बदले की आग-10
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गीता बोली- इसे तो 3-3 लण्डों से पिलवाना पड़ेगा, तब सुधरेगी यह।
उसके बाद हम सब नंगे होकर प्रेम से चाय पीने लगे। मैंने मुन्नी के गले में हाथ डालते हुए कुसुम की तरफ देखते हुए कहा- मुन्नी, तुम्हें एक वादा करना होगा !
मुन्नी बोली- राकेश, तुमने मुझ पर इतने अहसान किये हैं, तुम कहोगे तो मैं तुम्हारा मूत भी ख़ुशी ख़ुशी पी लूँगी।
मैं बोला- आज की सजा के बाद तुम कुसुम से वैसा ही प्यार करोगी जैसा पहले करती थीं।
मुन्नी बोली- ठीक है, लेकिन आज के बदले के बाद !
कुसुम रोते हुए बोली- दीदी, सच मेरे कारण गीता भाभी और आपको बहुत सहना पड़ा, आप मेरी 3-3 से नहीं 4-4 लण्डों से मेरी चूत चुदवाओ पर आप मुझसे प्यार करना मत छोड़ना और मेरे गाँव में कुछ नहीं कहना ! आगे से मैं कभी आपको धोखा नहीं दूंगी।
चाय पीने के बाद आधा घंटा हम सब ने आराम किया।
आराम करने के बाद मुन्नी कुसुम से बोली- अब जाकर मूत आ ! इसके बाद तो तेरे तीनों छेदों में गाड़ी दोड़ेगी और बीच में रुकेगी भी नहीं !
कुसुम मूतने चली गई।
गीता ने मोहन को घर भेज दिया और किसी को फ़ोन करने लगी, शायद किसी को बुला रही थी।
हम लोग अब घर के तीसरे कमरे में आ गए थे, यहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था और नीचे बिस्तर बिछे हुए थे।
तीनों औरतें अपने नंगे बदन शीशे में देखकर एक दूसरे की चूत और चूचियों से खेलते हुए हंसी ठिठोली कर रही थीं।
मुन्नी कुसुम से बोली- चल शीशे के सामने घोड़ी बन ! राकेश भैया का लण्ड तेरी चूत में डलवाती हूँ ! शीशे में तेरी चुदाई देखने में तो मज़ा आ जाएगा।
कुसुम बोली- दीदी, पिछले कमरे में चलते हैं न !
मुन्नी बोली- उह… अपनी फ़ुद्दी चुदती देखने में शर्म आ रही है? अच्छा तू यह काली पट्टी बांध ले ! उसके बाद शर्म नहीं आएगी।
गीता और मुन्नी ने कस कर पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी। उसके बाद गीता ने मेरे कान में बताया की मुकुंद सेठ और चिंटू आ रहे हैं दोनों के लण्ड और डलवाने हैं इस रंडी की चूत में।
पट्टी बंधने के बाद कुसुम को मुन्नी ने शीशे के सामने घोड़ी बना दिया मैंने पीछे जाकर कुसुम की चूत में अपना लोड़ा लगा दिया और कुसुम को धीरे धीरे चोदने लगा।
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तभी मुझे शीशे में चिंटू और मुकुंद सेठ दरवाज़े पर खड़े दिखे, मुन्नी और गीता ने मुझे चुप रहने का इशारा किया। कुसुम की चूत धीरे धीरे मेरा लण्ड खा रही थी।
मुन्नी चिंटू की तरफ आँख मारने का इशारा करते हुए बोली- मोहन जी, आप भी अपना लौड़ा इसके मुँह में डालिए ना ! कितना अच्छा लगेगा जब एक लण्ड चूत में और दूसरा मुँह में साथ साथ दोड़ेगा ! जल्दी करिए !
