भाभी की चूत गांड चोदने का सुख- 3
(Bhabhi Chod Gand Ki Kahani)
भाभी चोद गांड की कहानी में मेरी भाभी को गांड सेक्स में मजा आता है. उसने पहले मेरी गांड चाटी , फिर उसने मुझसे अपनी गर्म गांड में लंड डलवाया.
दोस्तो, मैं शरद सक्सेना अपनी भाभी की चूत चोदने के बाद उसकी गांड चुदाई की कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
कहानी के दूसरे भाग
गर्म भाभी ने किया गंदा सेक्स
में अब तक आपने पढ़ लिया था कि भाभी अपनी कुंवारी गांड की चुदाई करवाने को राजी हो गई थीं.
अब आगे भाभी चोद गांड की कहानी:
मैंने जरा सा थूक भाभी की गांड पर मल दिया.
गीलेपन का अहसास करती हुई वह बोली- ऐसे लगा, तेरी जीभ लपलपा रही है.
‘सही कह रही हो भाभी!’
‘तो सोच क्या रहा है. थोड़ा चाट भी ले!’
‘हम्म, अभी लो!’
यह कहते हुए मैं भाभी की गांड के छिद्र में अपनी जीभ चलाने लगा.
‘लल्ला, चाहे चूत हो या गांड, तू चाटता बहुत अच्छा है.’
‘भाभी तेरी चूत और गांड ही इतनी मस्त है, जीभ खुद ब खुद अन्दर घुस गई!’
‘अच्छा और मेरा दूध?’
‘दूध कहां पिलाया है तुमने, केवल निप्पल ही चूसा है!’
‘चल ठीक है, गांड मार ले पहले … तब मैं अपना दूध भी तुझे पिलाती हूँ.’
‘भाभी दूध तो जरूर पियूंगा, तुम्हारी गांड मारने के बाद एनर्जी जो लेनी है!’
यह कहने के साथ ही मैंने भाभी की गांड में लंड रगड़ना शुरू कर दिया.
क्या आनन्द का अहसास करा रही थी भाभी की गांड … ऐसा लग रहा था कि जैसे नई चूत के छेद में लंड चला रहा हूँ.
सही में कोरी चूत चोदते समय जिस तरह का अहसास होता है, उस वक्त ठीक उसी तरह का अहसास हो रहा था.
मुझे लग रहा था कि लंड किसी गर्म चीज के ऊपर है और उससे हल्की सी चुभन और जलन का अहसास हो रहा था.
दर्द से भाभी भी आह-आह कर रही थी.
मुझे भी लग रहा था कि जैसे कोई लंड के मांस को नोंच रहा हो!
मैं पल भर के लिए रूक गया.
भाभी दर्द से कराहती हुई बोली- रूक मत लल्ला, थोड़ा जोर लगा और अपने लंड की नोक को गांड के अन्दर घुसेड़ दे … चिन्ता मत कर … मैं बर्दाश्त कर लूंगी!
भाभी की बातों से मुझमें भी जोश आ गया और मैंने थोड़ी ज्यादा ताकत लगा कर सुपारे को अन्दर ठेल दिया.
‘आह शाबाश मेरे लाल, ऐसा लगा तेरे लंड का सुपाड़ा गांड में चला गया है!’
‘हां भाभी!’ मैंने भाभी की पीठ चूमते हुए कहा.
‘चल बस थोड़ा और पेल कर पेवस्त कर अपने लंड को मेरी गांड के अन्दर!’
उसकी बातों से ऐसा लगा कि वह अपने हर छेद का मजा लेने के लिए बड़ी बेताब है.
साथ ही मुझे यह भी अहसास हो रहा था कि वह दाँत भींचकर दर्द को बर्दाश्त कर रही है.
इधर मेरे भी लंड में जलन हो रही थी.
फिर भी मैंने लंड को हल्का सा पीछे खींचा और दर्द को बर्दाश्त करते हुए लंड को फिर से गांड के अन्दर धकेलने की कोशिश करने लगा.
