बहन का लौड़ा -43
(Bahan Ka Lauda-43)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बहन का लौड़ा -42
-
keyboard_arrow_right बहन का लौड़ा -44
-
View all stories in series
अभी तक आपने पढ़ा..
कुछ देर दोनों एक-दूसरे की बाँहों में रहे.. उसके बाद मीरा के कहने पर राधे फ्रेश होने चला गया।
मीरा ने चाय बनाई और दोनों एक साथ बैठ कर चाय पीने लगे।मीरा- राधे.. कल शायद पापा आ जाएँगे तब हम खुल कर मज़ा नहीं ले पाएँगे।
राधे- कुछ ना कुछ कर लेंगे हम.. मगर एक बात समझ में नहीं आई.. पापा को गए आज 4 दिन हो गए.. ऐसा क्या काम करने गए हैं पापा.. और कहाँ गए हैं?मीरा- जब भी पापा का फ़ोन आता है.. तुमसे ज़्यादा बात करते हैं.. तुम खुद उनसे क्यों नहीं पूछ लेते.. आख़िर तुम उनकी बड़ी बेटी और दामाद हो.. हा हा हा हा..
राधे- मजाक मत कर यार.. बता ना.. पापा का फ़ोन आता है.. तब मैं घबरा जाता हूँ.. उनसे ठीक से बात कहाँ हो पाती है.. इसी लिए तो फ़ोन को तुम्हें पकड़ा देता हूँ।मीरा- अरे मेरे आशिक.. वहाँ पापा पैसे लाने के लिए जाते हैं.. उनका अपना काम्प्लेक्स है.. जो पापा ने किसी दोस्त को चलाने दिया है.. हर महीने वहाँ जाते हैं और कुछ दिन वहाँ रुक कर आते हैं.. कई बार मैं भी उनके साथ वहाँ गई हूँ।
राधे- ओह्ह.. ये बात है.. तभी सोचूँ.. पापा क्या करने गए होंगे..
अब आगे..
मीरा- अब ज़्यादा सोचो मत और चाय पी लो.. ठंडी हो जाएगी.. वैसे भी पापा उस काम्प्लेक्स को बेचने वाले हैं.. कहते हैं अब उमर हो गई है.. तो ज़्यादा घूमना-फिरना उनसे नहीं होता.. सब बेच कर पैसा बैंक में डाल देंगे.. ताकि उनको ज़्यादा भाग-दौड़ ना करनी पड़े।
राधे- अरे मैं हूँ ना.. अब सब संभाल लूँगा.. पापा को चिंता किस बात की यार?
मीरा- तुम उनकी बेटी हो.. समझे.. अब तक दामाद वाली बात उनको पता नहीं है…
राधे को अपनी ग़लती का अहसास हुआ- सॉरी.. भूल गया था.. यार मगर एक ना एक दिन तो उनको सच बताना ही होगा ना..
मीरा- वो दिन जब आएगा.. तब देखेंगे.. अभी बातें बन्द करो और मुझे चाय पीने दो..
वो दोनों काफ़ी देर तक वहीं बैठे बातें करते रहे।
राधे ने कहा- तुम पढ़ाई करो.. मैं थोड़ा बाहर खुली हवा में घूम कर आता हूँ..
राधे के जाने के बाद मीरा पढ़ाई में लग गई.. सुबह के 7 बजे ममता भी आ गई और मीरा को देख कर बड़ी खुश हुई।
ममता ने आज मेहंदी कलर की शादी पहनी हुई थी.. वो उस साड़ी में बहुत प्यारी लग रही थी।
ममता- क्या बात है बीबी जी.. आज जल्दी उठ गई.. या साहब जी ने पूरी रात जगा कर रखा है.. हा हा हा..
मीरा- तेरी तरह नहीं हूँ.. जो रात भर जगूंगी.. अभी उठी हूँ और मुझे तेरे कल के सारे खेल का पता है।
ममता- क्या बीबी जी.. मैं तो मजाक कर रही थी.. आप गुस्सा हो गईं..
मीरा- मैं भी मजाक ही कर रही थी.. हा हा हा.. चाल जल्दी से नास्ता बना.. मुझे स्कूल भी जाना है।
ममता- साहब उठे नहीं क्या.. पहले उनको उठा दूँ..
मीरा- ओ साहब की गुलाम.. वो बाहर गए हैं.. चल जल्दी कर..