चिंटू ने अपनी लुंगी उतार दी उसका लण्ड मुझसे भी मोटा और लम्बा था।
कुसुम के मुँह के आगे खड़े होकर चिंटू ने लौड़ा उसके होंटों पर रख दिया।
मोहन के धोखे में कुसुम ने एक ही पल में लोड़ा मुँह में ले लिया।
एक मोटा लण्ड उसके मुँह में घुस गया था।
हम दोनों ने एक दूसरे को देखते हुए उसकी चूत और मुँह में धीरे धीरे लोड़ा पेलना शुरू कर दिया। मुन्नी अब दो दो लण्डों का मज़ा ले रही थी, उसकी घुटी आवाज़ हमारी चुदाई का आनन्द बढ़ा रही थी।
थोड़ी देर बाद हम दोनों हट गए, कुसुम होंटों पर जीभ फिराते हुए बोली- और… आह… आह… उह… और चोदिये न… बड़ा मज़ा आ रहा था… जल्दी डालिए… और चोदिये न…
मुकुंद सेठ की लुंगी गीता ने खोल दी, उनका पिचकू लण्ड भी खड़ा हुआ था। मुन्नी ने मुकुंद सेठ का हाथ पकड़ कर कुसुम के मुँह के आगे उनका लण्ड डाल दिया।
कुसुम ने पतला सा तीन इंची लम्बा लण्ड मुँह में ले लिया। अब कुसुम की चूत पर चिंटू ने पीछे से जाकर अपना कब्ज़ा कर लिया था और लण्ड डाल कर उसकी चूत चोदने लगा था।
मैं कुसुम के सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया मुन्नी से रहा नहीं गया, वो मेरे लोड़े पर आकर बैठ गई।
उसने गीता को इशारा किया, गीता ने जाकर कुसुम की पट्टी खोल दी।
कुसुम ने जब सामने देखा तो वो चोंक गई, सामने सेठ का लोड़ा उसके मुँह में घुसा हुआ था और उसके आगे मुन्नी मेरे लण्ड पर बैठी हुई थी और शीशे में चिंटू उसकी चूत में ठकाठक लण्ड पेल रहा था।
उसके मुँह से सेठ का लण्ड निकल गया, गीता बोली- कुतिया, सेठ जी का लौड़ा मुँह में चूस ! मुझे भी चूसना पड़ा था, तुझे याद होगा बहुत ताली बजा रही थी तू।
चिंटू ने उसकी चोटी खींच कर लौड़ा उसकी गांड पर लगा दिया, चिंटू का लण्ड गधे की तरह था, गांड में घुसते ही कुसुम की चीख निकल गई, दो धक्कों में चिंटू ने गांड के अंदर पूरा लण्ड पेल दिया और 5-6 करारे झटके कुसुम की गांड पर मारे।
कुसुम दर्द से चिल्ला उठी, इसके बाद चिंटू ने लण्ड बाहर निकाल लिया और गालों पर एक पप्पी लेते हुए बोला- सेठ जी के पिचकू को मुँह में ले ना ! शीशे में जब तुझे लोड़ा चूसते देखता हूँ तो चोदने में बड़ा आनन्द आता है।
कुसुम ने लण्ड मुँह में लिया, इस बीच चिंटू ने 2-3 झटके कुसुम की गांड में मारे होंगे कि 70 साल के सेठ कुसुम के मुँह में झड़ गए, उसका पूरा मुँह कसेला हो गया।
चिंटू ने कुसुम की गांड अब पूरी ताकत से चोदनी शुरू कर दी थी।
चिंटू बहुत बुरी तरह से कुसुम की चोद रहा था, कुसुम की आँखों में आँसू आ गए थे और अब वो वाकयी गांड चुदाई के दर्द से चीख रही थी।
थोड़ी देर में चिन्टू ने अपना रस कुसुम की गांड में छोड़ दिया। इस बीच मेरा भी रस मुन्नी की चूत में भर गया था।
चिंटू ने कुसुम को छोड़ दिया, अब वो निढाल होकर नीचे पड़े बिस्तर पर गिर गई।
मुन्नी ने कुसुम की चूत सहलाते हुए कहा- अब थोड़ा मज़ा आया।
तभी गीता बीयर और व्हिस्की की बोतल ले आई, मैंने और चिंटू ने चियर्स करते हुए आधा घंटे तक शराब का मज़ा लिया, कुसुम को भी थोड़ी थोड़ी बीयर हमने पिलाई।
इसके बाद लेटी हुई कुसुम के दोनों तरफ हम लोग लेट गए और उसकी एक चूची अपने मुँह में भर ली और चूत में एक एक उंगली साथ साथ डालकर बारी बारी पाँचों उँगलियों से उसकी चूत साथ साथ रगड़ी।
कुसुम की कामाग्नि कम नहीं हो रही थी, वो दोनों हाथों मैं हम दोनों का लण्ड पकड़ कर सहला रही थी। चिंटू कुसुम की चूत चूसने लगा और मैंने उसका मुँह गोद में रख लिया, कुसुम ने देर किये बिना मेरा लोड़ा अपने मुँह में ले लिया।
कुछ देर बाद कुसुम चिल्लाने लगी- चोदो मेरे कुत्तों… चोदो… देर क्यों कर रहे हो?
