मैं और तुम कभी आशना थे
पिछली रात तेरी यादों की झड़ी थी मन भीग रहा था जैसे-जैसे रात बढ़ती थी चाँद से और जागा नहीं जा रहा था… बेचारी नींद!!! आँखों से यूँ ओझल थी जैसे कि कुछ खो गया हो उसका जब आँखों में नींद ही नहीं थी तो क्या करता…? तुम में मुझमें जो कुछ था उसे तलाशता […]