पूरे हुए सपने-1
सर्दियों में दो दोस्त एक ही रजाई में बैठे पढ़ रहे थे, दोनों के लण्ड खड़े थे, बीच बीच में वे उसको सहला रहे थे, दोनों जानते थे कि जब तक मुठ नहीं मारेंगे, साला लण्ड बैठेगा नहीं और वे पढ़ नहीं पाएँगे।
सर्दियों में दो दोस्त एक ही रजाई में बैठे पढ़ रहे थे, दोनों के लण्ड खड़े थे, बीच बीच में वे उसको सहला रहे थे, दोनों जानते थे कि जब तक मुठ नहीं मारेंगे, साला लण्ड बैठेगा नहीं और वे पढ़ नहीं पाएँगे।
मैंने कमरे में उसको दबोच लिया, वो बिस्तर पर गिर गई। मैंने उसकी टीशर्ट में हाथ घुसा कर पहले बगलों में गुदगुदी की फिर उसके मम्मों को मसलने लगा। उसके चुचूकों को चुटकी में भर कर मसला.
मैंने बाथरूम में जाकर लण्ड को धोया, उसके कमरे की तरफ गया, उसने कुण्डी नहीं लगाई थी, उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ थी, वो ब्रा की हुक बंद कर रही थी।
पूजा ने अपनी नाईटी उतार कर एक तरफ फेंक दी, मेरी बाहों में आकर बैठ गई और मेरे होठों को चूमने लगी, मेरी शर्ट के बटन खोल कर मेरी शर्ट निकाल दी।
मैं रोनी सलूजा आपसे फिर मुखातिब हूँ। मेरी कहानी बाथरूम का दर्पण को सभी ने बहुत सराहा है। कुछ लोगों ने मुझसे सागर की हेमा पवार के बारे में जानकारी चाही तो कुछ ने रमा के बारे में जानना चाहा। क्षमायाचना के साथ मैं आप सभी को बता दूँ कि मेरी कहानियों में सभी नाम, […]
लेखिका : कमला भट्टी जीजाजी बाथरूम में लण्ड धोने चले गए थे। वापिस आकर मुझे उठाया बाथरूम में जाने के लिए और मैं भी बाथरूम में घुस गई अपनी मुनिया को धोने और पेशाब करने के लिए जो दर्द के कारण मुश्किल से उतर रहा था ! फिर हम साथ में लेट कर बाते करने […]
प्रेम गुरु की कलम से 7. गुदा-मैथुन (गांडबाज़ी) मैंने अपने साथ पढ़ने वाले लड़कों से सुना भी था और मस्तराम की कहानियों में भी गांडबाजी के बारे में पढ़ा था। पर मुझे विश्वास ही नहीं होता था कि ऐसा सचमुच में होता होगा। आंटी ने जब सातवें सबक के बारे में बताया कि यह गुदा-मैथुन […]
लेखिका : कमला भट्टी अब वे तूफानी गति से धक्के लगा रहे थे कि अचानक कालबेल बज उठी ! मैं और जीजाजी दोनों चौंक पड़े। मैंने धीरे से जीजू से पूछा- कौन हो सकता है? जीजाजी ने मुझे हाथ से सहला कर आश्वस्त करते हुए अपने कमर पर लुंगी लपेटी और दरवाज़े के पास चले […]
प्रेम गुरु की कलम से 6. सम्भोग (प्रेम मिलन) काम विज्ञान के अनुसार सम्भोग का अर्थ होता है समान रूप से भोग अर्थात स्त्री और पुरुष दोनों सक्रिय होकर सामान रूप से एक दूसरे का भोग करें। नियमित रूप से सुखद सम्भोग करने से बुढ़ापा जल्दी नहीं आता और स्त्रियों में रजोनिवृति देरी से होती […]
लेखिका : कमला भट्टी वे अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में घुस गए, मैंने अलमारी से कपड़े निकाले और फटाफट पहन लिए ! जीजाजी बाथरूम से कपड़े पहन कर निकले तो मैं बाथरूम में घुस गई ! हम दोनों लिफ्ट से नीचे आ गए और खाना खाने लगे ! खाना खाकर हम दोनों फिर से कमरे […]
