जिस्मानी रिश्तों की चाह -16
आपी आधी लेटी आधी बैठी हुई सी हालत में सोफे पर पड़ी थीं और पाँव ज़मीन पर थे। उनकी टाँगें थोड़ी खुली हुई थीं.. मैंने अपना सीधा हाथ उठाया और थप्पड़ के अंदाज़ में ज़ोर से अपनी सग़ी बहन की टाँगों के दरमियान मारा और फ़ौरन भागा..
आपी आधी लेटी आधी बैठी हुई सी हालत में सोफे पर पड़ी थीं और पाँव ज़मीन पर थे। उनकी टाँगें थोड़ी खुली हुई थीं.. मैंने अपना सीधा हाथ उठाया और थप्पड़ के अंदाज़ में ज़ोर से अपनी सग़ी बहन की टाँगों के दरमियान मारा और फ़ौरन भागा..
गरमी की छुट्टियों में हम चार दोस्त चूत के सपने लेते लेते स्कूल चले गए. वहाँ हमें एक औरत दिखाई दी. हिम्मत करके उसके पास गए, पूछा, वो चौकीदार की बीवी थी.
नए घर में पहली ही रात को मैं पूरा नंगा होकर अपनी बीवी मधु के साथ फ़ोन पर सेक्स चैट कर रहा था कि जोर की एक आवाज़ आई और मैं तुरन्त देखने भागा।
मोटा लण्ड जब मौसी की चूत की नाज़ुक मगर आती संवेदनशील त्वचा पर रगड़ता.. तो लाली मौसी सिसक उठतीं और अब वो वास्तव में अपने आपको आसमान में उड़ती हुई परी महसूस करने लगी थीं..
जब मैं सलोनी को पूरी नंगी देखता हूँ तो मुझे लगता है कि जैसे वह अभी तक अक्षतयौवना अनछुई कच्ची कली हो... सच में ही मेरी सलोनी कुँवारी कमसिन बाला से भी ज्यादा जवान और नाजुक नज़र आती है
आपी का भी एक हाथ टाँगों के दरमियान और दूसरा उनके एक उभार पर था.. फिर आहिस्तगी से उन्होंने अपनी सलवार से ही अपनी टाँगों के बीच वाली जगह को साफ किया और फिर सीधी बैठीं!
मैं सुबह के समय अपने घर की सबसे ऊपर वाली छत पर टहल रहा था तो भाभी सुबह में टॉयलेट से निकल रही थी और उन्होंने सलवार का नाड़ा भी नही बाँधा था, वो उसे बांधते हुए ही निकल रही थी।
मैं मम्मी पापा को रोज चुदाई करते देखती थी, चाहने लगी थी कि पापा मेरे साथ भी ऐसा करें! एक बार मम्मी बाहर गई तो पापा ने मुझे कमरे में बुलाकर मेरे साथ वही किया
औरत की चूत के साथ ज़िंदगी में सिर्फ़ एक ही बार रहम किया जाता है और वो भी अगर चूत कुँवारी हो.. उसके बाद अगर रहम किया तो फिर चूत दूसरा लण्ड ढूँढने लगती है.. औरत की चूत तो बेरहमी से ही चोदी जाती है।
सलोनी मेरी सेक्सी बीवी किसी परिचय की मोहताज़ नहीं... उसका सौन्दर्य बिना कहे ही अपनी कहानी खुद बता देता है... मेरी सलोनी है ही इतनी मस्त कि कोई उसको एक बार देख ले तो जिन्दगी भर भूल नहीं सकता।
जैसे-जैसे दास्तान आगे बढ़ती जा रही थी आपी की बेचैनी भी बढ़ती जा रही थी। वो कभी टाँगों को आपस में भींचती थीं तो कभी अपनी दोनों रानों को एक-दूसरे से रगड़ देती थीं..
मेरे पड़ोस में एक बौनी लड़की रहती थी, उसे मैं डॉल कह कर पुकारता था. उसकी माँ ने मुझे उसे शादी के लिये मनाने को कहा. मैंने उससे बात की तो वो एक सामान्य मर्द का प्यार पाना चाहती थी.
वो बोली- अरे भैया, तब मैं थी भी कितनी, अब तो दो बच्चे हो गए हैं, और तीन जानों ने चूसे हैं, इनको तो खुद बहत पसंद हैं, बहुत दबाते हैं और बहुत पीते हैं।
‘ऊई माँआ... आशीष.. ये छोड़ो मुझे..’ मौसी अपने आपको छुड़ाने का नाटक करती हुई बोलीं। ‘आशीष तुम तो बड़े खराब हो.. कोई अपनी मौसी को ऐसे नंगी करता है क्या?’
शादी के दो साल बाद मैं और सीमा थाईलैंड में हम पत्ताया गए, वहाँ हमें तीन दिन रूकना था। इन तीन दिनों में हम दोनों ने खूब जम कर सेक्स मस्ती की।
जब आपी ने देखा तो उनकी ब्रा मेरे बायें हाथ में थी और मैं कप के अन्दर ज़ुबान फेर रहा था। मैंने आपी को देखा लेकिन अब मैं अपनी मंज़िल के बहुत क़रीब था इसलिए अपने हाथ को रोक नहीं सकता था।
मेरी नज़र हमारे गणित के मास्टर हरि ओम पर रहती थी.. उनका पीरियड आता था मेरी नज़र ज्यादातर उनकी पैंट की चेन के उभार का जायज़ा लेती रहती थी और मैं उनके लंड की पोजिशन का पता लगाने के चक्कर में रहता था।
मेरी मौसी की लड़की 15 साल बाद हमारे घर आई, शादी हो चुकी है. कोई समय था जब हम दोनों आपस में काफी आगे बढ़ गए थे. मैं बार बार उसे पुराने वक़्त की यादें दिला रहा था और वो बार बार बचती जा रही थी।
मैंने जब उनकी गाण्ड की दो फलकों को अलग करने वाली लकीर पर नज़र जमाई.. तो मेरी मति भ्रमित हो गई.. रिश्ते-नाते सब हवा हो गए.. याद था तो बस लंड और चूत की प्यास।
मैं मुंबई शिफ्ट हो रहा था तो एक सहकर्मी की आंटी का घर किराए पर मिल गया. जिस दिन मैं घर में शिफ्ट हुआ, उसके दो दिन बाद आंटी दुबई जा रही थी.