मासूम जवानी मेरी पड़ोसन की
मैंने उस किशोर लड़की को अपना लण्ड दिखाते हुए कहा- इसको लण्ड बोलते हैं और इसको ही चूत में डाल कर चुदाई करते हैं जिससे चूत और लण्ड का मिलन होता है।
मैंने उस किशोर लड़की को अपना लण्ड दिखाते हुए कहा- इसको लण्ड बोलते हैं और इसको ही चूत में डाल कर चुदाई करते हैं जिससे चूत और लण्ड का मिलन होता है।
प्रेषक : संजय शर्मा कहानी के तीसरे अंश में मैंने लिखा कि मैं, बिमला दीदी और उसकी ननद गुड़िया, हम तीनों के घर आने के बाद उसी दिन दोपहर को एक जम कर हम सबने चुदाई की और तीनों ने मिलकर हमारे लंड को चूस चूस कर हमारी मलाई काफी स्वाद लेकर खाई ! किस […]
मैं बहुत दिनों से अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़ रहा हूँ। इसमें लोग कुछ तो काल्पनिक कहानी लिखते हैं और कुछ कुछ ही सच्ची होती हैं। किसी का आज तक तीन इंच चौड़ा लंड देखा है? गधे का भी दो इंच चौड़ा होता है। वो फिर क्या गधे का बाप है। कोई बात नहीं मैं अपनी […]
लेखिका : शमीम बनो कुरैशी मेरे नथुनों में बानो की चूत की रसभरी महक बस गई। ऐसी खुशबू मैंने जिन्दगी में पहली बार पाई थी। उसने अपनी चूत को मेरे मुख पर रगड़ दिया और मेरा चेहरा लसलसे, चिकने द्रव से भिगा दिया। बाकी का काम मेरी लपलपाती हुई जीभ ने कर दिया। उसकी चूत […]
लेखिका : शमीम बानो कुरैशी फ़रदीन भाई जान ने मुझसे कहा कि आज मैं भी आप जैसा लिखूंगा, मैंने भी तो आपको चोदा है, मैं कहानी का स्वरूप लिखूंगा, बस आप उसे दिलचस्प बना देना। मेरे साथ फ़रदीन ने कैसे अपनी रंगीनियाँ बिखेरी, यह उसकी दस्तान है। वो इस तरह से अपनी आप बीती लिखते […]
प्रेषक : राजा गर्ग प्रिय पाठको, मैंने अपनी पहली कहानी “तू तो कुछ कर” में अपनी मैडम के बारे में ज़िक्र किया था मगर मैंने यह तो बताया ही नहीं कि वो लगती कैसी थी। वो एक कमाल की औरत जिसका कद 5’6″ के आसपास है और उसकी आँखें बिलकुल नशे से भरी हुई, उसके […]
निशु सब सुनते हुए खा रही थी। उसकी जाँघें अभी भी भिंची हुई थी जिससे उसकी चूत की फ़ाँक नहीं दिख रही थी, सिर्फ़ ऊपर के झाँट देख रहे थे।
प्रेषक/प्रेषिका : छम्मक छल्लो यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है, यह एक सच्ची घटना है। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती थी अभिलाषा। वह मुझसे एक साल छोटी है। उसकी माँ और मेरी माँ काफी अच्छी सहेलियाँ हैं। वह बचपन से ही मुझसे किताबों और पढ़ाई के मामले में मदद मांगती रही है। आंटी […]
प्रेषिका : श्रेया अहूजा मैं और मधु बचपन में घर-घर, लुक्का-छिप्पी, डॉक्टर-डॉक्टर खेलते थे … बचपन ने जवानी का कब रुख लिया पता ही नहीं चला … अब मैं इंटर में हूँ और मधु भी. बस यह फर्क है कि वो हिंदी सरकारी कॉलेज में और मैं इंग्लिश कॉलेज में बस .. हम आज भी […]