्ड ने रेनू की कसी हुई चूत में सारा वीर्य छोड़ कर आत्मसमर्पण कर दिया।
दोनों योद्धा हांफने लगे.
कुछ देर बाद रेनू बिस्तर से उठ कर बगल वाले रूम में गई जहां उसकी बेटी सो रही थी.
रेनू ने वापस आकर नाईटी पहनी और अपनी बेटी के लिए नाश्ता बनाने किचन में चली गई.
मैं दुबारा सो गया।
रेनू अपनी बेटी को तैयार कर स्कूल छोड़ कर आ गई.
बेटी का स्कूल उसके घर 5 मिनट की दूरी पर था.
किचन का सारा काम खत्म कर के नीचे वह फिर बेडरूम में आ गई.
उसने मेरे गहरी नींद में सो रहे लन्ड को अपने मुंह में लेकर लॉपीपॉप की तरह से चूसना शुरु कर दिया.
लन्ड महाराज उसकी नाजुक होठों की छुअन से जाग गए और पुनः अपने विकराल रूम में आ गए.
मैं सीधा होकर पीठ के बल लेट गया.
जब रेनू को लग गया कि लन्ड महाराज अब हमले के लिए तैयार हैं तब उसने अपनी नाईटी उतार के बिस्तर पर फेंक दी और मेरे मुंह की तरफ़ पीठ कर के मेरे लन्ड के ऊपर चढ़ गई.
लन्ड को चूत के छेद पर सेट कर वह बड़े आराम से बैठ गई.
मेरी तरफ उसकी चिकनी पीठ और नंगे मांसल हिप्स थे.
रेनू स्लो मोशन में चुदाई कर रही थी, उसके हिप्स की दरार में धीरे-धीरे लन्ड का अन्दर-बाहर होना मेरे संयम को हिला रहा था।
मैं उसके मांसल हिप्स को कभी नोच, कभी सहला रहा था.
जैसे ही मैं उसके दोनों हिप्स को अपने हाथों से नोचता, उसकी गांड का छोटा सा छेद खुल जाता था।
इस बार रेनू ने खुद को अपनी मर्जी से और अपने तरीके से चोदा।
मैं बस उसकी गांड की मांसलता और सुन्दरता में खोया हुआ उसका साथ दे रहा था.
रेनू ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया.
उसकी चूत से निकले पानी ने मेरे अंडकोष भी गीली कर दिए.
लेकिन रेनू की प्यास बुझने का नाम नहीं ले रही थी.
उसने थोड़ा सा आराम कर फिर से लन्ड पर कूदना शुरू कर दिया.
जब उसकी चूत ने दोबारा पानी छोड़ा तो वह गिर पड़ी और मेरी बगल में मेरे सीने पर सर रख कर लेट गई।
“तुम्हारे जैसा लन्ड मिलना किसी औरत के लिए बड़े सौभाग्य की बात है. अगर मेरी शादी तुमसे होती तो मैं अभी तक 7-8 बच्चों की मां बन चुकी होती!”
मैं रेनू के दर्द को समझ गया था, मैंने उसके सर हाथ फेरते हुए उसको समझाया- अरे इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं है. बच्चे होना, ना होना किस्मत की बात है. मुझे पता है तुममें कोई कमी नहीं, तुम एक सम्पूर्ण औरत हो, काश मेरी शादी तुमसे होती तो सच में तुम आधा दर्जन से ज्यादा बच्चों की मां होती, मैं तुम्हें रोज चोदता!
रेनू भावुक होकर मेरे सीने के बालों को सहलाने लगी.
मेरा लन्ड अभी भी खड़ा हुआ था।
“अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें मां बनने का सुख दे सकता हूं!”
“नहीं, वैभव और उनके सभी घरवालों को पता है कि वे कभी बाप नहीं बन सकते. अगर मैं मां बन गई तो सब को मुझ पर शक होगा. मुझे अब बच्चा नहीं चाहिए. बस तुम्हारा लन्ड इसी तरह मिलता रहे, मेरे लिए तुम्हारे जैसा लन्ड मिलना मेरे सौभाग्य की बात है!”
मैंने रेनू को चित करके लिटाया और उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगाया.
फिर मैंने रेनू की टांगों को थोड़ा सा मोड़ दिया.
उसकी चूत का स्वर्गद्वार काली घने वालों से घिरी एक मोटी दरार सा दिख रहा था.
रेनू की चूत आज भी किसी कुंवारी लड़की सी कमसिन थी.
चूत की मोटी दरार से दोनों पंखुड़ियों से जुड़ी हुई तिकोनी रचना हल्की सी बाहर झांक रही थी.
