पड़ोसन आंटी की गांड चुदाई
(Aunty Xxx Gand Kahani)
आंटी Xxx गांड कहानी में मैं पड़ोस की सेक्सी आंटी को चोद चुका था. जब दोबारा आंटी ने मुझे बुलाया तो मैंने उनकी गांड मारने की बात कही. पर आंटी ने कभी गांड नहीं मरवाई थी.
नमस्कार दोस्तो, मैं सोनू शर्मा आपका स्वागत करता हूं. यह मेरी सेक्स कहानी
पड़ोस की आंटी ने घर बुलाकर चूत दी
का दूसरा भाग है.
आंटी Xxx गांड कहानी के इस भाग में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने नेहा आंटी की गांड मारी.
उससे पहले अगर अपने पहला भाग नहीं पढ़ा है, तो जरूर पढ़ लें … ताकि आपको कहानी के पहले भाग का रस मिल सके.
कहानी शुरू करने से पहले मुझे आप लोगों को कुछ बताना है.
यह कहानी या आने वाली जितनी भी मेरी कहानी होंगी, वे सब सच्चाई पर आधारित ही होंगी. उनमें से एक भी काल्पनिक नहीं होगी.
पहले भाग में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने नेहा आंटी को चोदा था.
उस वक्त हम दोनों चुदाई करके थक चुके थे और थकान के चलते हमारी नींद लग चुकी थी.
सो कर उठने के बाद हम दोनों एक दूसरे को चूमे जा रहे थे.
मुझे होंठों का चुंबन करना बहुत पसंद है, खास कर बड़ी औरतों के साथ.
नेहा आंटी उस वक्त मेरे होंठों से होंठ मिला कर मुझे चूम रही थीं और अपने एक हाथ से मेरा लंड सहला रही थीं.
उनके हाथ के कोमल स्पर्श से कुछ ही मिनट बाद मेरा लंड खड़ा हो गया.
वे हंस आकर बोलीं- डंडा खड़ा हो गया है, झण्डा फहरा दो.
मैंने उनसे कहा- पहले उसे मुँह से तो प्यार करो.
नेहा आंटी ने पोज सैट किया और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.
वे पहले से काफी ज्यादा अच्छे से चूस रही थीं.
मुझे काफी मजा आ रहा था.
इतने में आंटी का फोन बजा तो वे मुझे इशारा करती हुई चुप रहने को बोलीं.
कॉल पर बात करते हुए नेहा आंटी का मुँह उतर गया था.
जब कॉल कट हुआ, तो मैं बोला- क्या हुआ?
नेहा आंटी- अरे यार मेरा पति 5 मिनट में घर पर आ रहा है और वह बता रहा है कि दो घंटे बाद गांव से कुछ रिश्तेदार आ रहे हैं. इसलिए अभी तू चला जा, मुझे अभी बहुत काम आ गया है!
मैंने कहा- ठीक है आंटी, लेकिन अभी मेरा लंड खड़ा है … उसका क्या?
नेहा आंटी- अगर टाइम होता तो अभी मैं इसको शांत कर देती, लेकिन मेरा पति आ रहा है. प्लीज अभी तू चला जा. मैं खुद मैसेज कर दूँगी कि तुमको कब आना है!
मैं- कोई बात नहीं आंटी, मैं समझ सकता हूं.
मैं अपने मन में उसके पति को काफी गालियां दे रहा था कि साला बीच में टपक आया.
एक राउंड होने के बाद आता तो क्या घिस जाता कमीने का!
खैर … उसके बाद मैं भी अपने कपड़े आदि पहन कर घर पर आ गया.
मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था और नेहा आंटी के बारे में ही सोचने लगा था.
उनकी याद करते करते मुझे नींद लग गई.
शाम को 5 बजे मेरी नींद खुली तो मैं अपनी पढ़ाई करने में लग गया.
करीब साढ़े सात बजे नेहा आंटी का मैसेज आया- जल्दी से छत पर आ जा!
मैं- ओके, आता हूं.
मैं छत पर पहुंचा तो काफी अंधेरा था.
सर्दी के दिन थे तो जल्दी ही अंधेरा छा जाता था.