चिंटू ने मुझे हटा कर उसकी चूत में अपना लण्ड लगा दिया और कुसुम को चिपका कर चोदने लगा। मेरी तरफ कुसुम की गांड चमक रही थी जिसे देखकर मेरा लोड़ा खुजलाने लगा।
इस बीच मुन्नी बोली- आप इसकी गांड मारिये ना ! कितनी सुंदर लग रही है।
मैंने कुसुम की गांड में अपना लण्ड घुसा दिया।
अब कुसुम की चुन्नी मुन्नी दोनों एक साथ चुद रही थीं, वो दर्द से कराह रही थी और साथ साथ दो लण्ड उसके दोनों छेद फाड़ रहे थे।
चिंटू और मैंने धीरे धीरे मुन्नी के दोनों छेदों को तेज चोदना शुरू कर दिया।
कुसुम का बुरा हाल हो रहा था, दो दो लण्डों से वो चुद वो उह… ऊई… मर गई… मर गई… आह… आह… ऊ मर गई… बस बस… की दर्द भरी आवाजें भर रही थी।
कुसुम सैंडविच बनी हुई थी।
हम दोनों ने पलटी ली, चिंटू अब कुसुम के नीचे और मैं उपर था, मैं उठा कर खड़ा हुआ और उसकी जांघें चौड़ी करके चूत पेलने लगा।
यह देखकर मुकुंद सेठ उठकर आए और कुसुम के मुँह में अपना लण्ड लगा दिया।
अब कुसुम की गांड में नीचे से चिंटू का लण्ड, मुँह में मुकुंद सेठ का और चूत में मेरा लण्ड घुसा हुआ था।
अब वो 3-3 लण्डों से चुद रही थी।
गीता ताली बजाते हुए बोली- आह, अब मेरा बदला पूरा हुआ !
तीनों लण्डों ने एक साथ वीर्य कुसुम की चूत, गांड और मुँह में छोड़ा।
हम तीनों हट गए, कुसुम की दूसरी पारी ख़त्म हो गई।
गीता और मुन्नी ने सहारा देकर कुसुम को दस मिनट बाद उठाया और उसको पेशाब कराया, थोड़ा चलवाया, अब उनका बदला पूरा हो गया था।
कुसुम को पेन किलर भी खाने को दी।
कुसुम अब ठीक थी, चिंटू और मुकुंद सेठ चले गए थे, कुसुम ने मुझे हाथ पकड़ कर रोक लिया।
गीता कुसुम और मुन्नी आपस में एक दूसरे से चिपक कर खूब रोईं।
गीता बोली- अगर हम औरतें ही औरतों की चुदती देखने का मज़ा लेंगे तो मर्दों की तो बल्ले बल्ले हो जाएगी। हम सब आपस में वादा करती हैं आज से किसी की चुदती देखने का मज़ा नहीं लेंगी और दूसरी औरतों को भी ऐसा करने से रोकेंगे !
बारी बारी सब मुझसे भी गले मिली, मुन्नी बोली- कोई अगर प्यार और सहमति से चोदे और हमारी मदद भी करे तो चुदने में कोई बुराई नहीं है, चूत तो चुदने के लिए ही होती है पर अपने खुद के मर्द भी चूत का मज़ा पूरा लेते हैं और उसके बाद दो प्यार भरे शब्द भी नहीं बोलते। आज से हम तीनों औरतें अच्छी दोस्त हैं।
इसके बाद हम सब चाल में वापस आ गए।
अगले दिन से चाल में सब सामन्य था, मुन्नी, गीता और कुसुम अब पक्की सहेलियाँ थीं।
तीनों मेरी भी दोस्त हैं और तीनों ने मुझे अपनी चूत का फ्री लाइसेंस दे रखा है और वादा ले रखा है कि महीने में एक बार उनकी चूत और एक बार उनकी गांड पक्का चोदूँगा।
मैं अपना वायदा तीन महीने से इमानदारी से पूरा कर रहा हूँ। साथ ही साथ आप से भी उम्मीद करता हूँ आप भी अपनी सहेलियों की चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे ना कि उनकी चुदाई का तमाशा बना रहे होंगे।
कहानी काल्पनिक है, कहानी का किसी वास्तविक घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है। कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए है, इसका वास्तविक जीवन में अनुसरण मानसिक और शारीरिक कष्ट दे सकता है।
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