मेरे सुपारे में बहुत जलन हो रही थी, मन कर रहा था कि गांड मारने का प्रोग्राम छोड़ दिया जाए.
पर भाभी कहीं गुस्सा होकर उल्टा सीधा न बोल दे, इसलिए जलन बर्दाश्त करते हुए एक बार फिर लंड को बाहर खींचा और भाभी की गांड में फिर से लंड को डाल दिया.
इस तरह मैं जलन और दर्द को बर्दाश्त करते हुए लंड को तीन-चार बार अन्दर बाहर करता गया.
इसी कारण से मेरे और भाभी दोनों के जिस्म से पसीना निकलने लगा था लेकिन दोनों ही इस आनन्द को खोना नहीं चाहते थे.
एक बार फिर मैंने हल्के से लंड को निकाला और फिर से पेवस्त करने लगा.
धीरे-धीरे भाभी की गांड लंड के लिए जगह बनाने लगी.
थोड़ी और मेहनत के बाद मेरा आधा लंड भाभी की गांड में घुस चुका था.
तभी भाभी की आवाज आयी- वाह मेरे राजा … तुमने जंग जीत ली, तुमने भाभी की गांड मार ली. अब मैं तुझे अपना दूध पिलाऊंगी.
हम दोनों में जोश बढ़ चुका था.
जैसे जैसे गांड ने लंड के लिए जगह बनानी शुरू की, वैसे-वैसे लंड अन्दर आसानी से जाने लगा.
अब मैंने भाभी की कमर को पकड़कर अपनी तरफ खींचा, इससे वह घोड़ी वाली पोजीशन में आ गयी.
भाभी को थोड़ा और तड़पाने के लिए मैं लंड को जानबूझ कर इधर उधर झटका दे रहा था.
भाभी बोल पड़ी- क्या कर रहे हो, डालो न लंड को गांड में!
‘कोशिश तो कर रहा हूं पर साला जाने से मना कर रहा है!’
‘अच्छा, साले रुक!’
यह कहती हुई वह मेरी तरफ मुड़ी तो लंड बाहर निकल गया.
भाभी मेरे गाल पर हल्की सी थप्पी देती हुई बोली- क्यों तंग कर रहा है!
यह कहते हुए पहले तो उसने सुपारे को चूमा और फिर मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगी.
थोड़ी देर तक लंड चूसने के बाद वापिस घूमती हुई बोली- लो अब तुम्हारा लंड नखरे नहीं करेगा.
‘हां भाभी, अब नखरे नहीं करेगा!’
यह कहते हुए मैंने उनकी गांड में लंड पेल दिया.
‘आह मर गई भोसड़ी के … थोड़ा आराम से डाल, अभी मेरी गांड चुदने की आदी नहीं हुई है!’
मैं भी भाभी की बात मानते हुए लंड को पूरा अन्दर जाने तक आराम से अन्दर बाहर करता रहा.
फिर जो रेस शुरू हुई तो थप-थप की आवाज और भाभी के मुँह से आह-ओह, आह-ओह की आवाज से कमरा भर गया.
मैं थक रहा था, लेकिन साला लंड को गांड चुदाई का इतना आनन्द आ रहा था कि माल छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था.
ऊपर से भाभी और जोश दिला रही थी.
लेकिन लंड महाराज कब तक चलते, हारना तो था ही.
एक तेज पिचकारी के साथ लंड ने भाभी की गांड में उलटी कर दी.
मैं निढाल होकर भाभी की पीठ से चिपक गया और भाभी भी लस्त होकर पलंग पर धड़ाम हो गयी.
लंड महराज भी गप की आवाज के साथ बाहर आ गए.
हम दोनों ही करवट लेकर एक-दूसरे की बांहों में समा गए. हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के चूतड़ को हौले-हौले सहला रहे थे.
मेरी उंगली बार-बार भाभी की गांड के अन्दर जा रही थी लेकिन गांड गीली होने के कारण उंगली चिपचिपा जा रही थी, इसलिए मैंने पास पड़े हुए कपड़े से उसकी गांड साफ की और फिर मैं उंगली चलाने का आनन्द लेने लगा.