मैं अंधेरे में उन्हें देखने की कोशिश कर ही रहा था कि तभी एकदम से साइड से आंटी ने मुझे अपनी तरफ खींचा.
इससे मैं थोड़ा सा डर गया था.
फिर जब मैंने उनको देखा तो राहत मिली.
मैं- अरे यार आंटी, मैं तो डर ही गया था!
नेहा आंटी- चुप कर!
आंटी ने एकदम से अपने होंठों को मेरे होंठों पर लगा दिया और चूमने लगी.
मैं भी उनका पूरा साथ दे रहा था.
आंटी और मैं एक दूसरे से चिपके हुए थे और होंठों से होंठों को लगा कर रस का लेन देन कर रहे थे.
कभी आंटी मेरी जीभ को चूसतीं तो कभी मैं उनकी जीभ को चूसता.
साथ ही मैं उनके मम्मों को भी अपने एक हाथ से मसल रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत को भी मसल रहा था.
यह सब करते हुए मुझे डर भी लग रहा था कि कोई देख ना ले.
इसलिए हम दोनों किस करते समय एकदम चौकन्ने थे.
नेहा आंटी ने होंठों को अलग करते हुए कहा- जान अभी मुझे जाना होगा. अब 3-4 दिन तक हम दोनों नहीं मिल पाएंगे. क्योंकि जो रिश्तेदार आएं हैं, उनको दिल्ली घुमाना है और पति ने भी ऑफिस से छुट्टी ले रखी है. इसलिए तू मुझे कॉल या मैसेज मत करना, मैं मौका देख कर खुद ही करूँगी.
मैं- ठीक है.
उसके बाद रोज हम दोनों एक दूसरे को देखते थे लेकिन बात नहीं हो पाती थी.
मैं भी अपने काम में लग गया था.
इस बात को 6 दिन गुजर गए थे.
सातवें दिन देर रात को 10:20 को नेहा आंटी का मैसेज आया- हैलो, कल सुबह 4:30 बजे मेरे घर आ जाना. मेरे पति की मॉर्निंग में ड्यूटी है, तो घर पर कोई नहीं होगा.
मैं- ठीक है डार्लिंग.
अगली सुबह आंटी के दिए गए टाइम पर मैं घर के बाहर निकला और मैंने इधर उधर देख कर नेहा आंटी को मिस कॉल मारी.
उन्होंने कॉल लगा कर कहा- मैंने अपना गेट थोड़ा सा खोल कर रखा हुआ है, सावधानी से देख कर आ जा!
मैं एकदम से उनके घर के अन्दर घुस गया और गेट को लॉक कर दिया.
जैसे ही मैं पीछे मुड़ा तो नेहा आंटी मेरे सामने खड़ी थीं … आह क्या माल लग रही थीं!
आंटी ने पारंपरिक पोशाक पहनी थी.
नेहा आंटी उड़ीसा की हैं तो उन्होंने उसी परिवेश में खुद को सजाया और संवार था.
मैंने उनको देखा तो सीधा अपनी ओर खींच कर लिप-किस चालू कर दी.
आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
हम दोनों को किसी के आने की कोई चिंता ही नहीं थी.
मैंने 15 मिनट तक आंटी के होंठों को तबियत से चूमा और उनकी जीभ को चूसा.
जब हम दोनों का चुंबन टूटा तो मैं बोला- क्या बात है आंटी, आज तो आप बड़ी सेक्सी लग रही हो. वैसे इस साड़ी का नाम क्या है?
नेहा आंटी- हमारे उड़ीसा में इसको कटकी सारी बोलते हैं! आज मेरा मन किया कि इसको तेरे लिए पहनूँ!
मैं- सच में आंटी आप इसमें बहुत सुंदर लग रही हो. आज मुझे आपको चोदने में बड़ा मजा आएगा.
नेहा आंटी- तो रोक कौन रहा है, शुरू हो हो जा ना!
आंटी मेरे पास को हुईं और किस करते करते ही मेरे कपड़े उतारने लगीं.
मैं भी उनकी साड़ी निकालने लगा.
कुछ ही देर के बाद मैं उनकी पूरी बॉडी को चाटने चूमने लगा.