ममता नाश्ता बनाने में लग गई और मीरा रेडी होने कमरे में चली गई। उसकी चाल में थोड़ा फ़र्क आ गया था और आएगा क्यों नहीं.. रात को 8″ का डंडा जो गाण्ड में गया था..
जब मीरा चल रही थी तो ममता ने उसे पीछे से देखा और वो एक पल में समझ गई कि माजरा क्या है।
ममता- ही ही बीबीजी.. आपकी चाल को क्या हो गया.. कहीं साहब ने रात को पीछे डाल दिया क्या?
मीरा- बड़ी बेशर्म है तू.. सीधे ही कुछ भी बोल देती है.. अब तुझे कौन सा बाकी छोड़ देंगे आज.. तेरी चाल भी बिगड़ने वाली है।
ममता- ना ना बीबी जी.. मैं तो गाण्ड नहीं मरवाने वाली.. कल आगे डाला तो पैर घूम गए.. पीछे तो पता नहीं कितना दर्द होगा?
मीरा- अरे डरती क्यों है.. कुछ नहीं होगा.. मुझे देख.. मैं मर गई क्या?
ममता- बीबी जी आपने तो बहुत बादाम-पिस्ता खाए हैं.. आप में तो ताक़त है.. मुझमें इतनी कहाँ.. जो इतना बड़ा लंड ले सकूँ..
मीरा- उसका नाम राधे है.. समझी वो कब तुम्हें मना लेगा.. तुम खुद नहीं समझ पाओगी.. अब चलो मुझे नाश्ता दो.. देर हो रही है.. उसके बाद तुम अपने काम जल्दी कर लेना.. राधे बाहर से आता ही होगा..
दोनों एक-दूसरे को छेड़ रही थीं.. मीरा स्कूल चली गई और ममता अपने काम में लग गई।
करीब 9 बजे राधे घर आया तो ममता उसको देख कर मुस्कुराई।
राधे- अरे वाह.. ममता रानी आज तो बड़ी क़यामत दिख रही हो.. क्या इरादा है मेरी जान?
ममता- इरादा तो नेक ही है मेरे राजा जी.. आप कहाँ घूम आए सुबह-सुबह.. और ये लड़की बनकर ज़्यादा बाहर मत निकला करो.. कहीं कोई लौंडा पीछे पड़ गया तो.. हा हा हा…
राधे- अच्छा.. हमसे मजाक.. साला कोई पीछे आए तो सही.. उसकी गाण्ड में लौड़ा घुसा कर नानी याद दिला दूँगा।
ममता- अरे बाप रे रात को मीरा बीबी जी से मन नहीं भरा क्या.. जो सुबह-सुबह गाण्ड मारने की बात कर रहे हो.. आज कहीं मेरी भी गाण्ड तो नहीं मारोगे मेरे राजा?
राधे- बिल्कुल ठीक समझी तू.. कल पापा आ जाएँगे.. तो ये चीखना-चिल्लाना होगा नहीं.. इसी लिए रात को मीरा की गाण्ड मारी.. अभी तुम्हारी मारूँगा.. उसके बाद तो कभी भी कहीं भी तुम दोनों की ठुकाई कर सकता हूँ। चलो.. मैं पहले थोड़ा फ्रेश हो जाता हूँ.. उसके बाद दोपहर तक तेरी ठुकाई करूँगा..
ममता- नहीं राजा… मुझे बच्चा चाहिए और गाण्ड मरवाने से बच्चा नहीं होगा.. आप तो मेरी चूत की प्यास ही मिटा दो बस..
राधे- अरे ममता रानी.. बच्चा ना चूत मारने से होता है.. ना गाण्ड मारने से.. बच्चा तो होता है वीर्य से.. जो मैं तेरी चूत में ही डालूँगा.. समझी.. चल अब कमरे में आ जा.. फ्रेश होने का प्लान कैंसिल.. अब तो तेरी गाण्ड मारकर ही सुकून आएगा..
ममता- आप मानोगे तो है नहीं.. तो चलो मैं भी कहाँ डरने वाली हूँ.. आज गाण्ड भी आपके नाम कर देती हूँ।
दोस्तो, उम्मीद है कि आप को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी.. मैं कहानी के अगले भाग में आपका इन्तजार करूँगी.. पढ़ना न भूलिएगा.. और हाँ आपके पत्रों का भी बेसब्री से इन्तजार है।
[email protected]
What did you think of this story??
Comments