कुछ देर बाद भाभी मेरे होंठों को चूमते हुए बोली- लल्ला जी, तुमने बहुत मजा दिया. तुमको पता है, तेरे इस हरामी लंड ने मेरी गांड में आग लगा दी है. अन्दर बहुत जल रहा है.
‘तुम सही कह रही हो, लेकिन तुमने भी तो मेरा पूरा रस निचोड़ लिया है.’
‘तुम में चुदाई की बहुत भूख है!’
‘भाभी, भूख से याद आया कि मुझे भूख लग रही है!’
‘भूख तो मुझे भी लग रही है. पर तुम्हें छोड़ने का मेरा मन नहीं कर रहा है!’
‘भाभी मन तो मेरा भी नहीं कर रहा है.’
‘पर भूख बहुत तेज लगी है. मेरी प्यारी भाभी, चलो जल्दी से तैयार हो जाओ, बाहर चल कर कुछ खाकर आते हैं.’
‘नहीं मेरे लल्ला, अगर किसी ने देख लिया तो बड़ी मुसीबत हो जाएगी.’
फिर थोड़ा मायूस होती हुई बोली- मैं घर से झूठ बोलकर निकली हूँ.
‘हम्म … तो कोई बात नहीं, मैं चला जाता हूँ और कुछ खाने को ले आता हूँ!’
फिर मैं अपने कपड़े उठाने लगा. तो मेरा हाथ पकड़ती हुई भाभी बोली- अरे, चलकर पहले नहा लेते हैं. फिर जाकर ले आना.
‘ठीक है भाभी, लेकिन तुम्हें भी मेरी एक बात माननी होगी!’
‘हां मेरे लल्ला, जो तू कहेगा, वह सब करूंगी!’
यह कहती हुई वह मुझे बाथरूम में ले गयी.
मैं तो मंत्रमुग्ध सा होकर जैसा वह करती जा रही थी, वैसा ही करने लगा था.
हम दोनों साथ ही साथ नहाने लगे, एक-दूसरे के जिस्म को अच्छे से रगड़ रहे थे और एक-दूसरे को चूम-चाट रहे थे.
मैं तैयार होकर मार्केट में आया.
रोस्टेड चिकन और अंडे की भुजिया के साथ रोटी ली और दो बीयर की बोतल लेकर मैं वापिस कमरे में आ गया.
जब मेरी नजर जब भाभी पर पड़ी तो मेरी वाऊऊऊ … की आवाज निकली और आंखें मेरी फटी की फटी रह गईं.
क्या सेक्सी लग रही थी. लाल बल्ब की रोशनी में भाभी का जिस्म दूध की तरह चमक रहा था.
मुझे रिझाने के लिए उसने बिल्कुल राम तेरी गंगा मैली की मन्दाकनी की तरह अपने जिस्म पर गीली साड़ी लपेटी हुई थी.
भाभी के दोनों दूध नाम मात्र के लिए केवल ढके हुए थे.
मैं खाने-पीने के सामान को एक किनारे रखते हुए उसके समीप गया और टकटकी लगा कर उसके अधखुले जिस्म को उसके चारों तरफ घूम-घूम कर केवल देखता ही रहा.
उसने साड़ी को गीली इसी लिए किया हुआ था ताकि उसकी चूत और गांड पर साड़ी चिपक जाए और मुझे ज्यादा से ज्यादा उत्तेजित कर पाए.
मैं भाभी के पीछे आया और उसकी चूचियों को अपने हाथ में भरते हुए बोला- भाभी, तुम बहुत ज्यादा मादक लग रही हो!
उसने अपने हाथ को पीछे किया और मेरे लौड़े को लोअर के ऊपर से पकड़ती हुई बोली- तुम्हें और उत्तेजित करने के लिए ही मैंने अपने को और मादक बनाया है!
मैं जोर से उसकी चूचियों को भींचते हुए बोला- भाभी, तुम्हारे इस मादक रूप ने तो मेरे होशो-हवास को ही छीन लिया है. मैं सब कुछ भूल बैठा हूँ.