आंटी की बॉडी का कोई भी हिस्सा नहीं बचा होगा, जहां पर मैंने उन्हें चूमा ना हो.
बॉडी पर किस करते करते मैं उनकी चूत के पास आ गया.
उनकी चुत से अलग ही खुशबू आ रही थी जो मुझे मदहोश कर रही थी.
मैंने जल्दी से उनकी पैंटी निकाली और पागलों की तरह उनकी चूत चाटने लगा.
दस मिनट तक उनकी चूत चाटते रहने में ही नेहा आंटी एक बार डिस्चार्ज हो गई थीं.
मैंने कहा- क्या हुआ, आज बड़ी जल्दी झड़ गईं!
वे बोलीं- इन मादरचोद रिश्तेदारों के चक्कर में चुत को खुराख ही नहीं मिली. न तेरा लंड नसीब हुआ और न ही तेरे अंकल ने मुझे टच किया.
अब मैं भी नंगा हो गया और उनको मेरा लंड पकड़ा दिया.
वे किसी भूखी शेरनी की तरह मेरा लंड चूसने लगी थीं.
मैं भी उनकी चूत में जोर जोर से उंगली कर रहा था.
जिस वक्त मैं उन्हें अपने लंड का स्वाद चखा रहा था, उस वक्त मैं उन्हें अपने लौड़े पर झुकाए हुआ था और खुद उनकी पीठ की तरफ से हाथ डाल कर उनकी चूत को उंगली से खोद रहा था.
उस समय उनकी गांड मुझे बड़ी लुभावनी लग रही थी.
उनकी किशमिशी गांड को खुलते और बन्द होते देख कर मेरा मन आज उनकी गांड मारने का हो गया था.
वह क्या है ना कि रात में मैंने गांड मारने वाली वीडियो भी देखी थी इसलिए आज मेरा पूरा मन था कि आंटी की गांड को हलाल करूं.
मैंने कहा- आंटी, आज मुझे आपकी गांड मारनी है!
नेहा आंटी- चूतिया हो गया है क्या बहनचोद … मैंने कभी अपनी गांड में लंड नहीं लिया है!
मैं- तो आज ले लो न … आराम से पेलूँगा और आपको भी मजा आएगा … प्लीज मना मत करना यार आंटी … आज मेरा बहुत मन हो रहा है!
आंटी ने गांड न मराने को लेकर काफी नाटक किए … पर अंत में वे गांड मरवाने के लिए मान गईं.
नेहा आंटी- पक्का आराम से करेगा ना … क्योंकि यह मेरा फर्स्ट टाइम है!
मैं- हां आंटी मुझे पता है यार … मैं आराम से ही करूँगा. आप बस यह बताओ कि तेल की बोतल किधर है?
उन्होंने कहा- तेरे साइड में टेबल है, उसके ऊपर ही रखी है.
मैंने तेल लिया और अपने लंड पर लगा लिया.
लंड को तेल से चिकना करने के बाद मैंने उनकी गांड के छेद पर भी तेल लगाया.
अब मैंने आंटी को डॉगी पोजीशन में खड़ा किया और उनकी गांड के छेद पर लंड सैट कर दिया.
वे सिहरने लगीं और लंड की गर्मी से गांड को मटकाने लगीं.
मैंने लौड़े के टोपे को गांड के छेद पर रखा और रगड़ने लगा.
उन्हें अहसास ही नहीं था कि किस तरह का भूचाल आने वाला है.
वे अपनी गांड को लुप-लुप करके खोल बन्द कर रही थीं.
मैंने मौके की तलाश में था कि कब छेद खुले और मैं सुपारे को अन्दर पेल दूँ.
इस बार जैसे ही आंटी की गांड का छेद खुला, मैंने एक पावर फुल झटका दे मारा.
मेरे लंड का टोपा गांड के पहले छल्ले को फैलाता हुआ अन्दर चला गया था.
नेहा आंटी थोड़ी जोर से चिल्ला दीं- आह आह मर गई … अरे मादरचोद लंड निकाल अपना … बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है!
मैं कौन सा लंड निकालने वाला था.