जैसे ही मैंने उसकी चूत के पट खोले, चूत का छोटा सा छेद लन्ड लेने के लिए उतावला हो उठा.
रेनू की मोटी-मोटी चिकनी जांघों और मांसल हिप्स के बीच छोटी सी चूत अत्यंत मनमोहक लग रही थी।
मैंने उसकी चूत को मुंह में भर के चूसना शुरू कर दिया और उसके छेद में थोड़ा सा थूक भर दिया.
फिर रेनू की चूत में अपना लन्ड एक झटके में पेल दिया.
रेनू के मुंह से एक मीठी आह निकली.
मैंने रेनू की ताबड़तोड़ चुदाई शुरू कर दी.
इतनी बेदर्दी से मैंने अभी तक रेनू को नहीं चोदा था.
मेरा मोटा लन्ड को रेनू के गर्भाशय तक जाकर टकरा रहा था।
मेरे हर धक्के पर रेनू के मुंह से एक मीठी आह निकल रही थी.
मैं पूरे जोश और तेजी से उसे चोद रहा था, उसके दोनों पैर हवा में उठे हुए थे.
रेनू को मेरी ये वाइल्ड चुदाई बहुत पसंद आ रही थी.
10 मिनट की इस फास्ट चुदाई के बाद मैं रेनू की दोनों चूचियों के बीच सर रख कर ढेर हो गया.
रेनू ने मुझे बाहों में भर लिया.
ऐसी चुदाई इससे पहले ना मैंने कभी किसी की थी और ना ही रेनू ने करवाई थी.
मेरा लन्ड और रेनू की चूत एक दूसरे के पूरक बन चुके थे।
कुछ देर बाद रेनू बिस्तर से उठी.
बिस्तर पर जगह-जगह मेरे वीर्य और उसकी चूत के पानी के निशान बन गए थे।
“मैं चाय बना के लाती हूँ!”
हुस्न की मलिका रेनू अपने मोटे-मोटे हिप्स आपस में रगड़ती हुई रसोई में चली गयी।
मन में ख़्याल आया कि क्यों ना आज रेनू की चिकनी चूत के दर्शन किए जाएं!
मैंने जब उसकी चूत की चटाई की थी तो उसकी चूत के बाल कुछ ज्यादा ही बड़े हुए थे जो मेरे मुंह में आ रहे थे।
वैसे हुए बालों से ढकी चूत बहुत पसन्द है।
मैं उठ कर किचन में गया, देखा नंगी रेनू चाय के भगौने को हिला रही थी.
इतने गदराए ज़िस्म को बिना कपड़ों के देखना सच में सौभाग्य की बात है.
रेनू के हिप्स पहले से और ज्यादा मांसल और चौड़े से हो गये थे।
हाथ में चाय लिए रेनू किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी.
उसके बड़े-बड़े झूलते हुए स्तन मुझे दूध पीने का निमंत्रण दे रहे थे।
“अभी चाय पी लो, वह बाद में पी लेना!” कहकर रेनू ने आँख मारी।
“रेनू, जब तुम साड़ी पहनकर चलती तो तुम्हारे हिप्स इतने सेक्सी लगते हैं, पता नहीं कितनों के दिल में आग लगा जाते होंगे! मेरा तो मन करता है कि तुम्हारे हिप्स को फ्रेम करा लूं और बस रात-दिन इन्हें ही देखता रहूँ!”
मैं बेड पर बैठ गया और चाय ले ली.
रेनू ने मेरी दोनों टांगों को चौड़ा कर मेरे लण्ड से अपने मोटे चूतड़ सटा के बैठ गयी और चाय पीने लगी।
लण्ड के लिए अब रुकना मुश्किल सा हो गया और वह गांड की दरारों में घुसने लगा.
एक हाथ में गर्म चाय तो दूसरे हाथ से रेनू की गर्म चूत को सहलाने लगा.
चूत सहलाते समय उसकी चूत के घने बाल उंगलियों में फंस रहे थे, चूत के बाल एकदम काले और घुंघराले सिल्की थे।
“रेनू आओ आज तुम्हारी चूत को झाड़ियों से मुक्त कर दूँ, मुझे तुम्हारी चिकनी चूत देखनी है!”
“नहीं, मुझे नहीं करवानी है. कहीं कट गयी तो? मैं खुद ही बाद में क्रीम लगा के कर लूँगी. वैसे तो जनाब को झांटों वाली चूत बहुत पसन्द है. बस तुम्हारे लिए ही मैं चूत के बाल साफ़ नहीं करती हूं. वैभव को मेरी चिकनी चूत बहुत पसन्द है!”
अभी तक की भाभी की गांड फक कहानी में आपको पूरा मजा आ रहा होगा.
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भाभी की गांड फक कहानी का अगला भाग:
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