मेरा गुप्त जीवन- 154
मैंने मैडम की गांड को अपने हाथों में थाम रखा था तो अब वो काफी स्पीड के साथ मुझको चोद रही थी और उसकी टाइट चूत लपालप मेरे लौड़े को चूस रही थी।
मैंने मैडम की गांड को अपने हाथों में थाम रखा था तो अब वो काफी स्पीड के साथ मुझको चोद रही थी और उसकी टाइट चूत लपालप मेरे लौड़े को चूस रही थी।
पति के बॉस ने हमें होली पर अपने घर बुलाया था. पति की प्रोमोशन का सवाल था तो मैं समझ गई थी कि क्या हो सकता था. लेकिन वहाँ तो बॉस की बीवी ने मेरे पति को सम्भाल लिया.
मेरे पड़ोसी दोस्त भैया की शादी हुई, बहुत खूबसूरत भाभी आई. लेकिन भैया की शराब की आदत भाभी को खुश ना रख सकी और मेरी उनसे गहरी दोस्ती हो गई! आगे क्या हुआ?
मैं बेरहम बनकर जंगली चुदाई का मन बना चुका था। उसकी बात को अनसुना करके एक बार पूरा लण्ड निकाला और फिर से एक झटके से पूरा चूत में उतार दिया।
मेरी छोटी बहन बहुत खूबसूरत है, वो मेरे ही कॉलेज में है तो सादी ही रहती है लेकिन मेरी गर्लफ़्रेन्ड कहती है कि मेरी बहन सेक्स बम है तो मैं भी अपनी बहन का बदन घूरता।
हम दोनों वहीं सो गये। सुबह लगभग आठ के आस-पास नींद खुली, देखा तो रचना अभी भी सो रही थी। मैंने उसे जगाया तो वो कुनमुनाते सी उठी। सबसे पहले हम दोनों ने मिलकर कमरा साफ किया। इतने देर हम दोनों ने एक दूसरे से कोई बात नहीं की। बाहर बारिश भी रूक गई थी […]
मेरी बॉस कमाल की थी जवान सेक्सी… देखते ही मेरा खड़ा हो जाता था। मेरे अन्दर तो आग थी ही उसे चोदने की.. लेकिन मुझे ये नहीं मालूम था कि वो भी मुझसे चुदना चाहती है।
मैंने उसकी सलवार नीचे खिसका दी और जल्दी से अपनी पैन्ट भी नीचे खिसका कर जैसे ही लंड बाहर निकाला.. तो उसकी लंड को देखकर एक हिचकी सी निकल गई
अपनी विधवा चाची की जवानी देख कर मेरा मन उसे चोदने को करने लगा तो मैंने सोते हुए चाची का ब्लाउज खोल दिया. चाची जाग गई और उसके बाद क्या हुआ, कहानी पढ़ें!
मैंने उसके ऊपर लेट कर उसके लबों को चूमना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में किस और उसकी चूची के मसलने का नतीजा सामने आया.. उसकी गांड उछलने लगी.. अब वो मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से दबाने और मसलने लगी थी।
मैंने पलंग से गद्दे उठाकर जमीन पर बिछाया और रचना को सहारा देकर उस गद्दे पर पट लेटा दिया। शराब के नशे में ही रचना बोली- जानू जिस तरह से तुमने प्यार से मेरी चूत चोदी थी, उसी प्यार से मेरी गांड का भी ध्यान रखना।
ट्रेन की यात्रा के शुरु में ही एक मां बेटी मिल गई। ट्रेन में बहुत भीड़ थी तो हमें सट कर बैठना पड़ा। लड़की से बातचीत होने लगी, दोस्ती हो गई… आगे की घटना कहानी में पढ़िये…
पड़ोसन भाभी से मेरी दोस्ती थी। भैया की नौकरी दूसरे शहर में हुई तो मैं उनकी मदद करने लगा और हमारी निकटता बढ़ती गसी। एक दिन भाभी ने अपनी अन्तर्वासना शान्त करने में मेरी मदद ली।
पप्पू ने उसके चूतड़ सहलाते हुए कहा- सच कहूँ सलोनी.. तुम जितनी अपनी गाण्ड मरवाओगी.. उतनी ये सुन्दर दिखेगी.. ठीक उसी तरह से.. जितने तुम मम्मे दबवाया करोगी.. उतने वो बढ़ेंगे।
वो कमर उठा-उठा कर मुझे बुला रही थी। मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी.. अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी। मैं गौर से उसके जिस्म को देख रहा था। नारी सौंदर्य सच में ऐसा होता है.. कंचन सी कोमल सी काया.. गोरी-गोरी त्वचा..
उसने मेरी चूत पर लंड रख दिया और अंदर को धकेला। एक बार तो मेरी आँखें ही जैसे बाहर को निकल आई। कितना मोटा था, जैसे किसी ने अपनी पूरी बाज़ू ही मेरी चूत में डाल दी हो।
डायना बोली- सोमू, मुझे यह देख कर बड़ी ख़ुशी हुई की रति को गांड मरवाई में कोई तकलीफ नहीं हुई। यह मेरी बड़ी पुरानी इच्छा थी कि कभी कोई मेरी भी गांड मारे। अब रति को देख कर मेरा भी दिल कर रहा है कि मेरी भी गांड तुम मारो...
मम्मों की चुसाई के बाद मैं नीचे आ गया और पेटीकोट का नाड़ा खोल कर पैन्टी को चूमने लगा। वो गीली हो चुकी थी.. मैंने वो उतार फेंकी और उंगली डाल-डाल कर ज़ोर-ज़ोर से चूत चूसने लगा।
यह कहानी जबलपुर की ममता और मेरे दोस्त मुंबई के राजीव जी की है जो फेसबुक में मिले और अंत में दोनों ने ही सम्भोग की परम संतुष्टि को प्राप्त किया...
सच में वो बढ़िया मालिश कर रहा था, मेरी पीठ, चूतड़, जांघों और टाँगों की उसने बहुत बढ़िया मसाज की। मुझे सीधा लेटाया और मेरे कंधों, बूब्स, पेट, कमर, जांघों की बड़े मनोयोग से मालिश की।