परपुरुष से शारीरिक सम्बन्ध- 5

(Porn Bhabhi Pron Story)

पोर्न भाभी प्रोन स्टोरी में मेरी चूत में बस ड्राईवर का बड़ा लंड चल रहा था. लेकिन उसकी नजर शायद मेरी कसी गांड पर थी. उसने अपनी उंगली मेरी गांड में घुसा दी.

फ्रेंड्स, मैं भोपाल से काव्या आपको अपनी सेक्स कहानी की अगली कड़ी में चुदाई का मजा देने हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
बस में चली मेरी चुदाई एक्सप्रेस
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी चूत में मगनलाल का लंड चल रहा था और वह धकापेल मेरी चूत को ढोलक समझ कर बजाए जा रहा था.
मुझे बेहद सुकून मिल रहा था.

अब आगे पोर्न भाभी प्रोन स्टोरी:

मगनलाल की और मेरी जांघें आपस में टकराकर ठप्प–ठप्प का शोर कर रही थीं.
मुझे चुदने में अच्छा लग रहा था.

लेकिन कुछ देर में मगनलाल बोर हो गया और उन दोनों से बोला- इसे मुझे अपने अंदाज में चोदने दो!

इतना बोल कर उसने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
मैं क्या करती, गिरने के डर से उसकी कमर में टांगें लपेट लीं और गर्दन में बांहें डाल दीं.

इस वक्त मैं उससे ऐसे चिपकी हुई थी, जैसे बंदर से उसका बच्चा.

इस सब जतन करने में उसका लंड मेरी चूत से बाहर निकल चुका था.
जिस पर उसने उन दोनों से लंड को चूत पर सैट करने को कहा.

दोनों की तरफ से कोई प्रतिक्रिया न होता देख, इस बार उसने कड़े लहज़े में कहा.
तो रवि आगे बढ़ा और उसने मुझे थोड़ा सा उचका कर मगन के लंड को चूत के मुहाने पर रख दिया.

मगन ने मुझे थोड़ा ढीला छोड़ा तो लंड चूत को फाड़ते हुए अन्दर घुस गया.

फिर वह मुझे ऐसे ही हवा में झूलते हुए चोदने लगा.

हम दोनों के शरीर आपस में इतनी जोर से चिपके हुए थे कि मेरे दूध उसकी छाती में गड़े जा रहे थे और उसके हर घर्षण पर उसकी छाती के बाल टूट रहे थे, जिससे उसे जरा भी तकलीफ नहीं हो रही थी.

मैं बस वैसे ही उसके कंधे पर सर रख कर चुद रही थी.
मेरे मुँह से ‘आह्ह हहम … उम्म … आआ ईआ ई … उफ्फ’ जैसी आवाजें आ रही थीं.

उधर मगन ‘हम्म्म … हम्म …’ करके चोद रहा था.

फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह बस के दरवाजे की बढ़ने लगा और बोला- नीचे चल कर करते हैं, यहां मज़ा नहीं आ रहा है.

मैंने उसे तुरंत मना कर दिया कि मैं नीचे नहीं जाऊंगी, किसी ने देख लिया तो गड़बड़ हो जाएगी और मुझमें और ज्यादा मर्द को झेलने की ताक़त नहीं है.

फिर वह रुक गया लेकिन उसने मुझे ख़ुद पर से उतार कर आद्विक की गोद में दे दिया.

आद्विक ने भी मुझे गोद में लिया और मगन की देखा देखी उसने भी वैसे ही चूत में लंड डाल दिया.
शायद उसे यह पोजीशन अच्छी लगी थी.

मैं उससे चिपकी हुई थी और वह मुझे नीचे से अपने लंड पर झुलाते हुए धीमे धीमे चोद रहा था.

फिर उसने रफ्तार पकड़ ली.
उसका लंड मेरी चूत की गोलाई में घुसकर पूरी तरह से फिट हो चुका था.

वह मुझे इतनी जोर से चोद रहा था कि मेरी चूत में जलन होने लगी थी.
मैंने उसे थोड़ा रुकने को बोला लेकिन उस पर इसका जरा भी असर नहीं हुआ.
वह वैसे ही मुझे चोदने में लगा था.

तभी मगन मेरे पीछे आ गया और मेरी गांड में एक उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
अब मेरे आगे और पीछे वाले दोनों सुराखों से खिलवाड़ होने लगा था.