आह करती हुई भाभी बोली- तुम अभी भी कुछ भूल रहे हो.
‘हां भूल जाने दो!’
‘क्यों भूख नहीं लगी है?’
‘चलो जल्दी से खाना खा लो और एक-दो राउंड का मजा और ले लिया जाए. नहीं तो बहुत देर हो जाएगी. घर भी जाना है!’
मैंने उसे दुलारते हुए कहा- लंड तैयार है. एक राउंड हो जाए, फिर खाना खा लिया जाएगा!
इतना कहकर मैं उसके सामने घुटने के बल बैठ गया और उसके पल्लू से ढकी हुई उसकी गहरी नाभि पर एक चुंबन जड़ दिया.
फिर पल्लू को एक तरफ करके उसकी नाभि के अन्दर जीभ चलाने लगा और अपने हाथ ऊपर करके उसकी चूचियों को भी मसलने लगा.
भाभी आह-ओह करके माहौल को और कामोत्तेजक बना रही थी.
थोड़ी देर बाद मैंने भाभी की साड़ी को उसके जिस्म से अलग किया और उसकी पीठ अपनी तरफ की … और उसके कूल्हे को जोर-जोर से भींचने लगा.
उसकी गांड का खुलना बंद होना आंखों को बड़ा सकून दे रहा था.
मैंने गांड में जीभ चलाना शुरू कर दिया.
भाभी सिसयाती हुई बोली- देवर जी, तुमको मैंने चूत चोदने के लिए भी बुलाया है. तुम तो केवल गांड के ही पीछे पड़े हो!
यह कहकर वह घूम गयी और मुझसे सटती हुई अपनी टांगों को मेरी कमर में फंसा कर चूत को होंठ के और करीब करती हुई बोली- इस नालायक चूत को ठंडी कर दो!
वह खुद ही अपनी चूत को मेरे मुँह पर घिसने लगी.
जमीन पर लेटकर अपनी टांगों को हवा में उठाती हुई अपनी चूत की तरफ उंगली का इशारा करके चोदने का आमंत्रण देने लगी.
मैं भी बिना कोई देरी किए हुए लंड को उनकी चूत में पेवस्त कर धक्के मारने लगा.
घप-घप की आवाज आने लगी.
भूख भी लग रही थी, इसी चक्कर में मैं तेज-तेज धक्के लगाते जा रहा था.
कोई एक दो मिनट बाद ही मैं पस्त हो गया और भाभी के ऊपर लुढ़क कर कुत्ते के माफिक हांफने लगा.
भाभी भी पस्त हो चुकी थी.
मेरे बालों को सहलाती हुई बोली- मेरा पेट तो रोज भरता था, आज मन भर गया. बहुत अच्छे से तुमने मुझे मजा दिया. चल अब उठ जा, चलकर खाना खा ले. तू भी बहुत थक गया है. पहले चलकर खाना खा लेते हैं. उसके बाद आराम करेंगे.
हम दोनों नंगे ही खाना खाने लगे.
उसके बाद मैं भाभी से चिपक कर लेटा रहा.
कोई एक घंटे के बाद भाभी का मोबाइल बजा, उधर से मां की आवाज आ रही थी.
वे भाभी से पूछ रही थीं कि कब तक लौटेगी?
फोन काटने के बाद भाभी ने मुझे उठाया और हम दोनों घर की तरफ चल दिए.
तो दोस्तो, इस भाभी चोद गांड की कहानी को अभी मैं यहीं पर विराम देता हूँ. इसके आगे क्या हुआ, उसको जानने के लिए बस आपको थोड़ा इंतजार करना होगा.
बस एक बात और कहनी थी कि जो कहानी में लिखता हूँ वह केवल मनोरंजन के लिए होती है, ना कि यौन शोषण को बढ़ावा देने के लिए.
अत: आप सभी से प्रर्थाना है कि सेक्स कहानी को केवल मनोरंजन के उद्देश्य से पढ़ें.
धन्यवाद.
मेरी भाभी चोद गांड की कहानी कैसी लगी, आप सभी के मेल के इंतजार में आपका अपना शरद सक्सेना.
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