विदुषी की विनिमय-लीला-6
लेखक : लीलाधर उन्होंने एक हाथ से मेरे बाएँ पैर को उठाया और उसे घुटने से मोड़ दिया। अंदरूनी जाँघों को सहलाते हुए आकर बीच के होठों पर ठहर गये। दोनों उंगलियों से होठों को फैला दिया। “हे भगवान !” मैंने सोचा,”संदीप के सिवा यह पहला व्यक्ति था जो मुझे इस तरह देख रहा था।” […]