मैं इस दोहरी मार को झेल नहीं पायी और बुरी तरह कांपने लगी.
शायद मैं अब झड़ने वाली थी.

मैंने आद्विक से कहा- थोड़ा रुक जाओ … मैं थक गई हूं.
वह बोला- नहीं जान, ये समय रुकने का नहीं … साथ देने का है.
इतना बोलकर उसने मेरी गांड को थोड़ा और उचका दिया.

मेरी चूत इतनी गीली हो गई थी कि मेरा प्रीकम उसके टट्टों से लिपट कर फर्श पर गिरने लगा था.

आद्विक- साली छिनाल रांड … मस्त चूत है तेरी … जितना चोदो उतना मज़ा आ रहा है. रोज रोज ऐसी चूत मारने को नहीं मिलती, तो दिल खोल कर चुदो मेरी रानी!

मैं इतनी ज्यादा थक गई थी कि मेरी टांगें दर्द देने लगी थीं.

तभी आद्विक मेरी चूत में झड़ने लगा.
उसकी गर्मी को महसूस करके मैं भी न रुक सकी और ‘आह … उम्मम … आईई …’ बोल कर झड़ने लगी.

तभी उसने मुझे थोड़ा और उचका दिया जिससे उसका लंड मेरी चूत से बाहर निकल गया और मेरी चूत से मेरा रस उसके पेट और लंड पर गिरने लगा.

आद्विक इतना थक चुका था कि उसे पता ही न चला कि उसने कब पकड़ ढीली कर दी और मैं उसके हाथों से सरकते हुए नीचे गिरने लगी.
तभी मुझे रवि ने पकड़ लिया और नीचे फर्श पर लिटा दिया.

इस वक्त मैं अपनी ही पेशाब, रज और वीर्य में लथपथ हुई पड़ी थी.

मैं इतनी ज्यादा थक चुकी कि अब मैं आराम करना चाह रही थी लेकिन आराम अभी मेरी उम्मीद से बहुत दूर था.

मैंने एक बार नज़र उठा कर देखा तो आद्विक ने कपड़े पहन लिए थे.
वह मेरे पास आया मेरे होंठ को चूमा और बोला- तुम्हारी बहुत याद आएगी.
इतना बोल कर वह चला गया.

मैं वैसे ही पड़ी थी.
मगन और रवि मुझे देख रहे थे.

अभी भी दिन निकलने में काफी समय था.
मगन बोला- अब जल्दी से हमारा भी काम कर दो, फिर हम भी अपने रास्ते निकल लेंगे.

कुछ देर रुकने के बाद मगन मेरे पीछे आया और वह मुझे कमर से पकड़ कर उठाने लगा.

मैंने भी सोचा कि थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लेती हूं, फिर मैं भी यहां से जा पाऊंगी.

मैं बमुश्किल से खड़ी हुई.
तभी मगन ने मुझे कुतिया बना दिया और रवि से बोला- आगे आकर इसके मुँह में लंड दे दे.

मैंने भी हाथों को मजबूती से फर्श पर जमाया और बिना किसी संकोच के मुँह खोल दिया.
उसने मेरे मुँह में लंड घुसा दिया और अपना लंड पिलाने लगा.

तभी मगन पीछे आया और उंगलियों से चूत को सहलाने लगा.
उसने धीमे से एक उंगली चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा.

इधर रवि आराम से मेरा मुख चोदन कर रहा था.
जब भी उसका लंड मेरे गले के अन्दर तक चला जाता तो वह खुद ही जल्दी से बाहर निकाल लेता ताकि मुझे तकलीफ न हो.

उधर मगन ने टांगों को थोड़ा फैलाया और मेरी टांगों के बीच से रास्ता बनाता हुआ अपने मुँह को चूत तक ले गया.

फ़िर उसने मेरी कमर को पकड़ा और नीचे से चूत चाटने लगा.
उसकी चटाई से पता चल रहा था कि बहुत बड़ा चूत का चटोरा है.

शुरू में वह मेरी चूत की दोनों पंखुड़ियों को दांतों से काटने और चूसने में लगा हुआ था.
लेकिन जैसे ही उसने अपनी जीभ चूत के अन्दर डाली, मैं उसकी खुरदरी जीभ और कटीली मूँछों को साफ साफ महसूस कर पा रही थी.

