मैं जवान प्यासी लड़की -5
अंकल ने भी मुझे खूब ज़ोर से अपने से भींच लिया और मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर अपने भारी हाथ फेरने लगे। मैं पहली बार किसी मर्द के इतना क़रीब उस के बाजुओं में सिमटी हुई झड़ी थी।
अंकल ने भी मुझे खूब ज़ोर से अपने से भींच लिया और मेरी कमर और मेरे चूतड़ों पर अपने भारी हाथ फेरने लगे। मैं पहली बार किसी मर्द के इतना क़रीब उस के बाजुओं में सिमटी हुई झड़ी थी।
मैंने अपनी जीभ से उसकी बुर के दाने को चूसना शुरू किया और साथ ही अपनी एक उंगली उसके चूत में डालने लगा और उसको अपनी उंगली से ही चोदने लगा।
राहुल- हमें भरोसा नहीं है, ब्रा खोल कर दिखाओ। नेहा गुस्से में अपना हाथ पीठ के पीछे डाला और ब्रा खोल कर बिना कोई और कपड़ा निकाले, निकाल कर हमारी ओर फेंक दी।
पड़ोस की एक लड़की मेरे पास पढ़ने आ जाती थी। एक दिन मैं अकेला था तो वो आ गई और बायोलोजी के प्रश्न पूछने लगी। बहाने से उसने मेरा लंड पकड़ लिया।
पीछे से आते ही उसने मेरी गांड को टटोला और जब उसे ये एहसास हुआ कि मैंने पैंटी उतार दी है तो वो जैसे पागल हो गए, उसने मुझे पीछे से पकड़ा और मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिये।
मैंने उनको दीवार के पास खड़ा किया और उनकी एक टांग को टेबल पर रखा.. दूसरी को फर्श पर रहने दिया। इससे उनकी चूत खुल कर सामने दिखने लगी।
अंकल मेरे नंगे मम्मों को देख चुके थे.. उससे पहले अपनी उंगलियों से उसके चूचुकों को भी सहला चुके थे.. अपनी मुठ्ठियों में भर कर उसके मज़े ले चुके थे.. तो अब क्या शरमाना..!
मेरी बिल्डिंग में बिल्कुल मेरे सामने एक विवाहित महिला रहने आई पर मुझे कुछ भी पता नहीं चला. एक दिन वो खुद मेरे घर आई और बात करने लगी. बात कहाँ तक पहुंची...
नीलेश बोला- कैसी लगी मेरी बहन शिखा? मैंने कहा- यार वो तो कमाल ही है। उसकी चुदाई तो बनती है, कुछ नहीं तो कम से कम उसे एक बार नंगी कर के देख, मस्त एकदम!
मुझ पर क्या नशा चढ़ गया था, मैंने भी कामिनी के होंठ चूसने शुरू कर दिए और अपनी उंगली उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी। वो मुझे खींचकर बिस्तर पर ले गई और अगले ही पल हम दोनों नंगी होकर एक दूसरी की चूत चूस रही थी।
मैं ख़यालों में अंकल के सीने लग गई.. उनकी भरी-भरी गुदाज़ छाती के खूब सुर्ख लाल निपल्स को मुँह में लेकर चूसने लगी.. तो अंकल मुझे ज़ोर से अपने से भींचने लगे।
मैं शाम को टहलने जाता था तो पड़ोस की एक आन्टी भी सैर पर आने लगी। उनके मटकते चूतड़ों ने मेरा मन भटका दिया। इस कहानी में पढ़िए कि कैसे मैंने आन्टी की तारीफ़ की तो उन्होंने मेरे लिये अपनी जांघें खोल दी।
साली की शादी से कुछ दिन पहले मैं किसी काम से ससुराल गया तो साली को देखा कर मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. मौक़ा देखकर मैंने उसे पकड़ा तो बोली- सुहागरात का डर लग रहा है.
मकान मालिक जॉब दूर लगी तो उनकी नवविवाहिता पत्नी घर में उदास रहती थी। मेरी नजर तो पहले दिन से ही भाभी पर थी। एक दिन मैंने भाभी को बैंगन से चूत चोदते देखा।
मैंने सोचा 'अब रो तो रही ही है' इधर लंड भी अपनी पूरी औकात में था, मैंने फिर से जोर का धक्का लगाया और पेल दिया अपना लंड उसकी चूत में।
मेरी गर्लफ़्रेन्ड मुझसे चुदने से डरती थी क्योंकि उसने मेरा लण्ड देख लिया था। फ़िर बहुत मुश्किल से एक दिन उसे अपने घर बुलाया और धीरे धीरे गर्म करके उसकी चूत की सील खोली। कहानी पढ़ कर मज़ा लीजिये।
कामिनी ने अपना गिलास बराबर में टेबल पर रख और एक हाथ से राजीव का लंड चूसते हुए दूसरे हाथ को मेरे कंधे का सहारा लेकर ऊपर नीचे होकर मेरी चुदाई करने लगी।
मैंने पूछा- अंकल आपने बताया नहीं कि अपने बेडरूम में आज तक किसी और को क्यों नहीं जाने दिया.. वहाँ ऐसा क्या है? लेकिन मैं तो आपके बेडरूम में जाऊंगी.. उसे देखने के लिए..
उन्होंने अपना हाथ आगे लाकर मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत पर सैट करके नीचे से एक तेज ठोकर मारी और ‘गप्प..’ की आवाज़ के साथ मेरा आधा लंड उनकी चूत की गहराई में उतर गया।
रिया की बाहें मेरे गले का हार बनी हुई थी और मेरे हाथ उसके चूतड़ों के नीचे रखे हुए थे तो रिया अब अपनी मर्ज़ी और मनचाही रफ़्तार से मुझ से चुदवा रही थी या फिर मुझको चोद रही थी।