प्रेम गुरु की कलम से 5. प्रेम अंगों को चूमना और चूसना आंटी ने पहले ही बता दिया था कि प्रेम (सेक्स) में कुछ भी गन्दा नहीं होता। मानव शरीर के सारे अंग जब परमात्मा ने ही बनाए हैं तो इनमें कोई गन्दा कैसे हो सकता है। मेरे प्यारे पाठको और पाठिकाओं, अब मुनिया और […]
लेखिका : कमला भट्टी कम्बल में घुसते ही जीजाजी ने बाहें फैलाकर मेरा स्वागत किया, मैं भी उनकी बाँहों में समां गई और उनके चौड़े चकले सीने में अपना मुँह छुपा लिया ! पर जल्दी ही उन्होंने मुझे ऊपर खींच कर मेरा चेहरा अपने चेहरे के बराबर कर लिया, मेरे गालों पर चुम्बन देने लगे […]
प्रेम गुरु की कलम से 3. उरोजों को मसलना और चूसना शाम के कोई चार बजे होंगे। आज मैंने सफ़ेद पेंट और पूरी बाजू वाली टी-शर्ट पहनी थी। आंटी ने भी काली जीन पेंट और खुला टॉप पहना था। आज तीसरा सबक था। आज तो बस अमृत कलशों का मज़ा लूटना था। ओह… जैसे दो […]
लेखिका : कमला भट्टी धीरे धीरे उन्होंने अपनी अंगुली का एक पोरवा मेरी गाण्ड में घुसा दिया था और चूत चाटते चाटते उसको धीरे धीरे अन्दर-बाहर कर रहे थे। हालाँकि उनकी अंगुली मेरी गाण्ड के छल्ले में नहीं घुसी थी पर वे उसको रवां करके घुसाने की तैयारी में ही थे। मेरी गाण्ड का छिद्र […]
प्रेम गुरु की कलम से जब भी कामांगों और सेक्स (लंड, चूत और चुदाई) का नाम जबान पर आता है तो पता नहीं ये तथाकथित समाज और धर्म के ठेकेदार क्यों अपनी नाक भोंहें सिकोड़ने लगते हैं और व्यर्थ ही हंगामा मचाने लग जाते हैं। मैं एक बात पूछना चाहता हूँ कि क्या इन्होंने कभी […]
लेखिका : कमला भट्टी मैं पहुँची तो वे सड़क पर लेफ्ट-राईट कर रहे थे। आखिर मैं सिटी बस से उतरी, वो मुझे होटल की ओर ले गये और कहा- मैं नाश्ता साथ ही लाया हूँ, हम कमरे में ही करेंगे, अभी सर्दी में वैसे भी लस्सी अच्छी नहीं लगेगी। मैंने कहा- चलो ठीक है। उस […]
लेखिका : कमला भट्टी मेरे गाँव से थोड़ी दूर कोई 10-12 किलोमीटर पर देवी का मंदिर है और सबका वहाँ जाने का कार्यक्रम बन गया। हम सब वहाँ गए, देवी के दर्शन किये। वहाँ कुमकुम था, उससे जीजाजी सबके टीका लगा रहे थे और जब सब उस मंदिर से बाहर निकल रहे थे और मैं […]
जीजाजी से मेरी रोजाना बात होती थी और उनकी बातों का मुख्य विषय सेक्स ही होता था। पहले मुझे उनकी बातों से बोरियत होती थी पर कभी कभी अच्छी भी लगती थी ! वे बार बार मेरी चूत चाटने का जिक्र करते तो मेरे खयालों में उनका अधगंजा सर मेरी टांगों के बीच महसूस होता […]
मैं जीजाजी को उनकी सेवा का ईनाम देना चाहती थी पर मुझे पता नहीं था कि वे उत्तेजित होंगे या नहीं। मेरी चुदाने की कोई इच्छा नहीं थी पर मैं उन्हें उत्तेजित कर संतुष्ट करना चाहती थी!
योनि खाली हुई लेकिन सिर्फ थोड़ी देर के लिए। उसकी अगली परीक्षाएँ बाकी थीं। सुरेश को दिया वादा दिमाग में हथौड़े की तरह बज रहा था,‘जो इज्जत केले को मिली है वह मुझे भी मिले।’ समस्या की सिर्फ जड़ खत्म हुई थी, डालियाँ-पत्ते नहीं। काश, यह सब सिर्फ एक दु:स्वप्न निकले। मां संतोषी ! लेकिन […]