कुछ देर में उसकी रफ्तार भी बढ़ गई … ऐसा लग रहा था जैसे कि मेरे अन्दर से कुछ बाहर आने को कुलांचें मार रहा हो.

मैंने मुँह से लंड निकाल कर मगन को हटने को बोला.
लेकिन वह नहीं हटा तो रवि ने फिर से लंड मेरे मुँह में डाल दिया.

मगन भी मेरे चूतड़ों की गोलाई को सहलाने लगा.

मैं भी कब तक टिकती … तो हार गई और मेरी चूत से पेशाब निकलने लगी जिसे मगन जल्दी जल्दी पीने लगा.
कुछ मूत वह पी गया बाकी का उसके शरीर के ऊपरी भाग को भिगो कर गिर गया.

इस बीच मुझे पता ही नहीं चला कि कब रवि मेरे मुँह में झड़ गया और मैं उसका वीर्य पी गई.

रवि बगल की सीट पर बैठ गया.
मैंने अपना सिर फर्श से टिकाया और मगन के मुँह पर चूत रख दी.

मैं और रवि शिथिल हो चुके थे.
लेकिन मगन न जाने किस मिट्टी का बना था, वह अभी भी नीचे से चूत चाट रहा था जैसे वह ये काम सारा दिन कर सकता हो.

मगन मेरे नीचे सरक के बाहर निकला और मेरे चूतड़ों पर सर टिका दिया.
फिर उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर करवट पलटी.

मैं उसे एकटक देखे जा रही थी.

उसने रवि से बोला- आ जा, दोनों साथ में करेंगे … बड़े दिन हो गए हैं.

मैंने उसकी तरफ मिन्नत भरी नज़र से देखा और कहा- आखिर कब तक मुझे तुम चोदते रहोगे … मैं थक चुकी हूँ! अब मुझमें और शक्ति नहीं बची है.

मगन बोला- हमें पता है मेरी जान कि तू बहुत थक गई है इसलिए तो हम तुझे मिल कर चोदने वाले हैं. इसमें समय की बचत ऊर्जा की बचत … देख तेरा कितना ख्याल कर रहे हैं … हम तुझे रानी जैसे चोदेंगे और इस बार तो इतना मज़ा देंगे कि अब तक जितनों से भी चुदी हो, उन सबसे ज्यादा मज़ा आएगा.

मैं भी एक बार सोच में पड़ गई कि ये दोनों ऐसा क्या करने वाले हैं.

मगन ने मेरा हाथ पकड़ कर खड़ा किया और रवि से बोला- ले जो मन में आए वह कर. मैं थोड़ी देर बाद तुम दोनों का साथ दूंगा.

रवि मेरे पास आया और मेरे होंठ चूमने लगा.
फिर उसने मेरे दोनों दूध पकड़ लिए और जोर से दबाने और ऐंठने लगा.

देखते ही देखते मेरे दूध सख्त और लाल होने लगे थे.
वह इतनी जोर से दूध को दबा रहा था कि उसके नाखूनों से मेरे दूध पर आधे चांद जैसी आकृति बनने लगी थी.

फिर वह मेरे होंठ छोड़ कर मेरे दूध को पीने लगा.
मुझे भी रवि से लगाव सा हो गया था इसलिए मैं भी गर्म होने लगी थी.
मैंने उसके बालो में हाथ डाल दिया और सहलाने लगी.

वह बारी बारी से मेरे दोनों दूध को पीने में लगा हुआ था और मैं उसके लंड मुट्ठी में पकड़ कर सहला रही थी.

मैंने धीरे से उसके कान में कहा- अब जल्दी से इसे मेरी चूत में डालो.

मेरी चूत इतनी चुदाई के बाद सूज कर कुप्पा हो गई थी लेकिन मुझे फिर भी रवि का लंड चाहिए था.

उसने मेरे दोनों हाथों को अपने कंधे पर रखा और अपने हाथ से मेरी कमर पकड़ ली.
फिर सामने से दबाव बनाते हुए मेरी चूत में लंड डालने लगा.

उसका लंडमुंड मेरी चूत में जलन पैदा करता हुआ अन्दर दाखिल हो गया जिसे मैं सह गई.

वह मुझे बड़े प्यार से चोद रहा था.
उसके धक्के इतने सटीक थे कि न तो उसका लंड ज्यादा अन्दर तक जा रहा था … न हर बार बाहर आ रहा था.