वैसे ही एक मिनट रुका रहा और अपने हाथ आगे ले जाकर आंटी की चूचियों को सहलाने लगा.
इससे आंटी भी थोड़ी सी रिलैक्स हो गई थीं.
अब मैंने तेल की शीशी से थोड़ा तेल और टपकाया और आराम से दाब देते हुए एक और झटका दे मारा.
इस बार मेरा पूरा लंड आंटी Xxx गांड के अन्दर चला गया था लेकिन आंटी की हालत खराब हो गई थी.
वे मुझे भरपूर गालियां दे रही थीं- आह मां के लौड़े ने गांड फाड़ दी बहन के लंड तूने कहा था कि आराम से करूंगा … आह मां चुद गई भोसड़ी के … मुझे नहीं मरवानी है अपनी गांड … आह छोड़ दे कमीने … बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने आंटी की चिल्लपौं पर जरा सा भी ध्यान नहीं दिया.
बस कुछ मिनट तक वैसे ही रुका रहा और उनके बूब्स प्रेस करता रहा था.
साथ में एक हाथ से मैं आंटी की चूत को भी सहला रहा था.
वे कुछ ही पलों में शांत हो गईं और आह आह करती हुई कराहती रहीं.
मैंने आराम आराम से अपने लंड को आगे पीछे करना चालू कर दिया था.
जैसे ही उनका दर्द कम हुआ तो वे आह आह की मीठी मीठी सिसकारी लेने लगीं.
मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और उनकी गांड में जोर से शॉट मारने लगा.
अब तो आंटी भी काफी एन्जॉय कर रही थीं.
लगभग 30 मिनट तक मैंने उनकी गांड मारी और अपने लंड का सारा माल अन्दर ही निकाल दिया.
इतनी देर तक गांड मरवाने से आंटी की हालत खराब हो गई थी.
उन्होंने मरी सी आवाज में कहा- मेरा पेट और गांड में काफी दर्द हो रहा है.
मैंने उन्हें किस करना शुरू कर दिया.
काफी देर तक हम दोनों ने किस किया और उतने में ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
मैंने उनकी चूत को फिर से चाटना शुरू कर दिया.
वे एक बार फिर से डिस्चार्ज हो गईं.
मैं सारा पानी पी गया.
उसके बाद मिशनरी पोजीशन में मैंने आंटी की खूब चूत मारी और साथ में किस भी किया.
मुझे किस करना सबसे ज्यादा पसंद है.
आंटी भी मेरे लंड से चुदवाने के काफी मजे ले रही थीं.
चूतत चोदने के बाद मैंने सारा माल चुत के अन्दर ही निकल दिया.
मैं- आपको आज कैसा लगा आंटी?
नेहा आंटी- तूने तो आज गांड मार कर मेरी कुछ ज्यादा ही हालत खराब कर दी. काफी दर्द हो रहा है अभी भी … लेकिन मजा भी बहुत आया.
मैं- कोई बात नहीं आंटी, आप पेनकिलर ले लेना, सब ठीक हो जाएगा. अभी मैं भी जा रहा हूं. आप अपना ध्यान रखना.
नेहा आंटी- ठीक है.
हमने थोड़ी सी देर और किस किया और उसके बाद मैं अपने घर आ गया.
दोस्तो, आंटी की गांड मारने के बाद वे दो दिन तक सही से चल ही नहीं पा रही थीं, उनको बेहद दर्द हो रहा था, टांगें चौड़ी करके चल रही थीं.
अंकल ने पूछा- क्या हो गया? टांगें फैला कर क्यों चल रही हो?
तो उन्होंने अंकल से कह दिया- गांड में एक फुंसी हो गई है, जिसकी वजह से दर्द हो रहा है.
अंकल ने कुछ नहीं कहा.
तो यही थी दोस्तो देसी आंटी की गांड चुदाई वाली सेक्स कहानी, आपको कैसी … अपना फीडबैक जरूर दें.
आपके फीडबैक से लेखक को प्रेरणा मिलती है और कहीं कोई गलती हो गई है, तो वह भी पता लगती है.
इसलिए प्लीज आंटी Xxx गांड कहानी पर अपने कमेंट्स जरूर लिखें.
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