मैं भी उसका साथ देते हुए आगे पीछे होने लगी.
उसका गर्म लंड मेरी चूत की अन्दर तक सिकाई कर रहा था जो मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
हर धक्के पर मेरे दूध उसकी छाती से चिपक जाते.

हल्का सर्द मौसम होने के बाद भी हम दोनों पसीने से भीग गए थे.
मेरे बाल गीले होकर मेरी पीठ पर चिपकने लगे थे जिससे मुझे उलझन होने लगी थी.

अब रवि के धक्के भी पहले से थोड़े तेज हो गए थे, जिससे मैं पीछे खिसकने लगी थी.
रवि ने मेरे पंजों पर आपने पंजे रख दिए और मुझे मजबूती से पकड़ लिया.

मौका देख कर मैंने भी बालों का जूड़ा बांध लिया और रवि के कंधे पर सिर रख कर आंखें बंद कर लीं.
मैंने उससे अपना काम जारी रखने को बोला.

मैं अपनी चुदाई में इतना खो गई कि मैं भूल ही गई थी कि यहां हम दो नहीं तीन लोग हैं.
कुछ देर बाद मुझे लगा कि कोई मेरे दोनों चूतड़ों को चाट रहा है.
लेकिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

रवि ने मेरे कान में धीमे से बोला- अपने चूतड़ों को फैलाओ.
मैंने अपने हाथों से चूतड़ों की दरार खोल दी.

जैसे ही किसी ने मेरी गांड का छेद जीभ से चाटा तो मेरे बदन में झुरझुरी दौड़ गई.
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो मगन मेरी गांड चाट रहा था.

वह अपनी जीभ से मेरी गांड का छेद कुरेद रहा था और शायद अन्दर डालने की कोशिश कर रहा था.
लेकिन मेरी गांड का छेद बहुत तंग है क्योंकि मैंने बहुत कम बार अपनी गांड में लंड लिया है.

मगन ने मेरे दोनों चूतड चांटे मार कर लाल कर दिए थे.

उसने मुझे चूतड़ों को और खोलने को बोला, मैं भी क्या करती.
मैंने वैसा ही किया.

मगन थोड़ा झुका और गांड में लंड अन्दर डालने लगा.

उसके बड़े से लंड का अभी टोपा ही अन्दर गया था कि मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.

उसने थोड़ा और दबाव बनाया तो इस बार मेरी हल्की सी चीख के साथ मेरी आंखें भी डबडबा गईं.

मगन ने थोड़ा और जोर लगाया लेकिन लंड अन्दर जा न सका और मेरी चीख भी तेज हो गई.

उसने रवि से कहा- इस साली रण्डी का मुँह बंदकर.
तो उसने अपने होंठ मेरे पर रख दिए.

मुझे समझ आ गया था कि अब क्या होने वाला है इसलिए खुद को तैयार करने की कोशिश करने लगी.
तभी मगन ने नीचे से एक जोरदार धक्का मारा, जिससे मेरे होश फाख्ता हो गए और मेरी चीख रवि के मुँह में घुट कर रह गई.

मेरा बदन अभी भी वैसे झटके खा रहा था. मेरा खुद से संतुलन खोने लगा.
मैं जैसे ही गिरने वाली थी कि तभी उन दोनों ने मुझे बीच में चिपका लिया.

हम तीनों एक दूसरे से ऐसे चिपके हुए थे कि बीच से हवा जाने की जगह नहीं थी.
गांड में डंडा घुसा हो तो क्या ही दर्द हो सकता है, यह वे महिलाएं या लड़कियां अच्छी तरह से समझ सकती हैं, जिन्होंने अपनी गांड मरवाने की शुरुआत करवाई हो. हालांकि गांड मरवाने का भी एक अलग ही मजा है, पर दर्द की वजह से अधिकतर लड़कियां गुदा मैथुन से दूर ही रहती हैं.

खैर … पोर्न भाभी प्रोन स्टोरी के आगे के भाग में आपको मेरी डबल पेनीट्रेशन वाली सैंडविच चुदाई की कहानी का मजा मिलेगा.
आप मुझे अपने विचारों से अवगत जरूर कराएं.
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पोर्न भाभी प्रोन स्टोरी का अगला भाग:

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